सऊदी अरब का नाम सुनते ही एक ऐसे देश की छवि उभरती है जहां पिछड़ापन, हिंसा और भेदभाव का बोलबाला है. लेकिन अब यहां सुधार हो रहे हैं और इन सुधारों की वजह है सऊदी अरब के युवराज प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान. अब तक की उत्तराधिकार की परंपरा के तहत पूर्व शासक के पुत्रों में से ही एक के बाद एक सुलतान की गद्दी पर आसीन होते थे. नतीजतन, राजगद्दी संभालते समय उन की उम्र 80 वर्ष से ऊपर हो जाती थी जिस उम्र में कुछ नया करने का जज्बा नहीं होता.

पहली बार वर्तमान शासक ने अपने भाइयों की जगह अपने युवापुत्र को युवराज घोषित किया. उसी का परिणाम है कि नई सोच की सुधारवादी बयार, परंपरावादी व दकियानूसी सऊदी अरब जैसे समर्थ राष्ट्र का चेहरा बदलने की तैयारी में है.

देश में एक दशक के दौरान भयंकर भ्रष्टाचार हुआ है. भ्रष्टाचारियों में शाही परिवार के लोग, मंत्री और उद्यमी शामिल हैं. हो सकता है कि युवराज मोहम्मद बिन सलमान भ्रष्टाचार को बहाना बना कर तमाम विरोधियों का सफाया कर रहे हों. टीकाकारों का मानना है कि आले सऊद में सत्ता को ले कर लड़ाई शुरू हो चुकी है. बिन सलमान हर उस व्यक्ति को रास्ते से हटा देना चाहते हैं जो उन की सत्ता के मार्ग में थोड़ा सा भी रोड़ा अटका सकता है.

पिछले दिनों सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने समाज सुधार की ओर पहल करते हुए भ्रष्टाचार के आरोप को कुछ को बर्खास्त कर दिया और कुछ को गिरफ्तार कर लिया. शहजादे यानी युवराज सत्ता में आंतरिक असंतुष्टों की पहचान कर उन्हें बाहर कर रहे हैं.

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