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लेकिन अभी उन की आंख लगी ही थी कि किसी के कराहने की आवाज से उन की नींद टूट गई. वे घबरा कर उठ बैठीं. तुरंत बच्चों के कमरे में पहुंचीं. वहां उन्होंने देखा कि उन की प्यारी बहू सुषमा कराह रही है. उन्होंने तुरंत कमरे की बत्ती जलाई तो देखा, सुषमा बेहोश सी बिस्तर पर पड़ी है.

उन्होंने बहू को बहुत हिलायाडुलाया पर उस ने आंखें न खोलीं. इस के बाद जो दृश्य उन्होंने देखा तो उन के तो पैरों के नीचे से जमीन ही सरक गई. बहू के बगल में बिस्तर पर एक खाली शीशी पड़ी हुई थी और उस पर लिखा था, ‘जहर’. देखते ही पार्वती के मुंह से चीख निकल गई.

उन्होंने तुरंत बेटी को जगाया और स्वयं लगभग दौड़ती हुई जा कर अपने पड़ोसी को बुला लाईं. पड़ोसी की सहायता से वे बहू को अस्पताल ले गईं, जहां आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में उस का इलाज शुरू हो गया.

इधर पंकज को बुलाने के लिए भी सूचना भेज दी गई. कुछ घंटों में ही पंकज आ पहुंचा. पार्वती सोचसोच कर परेशान थीं कि आखिर बहू ने जहर क्यों खा लिया? पंकज भी सोच में पड़ गया कि सुषमा ने जहर क्यों खाया? क्या मां या बहनों ने कुछ कहा

लेकिन ये सब लोग तो उसे बहुत प्यार करते हैं. सुषमा को कुछ हो गया तो क्या उन पर दहेज का मामला नहीं चल जाएगा? आजकल आएदिन इस तरह के किस्से होते ही रहते हैं. कई प्रश्न पार्वती और उन के बेटे के दिलोदिमाग को मथने लगे.

डाक्टरों के उपचार के समय ही सुषमा ने चिल्लाना शुरू कर दिया, ‘‘मैं ने जहर नहीं खाया, मैं ने जहर नहीं खाया...’’

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