एक कहावत बन गई है -" आर एस एस और भाजपा कभी कच्ची गोटिया नहीं खेलते." प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के स्नेह पात्र देश के कानून मंत्री किरण रिजिजू के मामले में देश में यही प्रतिक्रिया आई है कि नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार के संपूर्ण कार्यकाल की यह घटना अपने आप में अनोखी और अलग है .

कानून मंत्री के रूप में किरन रिजिजू जिस तरह कुछ ज्यादा सक्रिय थे वह अपने आप में एक इतिहास है. न्यायपालिका से टकराव लेकर उन्होंने जिस तरह भाजपा की नीतियों को आगे बढ़ाया वह तो शाबाशी के लायक था मगर मिल गया दंड!

संपूर्ण घटनाक्रम को देखा जाए तो देश हित में यह अच्छा हुआ है. यह संदेश चला गया है कि न्यायपालिका नरेंद्र दामोदरदास मोदी के शासन में भी सर्वोच्च स्थान रखती है अन्यथा जिस तरह देश के कानून मंत्री के रूप में किरण रिजिजू ने खुलकर घेरा बंदी की थी वह सीधे-सीधे सरकार और न्यायपालिका और केंद्र के टकराव को दर्शाती थी. ऐसा महसूस होता था मानो किरण रिजिजू जो बोल रहे हैं वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सहमति से ही क्योंकि इसी तरह उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी बीच-बीच में शिगूफा छोड़ते रहते है . यही कारण है कि एक मामला भी अवमानना का उच्चतम न्यायालय में दर्ज हो कर चल रहा है. ऐसे में अचानक कानून मंत्री को पद से हटाना यह संदेश देता है कि देश की नरेंद्र मोदी सरकार न्यायालय का सम्मान करती है और किसी भी तरह टकराव का संदेश नहीं देना चाहती. यह सकारात्मकता देश के लिए एक अच्छा संदेश लेकर आया है. क्योंकि आर एस एस की भावनाओं को अमलीजामा पहनाने वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अगर यू-टर्न लिया है तो यह देश हित में माना जा सकता है. इसके साथ ही हम एक बड़ा यक्ष प्रश्न भी उठाने जा रहे हैं जो आज देश के सामने है नरेंद्र मोदी सरकार जल्दी से बैकफुट पर नहीं जाती अपनी किसी भी गलती को मानने को तैयार नहीं होती अपने विशिष्ट सहयोगी की गलती को भी मानने को तैयार नहीं होती और न ही आसानी से यू टर्न लेती है इसका सबसे ज्वलंत मामला है दिल्ली के जंतर मंतर में बैठी महिला पहलवान बेटियों का जो कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष और सांसद बृजभूषण सिंह का इस्तीफा और कार्रवाई के लिए लंबे समय से आंदोलनरत हैं मगर केंद्र सरकार मानो आंखें मूंदकर बैठी हुई है. ऐसे में किरण रिजिजू का कानून मंत्री से इस्तीफा लेकर मंत्रालय बदल देना एक बड़ी घटना है जो संकेत देती है कि अगर नरेंद्र दामोदरदास मोदी ऐसा नहीं करते तो आने वाले समय में मुसीबत बढ़ जाती और नरेंद्र मोदी सरकार को जवाब देना भी मुश्किल पड़ जाता.

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