जनता पार्टी के स्थापना दिवस पर नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने मास्टर भाजपा को हनुमान सदृश्य बताया. भारतीय राजनीति में इन दिनों भाजपा जिस तरह हिंदुत्व को लेकर के पल पल ध्रुवीकरण में लगी हुई है वह सीधे-सीधे संविधान के विरुद्ध है नैतिकता के विरुद्ध है आने वाले भारत के लिए अनेक तरह के संकट लेकर आने वाला है. अगर नरेंद्र मोदी हनुमान जयंती पर भाजपा को राम से जोड़ देते हैं तो रामनवमी पर श्रीराम से इसी तरह हर एक हिंदुत्ववादी त्यौहार पर कुछ ऐसी बात करते हैं कि हिंदूवादी मतदाता भारतीय जनता पार्टी को गले लगा ले और आंख बंद करके उन्हें वोट देने लगे. यह एक जनतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति है मगर सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर बैठ कर के नेताओं को साथ में रखने का नाम भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी का है.

हमारे देश की राजनीति का सौंदर्य यही है कि हमने दो दल की जगह अनेक दलों को तरजीह दी है मगर भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आने के बाद बाकी सभी दलों को नेस्तनाबूद कर देना चाहती है. अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बात तो छोड़ दें भाजपा तो कांग्रेस को भी निगल जाना चाहती है.

दरअसल, हमारा देश लोकतांत्रिक है, इस सब के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद जिस तरह विपक्ष चाहे वह कांग्रेस हो या आप हो या समाजवादी पार्टी या बहुजन समाज पार्टी या अन्य छोटे बड़े राजनीतिक दल उन्हे नेस्तनाबूद करने की कोशिश की जा रही है, नेताओं को प्रताड़ित करने की चेष्टा जारी है उससे साफ संकेत मिलता है कि जैसा कि उद्धव ठाकरे ने कहा 2024 का लोकसभा चुनाव अगर नरेंद्र दामोदरदास मोदी के नेतृत्व में भाजपा अगरचे ऐन केन  जीत जाती है तो विपक्ष के लिए अंतिम चुनाव होगा. अगर हम देखते हैं तो कांग्रेस पार्टी की देश से सिमटते हुए अब कांग्रेस चुनिंदा राज्यों में ही राज कर रही है, ऐसे में छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के  संरक्षण में कांग्रेस पार्टी के अधिवेशन पर भी  केंद्र सरकार ने ग्रहण लगाने की पुरजोर कोशिश की. यह चिंतन का विषय है कि भाजपा नेतृत्व को क्यों पीड़ा हो रही है. लोकतंत्र और देश ऐसे ही चलता आया है. यह भी सच है कि व्यवहार और हकीकत में अंतर होता  है . मगर जिस तरह अधिवेशन से पूर्व केंद्र की विधि यानी प्रवर्तन निदेशालय ने कांग्रेस के नेताओं पर गाज गिराई वह देश भर में चर्चा का विषय बन गया. जहां कांग्रेस रक्षात्मक है वही भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार आक्रमण होती जा रही है. इससे यह संकेत मिलता है कि कहीं न कहीं तो अधिवेशन से भय है. वस्तुत: भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी को यह नहीं भूलना चाहिए कि अगर कांग्रेस भी आपके जैसा व्यवहार करती तो भारतीय जनता पार्टी क्या पैदा हो पाती...? क्या भाजपा आज जिस मुकाम पर पहुंची है कभी पहुंच सकती थी. लोकशाही और तानाशाही में अंतर भाजपा के बड़े नेताओं को मालूम होना चाहिए और  एक देशहित और स्वस्थ स्पर्धा के रूप में अपनी भूमिका को निभाना चाहिए.

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