‘‘मम्मी की चमची,’’ कह पापा प्यार से उस का गाल थपथपा कर उठ गए.
उस दिन उस के जन्मदिन का जश्न मना कर सभी देर से घर लौटे थे. अनिका बेहद
खुश थी. वह 1-1 पल जी लेना चाहती थी.
‘‘मम्मा, आज मैं आप दोनों के बीच में सोऊंगी,’’ कहते हुए वह अपनी चादर और तकिया उन के कमरे में ले आई. वह अपनी जिंदगी में ऐसे पलों का ही तो इंतजार करती थी. उस की उम्र की अन्य लड़कियों का दिल नए मोबाइल, स्टाइलिश कपड़े और बौयफ्रैंड्स के लिए मचलता था, जबकि अनकि को खुशी के ऐसे क्षणों की ही तलाश रहती थी जब उस के मम्मीपापा के बीच तकरार न हो.
पापा हाथ में रिमोट लिए अधलेटे से टीवी पर न्यूज देख रहे थे. मम्मी रसोई में तीनों के लिए कौफी बना रही थी.
तभी फोन की घंटी बजने लगी. अमेरिका
से बूआ का वीडियोकौल थी. हमारे लिए दिन
का आखिरी पहर था, जबकि बूआ के लिए
दिन की शुरुआत थी उन्होंने अपनी प्यारी
भतीजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के
लिए फोन किया था. बोली, ‘‘हैप्पी बर्थडे माई डार्लिंग,’’
मैं ने और पापा ने कुछ औपचारिक बातों के बाद फोन मम्मी की तरफ कर दिया.
‘‘हैलो कृष्णा दीदी,’’ कह कुछ देर बात कर मम्मी ने फोन रख दिया.
‘‘दीदी ने कानों में कितने सुंदर सौलिटेयर पहन रखे थे न, दीदी की बहुत मौज है.’’
‘‘दीदी पढ़ीलिखी, आधुनिक महिला है. एक मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है. खुद कमाती है और ऐश करती है.’’
जब भी बूआ यानी पापा की बड़ी बहन की बात आती थी पापा बहुत उत्साहित हो जाते थे. बहुत फक्र था उन्हें अपनी बहन पर.
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