साल 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए देश की सभी बड़ी विपक्षी पार्टियां जैसे कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी यानी जो भारतीय जनता पार्टी से इतर विचारधारा रखती हैं, एक हो कर अलगअलग जगह बैठक कर रही हैं. इस से देश को एक संदेश देने की कोशिश की जा रही है कि विपक्ष एकसाथ है.
यह भी सच है कि विपक्ष की एकता का आगाज बहुत पहले हो गया था, मगर इस के साथ ही मानो भारतीय जनता पार्टी की कुंभकर्णी नींद टूट गई और आननफानन में वह उन राजनीतिक दलों को एक करने में जुट गई है, जिन्हें सत्ता के घमंड में आ कर उस ने कभी तवज्जुह नहीं दी थी.
सब से बड़ा उदाहरण है रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी का, जबकि उन के बेटे चिराग पासवान आंख बंद कर के नरेंद्र मोदी की भक्ति करते देखे गए हैं. यही नहीं, नीतीश कुमार के साथ भी भाजपा ने दोयम दर्जे का बरताव किया था. इस तरह गठबंधन का धर्म नहीं निभा कर भारतीय जनता पार्टी में एक तरह से अपने सहयोगियों के साथ धोखा किया था, जिसे सत्ता के लालच में आज छोटीछोटी पार्टियां भूल गई हैं. इस की क्या गारंटी है कि साल 2024 में नरेंद्र मोदी की सत्ता आने के बाद इन के साथ समान बरताव किया जाएगा?
कहा जाता है कि एक बार धोखा खाने के बाद समझदार आदमी सजग हो जाता है, मगर भारतीय जनता पार्टी के भुलावे में आ कर 38 उस के साथ आ कर खड़े हो गए हैं. मगर यह सच है कि यह सिर्फ एक छलावा और दिखावा मात्र है. एक तरफ विपक्ष अभी 26 दलों का गठबंधन बना पाया है, वहीं भारतीय जनता पार्टी खुद को हमेशा की तरह बड़ा दिखाने के फेर में छोटेछोटे दलों को भी आज नमस्ते कर रही है.
भाजपा का देश को यह सिर्फ आंकड़ा दिखाने का खेल है. वह यह बताना चाहती है कि उस के पास देश के सब से ज्यादा राजनीतिक दलों का समर्थन है और विपक्ष जो आज एकता की बात कर रहा है वह उन के सामने नहीं ठहर सकता है, जबकि असलियत यह है कि यह सब भाजपा डर के मारे कर रही है ताकि आने वाले समय में उस के हाथों से देश की केंद्रीय सत्ता निकल न जाए.
कांग्रेस के नेतृत्व में
10 साल की राजग सरकार के भ्रष्टाचार और घोटालों का एक खाका खींचने के मद्देनजर विपक्षी गठबंधन के लिए एक साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनाया जा रहा है और आपसी तालमेल के साथ रैलियां, सम्मेलन, आंदोलन करने जैसे मुद्दों को ले कर मसौदा तैयार करने के लिए एक उपसमिति बनाने का भी प्रस्ताव है.
विपक्षी दल साल 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ एकजुट हो कर लड़ने के लिए अपनी रणनीति तैयार करेंगे. कांग्रेस के मुताबिक अगले लोकसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकजुटता भारत के राजनीतिक दृश्य के लिए बदलाव वाली साबित होगी और जो लोग अकेले विपक्षी पार्टियों को हरा देने का दंभ भरते थे, वे इन दिनों ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के भूत’ में नई जान फूंकने कोशिश में लगे हुए हैं.
कुल जमा कहा जा सकता है कि विपक्ष की एकता से भारतीय जनता पार्टी के माथे पर पसीना उभर आया है और उसे यह समझते देर नहीं लगी है कि अगर वह सोती रहेगी तो राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष भारी पड़ सकता है.
बड़ी लाइन खींचने की कोशिश
भारतीय जनता पार्टी ने जब देखा कि केंद्र की सत्ता उस के हाथों से निकल सकती है तो वह आननफानन में उन राजनीतिक दलों को अपने साथ मिलाने मिल गई है, जो कभी उस के रूखे बरताव और सत्ता के घमंड को देख कर छोड़ कर चले गए थे.
मंगलवार, 18 जुलाई, 2023 को भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली में अपने साथी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठक आयोजित की, जिस से जनता में संदेश जाए कि हम किसी से कम नहीं हैं.
दरअसल, यह बैठक सत्तारूढ़ गठबंधन के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखी गई. इस बैठक में भाजपा के कई मौजूदा और नए सहयोगी दल मौजूद रहे. सत्तारूढ़ पार्टी ने हाल के दिनों में नए दलों को साथ लेने और गठबंधन छोड़ कर जा चुके पुराने सहयोगियों को वापस लाने के लिए कड़ी मेहनत की है.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के मुताबिक, हम ने अपने सहयोगियों को न पहले जाने के लिए कहा था और न अब आने के लिए मना कर रहे हैं. उन्होंने कहा जो हमारी विचारधारा और देशहित में साथ आना चाहता है, आ सकता है.
हालांकि जनता दल (यूनाइटेड), उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिव सेना और अकाली दल जैसे अपने कई पारंपरिक सहयोगियों को खोने के बाद भाजपा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट, उत्तर प्रदेश में ओम प्रकाश राजभर के नेतृत्व वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, जीतनराम मांझी के नेतृत्व वाले हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सैक्युलर) और उपेंद्र कुशवाला के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोक जनता दल के साथ गठबंधन करने में कामयाब रही है.
मगर यह देखना खास है कि ये सारे दल देश की राजनीति में कोई ज्यादा अहमियत नहीं रखते हैं और भाजपा का सिर्फ कोरम पूरा करने का काम कर रहे हैं.