27 साला सतीश सोनी भोपाल के नजदीक मिसरोद इलाके के कौशल नगर में किराए के मकान में अपनी बीवी सरोज (बदला हुआ नाम) के साथ रहता था. एक प्राइवेट गैस एजेंसी में काम करने वाला सतीश 27 अगस्त, 2018 को ड्यूटी कर के घर लौटा था. चूंकि सरोज मायके गई थी इसलिए महज पेट भरने की गरज से उस ने थोड़ा सा खाना बनाया और खा कर सो गया.
सोतेसोते सतीश सोनी के जेहन में वही बात थी जो इन दिनों उसे दीमक की तरह चाटे जा रही थी कि उस में ऐसी क्या कमी है जो सरोज कभी भी उसे छोड़ कर अपने आशिक जितेंद्र मेहरा के घर जा कर रहने लगती है. यह जानने के बावजूद कि बीवी पूरी तरह से बेवफाई और बेहयाई पर उतर आई है, सतीश सोनी चाह कर भी उसे न तो भुला पा रहा था और न ही उस से पूरी तरह नफरत कर पा रहा था.
उस रात भी सतीश सोनी यही बात सोचतेसोचते काफी देर तक करवटें बदलता रहा, फिर जाने कब नींद ने उसे अपने आगोश में ले लिया इस का उसे पता ही नहीं चला.
और जब नींद टूटी तो…
रात के तकरीबन 3 बजे खटपट की आवाज सुन कर सतीश की नींद टूटी तो खुमारी में ही वह समझने की कोशिश करने लगा था कि आखिर हुआ क्या है. इसी दौरान उस ने जितेंद्र को अपने सामने खड़े पाया तो वह चौंक उठा. पहले तो उसे लगा कि वह ख्वाब देख रहा है लेकिन कुछ समझ पाता इस के पहले ही जितेंद्र ने उस के ऊपर कुछ फेंका.
यह कुछ गरम पानी जैसा था जिस से तड़पते हुए सतीश ने उठने की कोशिश की तो जितेंद्र ने गरम तवा उठा कर उस पर ताबड़तोड़ हमले कर दिए. इस पर सतीश मारे दर्द के चिल्लाया तो जितेंद्र भाग गया. पड़ोसियों ने उसे अस्पताल पहुंचाया और मिसरोद थाने में इस वारदात की खबर दी.
अस्पताल में इलाज से सतीश बच तो गया पर अब जीने का उस का जोश खत्म हो चला है. वह यह तय नहीं कर पा रहा कि आखिर क्यों सरोज उसे छोड़ कर जितेंद्र के पास चली गई और जितेंद्र ने जो जानलेवा हमला किया, कहीं उस में उस की रजामंदी और हाथ तो नहीं था.
इस के पहले कई मरतबा वह पुलिस स्टेशन में इस बात की रिपोर्ट दर्ज करा चुका था कि उस की बीवी उसे वापस दिलाई जाए लेकिन पुलिस वालों ने यह कहते हुए हाथ खड़े कर दिए थे कि सरोज बालिग है और अपनी मरजी से जितेंद्र के साथ रह रही है. लिहाजा, वे इस में कुछ नहीं कर सकते.
भगवान भी है नाकाम
सतीश सोनी जैसे लाखोंकरोड़ों शौहर इस परेशानी से जूझ रहे हैं लेकिन कोई हल उन्हें समझ नहीं आता तो इस में थोड़ी गलती उन की भी है. गलती यह है कि बीवी अगर अपने आशिक के साथ जा कर रहने लगे या नाजायज संबंध बनाए और शौहर के रोकनेटोकने, मारनेपीटने और समझानेबुझाने पर भी न माने, तो उन्हें बीवी के पल्लू से नहीं चिपके रहना चाहिए.
यह ठीक है कि वजह कुछ भी हो, पर बीवी का यों अपने आशिक के पास चले जाना कोई शौहर बरदाश्त नहीं कर पाता लेकिन आएदिन ऐसी वारदातें और हादसे अब आम हो चले हैं, जिन में बीवी का आशिक शौहर को या तो जान से मार देता है या फिर जानलेवा हमला कर देता है. कई मामलों में तो खुद बीवी आशिक का साथ देती है.
कई मामलों में बदले की आग में जल रहा गुस्साया शौहर ही बीवी या उस के आशिक का कत्ल कर देता है और बाद में जेल की हवा खाते हुए जिंदगी गुजारने पर मजबूर हो जाता है.
यहां यह सोचना भी लाजिमी है कि इस से किसे क्या मिलता है. खरबूजा छुरी पर गिरे या छुरी खरबूजे पर कटना तो खरबूजे को ही है, जो दरअसल में शौहर होता है.
बीवी की बेवफाई की सजा अकसर शौहर को ही भुगतनी पड़ती है लेकिन इस से समस्या दूर नहीं हो जाती लेकिन समझदारी से काम लिया जाए तो जिंदगी दोबारा खुशहाल हो सकती है.
क्या करें शौहर
मिसाल सतीश सोनी की लें. उसे जब यह बात समझ आ गई थी कि सरोज नहीं मानने वाली तो बात में कुछ दम नहीं बचा था. बीवी को तलाक दे कर वह दूसरी शादी कर खुशहाल जिंदगी जीने का मौका भुना सकता था और जानलेवा हमले से भी बच सकता था.
यह ठीक है कि कानूनी तौर पर तलाक लेने में वक्त लगता है और पैसा भी बरबाद होता है लेकिन इस के अलावा कोई और रास्ता उन शौहरों के पास बचता भी नहीं है जिन की बीवियां आशिक के साथ रहने चली जाती हैं. कुछ वक्त अगर परेशानी में गुजार कर बाकी जिंदगी सुकून से जीना हो तो सौदा घाटे का नहीं कि बेवफा बीवी को हमेशा के लिए बायबाय कर दिया जाए.
शौहरों को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि जो बीवी नजदीक रहते हुए भी नजदीक नहीं है उसे जबरन साथ रखने से फायदा नहीं. दरअसल, यह एकतरफा प्यार है जो कुछ औरतों को शादी के बाद किसी दूसरे मर्द से हो जाता है. इस का यह मतलब नहीं कि शौहर में कोई कमी है. बात पूरी तरह से दिल की है जिस पर किसी का जोर नहीं चलता.
यह बात भी ठीक है कि कोई शादीशुदा औरत अगर अपने आशिक के साथ चली जाती है तो वह शौहर के साथ ज्यादती ही करती है लेकिन शौहर को बीवी की गलती की सजा खुद को, बच्चों को या अपने घर वालों को नहीं देनी चाहिए.
बेवफा बीवी की याद में देवदास बन कर आंसू बहाते रहना, नशे में डूब जाना या फिर ऊटपटांग हरकतें करने लगना परेशानी का हल नहीं है.
बेवफा बीवियां अकसर पछताती ही हैं. वजह, उन के आशिक का मकसद उन का प्यार नहीं, बल्कि जिस्म पाना होता है जिस से जी भर जाने के बाद वे उस से कन्नी काटने लगते हैं. कुछ ही मामलों में यह रिश्ता परवान चढ़ पाता है. लेकिन समझदार शौहर को इस से वास्ता नहीं रखना चाहिए और न ही मियांबीवी के रिश्ते को बनाए रखने के लिए जरूरत से ज्यादा जोरजबरदस्ती करनी चाहिए.
चूंकि बीवी के आशिक को मुफ्त की मलाई मिल रही होती है इसलिए उसे चाटते रहने के लिए वह शौहर को नुकसान भी पहुंचा सकता है जैसा कि सतीश सोनी के मामले में हुआ. वह तो उस गुनाह की सजा भुगत रहा है जो उस ने किया ही नहीं था. उस की तरह ज्यादातर शौहर यही गलती करते हैं कि महज नाक के चलते और मर्दानगी साबित करने के लिए बीवी को वापस लाने की जिद पर अड़े रहते हैं.
ऐसी बीवी जो शादीशुदा जिंदगी के माने न समझते हुए अपनी जिम्मेदारियों से भाग कर किसी दूसरे शख्स के साथ मौजमस्ती कर रही हो, उसे भूल जाना ही बेहतर है. लड़ाईझगड़े और मारपीट से कुछ हासिल होता है तो वह है जेल. इस से बाकी जिंदगी में दुश्वारियां ही मिलती हैं इसलिए शौहर को समझदारी से काम लेना चाहिए.
नहीं बनती बात तो होते हैं हादसे
पुणे के आनंद कांबले की शादी 18 मई, 2017 को सीमा से हुई थी. 2 जून, 2018 को आनंद सीमा के साथ महाबलेश्वर घूमने गया तो सीमा के आशिक निखिल ने आनंद की हत्या करवा दी. राज खुलने पर हालांकि सीमा और निखिल पकड़े गए.
उत्तर प्रदेश के रहने वाले नौजवान सरोज मंडल को दिल्ली की नीलू नाम की लड़की से मुहब्बत हो गई और दोनों ने शादी कर ली. दोनों के 3 बच्चे भी हुए. इसी दौरान सरोज मंडल के मांबाप गुजर गए तो वह अपने गांव बदलोदिया आ कर रहने लगा.
8 सितंबर, 2018 की रात सरेज की हत्या हो गई. पुलिसिया जांच में पता चला कि उस की हत्या नीलू ने ही अपने आशिक मुन्ना यादव से करवाई थी. नीलू मुन्ना यादव को नहीं छोड़ पा रही थी.
उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के लालपुर गांव के 28 साला बाशिंदे अभिमन्यु की शादी तारापुर गांव की रूपा से हुई थी. शादी के बाद रूपा को अपने देवर मान सिंह से प्यार हो गया और वह उस के साथ गुजरात के बड़ौदा भाग कर 6 महीने तक रही.
इस के पहले रूपा और मान सिंह एक बार घर के बाथरूप में रंगे हाथों पकड़े गए गए थे. अभिमन्यु ने वही गलती की जो अकसर शौहर करते हैं. उस ने बेवफा बीवी और बेईमान भाई को समझाया तो उन दोनों ने मिल कर बीती 4 सितंबर, 2018 को अभिमन्यु को ही मौत के घाट उतार दिया.
मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के पोरसा कसबे के रहने वाले सैनिक कमलेश तोमर को मालूम था कि उस की बीवी के संजय सिंह नाम के फौजी से नाजायज संबंध हैं. इस मामले को ले कर इस साल गरमियों में दोनों में झगड़ा भी हुआ था.
3 जून को संजय ने कमलेश को उस के घर में घुस कर गोली मार दी. कमलेश की गलती यह थी कि वह भी बेवफा बीवी के साथ ही रहना चाह रहा था.
मुरैना की ही एक बीवी गीता बघेल अपने शौहर गब्बर सिंह बघेल को छोड़ कर अपने आशिक उदय सिंह के साथ रहने लगी थी. बीवी के आशिक के साथ रहने पर गब्बर सिंह ने पंचायत बुलाई, जिस में गीता ने शौहर के साथ रहने से साफ मना कर दिया.
इस पर भी गब्बर सिंह नहीं माना तो गीता और उदय सिंह ने मिल कर उस की धुनाई भी की और इसी साल अगस्त के महीने में खुद गीता ने शौहर को गोली मार दी.