सवाल

मैं 23 साल की कुंआरी लड़की हूं. मेरे परिवार में दूसरों की बेवजह बुराई का मानो चलन सा बन गया है. इस से हमारे रिश्तेदार, दोस्त, पड़ोसी सब हम से नाराज रहते हैं. वे हमारे घर आने से कतराते हैं. मैं घर से बाहर जाती हूं तो लोग इज्जत की नजर से नहीं देखते हैं. मैं बड़ी अजीब सी समस्या से जूझ रही हूं. मैं क्या करूं?

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जवाब

ऐसा अमूमन हर घर में होता है कि रिश्तेदारों और समाज वालों की बुराई करने में बड़ा मजा आता है, लेकिन आप के घर यह कुछ ज्यादा ही है, जिस से आप को कोफ्त और शर्मिंदगी महसूस होती है.

आप अपने घर वालों को समझाने की कोशिश करें कि दूसरों की बुराई से हमें कुछ हासिल नहीं होने वाला, उलटे नुकसान खुद का ही होता है. मुमकिन है कि यह बात उन की समझ में आए या न आए, तो भी आप अपना बरताव सही रखें और इस ‘निंदा पार्टी’ में शामिल ही न हों.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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