जमाना गया जब खेलों के महंगे शौकों पर पुरुषवर्ग का आधिपत्य था और खूबसूरत लिबासों में उन की पत्नियां या दोस्त सिर्फ उन का साथ देती नजर आती थीं. हौकी की दीवानी मिशेल मिलर जैसी महिलाएं आज खेल के मैदानों में हर कीमत के टिकट वाली सीटों पर बैठी, खिलाडि़यों को चियरअप करती हैं. अमेरिकन नैशनल हौकी लीग के किसी भी मैच में पेन स्टेट की टीम का मनोबल बढ़ाने के लिए 44 वर्षीया कंप्यूटर सिस्टम ऐडमिनिस्टे्रटर मिशेल 500 मील तक ड्राइव कर के भी पहुंचती हैं.
दर्शक दीर्घा में मिशेल की उपस्थिति एक अनोखे कारण के लिए मशहूर है. हाथों में ऊनसलाइयां पकड़े वे कभी मोजे, कभी शौल, बेबी ब्लैंकेट या स्वेटर उतनी ही तन्मयता से बुन रही होती हैं जितनी एकाग्रता से वे अपनी चहेती टीम की हौसला अफजाई करती हैं. जितना तनावपूर्ण मैच, उतनी ही तेज उन की सलाइयां और खेल पर उतना ही गहरा उन का फोकस. साथसाथ उन की बुनी हुई चीजों का बढ़ता हुआ अंबार जिसे वे प्रियजनों पर न्योछावर करती हैं. कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें अचरज होता है कि तेज रफ्तार खेल के दौरान कोई बुनाई चालू कैसे रख सकता है.
मिशेल का कहना है कि बुनाई में वर्षों की दक्षतावश उन्हें सलाइयों पर नजर डालने की भी जरूरत नहीं पड़ती. खेल की प्रगति पर उन का फोकस रंचमात्र भी कम नहीं होता. खेल के जानकार अकसर उन से पैने सवाल पूछ कर उन के खेलज्ञान से आश्चर्यचकित रह जाते हैं. किसी कारणवश मिशेल यदि खेल के मैदान में नहीं पहुंच पातीं तो टीवी के आगे खेल की क्षणक्षण प्रगति पर निगाहें टिकाए वे खटाखट सलाइयां चलाती रहती हैं.
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