उस की छोटी और घूरती आंखों का सामने वाले की आंखों में आंखें डाल कर देखने का अंदाज किसी को भी धोखे में डाल सकता है, क्योंकि स्कार्फ से ढके उस के चेहरे पर सिर्फ 2 आंखें ही साफ दिखाई देती हैं. गहरे नीले रंग का स्कार्फ, जो उस ने धूल से बचने के लिए चेहरे पर लपेट रखा है, लंबेसीधे बालों को चारों तरफ से ढकते हुए आंखों के नीचे आखिरी छोर तक आता है.
नेपाल के बलराम से अचानक मेरी मुलाकात होती है. उस ने बताया कि वह ‘पिंक त्रिकोण’ के लिए काम करता है और शनिवार को रत्ना पार्क में आने वाले लोगों में कंडोम बांटता है.
रत्ना पार्क, जो काठमांडू की प्रदूषित बिजी सड़क के किनारे बना है, समलैंगिकों के मिलने की जगह है. शाम के समय यहां पर उत्साहित जोडे़ पार्क में फैले हुए हैं. कुछ जोड़े आपस में बातचीत कर रहे हैं, तो कुछ अपने लिए सैक्स पार्टनर की तलाश में जुटे हैं.
मैं पार्क की चारदीवारी पर महेश के साथ बैठा हूं, जो समलैंगिक है और यूनिवर्सिटी का छात्र है... तभी एक नौजवान बहुत ही अदा के साथ हम से मुखातिब होता है, ‘‘हाय, क्या तुम भारत से हो?’’
मेरे ‘हां’ कहने पर वह अपना परिचय बलराम के रूप में देता है. उस ने आगे बताया, ‘‘मैं भारत के पुणे शहर में 3 साल रहा हूं, लेकिन भारत के बजाय यहां लड़कों का आपस में मिलना ज्यादा आसान है. ज्यादातर लड़के मुझ से मिलने की कोशिश करते हैं.’’
मैं ने उस से कहा कि हम भी यहां नए लोगों से मिलने आए हैं, क्योंकि यहां समलैंगिकों से मिलने के लिए न तो कोई सार्वजनिक जगह है और न ही कोई बार वगैरह है.