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देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पकौड़े बेचने वालों को कारोबारी बताया, तो पूरी भारतीय जनता पार्टी यह साबित करने में जुट गई कि पकौड़े बेचने से अच्छा कोई कारोबार नहीं है. वहीं विपक्ष इस बात पर जोर देने लगा कि प्रधानमंत्री ने पकौड़े को कारोबार से जोड़ कर कारोबारियों की बेइज्जती की है.
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि अगर पकौड़े बेचने वाले कारोबारी हैं तो भीख मांगना भी रोजगार है. उत्तर प्रदेश में तो समाजवादी पार्टी के नेता और कुछ दूसरे संगठन सड़कों पर आ कर पकौड़े बेचने लगे. खबरें तो यह भी बनने लगीं कि इंजीनियरों द्वारा बनाए गए पकौड़े हाथोंहाथ बिक गए.
पूरे देश में अलगअलग तरह के पकौड़े बेचे जाते हैं. हर जगह पर इन को बेचने के तरीके अलग होते हैं. ज्यादातर पकौड़े सड़क किनारे बनी दुकानों, फुटपाथों पर बेचे जाते हैं. दफ्तर, स्कूल, कचहरी, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और मेले वाली जगहों पर ये ज्यादा बिकते हैं. ज्यादातर इन को चाय के साथ खाया जाता है.
कुछ जगहों पर रसेदार सब्जी भी पकौड़ों के साथ परोसी जाती है. कुछ दुकानदार तीखीमीठी चटनी का इस्तेमाल करते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकसभा सीट वाराणसी में लहुरावीर चौराहे पर दिन में पकौड़े बेचने की एक दुकान चलती है. यहां ब्रैड के जले हुए किनारे को बेसन में घोल कर पकौड़े बना दिए जाते हैं.
पकौड़े बेचने वाले ज्यादातर सही क्वालिटी का बेसन इस्तेमाल नहीं करते हैं. कई लोग आटे में पीला रंग मिला कर उस को बेसन जैसा तैयार कर लेते हैं. बेसन के मुकाबले आटा सस्ता पड़ता है.
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