‘‘तुम्हें तो पता ही होगा कि मेरे पिताजी जब तक जिंदा रहे, तब तक वे लोगों को सांपों के बारे में जानकारी देते रहे, ताकि लोगों के मन में बैठा डर और अंधविश्वास दूर हो सके, पर वे इस बात से हमेशा दुखी ही रहे कि हमारे देश के लोग या तो डर कर सांप को मार डालते हैं या फिर उस की पूजा करने लगते हैं. हालांकि, लोगों द्वारा की जाने वाली पूजा भी हमारे मन में बैठे डर के चलते ही जन्म लेती है,’’ माधव अपने दोस्त राज से कह रहा था.
‘‘लेकिन यार… बुरा मत मानना, पर मैं ने तो सुना है कि तुम्हारे पिताजी सांपों को पकड़ कर उन्हें बेचने का कारोबार किया करते थे,’’ राज ने दबी जबान से कहा. ‘‘गलत सुना है तुम ने… दरअसल, ऐसी बातें उन लोगों ने फैलाई हैं, जो खुद सांप पकड़ कर बेचने का काम करते थे. ‘‘मेरे पिताजी तो सांप पकड़ कर उन्हें किसी जंगल में छोड़ आते थे, ताकि कुदरत का बैलेंस बरकरार रह सके और इस के लिए उन्हें कभी सरकार की तरफ से कोई बढ़ावा या अवार्ड भी नहीं मिला. मेरे पिताजी ने अपने खर्चे पर ही यह सब किया,’’ माधव ने एक लंबी सांस छोड़ते हुए राज को बताया.
‘‘अच्छा तो इतनी पढ़ाईलिखाई कर के अब तुम गांव में क्यों जाना चाहते हो?’’ राज ने पूछा. ‘‘मैं गांवगांव जा कर लोगों को जागरूक करूंगा, ताकि समाज में सांपों के प्रति फैले अंधविश्वास को खत्म कर पाना मुमकिन हो सके… और यही मेरे पिताजी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी,’’ माधव ने फख्र से कहा. अपने पिताजी की तरह माधव भी कुदरत और सांप प्रेमी था.
वह विज्ञान में एमएससी था और शहर में नौकरी न कर के लोगों में चेतना की अलख जगाना चाहता था और इसीलिए उस ने अपने घर को छोड़ कर जंगलों के किनारे बसे गांवों में जाना शुरू किया था. इस गांव में जब माधव आया तो उस ने सीधे गांव के प्रधान से मुलाकात की और उन्हें अपने आने का मकसद बताया. प्रधान को उसे कुछ दिन गांव में रुकने की इजाजत देने में कोई खास मुश्किल नहीं हुई और उन्होंने गांव में ही माधव के रहनेखाने का इंतजाम करा दिया.
इस गांव में माधव को रुके हुए 2 दिन हो गए थे. बरसात का मौसम था. माधव को आसानी से सांप पकड़ने में महारत हासिल थी. वह उन्हें पकड़ता और लोगों को समझाता कि हमें इन से डरने की नहीं, बल्कि जागरूक रहने की जरूरत है. एक दिन हलकी बरसात हो रही थी. माधव नदी के किनारे टहलने चल दिया. बरसात के चलते नदी भी उफान पर थी. माधव ने अपना मोबाइल निकाला और नदी के तेज बहाव की फोटो लेने लगा, पर अच्छी फोटो लेने के चक्कर में माधव का पैर फिसल गया और वह नदी में जा गिरा. नदी के तेज बहाव में बहते माधव को तैरना तो आता था, मगर शहर के स्विमिंग पूल में. नदी के तेज बहाव में हाथपैर मारने के बाद भी उसे किनारा नहीं मिल पा रहा था.
माधव ने हिम्मत तो नहीं हारी थी, पर उसे लगने लगा था कि अगर वह जल्दी ही किनारे नहीं लगा, तो आज यह उस का आखिरी दिन होगा. तभी माधव को पानी में तैरती हुई एक रस्सी दिखाई दी, जिस के आगे एक बांस का टुकड़ा लगा हुआ था. माधव के कान सुन सकते थे कि ‘रस्सी पकड़ो’ की आवाज किनारे से आ रही थी, पर आंखें ठीकठीक कुछ देख नहीं पा रही थीं. माधव ने उस बांस पर लगी हुई रस्सी को मजबूती से पकड़ लिया और अब वह किनारे की तरफ खिंचता जा रहा था. किनारे पर एक अनजान हाथों ने माधव को बाहर खींच निकाला. वे 2 लड़कियां थीं, जिन की उम्र तकरीबन 20-22 साल की होगी, जो बारिश में भीगी हुई थीं. उन में से एक लड़की काले रंग की थी, तो दूसरी दूध जैसी गोरी. उन दोनों की काया बारिश का पानी पड़ने से धुलीधुली सी नजर आ रही थीं.
‘‘जब पानी में तैरना नहीं आता, तो नदी में क्यों कूदते हो…’’ उस गोरी लड़की ने पूछा. ‘‘नहीं, मैं गलती से गिर गया था, तैरने नहीं आया था,’’ माधव की इस बात पर गोरी लड़की अपने मुंह पर हाथ रख कर तेजी से हंसने लगी. उस का इस तरह से हंसना माधव को अच्छा नहीं लग रहा था, पर वह कुछ कह नहीं पा रहा था, क्योंकि इन्हीं दोनों लड़कियों के चलते ही उस की जान बची थी. ‘‘चलो अब हटो यहां से, नहीं तो दोबारा गिर जाओगे नदी में,’’ इतना कह कर वे दोनों लड़कियां हंसते हुए वहां से चली गईं. चेहरे पर मीठी सी मुसकराहट लिए माधव आगे बढ़ रहा था कि तभी गांव के 3-4 लड़कों ने उसे घेर लिया.
‘‘तुम हमारे गांव के प्रधान को बेवकूफ बना कर जागरूकता फैलाने के नाम पर यहां रुक तो गए हो, पर अपनी नौटंकी कहीं और जा कर दिखाओ. यहां लोगों को तुम बेवकूफ नहीं बना पाओगे,’’ एक दाढ़ी वाले नौजवान ने कहा. अभी तक माधव कुछ समझ नहीं पाया था कि उस दाढ़ी वाले नौजवान ने दोबारा बोलना शुरू किया, ‘‘वैसे भी तुम हमारी धार्मिक भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हो…
हम लोग बरसों से सांपों को संतान देने वाले देवता के रूप में पूजते आ रहे हैं और तुम हमारे गांव के लोगों की आस्था को नुकसान पहुंचा रहे हो, इसलिए कल सुबह होते ही यह गांव छोड़ कर चले जाओ, नहीं तो इस का अंजाम खुद ही भुगतना,’’ माधव को घूरते हुए वे सब वहां से चले गए. माधव वहां से सीधा प्रधान के घर पहुंचा और सारी आपबीती उन्हें कह सुनाई.
‘‘अब मैं क्या बताऊं तुम्हें… उस लड़के का नाम अगाली है और इस गांव में उस की तूती बोलती है, क्योंकि वह गांव के लड़कों को शराब और मांस खिलापिला कर अपने साथ घुमाता रहता है, इसलिए वे निठल्ले उस के एक इशारे पर कुछ भी करने को राजी रहते हैं. ‘‘और दूसरा सिक्का चलता है कपाला नाम के तांत्रिक का, जिस ने यहां के लोगों की बुद्धि को अंधविश्वास के चक्कर में ऐसा बांध रखा है कि लोगों का उस से बाहर आना नामुमकिन सा है.
‘‘कपाला पहले गांव में किसी भी तरह का नकली संकट पैदा कराता है, जैसे फर्जी बीमारियां, नजर लगना, जादूटोना वगैरह… और जब गांव के लोग हल पूछने उस के पास जाते हैं, तो वह उन से पैसे लेता है और दूसरे कई तरीकों से उन का शोषण भी करता है. प्रधान चाहे कोई भी हो, इस गांव में सिक्का तो अगाली और तांत्रिक का ही चलता है.’’ वैसे तो माधव खुद ही इस गांव से जाने वाला था, पर अब उसे यहां रुकना एक चैलेंज लगने लगा था, क्योंकि उस का मानना था कि आसान काम तो कोई भी कर सकता है, पर मजा तो तब है जब मुश्किल काम को किया जाए, इसलिए उस ने अगाली के बारे में प्रधानजी से और ज्यादा जानकारी मांगी. अगली सुबह जैसे ही माधव सो कर उठा, तो उस ने देखा कि सामने से अगाली अपने साथ गांव के 2-4 लड़कों के साथ चला आ रहा था.
‘‘क्या रे… तुम अभी तक गांव से गए नहीं?’’ अगाली ने पूछा. ‘‘दरअसल, बात ऐसी है कि मुझे एक खास सांप का जहर निकालना है और इसीलिए मैं यहां रुका हुआ हूं. मैं आप से वादा करता हूं कि उस सांप का जहर मिलते ही मैं यहां से चला जाऊंगा,’’ माधव ने चाल चली. ‘‘अच्छा… तो जहर से दवा बनाएगा… हम ने सुना है कि सांप के जहर से लंबे समय तक सैक्स में टिके रहने वाली दवा बनती है… मैं तुझे इस शर्त पर ही गांव में रहने दूंगा कि तू मुझे वह दवा देगा…
बोल मंजूर है?’’ अगाली बोल रहा था. ‘‘बिलकुल मंजूर है.’’ अगले हफ्ते ही अगाली को नया प्रधान चुन लिया गया. उस ने शराब की नदियां बहा दीं. पूरे गांव में पकते हुए मांस की गंध फैली हुई थी. कपाला भी अगाली के साथ खुशियां मना रहा था. ‘‘सुनो…’’ एक मीठी सी आवाज माधव के कानों में पड़ी. यह तो वही गोरी लड़की थी. वह बोली, ‘‘अरे, अपनी जान क्यों जोखिम में डाल रहे हो… अगाली बहुत खतरनाक आदमी है. मेरी मानो तो यहां से चले जाओ.’’ ‘‘चला जाऊंगा, पर पहले अपना नाम तो बताओ?’’ माधव ने पूछा. ‘‘चांदी नाम है मेरा,’’ शरमाते हुए उस लड़की ने कहा.