प्यार तमाम बंदिशों से आजाद होता है. न वह हैसियत देखता है, न जातिधर्म. जमाने से बेखबर सनी व रानी प्यार की डगर पर चल रहे थे, बिना यह सोचे कि उन के प्यार को कोई मानेगा भी या नहीं. वे मंजिल तक पहुंचना चाहते थे. लिहाजा, दोनों ने साथ जीनेमरने की कसमें भी लीं. लेकिन उन का पहला सपना तब टूटा, जब सनी के घर वाले ही इस प्यार के दुश्मन बन गए. वजह बनी रानी की जाति, क्योंकि वह दलित थी, इसलिए सनी के घर वाले उसे बहू बनाने को राजी नहीं थे, जबकि सनी रानी को ही अपना जीवनसाथी बनाना चाहता था. वह शायद जुदा ही हो गए होते, अगर रानी ने पुलिस से फरियाद न की होती.
पुलिस ने न केवल सनी की कहीं दूसरी जगह होने जा रही शादी को रुकवा दिया, बल्कि रानी के साथ उस की शादी थाने में ही करा दी. इस शादी में कोई बैंडबाजा या शहनाई नहीं थी, लेकिन पुलिस वाले बराती थे. शादी पर कानूनी मुहर तो लग ही गई और प्यार के दुश्मन बनने वालों के हौसले भी पस्त हो गए.
थाने में 2 प्रेमियों की हुई शादी का यह वाकिआ उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर के महिला थाने का है. दरअसल, सनी मेरठ जिले के ही एक गांव का रहने वाला था. एक साल पहले उस की मुलाकात रानी से हुई, तो दोनों एकदूसरे के दिलों में उतर गए. उन के बीच पहले दोस्ती और फिर प्यार हो गया.
सनी ऊंची जाति का था, जबकि रानी दलित थी. दोनों जाति की दीवार गिरा कर अपनी दुनिया बसाना चाहते थे. उन के घर वालों को भी इस बात का पता चल गया था.