लेखक- सुनील शर्मा

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विवादों से मानो गहरा नाता रहा है. आज से तकरीबन 5 साल पहले अन्ना आंदोलन से उपजे इस आम आदमी ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज हो कर साबित कर दिया था कि इस देश में जनता ही जनार्दन है. अगर कोई उस के मन की पढ़ ले तो वह उसे फर्श से अर्श तक ले जाती है. बाद में अरविंद केजरीवाल का सादापन और काम करने का तरीका बहुतों को पसंद आया तो कइयों को यह नौटंकी भी लगा और चूंकि मुख्यमंत्री बनने के बावजूद अरविंद केजरीवाल हर आम आदमी की जद में रहते थे तो उन पर निशाना साधना भी आसान ही था.

लिहाजा, कभी उन पर स्याही फेंकी गई तो कभी किसी ने थप्पड़ ही रसीद कर दिया. हाल ही में लोकसभा चुनाव के उन के एक रोड शो में एक आदमी ने उन्हें फिर थप्पड़ मारा. दरअसल, शनिवार, 4 मई की शाम को दिल्ली के मोती नगर इलाके में अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के उम्मीदवार बृजेश गोयल का प्रचार कर रहे थे. वे एक खुली जीप में आगे खड़े थे कि तभी लाल रंग की टीशर्ट पहने

हालांकि वहां मौजूद आम आदमी पार्टी के लोगों ने उस आदमी को बख्शा नहीं और धुन दिया, बाद में पुलिस के हवाले भी कर दिया, पर तब तक वह आदमी अपने मकसद में कामयाब हो चुका था.

यूपी ही तय करेगा दिल्ली का सरताज

इस थप्पड़ कांड से पहले अरविंद केजरीवाल पर अक्टूबर 2011 से ले कर अब तक 11 बार हमले हो चुके हैं जबकि पिछले साल के नवंबर महीने में उन पर मिर्च से हमला हुआ था. इतना ही नहीं, अरविंद केजरीवाल पर कभी पत्थर फेंक कर तो कभी जूता उछाल कर भी विरोध जताया गया. आम आदमी पार्टी इस ताजा  थप्पड़ कांड के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ मानती है और सवाल उठती है कि क्या वे लोग अरविंद केजरीवाल की हत्या कराना चाहते हैं?

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