प्रदीप कुमार सैनी, डा. आरके यादव, डा. शंभू प्रसाद, डा. आदेश कुमार
वे कैल्शियम व सल्फर का इस्तेमाल नहीं करते हैं जिस से खेत की मिट्टी में कैल्शियम व सल्फर की कमी की समस्या धीरेधीरे बढ़ती जा रहीहै. इन की कमी सघन खेती वाली जमीन, हलकी जमीन और अपक्षरणीय जमीन में अधिक होती है.
कैल्शियम व सल्फर संतुलित पोषक तत्त्व प्रबंधन के मुख्य अवयवों में से?हैं जिन की पूर्ति के अनेक स्रोत?हैं, इन में जिप्सम एक खास उर्वरक?है. रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट है, जिस में 23.3 फीसदी कैल्शियम व 18.5 फीसदी सल्फर होता है.
जब जिप्सम पानी में घुलता है तो कैल्शियम व सल्फेट आयन प्रदान करता है. तुलनात्मक रूप से कुछ ज्यादा घनात्मक होने के चलते कैल्शियम के आयन मिट्टी में मौजूद विनियम सोडियम के आयनों को हटा कर उन की जगह ले लेते?हैं. आयनों का मटियार कणों पर यह बदलाव मिट्टी की रासायनिक व भौतिक अवस्था में सुधार कर देता है और मिट्टी फल के उत्पादन के लिए सही हो जाती?है. साथ ही, जिप्सम जमीन में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों का अनुपात बनाने में सहायता करता है.
ये भी पढ़ें- जल्दी तैयार होती मूली की खेती
जिप्सम क्यों डालें?
* जिप्सम एक अच्छा भूसुधारक है. यह क्षारीय जमीन को सुधारने का काम करता है.
* तिलहनी फसलों में जिप्सम डालने से सल्फर की पूर्ति होती है.
* जिप्सम मिट्टी में कठोर परत बनने से रोकता?है और मिट्टी में पानी के प्रवेश को रोकता?है.
* फसलों में जड़ों की सामान्य बढ़ोतरी और विकास में सहायक है.
* कैल्शियम और सल्फर की जरूरत की पूर्ति के लिए.
* कैल्शियम की कमी के चलते ऊपर बढ़ती हुई पत्तियों के अग्रभाग का सफेद होना, लिपटना और संकुचित होना होता है. अत्यधिक कमी की स्थिति में पौधों की बढ़वार रुक जाती है और वर्धन शिखा भी सूख जाती है जो कि जिप्सम डालने से पूरी की जा सकती है.