निहारिका दिल्ली में सीबीआई ब्रांच में है. इंस्पैक्टर रुस्तम की असिस्टैंट, बहुत ही तेज दिमाग… इंस्पैक्टर रुस्तम के पास एक ही घर के 2 केस आते हैं. केस करनाल का है, जो काफी समय से उलझा हुआ है. एक 26-27 साल की शादीशुदा श्रेया ने खुदकुशी कर ली है. श्रेया का पति सुजल आस्ट्रेलिया में रहता है, लेकिन श्रेया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि वह 2 महीने के पेट से थी. श्रेया की खुदकुशी के 5 महीने बाद उस की सास यानी सुजल की मां भी खुदकुशी कर लेती हैं, लेकिन दोनों का खुदकुशी का तरीका एक ही है यानी पंखे से लटक कर मरना. दोनों की खुदकुशी करने का वही तकरीबन आधी रात का समय. यह जान कर निहारिका सोचती है कि कहीं तो कुछ गड़बड़ है.
दोनों खुदकुशी एक सी और सुजल एक साल से घर नहीं आया, फिर श्रेया पेट से कैसे हो सकती है? निहारिका बोली, ‘‘सर, सुजल एक साल से घर नहीं आया, फिर श्रेया…’’ इंस्पैक्टर रुस्तम ने कहा, ‘‘मैं भी वही सोच रहा हूं. मुझे लगता है कि इस केस को जानने के लिए करनाल जाना पड़ेगा. लेकिन मेरी टांग में फै्रक्चर भी अभी होना था. मैं वहां जा कर भी कुछ नहीं कर पाऊंगा.’’ निहारिका ने कहा, ‘‘सर, आप परमिशन दें, तो मैं जाना चाहूंगी.’’ ‘‘तुम अकेली? कोई दिक्कत तो नहीं होगी? सोच लो…’’ ‘‘नहीं सर, मुझे कोई परेशानी नहीं होगी.’’ ‘‘ठीक है, तुम जाने की तैयारी करो. और हां, मुझे हर पल की खबर देते रहना. यह मेरी पिस्टल अपने पास रख लो, मुसीबत में इस से मदद मिलेगी. मैं अभी ट्रेन की टिकट बुक कराता हूं, तुम निकलने की तैयारी कर लो.’’ ‘‘ठीक है सर.’’ इंस्पैक्टर रुस्तम ने सुबह की ट्रेन की टिकट बुक करवा दी. निहारिका करनाल जाने की तैयारी करती है.
अब उसे अकेले ही वहां काम करना है. इंस्पैक्टर रुस्तम कहते हैं कि वे रोज उस से फोन पर बात कर के सारी डिटेल्स जानते रहेंगे और सलाहमशवरा भी देते रहेंगे. केस फाइल जब निहारिका को दी जाती है, तो वह उस में दिए गए एक नंबर पर फोन करती है. उधर से आवाज आती है, ‘हैलो, कौन?’ ‘‘क्या मैं सुजल से बात कर सकती हूं?’’ ‘जी, बोल रहा हूं, आप कौन?’ ‘‘मैं सीबीआई से सबइंस्पैक्टर निहारिका बोल रही हूं. आप ने जो केस फाइल किया था, उस के बारे में कुछ डिस्कस करनी थी.’’ ‘जी जरूर… मैडम, जल्दी से जल्दी मेरी मां और बीवी के कातिल को पकडि़ए. उस में अगर मैं कोई हैल्प कर सकता हूं तो बताएं… अभी तो मैं इंडिया आ नहीं सकता. कोरोना की वजह से सब फ्लाइट कैंसिल कर दी गई हैं.’
‘‘आप इंडिया कब आए थे और आप को किसी पर कोई खास शक…? आप की पत्नी की रिपोर्ट बताती है कि जिस समय उन का कत्ल हुआ, वे पेट से थीं. और दोनों कत्ल भी शायद एक ही शख्स ने किए हैं, क्योंकि दोनों औरतों को पहले गला घोंट कर मारा गया और उस के बाद उन्हें पंखे से लटका कर खुदकुशी का नाम दिया गया.’’ ‘यही बात तो मुझे भी कचोट रही है. मैं अपनी वाइफ के चालचलन पर शक करने का तो सोच भी नहीं सकता… या तो किसी ने उस के साथ कुछ गलत किया है, जो वह बरदाश्त नहीं कर सकी और न ही किसी से अपना दुख कह सकी, शायद इसलिए उस ने खुदकुशी कर ली. मैं एक साल पहले तब इंडिया आया था, जब मेरी मां को हार्ट अटैक आया था.
‘सोचिए, जिस इनसान के 2 सहारे चले गए हों और वह उन के आखिरी समय पर पहुंच भी न पाए, क्या बीत रही होगी उस पर. पापा वहां अकेले कैसे पहाड़ जैसा दुख झेल रहे होंगे, बिलकुल टूट गए होंगे.’ ‘‘आप चिंता मत कीजिए, हम जल्दी ही कातिल का पता लगाएंगे.’’ जब निहारिका को पक्का हो गया कि सुजल एक साल से घर नहीं आया है और श्रेया की रिपोर्ट प्रैगनैंसी की है, तो उस की छठी इंद्री जाग जाती है. वह करनाल के लिए निकल पड़ती है. करनाल जा कर सब से पहले निहारिका सुजल के पापा आशीष बजाज के घर में नौकरी हासिल करती है, ताकि वह घर के अंदर से कुछ सुबूत ढूंढ़ सके. ‘‘निहारिका, तुम इस छोटी उम्र में इस तरह होम केयर की नौकरी क्यों करती हो? तुम्हारे घर में और कोई नहीं है क्या काम करने वाला?’’ आशीष बजाज ने पूछा. ‘‘नहीं सर, मेरा कोई नहीं है. मेरे पति की एक हादसे में मौत हो चुकी है.