नीतीश कुमार अपनी पलटियों की वजह से राजनीतिक हल्कों में अपनी इज्जत तो खो चुके थे पर इस बार उन्होंने मोदीशाह जोड़ी को तुर्की ब तुर्की जवाब दे कर जता दिया कि जो ड्रामा वे करते हैं, दूसरे भी कर सकते हैं. ङ्क्षहदूत्व आज उतना जोर नहीं मार रहा जितना ईडी, इंकमटैक्स, पुलिस, सेना, बुलडोजर भर रहा है. भारतीय जनता पार्टी का मंदिर कार्ड आज भी चल रहा है पर उस के फैलाए सपनीले परदों के नीचे बेहद बढ़ती बदबू व सडऩ अब जनता को खाने लगी है.
जब कभी मुसलिम शासक, मुगल, फ्रैंच, पौर्तुगाली, उठा और अंग्रेज इस देश में आए तो जनता ने चुपचाप उन को आने दिया क्योंकि तब के राजाओं को मंदिर बनाने, यज्ञ हवन कराने, जनता की जगह पूजापाठियों का खयाल रखने से फुर्सत नहीं होती थी. जिस तरह आज आम जनता मंहगाई, बेरोजगारी, तानाशाही और बुलडोजरी घौंस से छटपटा रही है, उसी तरह उस युग की जनता ने हार कर विदेशियों का मुंह देखना ज्यादा अच्छा समझा था.
नीतीश कुमार का हाल मायावती, अकाली दल, शिवेसना, जैसा कर देने की सीख भारतीय जनता पार्टी को पौराणिक कहानियों में ही मिली है जिस में भाईभाई को दगा देता है. रामायण और महाभारत के जितने महान लोग थे. सब की अपनो से नाराजगी थी चाहे वह कैकई हो, विभिषण हो, शकुनी हो, दादा भीष्म हों. नीतीश कुमार के नीचे से कालीन ङ्क्षखचवाने के चक्कर में लगी भाजपा को पटखनी दे कर एक सबक तो सिखाया गया है अब जज, पुलिस, इंक्मटैक्स, ईडी सब पटना में जमा हो जाएंगे जैसे कुरूक्षेत्र में हुए थे और चाहे गरीब राज्य का नुकसान हो, वहां से खबरें छापों की आएंगी, नए निर्माणों की नहीं.
भाजपा की सोच वाले लालूयादव के साथ एक बार ऐसा कर चुके हैं और झूठेसच्चे चारा घोटाले में उसे फसा कर उस कैरियर समाप्त कर चुके हैं. अब खीसिया कर वही दोहराया जाएगा. नवीन पटनायक, जगन रैट्डी, केसीआर को चेतावनी दी जा चुकी है.
बिहार की बात राजनीतिक उठापटक पर हो, यह अफसोस है. बिहार जितने होथियार लोग देश को दिए हैं, उतने शायद किसी और राज्य ने नहीं दिए. उतने शायद किसी और राज्य ने नहीं दिए. मौर्चा युग में बिहार ही देश का सब से अमीर इलाका रहा है. आज भी दुनिया भर में फैले भारतीय भूल के लोग, चाहे वे कोई काम कर रहे हैं, ज्यादातर बिहार के हैं.
बिहार का शोषण किया गया है और भाजपाई सोच वाले ऊंची जातियों के लोग उसे लगातार दुहना चाहते हैं और यह तभी संभव है जब धर्मकर्म वालों की सरकार हो. कांग्रेस के जमाने में जो सरकारें थीं, वे भारतीय जनता पार्टी की सरकारों से बढ़ कर पूजापाठी थीं. अब नीतीश कुमार और तेजस्वी की सरकार जो बनेगी, उसे बिहार के दलदल से निकालने का मौका मिलेगा. वैसे केंद्र सरकार शायद ऐसा नहीं होने देगी और पैसा छीन कर उस का गला घोंटे रखेगी.
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जब तक अपनी बात जनता तक नहीं ले जाएंगे, उन का कल्याण नहीं होगा. उन्हें सब से पहले पूजापाठियों से निपटना है जो आसान नहीं है.