सावन का महीना, स्कूल-कालेज के बच्चे सुबह 8.30 बजे सड़क के किनारे चले जा रहे थे, इतने घमें नघोर घटाओं के साथ जोर से पानी बरसने लगा और सभी लड़के, लड़कियाँ पेड़ के नीचे, दुकानों के शेड के नीचे खड़े हो गये थे. उन्हें सबसे ज्यादा डर किताब, कापी भीगने का था. उन्हीं बच्चों में एक लड़की जिसका नाम व्याख्या था और वह कक्षा-6 में पढ़ती थी, वह एक मोटे आम के तने से सटकर खड़ी थी. पेड़ का तना थोड़ा झुका हुआ था जिससे वह पानी से बच भी रही थी. लगभग दस मिनट बाद पानी बन्द हो गया और धूप भी निकल आई.

एक लड़का जिसका नाम आलोक था, वह भी कक्षा-6 में ही व्याख्या के साथ पढ़ता था. वहाँ पर कोई कन्या पाठशाला न होने के कारण लड़के और लड़कियाँ उसी सर्वोदय काॅलेज में पढ़ते थे. आलोक बहुत गोरा व सुगठित शरीर का था लेकिन व्याख्या बहुत सांवली थी, व्याख्या संगीत विषय लेकर पढ़ रही थी, उसकी आवाज में एक जादू था, जो उसकी एक पहचान बन गयी थी. काॅलेज के कार्यक्रमों में वह अपने मधुर स्वर के कारण सभी की प्रिय थी. इसी तरह समय धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया और व्याख्या ने संगीत में कक्षा-10 तक काफी ख्याति प्राप्त कर ली थी.

आलोक उसी की कक्षा में था और वह व्याख्या को देखता रहता था. कभी भी कोई भी दिक्कत, परेशानी किसी भी प्रकार की होती थी, तो आलोक उसे हल कर देता था. दोपहर इन्टरवल में लड़कियों की महफिल अलग रहती और लड़कों की मंडली अलग रहती थी. लेकिन आलोक की नजर व्याख्या पर ही होती थी.

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