Family Story : गौतम की नासिक में नईनई नौकरी लगी थी. अब नासिक में घर जमाना था. दफ्तर की ओर से क्वार्टर तो मिलता था, पर इस के लिए इंतजार करना पड़ता था. हो सकता है कि 6 महीने लग जाएं क्वार्टर मिलने में, इसलिए गौतम ने किराए पर एक मकान ले लिया था.
पर, घर के लिए सामान तो चाहिए था. अपने घर में सुविधाओं के बीच रहा हुआ आदमी था गौतम, इसलिए बैड, सोफा, एसी, फ्रिज तो चाहिए ही उसे, पर इस के लिए तो उसे एक से डेढ़ लाख रुपए चाहिए. घर वाले एकसाथ सभी सुविधा नहीं देना चाहते थे. उन का कहना था कि हर महीने कुछकुछ सामान लेते रहना, पर उस का मन तो शुरू से ही सारी सुविधाओं के लिए उतावला था.
जौइन करने के बाद लगातार 3 दिनों की छुट्टियां थीं, इसलिए गौतम अपने घर मेरठ वापस आ गया था. उस के दिमाग में हमेशा यही बात चलती रहती थी कि कैसे सारी सुविधाएं जल्द से जल्द ले ले. उस ने औनलाइन मार्केट के बारे में सुना था, जहां सस्ते में सामान खरीदेबेचे जाते हैं.
गौतम ने एक अनुरोध डाल दिया सभी सामानों की लिस्ट के साथ. एक घंटे के अंदर उस के पास ह्वाट्सएप पर एक प्रस्ताव आ गया. सभी सामान के फोटो के साथ बताया गया था कि उस आदमी का ट्रांसफर मुंबई में हो गया है. उस की कंपनी जितना पैसे उसे सामान के परिवहन के लिए देगी, उस में वह जा नहीं पाएगा और जितना खर्च लगेगा उतने में नया सामान आ जाएगा, इसलिए वह औनेपौने दाम पर अपना सभी सामान बेच रहा है.
गौतम को सामान बहुत पसंद आया. इन सामानों को खरीदने में एक लाख रुपए खर्च होते, पर वह सिर्फ 30,000 रुपए में दे रहा था.
गौतम ने उस नंबर पर फोन किया.
‘हैलो…’ दूसरी तरफ से किसी आदमी की आवाज आई.
‘‘मैं गौतम बोल रहा हूं मेरठ से. आप का सामान मुझे पसंद है. मैं 1 तारीख को नासिक आ रहा हूं. वहां भुगतान कर के सामान ले लूंगा.’’
‘असल में मुझे 30 तारीख को ही मुंबई जाना है. मेरा ट्रांसफर हो गया है. आप अपना पता बता दें, मैं उस पते पर सामान भेज दूंगा. आप पेटीएम से भुगतान कर देना,’ बड़ी ही मीठी आवाज में उस ने जवाब दिया.
‘‘मैं चाहता था कि सामान मैं खुद देखूं, फिर बात करूं. फोटो में तो वैसे ठीक लग रहा है,’’ गौतम ने कहा.
‘सामान के लिए आप जरा भी चिंता मत करो. बिलकुल ब्रांड न्यू है. अगर मेरा ट्रांसफर नहीं हुआ होता या मुझे सामान ले जाने के पैसे सही मिलते, तो मैं ले जाता. अभी 6 महीने भी नहीं हुए हैं इन्हें खरीदे हुए,’ उस आदमी ने समझते हुए कहा.
‘‘अगर मुझे कोई सामान पसंद नहीं आएगा, तो फिर…?’’ गौतम ने शक जाहिर किया.
‘पसंद न आने का तो सवाल ही नहीं है भाई साहब. बिलकुल नया सामान है और इस्तेमाल भी न के बराबर हुआ है.’
‘‘फिर कैसे करें, बताइए? मेरा रिजर्वेशन पहली तारीख का है और आप कह रहे हैं कि आप को 30 तारीख को ही निकलना है,’’ गौतम चिंतित हो गया.
‘आप तो फिलहाल सिर्फ 5,000 रुपए पेटीएम कर दो, बाकी पैसा आप आने के बाद दे देना. मैं सामान अपने किसी दोस्त से कह कर आप के बताए पते पर भिजवा दूंगा. और कुछ…?’ उस ने प्रस्ताव रखा.
‘‘आजकल इतने फ्रौड होते हैं कि यकीन करना मुश्किल होता है,’’ गौतम के मन में अभी भी थोड़ा शक था.
‘मैं डिफैंस में हूं और डिफैंस वाले फ्रौड नहीं करते. हम किसी को अपना आईडी कार्ड नहीं देते. पर, आप के यकीन के लिए अपना आईडी कार्ड ह्वाट्सएप कर रहा हूं. अगर यकीन हो, तो फिर पेमेंट करना, वरना कोई बात नहीं,’ उस ने जवाब दिया.
थोड़ी ही देर में गौतम के मोबाइल फोन पर उस का आईडी कार्ड का फोटो भी आ गया. गोविंद शर्मा नाम था उस का. अब शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी. उस ने 5,000 रुपए उस के खाते में भेज दिए और अपना पता उसे बता दिया. जवाब में भी ‘ओके’ आ गया.
गौतम निश्चिंत हो गया. अब जरूरत की सारी चीजें उस के पास हो जाएंगी. जब दफ्तर से क्वार्टर मिलेगा, तो शिफ्ट करना ही एक काम रहेगा.
अगले दिन जब गौतम अपने दोस्तों के बीच बैठा गपें मार रहा था, तभी गोविंद का फोन आया. गौतम ने फोन उठा लिया और बोला, ‘‘हैलो.’’
‘अरे गौतमजी, एकाएक मुझे और्डर मिला है कि 29 तारीख को ही मुंबई जाना है. आप 5,000 रुपए और पेटीएम कर दो प्लीज,’ गोविंद ने कहा.
‘‘कैसी बातें कर रहे हैं, 5,000 रुपए तो मैं पहले ही आप को दे चुका हूं, बाकी पैसे जैसे ही सामान कब्जे में ले लूंगा, तब दे दूंगा,’’ गौतम बोला.
‘हम डिफैंस वाले आप लोगों की हिफाजत के लिए कितनी मुसीबतें झेलते हैं और आप हैं कि 5,000 रुपए के लिए मुझ पर यकीन नहीं कर रहे हैं,’ गोविंद ने कहा.
‘‘देखिए, मेरे पास अभी पैसे हैं भी नहीं. 1 तारीख को आ कर मैं आप को पूरे पैसे दे दूंगा,’’ गौतम ने कहा.
इस तरह गोविंद गौतम को पैसे भेजने के लिए कहता रहा और गौतम इस बात पर अड़ा रहा कि सामान मिलते ही वह पैसे दे देगा.
‘फिर, मैं ऐसा करता हूं कि सामान किसी और को बेच देता हूं और आप के पैसे वापस कर देता हूं,’ इतना कह कर गोविंद ने फोन काट दिया.
‘‘क्या बात है… किस से इतना उलझ रहे थे?’’ गौतम के दोस्त सिद्धार्थ ने पूछा.
गौतम ने उसे सारी बात बता दी.
‘‘तुम किसी ठग के चक्कर में पड़ चुके हो. चलो, उस का नंबर बताओ, मैं ट्रू कौलर पर देख कर बताता हूं,’’ सिद्धार्थ ने कहा.
गौतम ने उसे गोविंद का नंबर बताया, जिसे सिद्धार्थ ने ट्रू कौलर पर सर्च कर के देखा. ट्रू कौलर उस नंबर को फ्रौड बता रहा था.
गौतम ने उसी समय गोविंद को फोन लगाया और बोला, ‘‘मुझे तुम्हारी असलियत का पता चल चुका है. मैं पुलिस में शिकायत करने जा रहा हूं.’’
‘ठीक है, ऐसी कई शिकायतें हो चुकी हैं मेरे खिलाफ, एक और सही. चलो, फोन रखो, मुझे दूसरे लोगों को भी फंसाना है,’’ इतना कह कर गोविंद ने फोन काट दिया.
गौतम ने दोबारा फोन किया, तो नंबर स्विच औफ आ रहा था.
‘सस्ते का चक्कर बड़ा महंगा पड़ा,’ गौतम ने सोचा.