दुलहन के लाल जोड़े में सजी देवकी बेहद खुश थी. उस की खुशियां छिपाए नहीं छिप रही थीं. खुश होती भी क्यों न, उस की शादी जो हो रही थी. शादी होना कोई नई बात नहीं थी. आमतौर पर हर युवती की शादी होती है. यह अलग बात है कि किसी की शादी जल्दी हो जाती है तो किसी की देर से होती है. देवकी की शादी में नई बात यह थी कि उस की शादी जेल में हो रही थी. वह महिला कैदी थी. जेल जाने के बाद उसे अपनी शादी की उम्मीद कम ही रह गई थी. आप ने शायद ही सुना हो कि किसी जेल में बारात आई है और शादी हुई है. लेकिन राजस्थान की कोटा जेल में इसी साल 9 मई को ऐसा ही हुआ है.

कोटा की सैंट्रल जेल में बाकायदा बारात आई, मंडप सजा और वरमाला भी हुई. पंडित ने विधिविधान से मंत्रोच्चार कर के फेरे भी कराए. जेल की ऊंची चारदीवारी में सलाखों के पीछे यह शादी राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश पर हुई थी.

बारां जिले के थाना कैथून के गांव गोल्याहेड़ी के रहने वाले बाबूलाल मेहर की 22 साल की बेटी देवकी अपनी भाभी ऊषा की दहेज हत्या के मामले में 27 अप्रैल, 2017 से कोटा की सैंट्रल जेल में बंद थी.

भाभी की दहेज हत्या के आरोप में उस की गिरफ्तारी होने से काफी पहले ही उस की शादी बारां जिले के थाना अंता के गांव बिशनखेड़ी के रहने वाले राधेश्याम के 23 साल के बेटे महेश से तय हो चुकी थी. दोनों की शादी 9 मई को बारां जिले में आयोजित होने वाले सामूहिक विवाह समारोह में होनी थी.

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