छत्तीसगढ़ में 16 आदिवासी एक मुठभेड़ में मार दिए गए थे. आरोप यह भी है कि तभी एक मासूम बच्चे की उंगलियां भी काट दी गई थीं. उसी वक्त साल 2009 में जांच के लिए आदिवासी ऐक्टिविस्ट हिमांशु कुमार ने एक याचिका डाली थी. तब से साल 2022 तक इस याचिका पर कोई सुनवाई नहीं हुई है.

अब अचानक से सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार, 14 जुलाई, 2022 को इस याचिका को खारिज करते हुए याचिका करने वाले पर 5 लाख रुपए के जुर्माने का आदेश दे दिया है.

ये हत्याएं छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की सरकार के वक्त हुई थीं. याचिका करने वाले इस कांड की जांच चाहते थे. सुप्रीम कोर्ट ने न केवल याचिका दायर करने वाले हिमांशु कुमार पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया हैबल्कि छत्तीसगढ़ सरकार से उन पर एक और केस करने का आदेश भी दिया है.

यहां दिलचस्प बात यह है कि यह आदेश जस्टिस खानविलकर की बैंच ने दिया है. इन्होंने ही जून महीने में गुजरात दंगों की दोबारा से जांच करने की मांग करने वाली जाकिया जाफरी की याचिका को भी खारिज किया था. न केवल खारिज किया थाबल्कि सेम पैटर्न पर याचिका डालने वाली ऐक्टिविस्ट तीस्ता सीतलवाड़ के लिए कहा था कि वे इस मुद्दे को अपने लिए भुना रही हैं. इस के अगले ही दिन गुजरात सरकार ने तीस्ता सीतलवाड़ को जेल में डाल दिया था.

मतलबयाचिका दायर करने वालों को ही अब टारगेट किया जा रहा है. उन पर इतना भारी जुर्माना लगाया जा रहा है कि आगे कोई पीडि़तों के लिए लड़ने की सोचे भी नहीं.

देश की धनदौलत लूट कर विजय माल्या की तरह विदेश भाग जाओ तो अवमानना पर सिर्फ 2,000 रुपए जुर्माना लगेगा और बेकुसूर लोगों की हत्या के खिलाफ कोर्ट जाओगेतो 5 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा.

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