महाभारत में एक कथा के अनुसार कर्ण, जिसे सूत पुत्र कहा गया है, एक शूरवीर है और अर्जुन की तरह ही धनुर्धर बनना चाहता है. वह गुरु द्रोणाचार्य से धनुर्विद्या लेना चाहता है पर उसे द्रोण इसलिए इनकार कर देते हैं कि एक तो वह सूत पुत्र है और दूसरा कोई राजकुमार भी नहीं.

मजबूर हो कर्ण परशुराम के पास जाता है जो सिर्फ उच्च जाति यानी ब्राह्मण को ही गुरुकुल में जगह देते हैं. वहां कर्ण अपनी जाति छिपा कर शिक्षा लेता है पर एक दिन परशुराम को पता चल जाता है कि वह सूत पुत्र है.

इससे नाराज होकर वे कर्ण की बेइज्जती करते हैं, गुस्सा होते हैं और साथ ही श्राप भी दे देते हैं कि वह उचित समय पर उनसे ली गई शिक्षा भूल जाएगा.

खैर, यह तो एक कथा है.

शिक्षा में जातिधर्म

दिल्ली के यमुना किनारे बसे वजीराबाद के एक स्कूल में एक ऐसे ही शिक्षक हैं, जिन्होंने दूसरे धर्म को मानने वाले, मांस मछली खाने वाले बच्चों को हिन्दू बच्चों से अलग कक्षा में पढ़ने को कह कर गुरु और शिक्षा दोनों को कलंकित कर दिया.

यह घटना यों तो कुछकुछ महाभारत जैसी ही है, बस फर्क इतना है कि गुरु ने शिक्षा के अधिकार से वंचित तो नहीं किया, अलबत्ता यह अध्यादेश जरूर जारी कर दिया कि हिन्दू बच्चे अलग वर्ग में पढ़ेगे और मुस्लिम बच्चे अलग.

यह सनसनीखेज मामला तब खुला जब बच्चों ने अपने अभिभावकों से इसका जिक्र किया. तब बड़ी संख्या में अभिभावक स्कूल के सामने पहुंचे और हंगामा करने लगे.

देश की राजधानी हुई शर्मसार

दिल्ली के तिमारपुर वार्ड के वजीराबाद में जिस जगह यह स्कूल है उसके पास ही एक बाजार भी लगता है. शाम होते ही बाजार की रौनक बढ़ जाती है. कोई सब्जी खरीद रहा होता तो कोई ठेले पर बेची जा रही जलेबियों का मजा उठाता है. यहां हिन्दूमुस्लिम दुकानदार एक साथ ही बाजार लगाते हैं और खरीदार भी धर्म देखकर खरीदारी नहीं करता.

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