वसीम बरेलवी का एक शेर है-हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल / उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती. मतलब यह कि उदास होंगे तो कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा. उदासी एक ऐसी नकारात्मकता है जो हर चीज को अपने रंग में रंग लेती है . यहां तक कि सेक्स जैसी सनसनाती चाहत भी उदासी के मनोभाव में न सिर्फ फीकी बल्कि जोशहीन हो जाती है. क्योंकि उदासी होती ही इतनी नकारात्मक भावना है . इसलिए उदास हों तो सेक्स करने से बचें क्योंकि उदासी सेक्स का मजा तो किरकिरा कर ही देगी,भविष्य के लिए भी इसके प्रति अरुचि की गांठ बना सकती है.

लेकिन कई बार दांपत्य जीवन में विशेषकर महिलाओं का व्यवहार उदासीनता बढ़ाने वाला होता है. कई स्त्रियां यौनक्रिया आरंभ होने से पूर्व या इसके दौरान भी प्यार का माहौल बनाने  की जगह शिकवे-शिकायतें शुरू कर देती हैं या दूसरी निरर्थक घरेलू बातें ले बैठती हैं.स्त्री का ऐसा व्यवहार पुरुष में सहवास के प्रति उदासीनता भर देती है. उसकी यौनेच्छा कमजोर हो जाती है. पुरुष की भावनाएं पूरी तरह ऊफान पर नहीं आ पातीं. जिस वेग से उसे सहवास करना चाहिए, वह कर नहीं पाता है. ऐसा भी प्रायः देखा गया है कि शिश्न में उत्थान तक नहीं आता या कमजोर होता है. ऐसी स्थितियां बार-बार आने पर पुरुष को सहवास से उदासीनता होने लगती है. संसर्ग से उसका मन उचाट हो जाता है. ऐसी बात नहीं कि स्त्री को ऐसी अवस्था नहीं भुगतनी पड़ती. उपर्युक्त हालात बनने से उसे भी पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने में खुशी की बजाय परेशानी होने लगती है. सहवास में उसे भी रुचि नहीं रह जाती. यही अरुचि उसे उदासीनता की अवस्था में ला पटकती है.

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