सवाल

मैं 40 साल का एक शादीशुदा मर्द हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. दोनों बेटियां हैं. इस बात से मेरी पत्नी बहुत ज्यादा परेशान रहती है और बेटा न होने की वजह मुझे समझती है. इस बात पर वह घर में कलह मचाए रखती है.

मैं ने उसे बहुत बार समझाया कि बेटी और बेटे में कोई फर्क नहीं है, पर वह मानती ही नहीं है. उस की इस बेवजह की नाराजगी से मैं परेशान रहता हूं. मैं क्या करूं?

जवाब

आप की पत्नी की नाराजगी बेवजह नहीं है. दरअसल, सारा फसाद ही धर्म के दुकानदारों का खड़ा किया हुआ है कि मुक्तिमोक्ष वगैरह बेटे से ही मिलते हैं. एक औरत होने के नाते आप की पत्नी ने भी घरपरिवार और समाज में यह साफतौर पर देखा है कि औरत की जिंदगी कितनी मुश्किल होती है, उसे किसी तरह की आजादी और फैसला लेने का हक नहीं है.

जिन औरतों को बेटा नहीं होता, उन्हें ‘निपूती’ और भी न जाने क्याक्या कह कर ताने मारे जाते हैं, इसलिए वे बेटा ही चाहती हैं, फिर भले ही वह निकम्मा और आवारा निकल जाए.

आप के पास पत्नी को सम   झाते रहने के अलावा कोई रास्ता है भी नहीं. वह न माने तो कलह तो होगी ही. आप अपनी बेटियों को खूब पढ़ाएं और उन्हें काबिल बनाएं, यह न केवल पत्नी को, बल्कि पूरी दुनिया को सटीक जवाब होगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

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