पुलिस ने परिवारों की शिकायतों पर 2 युवतियों को 2 साल तक लापता रहने के बाद साथ रहते पाया और पता चला कि दोनों ने मरजी से परिवारों के खिलाफ जा कर साथ रहने का फैसला किया था. एक जयपुर में अकाउंटैंट का काम कर रही है तो दूसरी रिसैप्शनिस्ट है. दोनों में शारीरिक संबंध हैं या नहीं, यह तो जांचा नहीं गया पर पुलिस बीच में इसलिए पड़ी कि परिवारों ने उन के अपहरण की आशंका जताई थी. गनीमत है कि पुलिस ने बयान ले कर उन्हें छोड़ दिया और परिवारों को कहा कि वे अपनी बेटियों को समझाना चाहें तो समझाएं.

2 युवतियों का साथ रहना अब धीरेधीरे बहुत आम होता जाएगा. लिव इन रिलेशनशिप में युवक के साथ रहना युवती पर बहुत भारी पड़ता है. उसे हर समय गर्भवती होने का डर तो रहता ही है, पड़ोसियों और सहयोगियों के मजाक का भी पात्र बनना पड़ता है. 2 लड़कियां साथ रहें तो आमतौर पर आपत्तियां नहीं उठतीं और समाज उलटे थोड़ा सहयोगी बना रहता है. लोग उन्हें छेड़ने वालों से बचाते हैं, चाहे बंद दरवाजे के पीछे वे कैसे भी रहती हों.

अगर कसबों, गांवों से आकर शहरों में रहना पड़े तो 2-3 लड़कियों का साथ रहना सब से ज्यादा सुखद व सरल है. उन के बीच अगर यौन संबंध हों तो शायद लड़कों का दखल भी न हो और वे आराम से वर्षों साथ रह सकती हैं. हां, पैसे को ले कर विवाद खड़े हो सकते हैं पर ये विवाद तो स्त्रीपुरुष विवादों में भी खड़े होते हैं.

घरों से दूर रह रही लड़कियों के मातापिताओं के लिए भी यह स्थिति सुखद है, क्योंकि इस में जो बहनापा या मित्रता पनपती है, वह ज्यादा स्थाई, सुरक्षित व स्नेहभरी होती है. लड़कियां एकदूसरे को अच्छी तरह समझती हैं.

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