बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को केंद्र और राज्य सरकार पर जोरदार हमला बोलते हुए कहा कि सहारनपुर के शब्बीरपुर में उनकी हत्या कर बसपा को दफन करने की साजिश हुई थी. सतर्क होने की वजह से साजिश नाकाम हो गई. दलितों के हक की आवाज नहीं उठाने दी गई तो उन्हें राज्यसभा से इस्तीफा देकर सड़कों पर लड़ने का फैसला करना पड़ा. देश में हालात ऐसे हैं कि लोकसभा चुनाव समय से पहले होंगे.
मायावती सोमवार को मेरठ में बसपा के तीन मंडलों महासम्मेलन को संबोधित कर रही थीं. महासम्मेलन में 71 विधानसभा क्षेत्रों से कार्यकर्ता और समर्थक पहुंचे हुए थे. मायावती ने कहा कि डॉ. अंबेडकर को भी दलितों-आदिवासियों के हक के लिए कानून मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था. रोहित वेमुला कांड, ऊना कांड और शब्बीरपुर कांड की घटनाएं साबित करती हैं कि देश में दलितों का उत्पीड़न बढ़ रहा है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा दलितों और पिछड़ों का आरक्षण खत्म कर रही है. सब कुछ प्राइवेट सेक्टर को दिया जा रहा है, जहां पहले से ही आरक्षण की व्यवस्था नहीं है. बसपा ने ही वीपी सिंह सरकार में मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू कराई थीं.
मायावती ने बार-बार गिनाया कि कैसे उन्होंने अपनी सरकारों में हर जाति के लोगों को तरजीह दी. दलितों में पैठ बनाने के लिए भाजपा ने दलित राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया था लेकिन बसपा के दबाव के चलते कांग्रेस को भी दलित ही प्रत्याशी बनाना पड़ा. माया ने नोटबंदी और जीएसटी को देश की अर्थव्यवस्था के लिए घातक बताया और कहा कि देश में इमरजेंसी जैसे हालात हैं. भाजपा के निशाने पर विपक्षी दल हैं. सीबीआई, इन्कम टैक्स और ईडी का दुरुपयोग कर नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है.
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