‘‘मेरी बीवी बहुत बीमार है पंडितजी...’’ धर्म सिंह ने पंडित से कहा, ‘‘न जाने क्यों उस पर दवाओं का असर नहीं होता है. जब वह मुझे घूर कर देखती है तो मैं डर जाता हूं.’’

‘‘तुम्हारी बीवी कब से बीमार है?’’ पंडित ने पूछा.

‘‘महीनेभर से.’’

‘‘पहले तुम मुझे अपनी बीवी से मिलवाओ तभी मैं यह बता पाऊंगा कि वह बीमार है या उस पर किसी भूत का साया है.’’

‘‘मैं अपनी बीवी को कल सुबह ही दिखा दूंगा,’’ इतना कह कर धर्म सिंह चला गया.

पंडित भूतप्रेत के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना कर पैसे ऐंठता था. इसी धंधे से उस ने अपना घर भर रखा था.

अगली सुबह धर्म सिंह के घर पहुंच कर पंडित ने कहा, ‘‘अरे भाई धर्म सिंह, तुम ने कल कहा था कि तुम्हारी बीवी बीमार है. जरा उसे दिखाओ तो सही...’’

धर्म सिंह अपनी बीवी सुमन को अंदर से ले आया और उसे एक कुरसी पर बैठा दिया.

पंडित ने उसे देखते ही पैसा ऐंठने का अच्छा हिसाबकिताब बना लिया.

सुमन के बाल बिखरे हुए और कपड़े काफी गंदे थे. उस की आंखें लाल थीं और गालों पर पीलापन छाया था. जो भी उस के सामने जाता, वह उसे ऐसे देखती मानो खा जाएगी.

पंडित सुमन की आंखें देख कर बोला, ‘‘अरे धर्म सिंह, मैं देख रहा हूं कि तुम्हारी बीवी पर बड़े भूत का साया है.’’

‘‘कैसा भूत पंडितजी?’’ धर्म सिंह ने हैरानी से पूछा.

‘‘तुम नहीं समझ पाओगे कि इस पर किस किस्म का भूत है,’’ पंडित बोला.

‘‘क्या भूतों की भी किस्में होती हैं?’’

‘‘क्यों नहीं. कुछ भूत सीधे होते हैं, कुछ अडि़यल, पर तुम्हारी बीवी पर...’’ पंडित बोलतेबोलते रुक गया.

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