मा नसी यादव नई दिल्ली के मंगोलपुरी इलाके में अपने मम्मीपापा और भाई के साथ रहती है. उस की उम्र 12 साल है. वह दिल्ली नगरनिगम के स्कूल में 8वीं क्लास में पढ़ती है. वे सब एक कमरे के किराए के घर में रहते हैं.
मानसी यादव के पापा एक कारखाने में काम करते हैं, जिन की तनख्वाह 15,000 रुपए महीना है. घर में खाने वाले 4 लोग हैं और कमाने वाला सिर्फ एक.
15,000 रुपए में उन का गुजारा बस किसी तरह हो रहा था कि मानसी यादव के पिता को शराब की लत लग गई. पहले तो वे कभीकभार ही शराब पी कर घर आते थे, लेकिन फिर कुछ दिनों बाद वे रोज शराब पी कर आने लगे. इस से उस के घर का माहौल पूरी तरह बदल गया.
मानसी के पापा शराब पी कर मानसी की मम्मी के साथ मारपीट करते हैं. कई बार वे उन के साथ जबरदस्ती सैक्स भी करते हैं. हालांकि यह भी सच है कि भारतीय समाज में शादी के बाद पति द्वारा पत्नी के साथ बनाए जबरन संबंधों को रेप नहीं माना जाता. इसे पति का हक मान लिया जाता है, जो एक औरत की गरिमा पर चोट है.
मानसी यादव का एक भाई भी है, जिस की उम्र 15 साल है. वह 10वीं क्लास में पढ़ता है. लेकिन पढ़ाई में उस का कम ही मन लगता है, इसलिए पिछले साल वह फेल भी हो गया था. इस की वजह है उस का गलत संगत में पड़ना.
वह दिनभर गलीमहल्ले के आवारा लड़कों के साथ इधरउधर घूमता रहता है. इन लोगों के साथ रहरह कर उसे जुए की लत लग गई. इस वजह से वह चोरी भी करने लगा.
कई बार वह अब मम्मी के पर्स से रुपए भी चुरा लेता है. आएदिन उस की कोई न कोई शिकायत करने आता है. मानसी की मम्मी उस के भविष्य को ले कर बहुत चिंतित हैं.
इस तरह के माहौल का बच्चों पर बहुत गहरा असर पड़ता है. वे इस से दिमागी तौर पर परेशान भी हो सकते हैं. इस का असर लंबे समय के लिए भी हो सकता है.
हो सकता है कि वे अपनी शादीशुदा जिंदगी में अपने पिता के जैसे ही बनें या यह भी हो सकता है कि वे इन सब बातों से सीख ले कर अपनी जिंदगी में ऐसी गलती न करें.
ऐसा नहीं है कि सिर्फ मानसी के साथ ही ऐसा हो रहा है. इस देश में न जाने ऐसी कितनी ही मानसी होंगी, जो मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से यह सब झेल रही हैं. उन की मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना की वजह उन का अपना ही परिवार है.
अगर शराबी लोगों की बात की जाए, तो ऐसे लोगों की तादाद बहुत ज्यादा है. भारत में तकरीबन 16 करोड़ लोग शराब का सेवन करते हैं. इन में 95 फीसदी मर्द हैं, जिन की उम्र 18 से 49 साल के बीच है. देश में हर साल अरबों लिटर शराब की खपत होती है. इस से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में शराब की चाह रखने वाले कितने ज्यादा लोग हैं. जितने ज्यादा शराब पीने वाले लोग उतनी ही ज्यादा औरतों के प्रति हिंसा.
औरतों पर घरेलू हिंसा के सब से ज्यादा मामलों में शराब एक बड़ी वजह है. औरतों को यह शिकायत रहती है कि पति ने शराब पी कर उन्हें मारापीटा है. गांवदेहात में इस तरह की घटनाएं ज्यादा देखने को मिलती हैं.
नैशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत में 18 फीसदी मर्द शराब पीते हैं. इन में से 16.5 फीसदी जहां शहरी इलाकों से हैं, वहीं 19.9 फीसदी गांवदेहात के इलाकों के लोग हैं.
इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि शहरों की तुलना में गांवों में शराब पीने वालों की तादाद ज्यादा है. शराब पीने वाले शौकीनों की तादाद 15 साल से ऊपर की उम्र को आधार बना कर मानी गई है.
भारत में साल 2015-2016 में हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे 6 के मुताबिक, 15-49 साल की उम्र की 31.1 फीसदी शादीशुदा औरतों ने अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार वैवाहिक हिंसा झेली है. 27.3 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हुई थी.
हाल ही में भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकौर्ड ब्यूरो ने बताया है कि साल 2000 में हर 24 घंटे में तकरीबन 125 औरतों को घरेलू हिंसा का सामना करना पड़ता था. साल 2006 में यह आंकड़ा बढ़ कर 160 हो गया और तब से लगातार बढ़ रहा है.
शराबी के घर का माहौल
एक ऐसे घर में रहना बहुत मुश्किल होता है, जिस के मुखिया को शराब पीने की बुरी लत हो. लड़ाईझगड़ों का ऐसे घरों में होना आम बात है. ये शराबी लोग न सिर्फ लड़ाईझगड़ा करते हैं, बल्कि कई बार ये अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मारपीट भी करते हैं.
ये लोग शराब के नशे में जबरदस्ती अपनी पत्नी के साथ सैक्स करते हैं और जब उन की पत्नी इस से इनकार करती है, तो ये उन्हें बुरी तरह मारतेपीटते हैं.
पुलिस स्टेशनों में ऐसे कई केस दर्ज हैं. ऐसे केस को करने की असली वजह औरतों का अपने पति की हिंसा से बचना होती है, न कि उन से तलाक लेना.
गांवदेहात के इलाकों में शराब पीने वाले का उस के परिवार पर क्या असर पड़ता है, इसे ऐसे जाना जा सकता है.
राजस्थान के उदयपुर जिले से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर सलुंबर ब्लौक में एक गांव है मालपुर, जहां मर्दों में शराब की बढ़ती लत औरतों के लिए समस्या बन गई है. यहां के 60 फीसदी मर्द शराब पी कर घरेलू हिंसा करते हैं.
शराब ने इस गांव के माहौल को इस कदर खराब कर दिया है कि अब कम उम्र के बच्चे भी इसे पीने लगे हैं. इस वजह से वे न केवल घर में लड़ाईझगड़े करते हैं, बल्कि पढ़ाई से भी दूर हो चुके हैं.
शराब पीने के लिए कई नाबालिग बच्चे गलत संगत में पड़ कर अपनी कीमती जिंदगी बरबाद कर रहे हैं. शराब की बढ़ती लत से गांव की बदनामी होने लगी है और कई लड़कों के शादी के रिश्ते तक टूट गए हैं.
इसी गांव की 29 साल की बबीता (बदला हुआ नाम) का कहना है, ‘‘गांव के ज्यादातर मर्द कोई काम नहीं करते हैं. वे शराब पी कर हम औरतों के साथ मारपीट करते हैं. जब हम काम करने बाहर जाती हैं, तो वे हमारे साथ गालीगलौज करते हैं.
‘‘वे हमें चैन से खाना भी खाने नहीं देते हैं. शराब पी कर वे घर में बवाल मचा देते हैं. हम यह सबकुछ परिवार
की खातिर चुपचाप सहन करने को मजबूर हैं.’’
बच्चों पर असर
जिन घरों में पिता शराबी होते हैं, उन के बच्चों पर इस का क्या असर पड़ता है, इस मुद्दे पर मयंक सिंह (बदला हुआ नाम) कहता है, ‘‘जिन घरों में पिता को शराब पीने की लत होती है, उस घर के बच्चे हमेशा डर के साए में रहते हैं. उन्हें डर लगता है कि आज भी उन के पापा शराब पी कर आएंगे और उन की मम्मी के साथ मारपीट करेंगे. अगर वे अपनी मम्मी को बचाने की कोशिश करेंगे, तो पापा उन्हें भी मारेंगे.
‘‘इस के अलावा उन्हें पढ़ाई छूट जाने का भी डर सताता है कि न जाने कब उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ जाए. जब देर रात तक उन के पापा घर नहीं आते हैं, तो उन्हें यह डर लगता है कि कहीं उन्हें कुछ हो न गया हो. इस के अलावा ऐसे घरों के बच्चों को अपने सिर से पिता का साया हटने का भी डर सताता रहता है.’’
लाचार लड़की
अगर शराबी पिता वाले घरों में रहने वाली लड़कियों की बात करें, तो इन घरों की लड़कियां पहले ही मर्दवादी सोच से डरती हैं, ऊपर से शराबी पिता, ऐसे में उन का डर और ज्यादा बढ़ जाता है. पहले ही यह समाज उन पर सौ पाबंदी लगा देता है. ऊपर से शराबी पिता होने पर ये पाबंदियां कई गुना बढ़ जाती हैं.
ऐसे कई केस आते हैं, जिन में पिता ही अपनी बेटी की इज्जत से खिलवाड़ कर बैठता है. कई बार वह ऐसा शराब के नशे में चूर हो कर करता है. ऐसी लड़कियों की परेशानी की बात करें,
तो एक कमरे वाले घरों में रहने वाली ऐसी फैमिली के बच्चों का अपने मम्मीपापा को संबंध बनाते हुए देखना शर्मनाक और शर्मिंदगी भरा होता है.
कई बार जब ये संबंध जोरजबरदस्ती से बनाए जाते हैं, तो बच्चों पर इस का बुरा असर पड़ता है खासकर लड़कियों पर. वे इस से जिंदगीभर के लिए तनाव में भी जा सकती हैं.
ऐसी लड़कियां अपने भविष्य के खतरों से डरीसहमी रहती हैं. आगे चल कर अपने पति में पिता की छाया इन्हें भीतर तक झकझोर देती है. ये लड़कियां अपनी शादीशुदा जिंदगी का मजा नहीं उठा पाती हैं.
इन घर की लड़कियों का समाज में रहना दूभर हो जाता है. घर से बाहर आतेजाते इन्हें मनचले छेड़ते रहते हैं. इन पर भद्देभद्दे कमैंट किए जाते हैं. कई बार इन के नाजुक अंगों को भी छुआ जाता है.
ये मनचले लड़के जानते हैं कि इस लड़की को बचाने कोई नहीं आएगा. इस का खुद का पिता शराबी है, वह अपनी बेटी के लिए क्या ही कहेगा.
नीम चढ़ा करेला
शराबी पिता वाले घरों में अगर गुंडा भाई हो तो उस घर की लड़की के लिए यह किसी दुखद घटना से कम नहीं होगा. एक तरफ शराबी पिता, जो आएदिन शराब पी कर इधरउधर गिरतापड़ता रहता है, कभी कीचड़ में तो कभी नाले में,
वहीं अगर भाई गुंडा है, तो उस घर की लड़की को बहुतकुछ झेलना होगा. जैसे आएदिन उस के भाई से वसूली करने वाले गुंडे उस के घर आ कर उसे छेड़ेंगे. उन से पैसों की वसूली करेंगे और पैसा न देने पर मांबहन की गालियां देंगे. घर का सामान तोड़ देते हैं. कई बार सामान उठा कर ले जाते हैं.
अगर वह पुलिस में शिकायत करने की कोशिश करेंगे, तो हो सकता है
कि उन्हें और ज्यादा मुसीबत झेलनी पड़े. ऐसे में ये चुप रहना ही सही समझती हैं.
गुंडा भाई हमेशा बहन के लिए मुसीबत ही रहा है. ऐसे भाई की वजह से बहन डरीडरी रहती है. उस का गलीमहल्ले में चलना मुश्किल हो जाता है. आतेजाते लोग उसे ‘गुंडे की बहन’ और ‘बेवड़े बाप की बेटी’ कहते हैं. अपना सिक्का ही खोटा हो, तो दूसरों से क्या शिकायत करें, यही सोच कर वे खुद को तसल्ली दे देती हैं.
लेकिन, क्या लड़कियों को यों ही मानसिक प्रताड़ना झेलते रहना चाहिए? इस मुद्दे पर मुंबई की रहने वाली सूर्यंका सारंगी, जो एक योग टीचर भी हैं, कहती हैं, ‘‘जिस घर में लड़की की इज्जत नहीं होती है, वह घर कभी भी तरक्की नहीं कर पाता. अकसर ऐसा उन घरों में होता है, जिन घरों का मुखिया अच्छे आचरण का नहीं होता.
‘‘जिस घर में पिता शराब पीता हो, मारपीट करता हो, उस घर की लड़कियों और औरतों के साथ अच्छा बरताव नहीं होता है. अपने पिता को ऐसा करता देख उस घर के लड़के भी ऐसा ही करते हैं. बहुत बार वह अपनी बहनों को मारते भी हैं. उन्हें अपने मर्द होने का घमंड होता है. ऐसे में उस घर की लड़की का वहां रहना मुश्किल हो जाता है.
‘‘इस से बचने के लिए हर लड़की का पढ़ना बहुत जरूरी है. वह किसी भी तरह अपनी पढ़ाई को रुकने न दें. साथ ही, उसे इतना सक्षम होना चाहिए कि अपना बचाव कर सकें. हिंसा करना बिलकुल भी सही नहीं है. लेकिन खुद के बचाव के लिए की जाने वाली
हिंसा को पूरी तरह से गलत भी नहीं कहा जा सकता. इसे सैल्फ डिफैंस कह सकते हैं.’’
शराब पीने वाले पिता अपने बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं. एक बार जब उन्हें इस की लत लग जाती है, तो वह बाकी सब भूल जाते हैं. इस से न सिर्फ सेहत व पैसों की बरबादी हो रही है, बल्कि उन के बच्चों का भविष्य दांव पर लगा होता है. वे इस बात से अनजान होते हैं कि यह शराब उन का घरबार तबाह कर रही है.
ऐसे में अगर उस घर का लड़का भी गलत संगत में पड़ कर गुंडामवाली बन जाए, तो उस घर का बेड़ा गर्क होना तो तय है. जिस आदमी को शराब पीने और मारपीट करने की लत एक बार लग जाए, तो उस की लत छुड़ाना आसान नहीं होता है. ऐसे में उसे बदलना आसान तो बिलकुल भी नहीं है.
लेकिन कहा जाता है, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, इसलिए शराब पीने वाले की आदत छुड़ाने के लिए उसे नशा मुक्ति केंद्र भेजा जा सकता है. हालांकि यह उस शख्स पर कितना असरदार है, यह तो वहां जा कर ही पता चलता है.
जिस घर में शराबी पिता हो, भाई गुंडा हो, उस घर में लड़की को चाहिए कि वह अपनी पढ़ाई पर पूरा ध्यान लगा दे. वह कोशिश करे कि घर के माहौल का उस की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े.
तालीम ही वह जरीया है, जो उस की जिंदगी बदल सकती है. इसलिए वह अपने घर की नैगेटिविटी को भुला कर सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दे.

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