रिमझिम झा
डाइनिंग टेबल पर साजिया, उस के अब्बू जुनैद सिद्दीकी और अम्मी जरीना खाना खा रहे थे. टैलीविजन पर कोई कार्यक्रम चल रहा था. सभी उस का लुत्फ उठा रहे थे.
उस कार्यक्रम के बीच में सैनेटरी पैड वाला इश्तिहार आया तो 14 साल की साजिया के अब्बू ने चैनल बदल दिया, जिसे वह बड़े गौर से देख रही थी. जिस दूसरे चैनल पर कार्यक्रम चल रहा था, वहां एक प्रेमी जोड़ा एकदूसरे के हाथों में हाथ डाल कर प्यारमुहब्बत की बातें कर रहा था.
साजिया हाथ में निवाला लिए ही वह सीन देखने में लगी रही. जुनैद सिद्दीकी अपनी बेटी की इस हरकत पर खासा नाराज हुए.
जुनैद सिद्दीकी काकीनाड़ा के मुसलिम समाज के नामचीन लोगों में से एक थे. उन के रैस्टोरैंट की बिरियानी बड़ी खास थी. अपनी शानोशौकत में कोई आंच न आए, इस की खातिर अपनी एकलौती बेटी साजिया के हर फैसले खुद लेते थे. उन्होंने साजिया के लिए हर सुखसुविधा का इंतजाम घर में ही कर दिया था.
साजिया को वह सीन गौर से देखते हुए देख कर जल्दी से चैनल बदल दिया गया, लेकिन इस बार जिस चैनल पर उन्होंने ट्यून किया उस के बाद उन्होंने टैलीविजन ही बंद कर दिया और ऊंची आवाज में बोले, ‘‘जरीना, तुम्हें कितनी बार कहा है कि बच्ची के सामने इस तरह के कार्यक्रम मत चलाया करो, उस के नाजुक दिमाग पर बुरा असर पड़ता है. तुम्हें जितना देखना है देखो न, पर
कम से कम साजिया का तो खयाल रखो... यह कच्ची मिट्टी है...’’
और फिर जुनैद सिद्दीकी बोलते चले गए, लेकिन जवानी की दहलीज पर खड़ी साजिया का ध्यान अभी भी उस आखिरी वाले सीन पर ही अटका था जहां हीरो हीरोइन का हाथ पकड़ कर उसे करीब लाने की कोशिश कर रहा था.