पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले के शालबनी थाने क्षेत्र के तहत आने वाले गांव भीमशोल में पंचायत बुला कर एक परिवार के लोगों को भूत पालने का सिर्फ कुसूरवार ही नहीं ठहराया गया, बल्कि परिवार का हुक्कापानी भी बंद कर दिया गया.

गांव भीमशोल में किसान मानिक महतो खेतीबारी से अपने घर का खर्च उठाते थे. उन का बेटा रमेश महतो 10वीं जमात तक ही पढ़ा था. पढ़ाई बीच में रुक जाने से वह अपने पिता के साथ खेतीबारी में हाथ बंटा देता था.

अच्छी फसल कैसे पैदा की जाए, इस के लिए रमेश ने वैज्ञानिक तरीके की खेतीबारी से जुड़ी कई किताबें पढ़ीं और धान समेत दूसरी फसलों की खेती भी की. इस से जमीन बेहतरीन फसलों से फूल की तरह खिल उठी.

मानिक महतो की जमीन पर अच्छी फसल देख कर गांव के कुछ लोग उन से जलने लगे. जल्दी ही यह अफवाह फैल गई कि कहीं इस के पीछे कोई चमत्कार या भूतप्रेत का हाथ तो नहीं है? मानिक महतो ने कहीं अपने घर में कोई भूत तो नहीं पाल रखा है?

मानिक महतो के घर में पालतू भूत का पता लगाने के लिए गांव भीमशोल में लोगों ने एक सालिशी सभा बुलाई. आदिवासी समाज में पंचायत को सालिशी कहा जाता है. सभा में एक जानगुरु को भी बुलाया गया. आदिवासी समाज में ओझा या तांत्रिक को जानगुरु कहते हैं.

जानगुरु ने तंत्रमंत्र कर के कहा, ‘‘मुझे तो मानिक महतो की जमीन में हुई भारी फसल के पीछे कोई चमत्कार या भूत का हाथ दिख रहा है. महतो के घर में कोई पालतू भूत है. उसी भूत की मदद से उस ने इतनी अच्छी फसल उगाई है.’’

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