Success Story: यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि जिस के अंदर कुछ कर गुजरने का जुनून हो, उस के लिए कोई हालात मायने नहीं रखते. ओडिशा के रहने वाले शुभम शबर इस की एक मिसाल हैं. शुभम की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर थी. घर की जिम्मेदारियों को निभाने के लिए उन्हें बेंगलुरु जा कर मजदूरी करनी पड़ी. कड़ी मेहनत के बावजूद उन्हें महीने में केवल 15,000 रुपए ही मिलते थे. इसी रकम से वे न सिर्फ अपने परिवार का खर्च उठाते थे, बल्कि खुद की पढ़ाई का सपना भी जिंदा रखते थे.
डाक्टर बनने की चाह ने शुभम को कभी हार नहीं मानने दी. दिनभर मजदूरी करने के बाद उन्होंने रातों को किताबों और औनलाइन फ्री लैक्चर्स से पढ़ाई की. पैसों की तंगी होने के बावजूद उन्होंने उधार किताबें लीं और जितना हो सका खुद को पढ़ाई में झोंक दिया.
उन की यह लगन और मेहनत आखिरकार रंग लाई. शुभम ने इस साल नीट (NEET) परीक्षा पास कर यह साबित कर दिया कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, सच्ची मेहनत कभी बेकार नहीं जाती.
आज शुभम की कहानी उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो हालात से हार मान लेते हैं. वे इस बात के जीतेजागते उदाहरण हैं कि अगर इरादा मजबूत हो तो सीमित साधन भी बड़े सपनों को हकीकत बना सकते हैं. Success Story
आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें
डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप
- 24 प्रिंट मैगजीन
डिजिटल

सरस सलिल सब्सक्रिप्शन से जुड़ेें और पाएं
- सरस सलिल मैगजीन का सारा कंटेंट
- 1000 से ज्यादा सेक्सुअल हेल्थ टिप्स
- 5000 से ज्यादा अतरंगी कहानियां
- चटपटी फिल्मी और भोजपुरी गॉसिप