भारतीय जनता पार्टी के ही लोकसभा के सदस्य ने अपनी ही पार्टी के लपेटे में लेते हुए सरकारी आंकड़ों के हिसाब से बताया है कि सरकार में 60 लाख सरकारी पद खाली हैं.

केंद्र सरकार के दफ्तरों और बैंकों में 11 लाख, अस्पतालों में 3 लाख, प्राइमरी एजूकेशन में 9 लाख, स्कूलों में 40 हजार, सेना में 1 लाख, राज्यों की पुलिस में 6 लाख, राज्य सरकारों के दफ्तरों में 30 लाख.

आजकल युवाओं को एक ही काम दिया जा रहा है. आओ दूसरे का सिर फोड़ें और फिर पकौड़े तलें. सिर फोडऩे के लिए लाठी कहां से आएगी और पकौड़े बनाने के लिए तेल कहां से आएगा, यह भी नहीं मालूम.

बारबार पेपर लीक होने का बहाना बना कर सरकारी रोजगार देने के लिए होने वाली परीक्षा टाल दी जाती है या अगर परीक्षा हो भी चुकी होते, मामला अदालत में ले जा कर रुकवाया जाता है ताकि सरकार की भर्ती नहीं करनी पड़े.

जिस देश में पढऩे का अकेला मकसद सरकारी नौकरी पाना जिस में कम, पैसा गारंटेड और ऊपर की कमाई बेहिसाब हो वहां दूसरी नौकरियां तो वैसे ही बेमतलब हैं. भला हो सरकार ने जिस ने  कम से कम पूजापाठ कराने का एक मौका जरूर देख रहा है जिस में बेइंताहा मौके हैं पैसा कमाने के. अदालत अगर कोई काम चमक रहा है तो धर्म के नाम पर मंदिर, मसजिद, गुरुद्वारों बनाने और उस के इर्दगिर्द के धंधों का. इस काम को बढ़ावा देने के लिए सरकार हर संभव कोशिश कर रही है पर उस से अगर अनाज ज्यादा पैदा होता, कपड़ा ज्यादा बनता, मकान बनते, सडक़ें अपने आप मरम्मत हो जातीं, रेलें चलने लगतीं तो बाद थी पर यह धर्म का धंधा तो देश को बांट रहा है और युवाओं को बहका कर उनका ध्यान बेरोजगारी से हटा रहा है.

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