रमेश वर्मा का गांव में अपना घर था. उस के घर के बराबर में 20 फुट का रास्ता था. कुछ दंबगों ने उस रास्ते पर कब्जा करने की कोशिश की. पहले तो रमेश चुप रहा, लेकिन जब पानी सिर से उतर गया, तो उस ने हिम्मत कर के विरोध शुरू कर दिया.

कुछ दिनों की खामोशी के बाद दबंगों ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. एक दिन वे रमेश वर्मा के घर पहुंचे और दरवाजा तोड़ कर उस के मकान पर कब्जा करने की कोशिश की.

यह सूचना पुलिस को दी गई, लेकिन उस ने आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की. इस से दबंगों के हौसले और भी बढ़ गए. फिर उन्होंने एक दिन रमेश के घर में पैट्रोल छिड़क कर आग लगा दी. इस आग में रमेश भी झुलस गया. बड़ी मुश्किल से उस की जान बची.

मामले के तूल पकड़ते ही पुलिस ने वारदात को अंजाम देने वाले दबंग शिशुपाल यादव व अमित ठाकुर समेत 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

यह वाकिआ उत्तर प्रदेश के झांसी जनपद के नवाबाद थाना क्षेत्र में 26 मार्च, 2016 को सामने आया.

रमेश डर व दहशत के बीच दबंगों से कानूनी लड़ाई का मन बना चुका है. उस की यह लड़ाई किसी अंजाम तक पहुंचेगी, यह वह खुद भी नहीं जानता.

दबंगों का शिकार रमेश कोई पहला दलित नहीं रहा. हाल ही में 23 मार्च, 2016 को सीतापुर जिले के दौलतियापुर गांव के एक दलित जोड़े ने दबंगों का जुल्म सहा. मामूली किसान कमलेश अपनी जमीन पर गेहूं, गन्ना वगैरह बोता था. बाद में उस ने खेत ठेके पर दे दिया, लेकिन इस के बाद जैसे खेत से उस का हक खत्म सा हो गया.

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