एक सर्वे में यह पाया गया है कि राजस्थान में 93' लोग अपनी जाति के हिसाब सरकारी नौकरियों, स्कूलोंकालेजों में सीटों के हिसाब से रिजर्वेशन मांग रहे है और अगर यही रहा तो जिन्हें मेरिट वाली सीट कहां जाता है वे बस 7' बचेंगी यानी 100 में से 7.
शड्यूल कास्ट जो पहले अछूत कहे जाते थे और आज भी समाज में अछूत ही हैं और हिंदू वर्ण व्यवस्था के हिस्सा भी नहीं थे राजस्थान की आबादी में 1.28 करोड़ हैं. इन्हें 16' आरक्षण मिलता है और इसी के बल पर रिजर्व सीटों की वजह से 34 विधायक और 4 सांसद हैं.
आदिवासी आबादी का 12' यानी 71 लाख हैं. इन के 33 विधायक और 3 सांसद हैं. ये लोग गांवों में रहने लगे है पर पहले जंगलों या रेगिस्तान में रहते थे. 75 सालों में कुछ कपड़ों और बरतनों के अलावा इन्हें कुछ ज्यादा मिला हो, ऐसा नहीं लगता. अदर बैकवर्ड कास्ट में ऊपरी जातियों की गिनती 3.5 करोड़ यानी 21' है और ये आबादी के हिसाब से 27' आरक्षण चाहते हैं. इन्हीं में से कट कर बनाई गई मोस्ट वैकवर्ड कास्ट को 56' रिजर्वेशन मिला है पर इन की गिनती नहीं हुई है क्योंकि जाति जनगणना में जाति पूछी जाती है पर जनता को बताई नहीं जाती.
ईडब्लूएस को 10' का आरक्षण मिला है जो ऊंची जातियों के लिए जिन में ज्यादातर ब्राह्मïण ही आते हैं जो पूजापाठ से दान बसूल नहीं पाते. ये लोग आबादी का शायद 3-4' है पर 14' रिजर्वेशन मनवां रहे हैं. लड़ाई मोटे तौर पर उन 36' सीटों के लिए हो जो ऊंची जातियों के लिए उलटे रिजर्वेशन की शक्ल ले चुकी है और आबादी का 8-9' होने पर भी मलाईदार पोस्टें इन्हीं के हाथों में आती हैं. ये लोग पहले 100' पोस्टों पर होते को पर अब धीरेधीरे इन की गिनती घट रही है पर ताकत नहीं क्योंकि इन में भयंकर एकजुटता है और अपने मनमुटाव से बाहर नहीं आने देते.