हमारे देश के कितने ही गांव, शहर, कस्बे, जाति के लोग, बेइमानी माने जाते हैं. इन लोगों के  बारबार जन्मजात बेइमान बताया जाता है. गालियां देते समय उन की जाति, शहर या राज्य का नाम ले कर कहां जाना आम है कि तुम तो वहां के हो इसलिए बेइमान होगे ही.

भारतीय जनता पार्टी सरकार अपने खिलाफ हरेक राजनीति में जुड़े जने को ईडी, सीबीआई, पीएमएलए, एनआईए, पुलिस को लगा कर अपना उल्लू तो सीधा कर रही है पर इस चक्कर में खुद को भी गहरा काला पोत रही है. यह सोच हरेक के मन में पक्की होती जा रही है कि इस के पास सत्ता है, पौवर है, कुछ कर सकता है, वह ऊपर की भरपूर कमाई कर रहा है, उस के यहां तो कमरे भरे पड़े हैं.

अगर वह भारतीय जनता पार्टी में तो उस पर रेड न होने की वजह से जनता उसे शरीफ मान लेेगी यह नामुमकिन है. जब बहुत से मंत्री, मुख्यमंत्री, अफसर, उद्योगपति, ठेकेदार चपेट में आ चुके हों तो कुछ बचे होंगे यह भी पक्का माना जाएगा कि हर भारतीय जनता पार्टी का मंत्री भी बेइमान होगा.

कोई ऐसे ही केवल दिल बदलने से वर्षों पुरानी पार्टी से नाता नहीं तोड़ता. उसे मंत्री पद का पालन भी तभी दिया जा सकता है जब वह मंत्री न हो. यहां तो भाजपा दूसरी पार्टी के मंत्रियों को अपने में मिला कर मंत्री बना रही है तो मतलब साफ है कि उन्हें मंत्री बनने के साथसाथ कुछ और मिला होगा. यह वही कुछ और जिसे ढूंढऩे के अवसर भाजपा सरकार अपने विरोधियों की पार्टी वालों के भेज रही है.

जनमानस में यह तो हमेशा से था कि हरेक पार्टी बेइमान है पर कांग्रेस महा बेइमान है यह 2014 तक विनोद राय जैसे कंप्रोइज्म जनरल ने नकली, झूठी, विश्वासघात करने वाली साजिशों भरी रिपोर्टें देकर साबित कर दिया था. जिस तरह 2014 में जीतने के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उसे हाथोंहाथ लिया साबित हो गया कि वह नितांत बेइमानी वाली रिपोर्ट भी और आज जिस तरह वह ऊंचे पद पर बैठे हैं उस से भी साबित है इनाम भी मिला.

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