हत्या का आरोप भले ही ग्राम प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर के ऊपर लगा हो, पर सही माने में इस हत्याकांड में तहसील और थाना लैवल से ले कर जिला प्रशासन तक का हर अमला जिम्मेदार है.

जमीन से जुड़े मसलों में थाना और तहसील एकदूसरे पर मामले को टालते रहते हैं. ऐसे में नेताओं और दबंगों की पौबारह रहती है. कमजोर आदमी अपनी ही जमीन पर कब्जा लेने के लिए यहां से वहां भटकता रहता है.

सोनभद्र में हुए जमीनी झगड़े में भी उत्तर प्रदेश की सरकार तब जागी, जब दिल्ली से कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सोनभद्र में डेरा डाला और आदिवासी परिवारों से मिलने की बात पर अड़ गईं.

शुरुआत में प्रदेश सरकार ने मरने वालों के परिवार को 5 लाख रुपए का मुआवजा देने की बात कही, पर प्रियंका गांधी के संघर्ष के बाद मुआवजे की रकम बढ़ा कर 20 लाख रुपए करने और जमीन को वे लोग ही जोतेबोते रहेंगे, यह भरोसा भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को देना पड़ा. बाद में मुख्यमंत्री खुद पीडि़त लोगों से मिलने गए.

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यह था मामला

17 जुलाई, 2019 को सोनभद्र जिले के घोरावल इलाके के उभ्भा गांव में दर्जनों की तादाद में ट्रैक्टर 148 बीघा जमीन को घेरे खड़े थे. उन पर तकरीबन 300 लोग सवार थे.

यह देख कर गांव के लोग दबंगों को खेत जोतने से रोकने के लिए आगे बढ़े. थोड़ी ही देर में झगड़ा बढ़ गया. ग्राम प्रधान की तरफ से गांव वालों पर हमला बोल दिया गया.

लाठीडंडे से हुए इस हमले के बीचबीच में गोली चलने की आवाजें भी आने लगीं. गांव वाले एकदूसरे से बचने के लिए भागने की जुगत करने लगे. पर जो लोग भाग नहीं पाए, वे वहीं जमीन पर गिर गए.

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