चीन अब अमेरिका की जगह लेने की तैयारी में है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका फर्स्ट के नाम पर अपना दखल दूसरे देशों में कम कर रहे हैं, जबकि चीन बढ़ा रहा है. इस का असर भारत पर भी पड़ेगा. अमेरिका ने एच1बी1 वीजा को सख्त बना कर करीब 40,000 भारतीय युवाओं के लिए अमेरिका में जा कर नौकरी पाने के मौके खत्म कर दिए हैं.
अमेरिका ने अपनी आईटी कंपनियों से कह दिया है कि जहां भी दूसरे देशों से आए लोग काम कर रहे हैं उन्हें निकाल कर केवल अमेरिकियों को रखा जाए चाहे वे महंगे हों, आलसी हों या उतने योग्य न हों. यह ठीक वैसे ही है जैसे मुंबई में शिवसेना बीचबीच में फरमान जारी कर देती है कि महाराष्ट्र में टैक्सियां, आटो सिर्फ मराठी चलाएंगे, बिहारी या पंजाबी नहीं. शिवसेना का जन्म दक्षिण भारतीयों के खिलाफ बाल ठाकरे के गुस्से से हुआ था पर आज 40 साल बाद भी हाल वही है.
अमेरिका ने अपने पुराने दोस्त पाकिस्तान से हाथ खींचने की तैयारी कर ली है. भारत को इस पर खुश होने की जरूरत नहीं क्योंकि चीन उस की जगह लेने को तैयार है. भारत जल्दी ही नेपाल, भूटान, म्यांमार और पाकिस्तान में चीन की भारी मौजूदगी पाएगा. अगर चीन को कभी भारत को डराना हो तो उस के लिए यह बाएं हाथ का काम होगा और भारत अब 1962 की तरह अमेरिका के आगे बचाओबचाओ की गुहार भी न लगा सकेगा.
भारत की सरकार फिलहाल खुश है कि मुसलिम देशों के अमेरिका जाने वालों पर डोनाल्ड ट्रंप रोकटोक लगा रहे हैं पर, वह यह भूल रही है कि अमेरिका तो अपना बचाव चीन, रूस, मुसलिम देशों से कर सकता है क्योंकि वह अमीर है, बेहद अमीर.
चीन फिलहाल पाकिस्तान से गुजरता रेल व सड़क रास्ते बना रहा है ताकि चीनी माल खाड़ी के देशों में जल्दी पहुंच जाए. वहीं, इस रास्ते से चीनी टैंक भी पाकिस्तान के रास्ते पंजाब व राजस्थान पहुंच सकते हैं. चीन माउंट एवरैस्ट में छेद कर तिब्बत से नेपाल तक सुरंग का रास्ता बना रहा है ताकि इन देशों से लेनदेन बढ़ सके. वहीं, इस सुरंग से चीनी सैनिक भी आ सकते हैं.
ऐसे में भारत की हालत अजीब होगी. हम से तो अपना देश ही नहीं संभलता. देशरक्षा के नाम पर हम झंडा लहराते हैं, हल्ला मचाते हैं या सच दिखाने वाले
को देशद्रोही कह कर चुप करा देते हैं. अमेरिका की नई नीति, चीन का उस की जगह लेना, चीन को अपना दुश्मन बनाना हमें महंगा पड़ेगा. मंगोल मुगलों ने अरसे तक भारत पर राज किया है. क्या यह दोहराया जाएगा?