बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था.
‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा.
‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया.
‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’
स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’
‘‘यह अनिमेष वही है न, जो कुछ दिनों पहले यहां आया था?’’ बड़े भैया ने पूछा.
‘‘जी.’’
‘‘और वह बंगाली है?’’ बड़े भैया ने एकएक शब्द पर जोर देते हुए पूछा.
‘‘जी,’’ स्मिता ने धीमे स्वर में उत्तर दिया.
‘‘और हम लोग, जिस में तू भी शामिल है, शुद्ध शाकाहारी हैं. वह बंगाली तो अवश्य ही मांस, मछली खाता होगा?’’
‘‘जी,’’ स्मिता ने सिर हिलाया.
‘‘यह शादी नहीं हो सकती,’’ बड़े भैया ने गरज कर कहा.
‘‘क्यों बड़े भैया?’’ स्मिता ने साहस जुटा कर पूछा.
‘‘क्यों, क्या दिखाई नहीं देता? एक उत्तर तो दूसरा दक्षिण. एक पूरब तो दूसरा पश्चिम. कहां है मेल इस में?’’ बड़े भैया ने डांट कर पूछा, ‘‘कैसे रह पाएगी उस वातावरण में?’’
‘‘पर हम दोनों ने एकदूसरे से शादी करने का फैसला कर लिया है. क्या यह मेल नहीं है?’’ स्मिता ने दृढ़ता से उत्तर दिया.
‘‘अच्छा तो तू इतनी बड़ी हो गई है कि अपने फैसले स्वयं करेगी. लगता है तू अपने को विश्वसुंदरी समझने लगी है कि जो चाहे, कर लेगी,’’ बड़े भैया ने व्यंग्य से कहा. स्मिता यह सोच कर चुप रही कि उत्तर देगी तो वे और भड़क जाएंगे. उन का