साक्षी धोनी और अनुष्का का वो रिश्ता जिसके बारे में नहीं जानते लोग

अनुष्का शर्मा और साक्षी धोनी भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े खिलाड़ियों से शादी की है. पर इन दोनों के बीच एक और चीज है जो दोनों को जोड़ती है, जो दोनों के बीच में कौमन है.

इस खबर में हम आपको दोनों के बीन का एक बेहद खास कनेक्शन बताएंगे. क्या आपको पता है कि दोनों एक समय में स्कूलमेट्स थीं? दोनों के बचपन से जुड़ी इस बास का खुलासा ‘Quora’ के जरिए हुआ.

असल में अनुष्का के पिता कर्नल अजय कुमार खर्मा का ट्रांसफर असम में हुआ था. उस वक्त अनुष्का का एडमिशन ‘सेंट मैरी स्कूल, मार्गरीटा’ में करवाया गया था. उस वक्त साक्षी उसी स्कूल में थीं. इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि अनुष्का और साक्षी एक फैंसी ड्रेस प्रोग्राम के लिए तैयार हुई हैं. फेयरी वाली ड्रेस में साक्षी हैं. वहीं अनुष्का ने पिंक लहंगा पहना है.

sakshi dhoni and anushka sharma classmates

आपको बता दें कि अनुष्का ने साक्षी के साथ अपने इस कनेक्शन का जिक्र साल 2013 में एक इवेंट के दौरान किया था. अनुष्का ने कहा था कि, ‘साक्षी और मैं एक छोटे शहर में साथ रहे हैं. जब उन्होंने मुझे बताया कि वह असम में रहीं तो मैं कहा ‘Wow’ और जब उन्होंने स्कूल का नाम बताया तो मैंने उन्हें बताया कि मैं भी उसी स्कूल में पढ़ी हूं.’

sakshi dhoni and anushka sharma classmates

अनुष्का ने बताया ये जानने के बाद जब उन्होंने ढूंढा तो उन्हें स्कूल की एक तस्वीर मिली जहां वह साक्षी के साथ हैं. ये वही तस्वीर है.

sakshi dhoni and anushka sharma classmates

हेराफेरी 3 की तैयारी शुरू, ये है कास्ट

जब भी कौमेडी फिल्मों की बात होती है हेराफेरी सीरीज की दोनो फिल्में लोगों के दिमाग में आती हैं. यही कारण है कि सीरीज में तीसरी फिल्म का लोग बेसब्री से इंतेजार कर रहे हैं. लागातार चल रही अटकलों के बीच फिल्म से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है. आपको बता दें कि हेराफेरी 3 पर काम अब शुरू हो गया है. मेकर्स कौमेडी को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करना चाहते यही कारण है कि फिल्म की स्क्रिप्ट पर अच्छे से काम शुरू कर दिया गया है.

आपको बता दें कि फिल्म का निर्माण फिरोज नाडियाडवाला हैं जबकि निर्देशन की जिम्मेदारी इंद्र कुमार संभाल रहे हैं. उम्मीद की जा रही है कि फिल्म की शूटिंग साल के आखिर तक शुरू हो जाएगी.

मीडिया की खबरों की माने तो कास्ट भी फाइनल हो गए हैं. फिल्म में अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल लीड रोल में होंगे. यानि कि लीड रोल में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है.

जानिए क्यों हो रही थी देरी

हेराफेरी 3 की शूटिंग के शुरू होने की अटकलें लंबे समय से लगाए जा रहे हैं. पर कई कारणों से लगातार इसमें देरी हो रही थी. इन कारणों में निर्माता फिरोज और अक्षय कुमार के बीच मदभेद प्रमुख है. फिरोज चाहते थे कि हेराफेरी 3 का निर्देशन नीरज वोरा करें, लेकिन वे वर्षों तक बीमार रहे और कुछ महीनों पहले उनका निधन हो गया. नीरज ने हेराफेरी सीरिज की दूसरी फिल्म का निर्देशन किया था जबकि पहले भाग का निर्देशन प्रियदर्शन ने किया था.

इसके बाद चर्चा थी कि फिल्म का निर्देशन अहमद खान करेंगे. पर आखिरकार ये जिम्मेदारी इंद्र कुमार के पास आई. आपको बता दें कि इंद्र कुमार धमाल सीरीज के निर्देशक हैं. वो कौमेडी फिल्मों के कितने अच्छे निर्देशक हैं इसका अंदाजा धमाल सीरीज को देख कर लगाया जा सकता है.

स्टंट से अनिल कपूर को हुई ये बीमारी, कराएंगे इलाज

अनिल कपूर बौलीवुट के कुछ ऐसे कलाकारों में से एक हैं जिनपर ढलते उम्र का कोई असर नहीं होता. उनके चेहरे की चमक और उनकी फिटनेस ये बताती है कि वो अपनी फिटनेस को लेकर कितना सचेत हैं. खुद सोनम कपूर मानती हैं कि उनके पिता अपनी फिटनेस को ले कर काफी औब्सेस्ड हैं.

पर हालिया खबरों की माने तो उन्हें एक गंभीर बीमारी हो गई है. अपनी बीमारी का खुलासा करते हुए अनिल ने कहा कि उन्हें एक ऐसी बीमारी हो गई है जिसके कारण उनका कंधा पत्थर जैसा हो जाता है. अपनी इस बीमारी का इलाज करने के लिए वो अप्रैल में जर्मनी जा रहे हैं. आपको बता दें कि इस बीमारी को कैलशिफिकेशन औफ शोल्डर कहते हैं. अनिल कपूर ने बताया कि पिछले 2 साल से उनके दाहिने कंधे में कैल्शियम जमा हो रहा है और जिसकी वजह से उनकी परेशानी बढ़ती जा रही है. यही वजह है क्या बीमारी और ना बढ़े, इसलिए अनिल कपूर जल्द से जल्द अपना इलाज कराना चाहते हैं.

अनिल कपूर ने इस बीमारी का कारण बताते हुए कहा कि  फिल्मों में लगातार स्टंट करने से उन्हें ये परेशानी हुई है. आपको बता दें कि अनिल कपूर अपनी नई फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ के साथ बड़े पर्दे पर नजर आने वाले हैं. ये फिल्म 1 फरवरी को रिलीज होने वाली है. फिल्म में सोनम कपूर भी लीड रोल में हैं. बाप और बेटी की ये जोड़ी पहली बार बड़े पर्दे पर साथ में दिखेगी. इसपर अनिल कपूर का कहना है कि वो लंबे वक्त से सोनम के साथ काम करना चाहते थे. पर उन्हें कोई अच्छी स्क्रिप्ट नहीं मिल रही थी. अब जबकि स्क्रिप्ट मिली है तो सबसे खुशी की बात यह है कि जो फिल्म का शीर्षक है , उसका कनेक्शन उनकी फिल्म 1942 लव स्टोरी से जुड़ा हुआ है.

आपको बता दें कि, अपने फिल्म ‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ के प्रमोशन के लिए अनिल कपूर द कपिल शर्मा शो में गए थे. इस मौके पर अनिल के साथ राजकुमार राव, जूही चावला और सोनम कपूर भी मौजूद थे. इस दौरान अनिल कपूर और जूही ने अपनी फिल्मों से जुड़ी बातों के बारे में जानकारी दी थी.

फिल्म मोदी की शूटिंग शुरू, देखें सेट से ये तस्वीरें

2019 में कई ऐसी फिल्में आ रही हैं जो देश की समकालीन राजनीति के लिहाज से काफी अहम हैं. इसी बीच प्रधानमंत्री मोदी की जीवन पर बन रही फिल्म लोगों में चर्चा का विषय है. फिल्म में प्रधानमंत्री मोदी की भूमिका में एक्टर विवेक ओबेरौय बड़े पर्दे पर नजर आएंगे. आपको बता दें कि फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो गई है. ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने ट्विटर हैंडल पर शूटिंग के सेट की एक फोटो साझा की है जिसमें विवेक ओबेरौय और ओमंग कुमार फिल्म की शूटिंग की शुरुआत करते नजर आ रहे हैं. फिल्म की चर्चा साल 2018 से ही चल रही थी.

तरण ने फोटो साझा करते हुए लिखा कि, अहमदाबाद में नरेंद्र मोटी की बायोपिक की शूटिंग की शुरुआत हो चुकी है. अहमदाबाद के अलावा गुजरात के कई अन्य हिस्सों में भी फिल्म की शूटिंग होनी है. आपको बता दें कि फिल्म में विवेक के अलावा बोमन ईरानी और दर्शन कुमार भी नजर आएंगे. फिल्म का निर्देशन ओमंग कुमार कर रहे हैं.

इस फिल्म की तैयारी पिछले 2 सालों से हो रही है. पहले अटकलें लगाई जा रही थी कि इस फिल्म में मोदी के किरदार को परेश रावल निभाएंगे पर आखिरकार इस रोल के लिए विवेक ओबेरौय को कास्ट किया गया.

गौरतलब है कि साल 2019 की शुरुआत कई राजनीतिक फिल्मों से हुई है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के जीवन पर बनी अनुपम खेर की फिल्म दि एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय से शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे की बायोपिक ठाकरे जनवरी में रिलीज हुई थी.

ये हैं वो बड़ी फिल्में जो फरवरी में होंगी रिलीज

ये साल फिल्मी मनोरंजन के लिहाज से कफी महत्वपुर्ण है. इसी साल लोकसभा इलेक्शन होने हैं जिसके चलते कई ऐसी फिल्में रिलीज होने की कतार में हैं जिन्हें पोलिटिकल प्रोपेगैंडा के तौर देखा जा रहा है. अभी तक दी एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर और ठाकरे जैसी फिल्में बड़े पर्दे पर आ चुकी हैं. वहीं उम्मीद की जा रही है कि मई महीने तक प्रधानमंत्री मोदी के जीवन पर बनने वाली फिल्म मोदी भी दर्शकों के बीच होगी.

ये तो हुई सालभर की बात, इस खबर में हम आपको बताने वाले हैं कि 2019 के फरवरी महीने में कौन सी बड़ी फिल्में रिलीज होने वाली हैं.

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

इस फिल्म में पहली बार अनिल कपूर और सोनम कपूर अहूजा की बड़े पर्दे पर एक साथ नजर आएंगे. बाप और बेटी की जोड़ी वाली इस फिल्म की कहानी समलैंगिक रिश्ते पर आधारित है. फिल्म में राजकुमार राव और जूही चावला जैसे स्टार्स भी महत्वपूर्ण रोल में नजर आएंगे. फिल्म का निर्देशन शैली चोपड़ा ने किया है. फिल्म 1 फरवरी को बड़े पर्दे पर आएगी.

फकीर औफ वेनिस

इस फिल्म में लीड रोल में फरहान अख्तर, अनु कपूर और कमाल सिद्धू जैसे बड़े नाम शामिल हैं. इसके निर्देशक आनंद सुरापुर हैं. फिल्म में म्यूजिक ए आर रहमान ने दिया है. आपको ये जान कर हैरानी होगी कि फिल्म 2009 में बन कर तैयार हो गई थी. पर भारत में इसे 1 फरवरी 2019 को रिलीज किया जा रहै है.

गली ब्वाय

जोया अख्तर के निर्देशन में बनी ये फिल्म वैलेनटाइन डे यानि 14 फरवरी को रिलीज होगी. अब तक सामने आए गानों ने दर्शकों को काफी आकर्षित किया है. फिल्म के रैप काफी पौपुलर हो रहे हैं.  फिल्म में रणवीर के साथ आलिया भट्ट दिखेंगी.

टोटल धमाल

धमाल सीरीज की तीसरी फिल्म है टोटल धमाल. इंद्र कुमार के निर्देशन में बनने वाली ये फिल्म मल्टीस्टारर है. फिल्म में अजय देवगन, अनिल कपूर, संजय दत्त, अरशद वारसी, रितेश देशमुख, आशीष जौधरी, जावेद जाफरी, बोमन ईरानी, माधुरी दीक्षित, ईशा गुप्ता जैसे कलाकार शामिल हैं.

ठाकरे : बायोपिक के नाम पर प्रौपेगेंडा फिल्म

रेटिंग : दो स्टार

इन दिनों बौलीवुड में बायोपिक फिल्मों का दौर जारी है. इसी दौर में महाराष्ट्र के राजनीतिक दल ‘शिवसेना’ के नेता व सांसद संजय राउत शिवसेना प्रमुख रहे बाल केशव ठाकरे यानी कि बाला साहेब ठाकरे के कृतित्व पर आधारित फिल्म ’ठाकरे’ लेकर आए हैं, जिसका पहला भाग 25 जनवरी को सिनेमाघरों में पहुंचा है.

बाल केशव ठाकरे अपने समय के सर्वाधिक विवादास्पद इंसान थे. वह महाराष्ट्रियन के लिए समान अधिकार की लड़ाई लड़ने वाले सम्मानजनक इंसान थे. मगर यह फिल्म एक निष्पक्ष व बेहतरीन बायोपिक फिल्म की श्रेणी में नहीं गिनी जा सकती.

फिल्म की शुरुआत होती है लखनऊ में बाबरी विध्वंस केस की सुनवाई के लिए अदालत के अंदर बाला साहेब ठाकरे के आगमन के साथ. अदालत में वकील के सवालों के जवाब के साथ ही कहानी अतीत में जाती है. बाला साहेब ठाकरे मुंबई के एक अखबार में कार्टूनिस्ट के रूप में नौकरी कर रहे हैं. ठाकरे अपने कार्टून में सच को व्यंग के साथ पेश करते हैं, पर इससे अखबार के मालिक के सामने समस्या पैदा होती है और बाला साहेब ठाकरे नौकरी से त्यागपत्र देकर मुंबई के ‘ईरोज’ थिएटर में महाराष्ट्यिन यानी कि मराठी भाषी लोगों का अपमान करने वाली फिल्म देखकर वह मराठियों के लिए क्रांति लाने का मन बनाते हैं.

उन्हे लगता है कि मुंबई व महाराष्ट्र पर गैर मराठियों, गुजराती, दक्षिण भारतीयों व गैर महाराष्ट्रिट्यन का ही शासन है. इसलिए वह मराठियों की लड़ाई लड़ने के लिए ‘मार्मिक’ नामक मराठी भाषा में साप्ताहिक पत्र निकालने का ऐलान करते हैं, जिसका सर्मथन उनके पिता प्रबोधन ठाकरे भी करते हैं. ‘मार्मिक’ के पहले अंक का विमोचन महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री यशवंतराव चौहाण करते हुए बाला साहेब ठाकरे की काफी तारीफ करते हैं. मार्मिक में समाज के सच का चित्रण होता है.

मार्मिक की लोकप्रियता के बाद वह आम लोगों की समस्याओं का निवारण करने लगते हैं. फिर अपने पिता के कहने पर ‘शिवसेना’ का गठन करते हैं. राजनीति के साथ समाज सेवा के कार्य शुरू होते हैं. गैर मराठी भाषियों के खिलाफ आंदोलन करवाते हैं. शिवसैनिक हिंसा का सहारा लेते हैं, जिसका बाला साहेब ठाकरे पूरा समर्थन करते हैं. पुलिस विभाग में भी तमाम लोग बाला साहेब ठाकरे का समर्थन करने के साथ साथ उनके साथ हो जाते हैं.

बेलगाम व करवार को महाराष्ट्र में शामिल करने के आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के मुंबई आगमन पर उनसे मिलने का बाला साहेब ठाकरे असफल प्रयास करते हैं, पर शिवसैनिक व पुलिस के बीच मुठभेड़ और फिर शिवसैनिकों द्वारा मुंबई शहर में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की जाती है. उस वक्त महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री वसंत राव नाइक का उन्हे मौन समर्थन प्राप्त रहता है. केंद्र सरकार के सख्त रवैये के चलते बाला साहेब ठाकरे को गिरफ्तार किया जाता है, पर मुंबई बंद रहती है.

जार्ज फर्नांडिस जेल में ठाकरे से मिलकर उनकी तारीफ करते हैं कि उन्होंने मुंबई को बंद किया. बीच में एक बार वह मुस्लिम लीग के मंच पर जाकर भाषण देते हैं कि उन्हे किसी के धर्म से परहेज नहीं है, पर उन्हे मिलकर काम करना रहना चाहिए और ईद के साथ शिवाजी जयंती भी मनानी चाहिए. पर बात नहीं बनती. 1966 से शिवसेना की गतिविधियों, आपातकाल के दौरान मुंबई आने पर प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी से मिलकर बाला साहेब ठाकरे अनुशासन के नाम पर आपातकाल का समर्थन कर‘शिवसेना’ पर बैन लगाने के प्रस्ताव को खारिज कराने में सफल हो जाते हैं. मुंबई महानगर पालिका और फिर महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बनने पर मनोहर जोशीद्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने तक की कहानी है. इसके आगे की कहानी फिल्म के दूसरे भाग में दिखायी जाएगी.

यूं तो बाला साहेब ठाकरे के जीवन व कृतित्व को ढाई घंटे की फिल्म में समेटना असंभव है, मगर संजय राउत की कहानी पर लेखक व निर्देशक अभिजीत पनसे ने एक बेहतरीन प्रचारात्मक फिल्म बनायी है. उन्होंने फिल्म में बाला साहेब ठाकरे के व्यक्तित्व व सोच को सही ढंग से चित्रित करने का सफल प्रयास किया है. पर यह फिल्म बाला साहेब ठाकरे का महिमा मंडन है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता.

यूं तो राजनीतिक व्यक्ति पर बनने वाली फिल्म में सच व कूटनीति के बीच रेखा खींचना आसान नहीं होता. पर इस फिल्म में फिल्मकार अभिजीत पनसे ने सच की बजाय कूटनीति को ही महत्व देते हुए बाला साहेब के प्रशंसकों को खुश करने का प्रयास किया है. फिल्म में इसी हिसाब से राजनीतिक घटनाक्रमों को भी पिरोया गया है. फिल्म में लोकतंत्र व राजनीति को लेकर उनकी सोच व पसंद को भी सही ढंग से उकेरा गया है. मगर यह निष्पक्ष व बेहतरीन बायोपिक फिल्म की बजाय प्रचारात्मक फिल्म बनकर उभरती है.

राष्ट्रवाद के नाम पर फिल्म में दक्षिण भारतीयों के खिलाफ ‘‘उठाओ लुंगी बजाओ पुंगी’ जैसा संवाद प्रमुखता से है, तो वहीं शिवसैनिकों द्वारा मार्क्सवादी नेता कृष्णा देसाई की हत्या को मील के पत्थर के रूप में चित्रित किया गया है. तो वहीं बाबरी मस्जिद को गिराना व जय श्रीराम के नारों का भी उपयोग है.

फिल्म की विडंबना यह है कि बाला साहेब ठाकरे ने गैर महाराष्ट्यिन के खिलाफ अपनी राजनीतिक पार्टी शुरू की थी और वह इनके खिलाफ आवाज उठाते रहे, पर यह फिल्म ऐसे ही गैर महाराष्ट्रियन लोगों के सहयोग से बनी है, जिस तरह मुंबई के विकास में इन गैर महाराष्ट्यिन का योगदान रहा है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो एक निडर और कुछ भी कर सकने वाले इंसान की छवि वाले बाला साहेब ठाकरे को परदे पर जिस तरह से नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने अपने अभिनय से जीवंतता प्रदान की है, उसके लिए वह बधाई के पात्र हैं. नवाजुद्दीन की अभिनय प्रतिभा के बल पर बाला साहेब ठाकरे एक सशक्त चरित्र बनकर उभरते हैं. मीनाताई के किरदार में अमृता राव ने काफी सधा हुआ अभिनय किया है. इंदिरा गांधी का किरदार निभाने वाली अदाकारा पूरी तरह से मात खा गयी हैं. फिल्म में इंदिरागांधी का किरदार महज रोबोट बनकर रह गया है.

लगभग ढाई घंटे की अवधी वाली फिल्म ’ठाकरे’ का निर्माण ‘वायकौम 18 मोशन पिक्चर्स’, डा श्रीकांत भासी, वर्षा संजय राउत, पुर्वशी संजय राउत व विधिता संजय राउत ने किया है. फिल्म के निर्देशक अभिजीत पनसे, कहानीकार संजय राउत, पटकथा लेखक अभिजीत पनसे, संवाद लेखक अरविंद जगताप व मनोज यादव, संगीतकार रोहन रोहन, संदीप शिरोड़कर, पार्श्वसंगीत अमर मोहिले, कैमरामैन सुदीप चटर्जी तथा फिल्म को अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं – नवाजुद्दीन सिद्दिकी, अमृता राव,सुधीर मिश्रा, अब्दुल कादिर अमीन, लक्ष्मण सिंह राजपूत, अनुष्का जाधव, निरंजन जवीर, डा. सचिन ए जयंत, विशाल सुदर्शनवार, राधा सागर, सतीश अलेकर, आनंद विकास पोटदुखे व अन्य.

मणिकर्णिका देख मनोज कुमार ने जो कहा वो आपको जानना चाहिए

हिंदी सिनेमा में अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिए मशहूर अभिनेता मनोज कुमार ने कंगना रनौत की फिल्म ‘मणिकर्णिका’ देखने के बाद जो कहा है वो वाकई में बेहद खास है. फिल्म देखने के बाद एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए मनोज कुमार ने कहा कि, “मुझे लगता है कि कंगना पर्दे पर उनका (रानी लक्ष्मीबाई) किरदार निभाने के लिए ही पैदा हुई हैं. फिल्म में हर किसी ने शानदार काम किया है, लेकिन कंगना ने रानी लक्ष्मीबाई के किरदार को परदे पर अमर कर दिया.”

आपको बता दें कि मणिकर्णिका बेहद ही महत्वकांक्षी फिल्म है. ये फिल्म 25 जनवरी को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. मुंबई में फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी. जिसे देखने बौलीवुड के तमाम दिग्गज मौजूद थे. इन लोगों में मनोज कुमार भी थे. मनोज कुमार को फिल्म बेहद पसंद आई. फिल्म देख वो काफी खुश नजर आ रहे थे. गौरतलब है कि  मनोज कुमार की पहचान भारत कुमार के रूप में की जाती है. उन्होंने अपनी करियर में कई देशभक्ति फिल्मों का निर्माण किया.

जो रिकार्ड राजेश खन्ना और अमिताभ ना तोड़ सकें, नवाजुद्दीन तोड़ेंगे

नवाजुद्दीन सिद्दीकी बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक लेकर आ रहे हैं. रिलीज होने से पहले ही फिल्म दर्शकों के बीच छाई हुई है. फिल्म की पौपुलैरिटी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसके नाम एक ऐसा रिकार्ड दर्ज होने वाला है जो राजेश खन्ना और अमिताभ जैसे दिग्गजों को भी नसीब नहीं हुआ.

असल में फिल्म ठाकरे को महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में सुबह चार बजे का शो भी मिला है. दर्शकों के बीच फिल्म के क्रेज को देखते हुए फिल्म के शोज की संख्या बढ़ाई गई है जिसके कारण फिल्म का शो सुबह चार बजे से ही शुरू हो जाएगा. मुंबई के वडाला इलाके के मल्टीप्लैक्स में यह सुबह सवा चार बजे के शो में रिलीज हो रही है.

हिंदी सिनेमा के इतिहास में पहली बार होगा ऐसा

जी हां, हिंदी सिनेमा के इतिहास में संभवत: यह पहली बार ऐसा होगा कि सुबह चार बजे से ही किसी फिल्म का प्रदर्शन सिनेमाघरों में शुरू हो जाएगा. इससे पहले ऐसी दिवानगी राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के लिए देखी जाती थी. उनकी कुछ फिल्में सिनेमाघरों में सुबह छ: बजे प्रदर्शित की गई हैं. पर संभवत: पहली बार किसी फिल्म को सुबह चार बजे से लगाया जाएगा. इस बात की जानकारी देख के मशहूर ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने दी है. आपको बता दें कि वडाला के अलावा महाराष्ट्र के लातूर और अन्य शहरों में भी इस तरह के शो रखे गए हैं। पहले ऐसा क्रेज अमिताभ और राजेश खन्ना को हासिल था.

इस तरह की दीवानगी रजनीकांत की फिल्मों को लेकर साउथ इंडिया में देखी जाती है. इसके बाद नवाज की इस फिल्म के लिए लोगों में ऐसा जुनून देखने को मिल रहा है.

फिल्म ‘लकी’ के गाने पर अभिनेता जीतेंद्र कपूर के थिरके कदम !

बी-लाइव प्रस्तुत फिल्म लकी के ट्रेलर लौन्च पर दिग्गज अभिनेता जीतेंद्र कपूर, बौलीवुड अभिनेता तुषार कपूर और डिस्को किंग बप्पी लहरी मौजुद थे. इस समारोह में बौलीवुड में ‘जंपिंग जैक’ के नाम से जाने जाते प्रसिद्ध अभिनेता जीतेंद्र कपूर ने अपने खास अंदाज में समा बांधा. फिल्म लकी की गीत कोपचा पर फिल्म के मुख्य अभिनेता अभय महाजन के साथ मिलकर अपने खास अंदाज में डान्स स्टेप की. कार्यक्रम में मौजूद लोगों के लिए ये समारोह यादगार बन गया.

फिल्म लकी में कोपचा गीत बप्पी लाहिरी और वैशाली सामंत ने गाया हैं. यह गाना 80 के दशक को और अभिनेता जीतेंद्र कपूर की फिल्म हिम्मतवाला को ट्रिब्यूट देने वाला गाना है. हिंदी और बंगाली सिनेमा में कई गीत गाये बप्पी दा ने इस गीत के साथ मराठी पार्श्वगायन में डेब्यू किया हैं.

फिल्म लकी के ट्रेलर लौंच के लिए आयें अभिनेता जीतेंद्र कपूर ने जब स्पोन्टेनिअसली स्टेज पर फिल्म के मुख्य अभिनेता अभय महाजन के साथ डान्स स्टेप की तब समारोह में तालियों और सिटीयों की गूंज उठ गई.

ट्रेलर लौंच के बाद अभिनेता जीतेन्द्र ने कहा, “ट्रेलर इतना आकर्षक है कि निश्चित रूप से लकी फिल्म को बम्पर ओपनिंग मिलने वाली हैं. लकी की पूरी टिम को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं. ”

डिस्को किंग बप्पी लहरी इस साल फिल्म उद्योग में अपने 50 साल पूरे कर रहे हैं. इस समारोह में, लकी की टीम ने  गोल्डन जुबली केक काटकर सेलिब्रेट किया. इस जश्न के बाद बप्पी लहरी ने कहा, “मैंने मुंबई में एक सफल करियर बनाया है और मुझे इस बात की खुशी है कि गोल्डन ज्युबली इयर में ही मैने मुंबई की भाषा मराठी में गाना गाया. और मेरा मराठी फिल्मों के पार्श्वगायन में डेब्यू हुआ हैं. मैं अपने फैन्स का शुक्रगुजार हूं की उन्होंने मुझे इतना प्यार दिया.

ट्रेलर लौन्च समारोह में अभिनेता जीतेन्द्र के बेटे और बौलीवुड अभिनेता तुषार कपूर भी मौजूद थे.  तुषार ने कहा, “मैंने कोपचा गाना देखा.  फिल्म निर्माताओं ने कोपचा गाने से मेरे पिता को अलग अंदाज में दिया ट्रिब्युट मुझे पसंद आया. मैने गोलमाल फिल्म सीरीज की हैं. जिसमें मेरा नाम लकी था. इसी वजह से लकी फिल्म से मेरा एक खास नाता हैं. निर्माता सूरज सिंह 16 सालों तक बालाजी फिल्म्स के साथ जुडे थे. इसीलिए ऐसा लग रहा हैं, जैसे मेरी होम प्रोडक्शन की फिल्म रिलीज हो रही हो.”

निर्माता सूरज सिंह ने कहा, “यह ट्रेलर लौन्च हम सभी के लिए एक यादगार क्षण था. बप्पीदा और जीतू सर इन दो लीवींग लिजेंड्स ने एक साथ हमारे फिल्म का ट्रेलर लौंच करना हमारे लिए निश्चित ही सौभाग्य की बात हैं.”

संजय कुकरेजा, सूरज सिंह, और दीपक पांडुरंग राणे द्वारा निर्मित, संजय जाधव द्वारा निर्देशित, बी लाइव प्रोडक्शंस के सहयोग से बनी ड्रिमींग ट्वेंटी फोर सेवन की फिल्म लकी में अभय महाजन और दीप्ती सती मुख्य भूमिका में नजर आयेंगें. यह फिल्म 7 फरवरी, 2019 को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली हैं.

बौम्बैरिया : यातनादायक फिल्म

रेटिंग : एक स्टार

गवाह की सुरक्षा के अहम मुद्दे पर अति कमजोर पटकथा व घटिया दृष्यों के संयोजन के चलते ‘बौम्बैरिया’ एक घटिया फिल्म बनकर उभरती है. बिखरी हुई कहानी, कहानी का कोई ठोस प्लौट न होना व कमजोर पटकथा के चलते ढेर सारे किरदार और कई प्रतिभाशाली कलाकार भी फिल्म ‘‘बौम्बैरिया को बेहतर फिल्म नहीं बना पाए.

फिल्म की शुरूआत होती है टीवी पर आ रहे समाचारनुमा चर्चा से होती है. चर्चा पुलिस अफसर डिमैलो के गवाह को सुरक्षा मुहैया कराने और अदालत में महत्वपूर्ण गवाह के पहुंचने की हो रही है.फिर सड़क पर मेघना (राधिका आप्टे) एक रिक्शे से जाते हुए नजर आती हैं. सड़के के एक चौराहे पर एक स्कूटर की उनके रिक्शे से टक्कर होती है और झगड़ा शुरू हो जाता है. इसी झगड़े के दौरान एक अपराधी मेघना का मोबाइल फोन लेकर भाग जाता है. और फिर एक साथ कई किरदार आते हैं. पता चलता है कि मेघना मशहूर फिल्म अभिनेता करण (रवि किशन) की पीआर हैं. उधर जेल में वीआईपी सुविधा भोग रहा एक नेता (आदिल हुसैन )अपने मोबाइल फोन के माध्यम से कई लोगों के संपर्क में बना हुआ है. वह नहीं चाहता कि महत्वपूर्ण गवाह अदालत पहुंचे. पुलिस विभाग में उसके कुछ लोग हैं, जिन्होने कुछ लोगों के फोन टेप करने रिक्शे किए है और इन सभी मोबाइल फोन के बीच आपस में होने वाली बात नेता जी को अपने मोबाइल पर साफ सुनाई देती रहती है. पुलिस कमिश्नर रमेश वाड़िया (अजिंक्य देव) को ही नहीं पता कि फेन टेप करने की इजाजत किसने दे दी. नेता ने अपनी तरफ से गुजराल (अमित सियाल) को सीआईडी आफिसर बनाकर मेघना व अन्य लेगों के खिलाफ लगा रखा है. अचानक पता चलता है कि फिल्म अभिनेता  करण की पत्नी मंत्री ईरा (शिल्पा शुक्ला) हैं और वह पुनः चुनाव लड़ने जा रही हैं, तो वहीं एक प्लास्टिक में लिपटा हुआ पार्सल की तलाश नेता व गुजराल सहित कईयों को है, यह पार्सल स्कूटर वाले भ्रमित कूरियर प्रेम (सिद्धांत कपूर) के पास है.तो वहीं एक रेडियो स्टेशन पर दो विजेता अभिनेता करण कपूर से मिलने के लिए बैठे है, पर अभिनेता करण कपूर झील में नाव की सैर कर रहे हैं. तो एक पात्र अभिषेक (अक्षय ओबेराय) का है, वह मेघना के साथ क्यों रहना चाहता है, समझ से परे हैं. कहानी इतनी बेतरीब तरीके से चलती है कि पूरी फिल्म खत्म होने के बाद भी फिल्म की कहानी समझ से परे ही रह जाती है. यह सभी पात्र मुंबई की चमत्कारिक सड़क पर चमत्कारिक ढंग से मिलते रहते हैं.

जहां तक अभिनय का सवाल है,तो नेता के किरदार में आदिल हुसैन को छोड़कर बाकी सभी कलाकार खुद को देहराते हुए नजर आए हैं.

पिया सुकन्या निर्देशित फिल्म ‘बौम्बैरिया’ में संवाद है कि : ‘मुंबई शहर संपत्ति के बढ़ते दामों और बेवकूफों की सबसे  बड़ी तादात वाला शहर है.’’शायद इसी सोच के साथ उन्होने एक अति बोर करने वाली फिल्म का निर्माण कर डाला. पिया सुकन्या की सोच यह है कि मुंबई शहर के लोगां के दिलां में अराजकता बसती है. पिया सुकन्या ने दर्शकों को एक थकाउ व डरावने खेल यानी कि ‘पजल’ को हल करने के लिए छोड़कर अपने फिल्मकार कर्म की इतिश्री समझ ली है.

एक घंटा अड़तालिस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘बौम्बेरिया’ का निर्माण माइकल ई वार्ड ने किया है. फिल्म की निर्देशक पिया सुकन्या, पटकथा लेखक पिया सुकन्या, माइकल ईवार्ड और आरती बागड़ी, संगीतकार अमजद नदीम व अरको प्रावो मुखर्जी,कैमरामैन कार्तिक गणेश तथा इसे अभिनय से संवारने वाले कलाकार हैं- राधिका आप्टे, आदिल हुसैन, सिद्धांत कपूर, अक्षय ओबेराय, अजिंक्य देव, शिल्पा शुक्ला,रवि किशन व अन्य.

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