मुसाफिरों से भरी एक बस झारखंड से बिहार की तरफ जा रही थी. अचानक सुनसान सड़क के दूसरी तरफ से एक सियार पार कर गया. ड्राइवर ने तेजी से ब्रेक लगाए. झटका खाए मुसाफिरों में से एक ने पूछा, ‘‘भाई, बस क्यों रोक दी?’’

बस के खलासी ने जवाब दिया, ‘‘सड़क के दूसरी तरफ से सियार पार कर गया है, इसलिए बस कुछ देर के लिए रोक दी गई है.’’

सभी मुसाफिर भुनभुनाने लगे. कुछ लोग ड्राइवर की होशियारी की चर्चा भी करने लगे.

उस अंधेरी रात में जब तक कोई दूसरी गाड़ी सड़क का वह हिस्सा पार नहीं कर गई, तब तक वह बस वहीं खड़ी रही, लेकिन किसी ने यह नहीं कहा कि यह अंधविश्वास है.

सड़क है तो दूसरी तरफ से कोई भी जीवजंतु इधर से उधर पार कर सकता है. यह आम सी बात है. इस में बस रोकने जैसी कोई बात नहीं है, जबकि कई लोग मन ही मन कोई अनहोनी होने से डरने लगे थे.

रास्ते के इस पार से उस पार कुत्ता, बिल्ली, सियार जैसे जानवर आजा सकते हैं. इसे अंधविश्वास से जोड़ा जाना ठीक नहीं है. इस के लिए मन में किसी अनहोनी हो जाने का डर पालना भी बिलकुल गलत है.

बिहार के रोहतास जिले के डेहरी में बाल काटने वाले सैलून तो सातों दिन खुले रहते हैं. लेकिन, सोनू हेयरकट सैलून के मालिक से पूछे जाने पर वे बताते हैं, ‘‘ग्राहक तो पूरे हफ्ते में महज 4 दिन ही आते हैं. 3 दिन तो हम लोग खाली ही बैठे रहते हैं.

‘‘यहां के ज्यादातर हिंदू मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को बाल नहीं कटवाते हैं. इन 3 दिनों में इक्कादुक्का लोग ही बाल कटवाने आते हैं या फिर जिन का ताल्लुक दूसरे धर्म से रहता है, वे लोग आते हैं.’’

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