वर्जिनिटी को लेकर कोई भ्रम न पालें

किसी भी युवती के लिए पहले सैक्स के दौरान उस की वर्जिनिटी सब से ज्यादा माने रखती है. युवती की योनि के ऊपरी हिस्से में पतली झिल्ली होती है जो उस के वर्जिन होने का प्रमाण देती है, लेकिन किसी भी युवती की योनि और उस के ऊपरी सिरे में स्थित हाइमन झिल्ली को देख कर यह पता लगाना कि वह वर्जिन है कि नहीं न तो संभव है न ही ठीक. सैक्स के दौरान अकसर पार्टनर द्वारा युवती की योनि से रक्तस्राव की उम्मीद की जाती है लेकिन ज्यादातर मामलों में पाया गया है कि पहली बार सैक्स के दौरान युवती के वर्जिन होने के बावजूद उस की योनि से रक्तस्राव नहीं होता, फिर भी साथी  द्वारा यह मान लिया जाता है कि युवती पहले भी सैक्स कर चुकी है, जबकि पहली बार सैक्स के दौरान युवती की योनि से स्राव होने या न होने को उस के वर्जिन होने का सुबूत नहीं माना जा सकता, क्योंकि पहली बार में बहुत सी युवतियों को इसलिए रक्तस्राव नहीं होता, क्योंकि खेलकूद, साइकिल चलाना आदि की वजह से उन की योनि में स्थित झिल्ली कब फट जाती है उन्हें स्वयं नहीं पता चलता. इस का कारण हाइमन झिल्ली का बहुत पतला व लचीला होना है. कभीकभी युवती में जन्म के समय से ही यह झिल्ली मौजूद नहीं होती. ऐसे में पहले सैक्स के दौरान योनि से रक्तस्राव न होने के आधार पर युवती के चरित्र पर संदेह करना गलत होता है.

पहली बार सैक्स के दौरान युवक अपने साथी से उस के कुंआरी होने का सुबूत भी मांगते हैं, जबकि वह खुद के कुंआरे होने का सुबूत देना उचित नहीं समझते. इस वजह से पहला सैक्स जिसे हम वर्जिनिटी का नाम देते हैं, आगे चल कर सैक्स संबंधों में बाधा बन जाता है. युवती की वर्जिनिटी पर शक की वजह से कई तरह की गलतफहमियां जन्म लेती हैं. इस का प्रमुख कारण कुंआरेपन को ले कर लोगों से सुनीसुनाई बातें हैं.

किसी भी युवक या युवती के लिए पहली बार किए जाने वाले सैक्स का जो रोमांच होता है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह एक ऐसी स्टेज है जहां युवकयुवती एकदूसरे के सामने अपने सारे कपड़े उतारने और सैक्स को ले कर होने वाली झिझक को दूर करने की शुरुआत करते हैं. यहीं से युवकयुवती के कुंआरेपन की समाप्ति होती है और यही वह स्टेज है जहां दोनों अपनी वर्जिनिटी खोते हैं.

युवती को अपने कुंआरेपन का सुबूत देने के लिए कई तरह की परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जोकि सरासर गलत है. अगर युवती पुरुष से कुंआरे होने का सुबूत नहीं मांगती तो उसे भी चाहिए कि अपने साथी पर विश्वास करते हुए उस के कुंआरेपन पर सवाल खड़ा न करे. अकसर युवती के कुंआरेपन को ले कर घरेलू ंिहंसा व तलाक जैसी नौबत भी आ जाती है. अपने चरित्र का प्रमाण देने के लिए युवती को तमाम तरह के सुबूत पेश करने के लिए कहा जाता है.

सैक्स के दौरान वर्जिनिटी को ले कर आने वाले खून की कुछ बूंदों के प्रति पुरुषवर्ग इतना गंभीर होता है कि वह वर्षों से चले आ रहे इस दकियानूसी खयाल से बाहर आने की सोच भी नहीं सकता, जबकि अपने कुंआरेपन को गृहस्थी के बीच का मुद्दा बनाना गलत है. इसलिए युवकयुवतियों को चाहिए कि वे पहले सैक्स को यादगार बनाएं न कि वर्जिनिटी के चक्कर में पड़ कर संबंधों में दरार पैदा करें.

प्यार और भरोसे से करें शुरुआत

नीरज की अरेंज्ड मैरिज थी, अत: वह अपनी होने वाली पत्नी से कभी मिला नहीं था. ऐसे में नीरज के दोस्त शादी की पहली रात को ले कर नीरज को तमाम तरह की सलाह देने में लगे हुए थे. उस के एक दोस्त ने कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ पहली रात के सैक्स यानी सुहागरात में पत्नी के वर्जिन होने का पता लगाने के लिए योनि से रक्तस्राव होने पर जरूर ध्यान दे. अगर रक्तस्राव हुआ तो समझ ले कि पत्नी ने किसी के साथ सैक्स नहीं किया है, अगर नहीं हुआ तो वह पहले सैक्स कर चुकी है.

लेकिन नीरज ने दोस्त की इस बात पर ध्यान न दिया, क्योंकि वह जानता था कि पहले सैक्स में रक्तस्राव होना जरूरी नहीं. इस से यह पता चलता है कि वर्जिन होने के लिए सुबूत देने की जरूरत नहीं होती बल्कि पहली बार किए जाने वाले सैक्स की शुरुआत प्यार और भरोसे के साथ की जाए तो यह न केवल ज्यादा मजा देने वाला होता है, बल्कि इस से रिश्ता और भी गहरा व विश्वसनीय बन जाता है.

बातचीत है जरूरी

सैक्स व मनोरोग विशेषज्ञ डा. मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि कौमार्य खोने के पहले एकदूसरे के बारे में अच्छी तरह से जान लें, क्योंकि सैक्स आनंद के लिए किया जाता है न कि भूख मिटाने के लिए. इसलिए सैक्स को मजेदार बनाने की कोशिश करें, आपस में कामुक बातचीत की शुरुआत हो और धीरेधीरे यह बातचीत शर्म से ऊपर उठ कर सैक्स संबंध के रूप में आगे बढे़. इस तरह सैक्स का मजा दोगुना हो जाता है और पतिपत्नी के बीच शर्म का परदा भी उठ जाता है.

पहले सैक्स को ज्यादा मजेदार व यादगार बनाने के लिए वर्जिनिटी जैसे दकियानूसी खयाल से ऊपर उठ कर शारीरिक व मानसिक संतुष्टि को ज्यादा महत्त्व देना चाहिए. इस के अलावा किसी तरह की अजीबोगरीब उम्मीदें नहीं पालनी चाहिए जिन से जीवन साथी को किसी तरह की ठेस पहुंचे.

कैसी प्रेमिका की चाहत

एक सर्वे के अनुसार 51% युवा प्रेमियों को प्रेमिका की ब्यूटी, 36% को ब्रेन और 15% को प्रेमिका की ब्यूटी विद ब्रेन दोनों का कौंबिनेशन प्रभावित करता है. प्रेमी प्रेमिका की तरह अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर प्रेमिका को चुनते हैं.

आइए जानें वे क्या पसंद करते हैं अपनी प्रेमिका में :

–       युवा प्रेमी को साफसफाई का खयाल रखने वाली प्रेमिका अधिक पसंद आती है.

–       युवा प्रेमी को प्रेमिका की बौडी लैंग्वेज, बाल, आंखें, मुसकराहट भी अपनी ओर आकर्षित करती है.

–       युवा प्रेमी बहुत होनहार प्रेमिका की चाहत नहीं रखते बल्कि उन्हें हर सामान्य कार्य में रुचि रखने वाली प्रेमिका ज्यादा पसंद आती है.

–       51% युवाओं का मानना है कि उन्हें प्रेमिका की खूबसूरती के अलावा उस का केयरिंग नेचर बहुत प्रभावित करता है.

–       आत्मविश्वासी प्रेमिका युवा प्रेमी को ज्यादा पसंद आती है.

–       अकसर युवक ऐसी प्रेमिका को पसंद करते हैं जो अपना अधिकांश समय उन्हें ही दे.

–       बातबात पर इमोशनल होने वाली पे्रमिका से वे दूरी बनाने में ही भलाई समझते हैं.

–       युवा प्रेमी अकसर ऐसी प्रेमिका चाहते हैं, जो सैक्सी और कौपरेट करती हो.

कोरोना के समय ऐसे करें सेफ सेक्स

अगर कोरोना की महामारी के दौरान आपने और आपके साथी ने खुद को एकांतवास में ले लिया है तो ऐसे में आपकी सेक्स लाइफ में रोमांच लाने के कई तरीके हो सकते हैं. कोरोना वायरस के खौफ के साए में हम चेहरे पर तो हाथ का स्पर्श नहीं ले जा रहे हैं लेकिन बदन के अन्य हिस्सों को तो छुआ जा सकता है.

सेक्स सेफ है

यह बीमारी सेक्स से संक्रमित नहीं होती और न ही ऐसा कोई मामला सामने आया है कि किन्ही युगलों के बीच सेक्स के कारण इसका संक्रमण हो गया हो. यह मूल रूप से सांसों के माध्यम से गिरी बारीक बूंदों और किसी संक्रमित सतह को छूने से हो रही है.

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ओरल सेक्स से बचें

इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि कोविड-19 का संक्रमण योनी या गुदा मैथुन से हुआ हो. सेक्स के दौरान चूमना बहुत आम बात है लिहाजा इसका वायरस मुंह की लार के जरिए फैल सकता है. अगर आपका पार्टनर विदेष दौरे से लौटा/लौटी है तो उस स्थिति में चुंबन लेने से बचें! यात्रा करने के दो हफ्ते बाद ऐसा करना सुरक्षित है. कोविड-19 के ओरल-फिकल ट्रांसमिशन के भी सबूत मिले हैं, लिहाज़ा, ओरल सैक्स से बचना चाहिए.

यदि एक भी पार्टनर कोविड-19 का संदिग्ध रोगी है तो बेहतर यही होगा कि आप एक दूसरे से दूर रहे हैं और जांच के नतीजे मिलने तक अलग-अलग कमरों में ही सोएं.

स्ट्रैस रिलीवर

लेकिन अगर आपमें से किसी में भी किसी किस्म का लक्षण दिखायी नहीं दिया है और किसी संक्रमित व्यक्ति या सतह आदि के संपर्क में भी नहीं आए हैं तथा पूरे समय घर पर ही रहे हैं तो सेक्स से अच्छा और कोई तरीका आनंद लेने का नहीं हो सकता. यह तनावपूर्ण समय में बेचैनी दूर करने का सबसे बढ़िया उपाय है.

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फिलहाल यही सलाह है कि जितना हो सके घर पर रहें और रोज़मर्रा की जरूरतों का सामान खरीदने के वक़्त ही दूसरे लोगों के संपर्क में आएं. इस दौरान भी अन्य लोगों से कम से कम दो मीटर की दूरी बनाएं रखें. हालाकि इस स्थिति में कैजुअल सेक्स करना चुनौतीपूर्ण होगा!

हस्तमैथुन

किसी भी किस्म का अंतरर्वैयक्तिक संबंध तभी कायम करें जब ऐसा करना एकदम जरूरी हो. लिहाज़ा, आगामी कुछ हफ्तों में यौन संसर्ग कुछ कम हो सकता है. लेकिन यौन सुख प्राप्त करने के और भी कई तरीके हैं. जो मौजूदा हालात में उपयोगी साबित हो सकते हैं. इनमें सेक्सटिंग, वीडियो कौल, कामोत्तेजक साहित्य पढ़ना और हस्तमैथुन शामिल हैं. याद रखिये, आप अपने सबसे सुरक्षित सेक्स पार्टनर हैं. ऐसे में हस्तमैथुन बढ़िया विकल्प है और यह आपको कोविड-19 से बचाए रखेगा. ऐसे में भी हाथ धोना मत भूलिये और यदि आप सेक्स टौयज का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें भी सेक्स से पहले और बाद में 20 सेकंड अवश्य धो लें.

डा. अनूप धीर, डायरेक्टर अल्फा वन एंड्रोलॉजी ,फेलो औफ यूरोपीयन काउंसिल औफ सेक्सुअल मेडिसिन से बातचीत पर आधारित

क्या अंतरिक्ष यात्री कभी स्पेस में सेक्स करते हैं ?

हालांकि अभी तक न सिर्फ दुनिया की तमाम अंतरिक्ष कार्यक्रम एजेंसियां जैसे नासा आदि इस सवाल से बचती रही हैं बल्कि अंतरिक्ष यात्री भी अव्वल तो सीधे कभी मीडिया से टकराते नहीं रहे और अगर कभी टकराये भी तो ऐसे सवालों से कन्नी काट जाते रहे हैं. लेकिन यकीन मानिये लोगों में यह जानने की हमेशा से सहज जिज्ञासा रही है कि अंतरिक्ष में  जाने वाले महिला और पुरुष एस्ट्रोनाॅट महीनों साथ-साथ रहते हैं तो क्या इस दौरान वे एक दूसरे के साथ स्पेस में सेक्स भी करते हैं? अगर नहीं करते तो क्यों नहीं करते? क्या उनमें इस तरह की इच्छा नहीं होती या कोई और कारण है?

लेकिन ऐसे सवालों से अंतरिक्ष एजेंसियां और अंतरिक्ष यात्री दोनो ही यह कहकर कन्नी काट जाते रहे हैं कि वे अंतरिक्ष इस सबके लिए नहीं जाते, अंतरिक्ष जाने का मिशन बहुत बड़ा होता है, उस सबमें इस सबका न ख्याल आता है और न ही जरूरत महसूस होती है. लेकिन हम सब जानते हैं कि यह एक रूटीन में बोला गया झूठ है.

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सच तो यह है कि ऐसा जवाब देने वाले भी इस बात को जानते हैं कि यह झूठ है. बहरहाल इस सोशल मीडिया के दौर में तमाम अंतरिक्ष यात्री तमाम आम लोगों से भी सोशल मीडिया में जुड़े हुए और लोग उनसे ऐसे तमाम सवालों की निजी रूप से बौछार करते रहते हैं. इसलिए न सिर्फ अंतरिक्ष यात्री बल्कि अंतरिक्ष एजेंसियां भी अब इस और इस जैसे कई दूसरे सवालों का जवाब देने लगे हैं. लेकिन हम यहां सिर्फ इसी सवाल को ले रहे हैं कि क्या अंतरिक्ष यात्री स्पेस में सेक्स करते हैं?

थाॅट कंपनी डाॅट काॅम वेबसाइट में मशहूर साइंस लेखक पीएचडी, जाॅन पी मिल्स ने पिछले दिनों लिखा है कि आने वाले दिनों में इस सवाल की आवृत्ति और ज्यादा इसलिए बढ़ जायेगी क्योंकि साल 2028 और उसके बाद से तमाम स्पेस एजेंसियां लंबे-लंबे अंतरिक्ष, चांद और मंगल मिशन भेजने वाली हैं. इनमें पुरुष भी होंगे, महिलाएं भी होंगी. जाहिर है वो महीनों महीनों तक एक साथ रहेंगे, एक जगह रहेंगे, एक दूसरे को छूने की दूरी में रहेंगे. ऐसे में क्या वे कभी एक दूसरे के साथ अतंरंग होने यानी सेक्स के बाबत नहीं सोचेंगे?

चूंकि स्पेस स्टेशन में तो ऐसे मिशन सालों के लिए जाते हैं, यहां रहते हुए तो यह सहज जिज्ञासा और भी परेशान करेगी. बहरहाल अब बड़ी ईमानदारी और सहजता से न सिर्फ अंतरिक्ष एजेंसियों ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है बल्कि कई अंतरिक्ष यात्रियों ने भी व्यक्तिगत रूप से लोगों को ऐसा ही कुछ बताया है. दरअसल अंतरिक्ष में शून्य गुरुत्वाकर्षण होता है, जिसके चलते सैंद्धांतिक रूप से यह तय है कि आप ‘हुक अप’ नहीं कर सकते यानी एक दूसरे से चिपककर सेक्स नहीं कर सकते. क्योंकि अंतरिक्ष में शरीर के हर हिस्से पर खून की मौजूदगी एक सी नहीं होती. इसलिए पुरुष इंद्री में इरेक्शन संभव नहीं होता.

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हालांकि यह लिखते हुए जॉन पी मिल्स ने यह भी कहा है कि यह उनका अनुमानभर है और विज्ञान के नियम के चलते बुनियादी सच्चाई का तर्क. अगर किसी का व्यक्तिगत अनुभव कुछ और हो तो कहा नहीं जा सकता. हालांकि उनके इस चर्चित हुए लेख के बाद से अब तक किसी भी अंतरिक्ष यात्री ने उनके इस लिखे हुए का खंडन नहीं किया. लेकिन न सिर्फ लेखक जाॅन पी मिल्स बल्कि कई दूसरे सेक्सोलाॅजिस्ट और कार्डियोलाजिस्ट ने भी यही बात दोहरायी है.

भौतिक विज्ञान के नियमों के मुताबिक देखें तो सेक्स के लिए पुरुष जननांग में रक्तप्रवाह का तीव्र होना जरूरी है. चूंकि कम गुरुत्व बल के कारण अंतरिक्ष में खून पूरे शरीर में बहता ही नहीं, जैसे वह धरती में बहता है, इसलिए अंतरिक्ष में सिद्धांततः संभोग असंभव है. लेकिन सेक्स महज यौन गतिविधि भी नहीं होती, उसके कई दूसरे रूप भी होते हैं, जो कि हर हाल में संभव हैं.

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कोरोनाकाल में सेक्स करें या न करें

 डा. गौतम बंगा

सैक्स मानव समाज की मुख्य जरूरतों में से एक है जिसे नियंत्रित करना संभव नहीं. कोरोनाकाल में सैक्स को ले कर कई सवाल और अधपके तथ्य खड़े हुए हैं, जिन के सही जवाब मिलने जरूरी हैं. तो आइए जानें कोरोनाकाल में सैक्स के बारे में.

यौन संचारित संक्रमण या एसटीआई यानी सैक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फैक्शन की रोकथाम के संदर्भ में सुरक्षित सैक्स का अभ्यास करना महत्त्वपूर्ण है. संभोग करते समय यौन संचारित संक्रमण होने की आशंका होती है. आप ऐसे कदम उठा सकते हैं जो ऐसे जोखिम से बचने के लिए या उसे कम करने में कारगर साबित हों. सभी को अपने निर्णय स्वयं लेने और अपने शरीर को सुरक्षित रखने का सब से बेहतर तरीका सुनिश्चित करने का अधिकार है. हालांकि, सुरक्षित सैक्स में थोड़ा जोखिम जरूर है लेकिन कोई भी सावधानी न बरतने की तुलना में यह काफी सुरक्षित है.

सुरक्षित सैक्स का मतलब है स्वयं को और अपने साथी को एसटीडी (सैक्स ट्रांसमिटेड डिजीजेज) यौन संचारित रोगों से बचाने के उपाय करना. दूसरे शब्दों में, ऐसा यौन संबंध स्थापित करना है जिस में साथियों के बीच वीर्य, योनितरल पदार्थ या रक्त का आदानप्रदान शामिल न हो. यौन संबंध रखने की सुरक्षित प्रथाओं को अपनाना आप को स्वस्थ रखने व आप का यौन जीवन बेहतर बनाने में मददगार साबित हो सकता है.

सैक्स या यौन स्वास्थ्य जानकारी, गलत जानकारी, मिथक और इस संदर्भ की वास्तविकताओं को वर्जित सम झा जाता है और ऐसा बहुतकुछ है जिसे उजागर करने की जरूरत है. सैक्स पर लगे कलंक की वजह से लोग सैक्स या उस से संबंधित विषयों, जैसे यौन स्वास्थ्य और यौन संचारित रोगों के बारे में बात करने से बचते हैं. जब किसी संदर्भ में ढेर सारी जानकारी सर्वत्र फैली हुई हो तो सही और गलत का भेद बताना मुश्किल हो सकता है और ज्यादातर समय लोग शिकंजे में फंस कर मिथकों पर विश्वास कर लेते हैं. परिणामस्वरूप, वे अपना यौन स्वास्थ्य खो बैठते हैं और अपने समग्र स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं.

अमेरिकन सैक्सुअल हैल्थ एसोसिएशन के मुताबिक, यौनरूप से सक्रिय 2 लोगों में से एक को 25 वर्ष की आयु तक एसटीआई जरूर होगा. इस का एक प्रमुख कारण यौन स्वास्थ्य के बारे में अज्ञानता हो सकता है.

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क्या कोविड-19 यौन संचारित हो सकता है?

कोविड-19 यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) भी हो सकता है. हालांकि, संक्रमित व्यक्ति की लार सहित नाक और मुंह से निकलने वाली बूंदों के संपर्क में आने से यह विषाणु संक्रमित होता है. यह दूसरों के साथ निकट संपर्क के माध्यम से भी हो सकता है. इस का मतलब यह है कि जब आप यौन संबंध रखते हैं या किसी व्यक्ति के बहुत करीब होते हैं तो कोविड-19 से संक्रमित होने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. इसीलिए अगर आप या आप के साथी में कोविड-19 के लक्षण हों, जैसे बुखार, सूखी खांसी, थकान, स्वाद या गंधग्रहण की क्षमता में कमी तो आप को एकदूसरे के बीच 14 दिनों तक दूरी बनाए रखनी चाहिए ताकि विषाणु का संक्रमण न हो सके. इस अंतराल में आप को यौन संबंध बनाने या शारीरिक रूप से करीब आने, जैसे चुंबन या आलिंगन देने जैसी क्रियाओं से दूर रहना चाहिए.

क्या कोविड-19 से संक्रमित 2 लोगों का यौन संबंध रखना सुरक्षित है?

ऐसे समय में जब आप के साथी का सौहार्द और उस की सोहबत आप के दिल का बो झ हलका करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं तब यह भी खयाल रहे कि यौन संबंध रखने से कोविड-19 संक्रमण का खतरा हो सकता है. कोरोना विषाणु शायद यौन संचारित रोग हो भी, लेकिन अपने साथी के करीब जाने पर यह निश्चितरूप से संक्रमित कर सकता है. लेकिन अगर आप अपने साथी के साथ ही रह रहे हैं और आप दोनों में ऐसे कोई लक्षण नहीं हैं तो आप संबंध रख सकते हैं. लेकिन अगर दोनों में से एक साथी भी बाधित, लेकिन लक्षणहीन है, तो यौन संबंध कम से कम 14 दिनों तक नहीं बनाए जाने चाहिए. आदर्श रूप से यह सलाह दी जाती है कि कोविड से संक्रमित लोगों को आपस में यौन संबंध नहीं रखने चाहिए लेकिन अगर वे फिर भी ऐसा करना चाहते हैं तो उन्हें सुरक्षा के सारे नियमों का पालन करना चाहिए.

कोविड-19 महामारी के माहौल में सुरक्षित यौन संबंध कैसे रखें?

कोविड-19 नैगेटिव वाले 2 लोगों के बीच यौन संबंधों को सुरक्षित माना गया है, हालांकि कुछ एहतियाती कदम उठाने से संक्रमण का खतरा और भी कम हो सकता है. सैक्स के दौरान कंडोम या डैंटल डैम का इस्तेमाल करें. यौन संबंध रखने का सब से सही समय तब है जब दोनों साथी कोविड-19 से पूरी तरह नजात पा चुके हों. संबंध रखने के लिए कोविड-19 से संक्रमित होने के कम से कम 2 हफ्तों बाद तक रुकना चाहिए. सैक्स के बाद नहाना और शरीर के अंगों की अच्छी तरह से सफाई करने से कोरोना संक्रमण का खतरा और कम किया जा सकता है.

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क्या कोविड-19 से नपुंसकता हो सकती है?

एक हालिया इतालवी अध्ययन (वेबएमडी) से पता चला है कि कोविड-19 की वजह से स्तंभन दोष (इरैक्टाइल डिसफंक्शन या ईडी) के उत्पन्न होने का जोखिम लगभग 6 गुना बढ़ जाता है. कोविड-19 के संक्रमण को बढ़ाने वाले मधुमेह, मोटापा और धूम्रपान ईडी के लिए भी जिम्मेदार साबित हो सकते हैं. डेटा अनुमानों के अनुसार, कोरोना से संक्रमित हुए पुरुषों में स्तंभन दोष (ईडी) उत्पन्न होने के आसार 5.66 गुना बढ़ जाते हैं. यह समस्या अल्पकालिक या दीर्घकालिक भी हो सकती है.

हालांकि, स्तंभन दोष से पुरुष बाधित होते हैं और इसे ‘पुरुषों वाली’ समस्या के रूप में देखा जाता है लेकिन संबंधों में मौजूद महिला पर भी इस का असर पड़ता है. एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार,

56 प्रतिशत पुरुष अपने संबंधों को सुधारने के लिए अपने साथियों के साथ स्तंभन दोष के बारे में चर्चा करना पसंद करते हैं जबकि स्तंभन दोष से नजात पाने के लिए अगर उन का साथी कोई कदम नहीं उठाता तो 28 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी से अलग होना पसंद करती हैं.

(लेखक सैंटर फौर रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलौजी एंड एंड्रोलौजी, दिल्ली में रिकंस्ट्रक्टिव यूरोलौजिस्ट एंड एंड्रोलौजिस्ट हैं.)

जीवन की मुसकान

बात बहुत पुरानी है. मेरी दीदी के दो बच्चे बौबी एवं सीमा बेंगलुरु के  एक कौन्वेंट स्कूल में क्लास फर्स्ट एवं सेकंड में पढ़ते थे. एक बार रिसेस होने पर दोनों बच्चे पानी पीने नल पर गए. वहां बौबी का पैर फिसलने के कारण वह पानी से भरे टैंक में जा गिरा. सीमा ने देखा बौबी पानी में गिर गया है, घबरा कर उसे निकालने के लिए वह भी तुरंत पानी में कूद गई. यह देख आसपास खड़े उन के साथी बच्चे जोरजोर से रोने लगे.

यह घटना दूसरी मंजिल पर पढ़ रहे सातवीं क्लास के बच्चे रौबर्ट चौधरी ने देखी. वह एक पल भी गंवाए बिना ‘फादर हैल्प, फादर हैल्प’ चिल्लाता हुआ क्लास के बाहर दौड़ पड़ा एवं पानी से भरे टैंक में कूद पड़ा.

उस की आवाज सुन कर सब क्लास के बाहर उस के पीछेपीछे दौड़े. हालांकि रौबर्ट भी छोटा बच्चा था परंतु उसे तैरना आता था. सब की मदद से उस ने बौबी और सीमा दोनों को बाहर निकाला.

दोनों बच्चों का पेट दबा कर उन्होंने पानी निकाला एवं डाक्टर को बुलाया.

सब ठीकठाक होने पर फादर ने सीमा से पूछा, ‘‘आप स्वयं टैंक में क्यों कूद गईं. अगर भैया पानी में गिर गया था तो आप को सिस्टर को बताना था जो आप की क्लास की मेम थी.’’

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‘‘फादर, अगर मैं भैया को टैंक से बाहर नहीं निकालती, तो पापा मुझे मारते. सौरी फादर…’’ नन्ही सी सीमा की बातें सुन कर फादर का दिल भर आया और वे चुप हो गए. कुछ देर बाद फादर ने रौबर्ट की पीठ ठोक कर कहा, ‘‘आय एम प्राऊड औफ यू माय बौय. तुम्हारे कारण एक बड़ा हादसा होने से टल गया.’’

इस के बाद मेरे जीजाजी को स्कूल बुलाया गया. सारी घटना जान कर जीजाजी की आंखें भर आईं. उन्होंने रौबर्ट को सीने से लगा लिया और कहा, ‘‘आज स्कूल को आप के जैसे बच्चे की आवश्यकता है. इतने छोटे होने के बावजूद भी आप ने बहुत बड़ा काम कर के दिखाया.’’

‘‘अंकल, यह तो मेरा फर्ज था,’’ रौबर्ट ने जवाब दिया.’’ उस की बात सुन कर जीजाजी ने एक बार फिर उसे सीने से लगा लिया एवं उसे पुरस्कृत भी किया.

भीगी पलकों के साथ जीजाजी के चेहरे पर जीवन की मुस्कान लौट आई थी. उन्होंने स्कूल में सभी को धन्यवाद दिया एवं अपने दोनों मासूमों को ले कर खुशीखुशी घर आ गए. यह घटना हमारे लिए अविस्मरणीय है.

हमारी यौन कुंठा का कारण- बॉडी नहीं, बॉडी इमेज होती है

आइये आपको संजना और श्वेता का किस्सा सुनाते हैं. मगर रुकिये, संजना और श्वेता न तो बहनें थीं, न घनिष्ठ सहेलियां. इन्हें तो एक-दूसरे के वजूद के बारे में भी कुछ पता नहीं था. ये तो हम इनका दो पात्रों के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. खैर आगे बढ़ते हैं. इन दोनों लड़कियों में कुछ बातें बिल्कुल एक जैसे थी, कुछ एक दूसरे से अलग. पहली जो बात एक जैसे थी, वह यह कि ये दोनों मोटी थीं. कुछ ज्यादा मोटी कि चाहे तो आप बेडौल भी कह सकते हैं. लेकिन इस मोटोप के अलावा इनमें सब कुछ एक दूसरे से बिल्कुल अलग था. संजना गहरे सांवले रंग की थी, तो श्वेता अपने नाम की ही तरह गोरी. श्वेता के जहां नाक-नक्श तीखे और आकर्षक थे, वहीं संजना की नाक मोटी थी, आंखें छोटी थी और होंठ भी मोटे. मतलब यह कि मजाक उड़ाने के लिए व्यंग्य में जो कुछ भी कहा जा सकता था, संजना उन सबकी मालकिन थी.

सिर्फ इन दोनों लड़कियों के व्यक्तित्व में ही फर्क नहीं था, उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि भी एक दूसरे से भिन्न थी. श्वेता के पिता एक मध्यम दर्जे के के सरकारी मुलाजिम थे. वेतन कम तो नहीं था, लेकिन एक जमाने में उसके मुकाबले सपने इतने बड़े थे कि इस वेतन से कभी वो संतुष्ट ही नहीं हुए. श्वेता की मां भी किसी चिड़चिड़ी गृहिणी का जीता जागता किरदार थी, शायद उसमें ये चिड़चिड़ापन श्वेता के मोटापे को लेकर बनी असुरक्षा से ही पैदा हुआ था. उसे श्वेता तो फूटी आंख भी नहीं सुहाती थी, कारण कि उसे लगता था उसकी कभी शादी नहीं होगी.

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दूसरी तरफ संजना की पृष्ठभूमि बिल्कुल अलग थी. संजना अपने माता-पिता की दो संतानों में एक थीं. उसका छोटा भाई अपने में मस्त रहने वाला खुशमिजाज लड़का था. मां स्कूल में पढ़ाती थी और पिता एक प्राइवेट कंपनी में प्रोडक्शन मैनेजर थे. घर में पढ़ने लिखने के साथ-साथ जागरूकता का माहौल था. संजना के मम्मी पापा ने बचपन से लेकर जवानी तक उसे कभी यह एहसास दिलाने की कोशिश नहीं की थी कि मोटापा उसके भावी वैवाहिक जीवन के लिए अशुभ है बल्कि उसे हमेशा इस बात के लिए प्रेरित किया था कि वह अपनी मोटापे पर सोचने की जगह अपने अंदर तमाम गुण विकसित करे और संजना ने ऐसा ही किया था. श्वेता की हीनभावना और उसके परिवार का उसे लेकर असुरक्षाबोध ने जहां उसके दिल दिमाग में ऐसा दबाव बनाया कि वह 12वीं के आगे पढ़ ही न सकी. वहीं संजना ने न सिर्फ कौलेज से मास्टर डिग्री हासिल की बल्कि वह हमेशा लीडर की तरह रही.

परिवार के वातावरण के चलते संजना में गजब का आत्मविश्वास था. अगर कभी किसी ने उसके मोटापे को लेकर कोई ताना मारा तो वह पलटकर ऐसा करारा जबाव देती कि मजाक करने वाले को दोबारा ऐसे मजाक के नाम से भी घबराहट होती. घर के माहौल से मिले आत्मविश्वास के कारण संजना ने अपनी काया को हमेशा ऐसे सकारात्मक नजरिये से देखा कि उसे कभी सपने भी इस सुरक्षाबोध ने नहीं दबोचा कि उसकी शादी नहीं होगी. दूसरी तरफ न सिर्फ श्वेता इस असुरक्षा से बल्कि उसके मां-बाप भी हर समय इसी असुरक्षाबोध से ग्रस्त रहते कि उनकी लड़की से भला कौन शादी करेगा. बहरहाल जिंदगी ने फिर सबक देने वाला खेल खेला. दोनो लड़कियों की शादी हुई. दोनों के लिए ही लड़के उनके मां-बाप ने चुने थे. संयोग से श्वेता और संजना दोनो को ही उनकी उम्मीदों से ज्यादा बेहतर वर मिले. श्वेता का पति सर्वगुण संपन्न एक बड़ी कंपनी में इंजीनियर था, तो संजना का पति भी हंसमुख, उसी की तरह आत्मविश्वास से लबालब एक सरकारी विभाग में हेड क्लर्क था. लड़कियों के विपरीत दोनो ही लड़के सामान्य वजन के थे और आश्चर्यजनक ढंग से अपनी पत्नियों को लेकर खुश थे. दोनो में से किसी को पत्नियों के मोटापे को लेकर कोई समस्या नहीं थी.

संजना के तो जीवन में चार चांद लग गये. शादी के रात से ही दोनों में ऐसी बनी कि लोग उन्हें दो जिस्म, एक जान कहने लगे. लेकिन श्वेता यहां भी अपने असुरक्षाबोध के चलते परेशान ही रही. संजना ने जहां अपनी सुशिक्षित मां के मार्गदर्शन में अपने भावी वैवाहिक जीवन की तैयारियां की थीं और सेक्स को उसने एक विज्ञान की तरह लिया था, वहीं श्वेता ने हर समय इसे डर और दहशत के रूप में अपने दिल दिमाग में पाला था. संजना ने जहां अपने मोटे होने की समस्या को यौन जीवन में आड़े नहीं आने दिया, वह जब भी अपने पति से अगतंरंग हुई, खुलकर हुई और जो समस्याएं आयीं उनके विकल्प ढूंढ़ लिये. वहीं श्वेता ने छप्पर फाड़कर मिली खुशी को भी मन ही मन घुलने वाले दुख में बदल दिया. श्वेता के मन में अपने मोटापे को लेकर मौजूद हीनग्रंथियों ने उसके पति की तमाम अच्छाईयों, संवेदनशीलता को भी बेमतलब कर दिया. श्वेता के पति का उसके मोटापे से कोई समस्या नहीं थी. उसने एक बार भी मोटापे के चलते उसके प्रति आकर्षित न हुआ हो, ऐसा कभी नहीं हुआ. उसने हमेशा बिस्तर में अपने से ज्यादा श्वेता का ख्याल रखा. श्वेता के प्रति उसके पति में पूर्ण समर्पण था. लेकिन श्वेता ने कभी बिस्तर में खुशी ही नहीं जतायी. हमेशा उसका मूड थका थका बिगड़ा बिगड़ा रहा. भले वह पति से कभी लड़ी न हो, लेकिन धीरे धीरे दोनो के बीच सेक्स दहशत का विषय बन गया.

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श्वेता के मन में कभी यौन उत्सुकता ही नहीं जगी.  अपनी बौडी को लेकर हीनभावना ने हमेशा उसे डरा डरा, बुझा बुझा रखा. वह जब भी बाथरूम में होती शीशे में अपने आपको देखकर कहती ‘तुझे कोई प्यार नहीं करता’, तुझे तो खुश करने के लिए समर्पण की भीख दी जा रही है’. मतलब यह कि उसने अपने पति के सारे अच्छे व्यवहार को भी शून्य कर दिया. जबकि हकीकत यह थी कि श्वेता का पति सचमुच उसकी तमाम खूबियों पर मोहित था. उसके दिमाग में कभी मोटापे की बात आती नहीं थी. वह तो उसके गोरे बदन, चमकती त्वचा, तीखे नाक-नक्श और उसकी सुरीली आवाज पर फिदा था. लेकिन वह उसे अपने व्यवहार से कभी खुश ही नहीं कर सका. अंत में उसे श्वेता को यौन मनोचिकित्सक के पास ले जाना पड़ा और करीब एक साल की थैरेपी के बाद श्वेता अपने जीवन में वह सब पा सकी जो पहले से ही मौजूद था.

दो स्थूलकाय लड़कियों की यह कहानी हमें बताती है कि हमारे यौन जीवन की सफलता में काया से ज्यादा काया के प्रति हमारी धारणाओं में निहित. दरअसल हम सेक्स और काया का कुछ ज्यादा ही रिश्ता जोड़ते हैं. जबकि ऐसा कुछ होता नहीं. वास्तव में काया के प्रति हमारी यह धारणा जिसे मनोवैज्ञानिक बौडी इमेज कहते हैं, यह हमारे अपने, हमारे इर्दगिर्द के लोगों और उस समाज की बनायी हुई होती है, जहां हमारी परवरिश होती है. हकीकत में इसका यौन जीवन की बाधाओं से कोई लेना देना नहीं है. हमारे रूप, रंग और मोटे, पतले का हमारे सेक्स लाइफ से उतना ज्यादा रिश्ता नहीं है, जितना बौडी इमेज की धारणा से है. सकारात्मक ‘बौडी इमेज’ हमें सुख और सफलता देती है और नकारात्मक ‘बौडी इमेज’ हमारी सुख और सफलताओं को भी दुख और असफलताओं में बदल देती है. अपनी काया को आप अपनी नजरों में कितनी खूबसूरत देखती हैं या कितना बदसूरत समझती हैं कि इस बात से ही हमारी खुशी और हमारे यौन जीवन के आनंद का रिश्ता होता है.

यौन विशेषज्ञों का मानना है कि यौन संतुष्टि का रिश्ता सांचे में ढले बदन या दूध जैसी रंगत से नहीं होता बल्कि हमारी सोच से होता है. ऐसा होता तो यूरोप के बाहर की लड़कियां कभी खुश ही नहीं होतीं, विशेषकर अफ्रीकन लड़कियां क्योंकि वो तो काली भी होती हैं, मोटी भी होती हैं और कई देशों में बहुत दुबली भी होती हैं. मगर अमरीका में 35 फीसदी से ज्यादा मौडल अश्वेत हैं, चाहे वह लड़कियां हों या लड़के. अनेक मोटे नाक-नक्श वाली अफ्रो-अमरीकी लड़कियों को पूरे आत्मविश्वास के साथ सौंदर्य प्रतियोगिताओं में शामिल होते देखा जा सकता है. इनमें लबलबाता हुआ आत्मविश्वास उनके हर अंदाज से झलकता है. अमरीका की विश्व प्रसिद्ध टीवी प्रेेजेन्टर ओपरो विनफ्रे को ही देख लीजिए अगर हम सुंदरता के पारंपरिक पैमाने पर परखें तो उसकी दशा एक ऐसी मोटी, भद्दी और काली लड़की की होनी चाहिए, जो अपनी ‘असुंदरता’ के कारण हीनभावना से ग्रस्त होकर घर के से निकलते हुए घबराए. जबकि ओपरा के लिए पुरुषों की दीवानगी का एक जमाने में आलम यह रहा है कि जाने कितने करोड़पति युवकों ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा और ओपरा ने उन्हें ठुकरा दिया.

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कुछ लोग अपने मोटापे के कारण विपरीत लिंगियों के समक्ष हीनभावना के एहसास से ग्रस्त रहते हैं, तो कुछ लोगों की यही परेशानी उनके जरूरत से ज्यादा दुबलेपन के कारण रहती है. कोई लड़की अपने छोटे कद को लेकर अपने आपको पुरुष के योग्य नहीं मानती, तो कोई युवक अपने भद्दे नाक-नक्श के आधार पर यह मान बैठता है कि कोई लड़की उससे अपनी खुशी से शादी करना नहीं चाहेगी. ये सब एक नकारात्मकता के कारण जमीनी सच्चाई से वे अपना संबंध तोड़ बैठते हैं. उपरोक्त सारे तथ्यों को गहराई से देखें तो इनका आपके जीवन विशेषकर यौन जीवन से कोई विशेष फायदा या नुकसान नहीं होता. अगर आप (स्त्री या पुरुष) साधारण चेहरे-मोहरे वाले हैं, अगर आपकी कद-काठी आदर्श कही जा सकने के योग्य नहीं है या अगर आपने जीवन के मैदान में कोई बड़ा तीर नहीं मारा है, तो इस बात को लेकर नकारात्मक ‘बौडी इमेज’ बनाने की जरूरत बिल्कुल नहीं है. आपका साधारण, काला, मोटा या अत्यधिक दुबला होना यौन जीवन के लिए कोई बाधा नहीं है.

कोरोनावायरस: यौन संबंध बनाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

सैक्स में खुलापन जरूरी है. जितना इसे मन के अंदर दबाएंगे उतना ही यह उभर कर सामने आएगा. लेकिन सैक्स भी अब संभल कर करना होगा. सैक्स करने से पहले अपने को तैयार करना जरूरी होता है. लेकिन सैक्स के बाद भी आप को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. उन में सब से अहम है सैक्सुअल आइसोलेशन. अकसर हमारे देश में अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में लोग नहीं सोचते. आइसोलेशन का महत्त्व नहीं समझते. उन का ध्यान उस तरफ नहीं जाता, क्योंकि ये बातें बचपन में भी नहीं सिखाई जातीं. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. ऐसे में आप को सैक्सुअली आइसोलट होना बहुत जरूरी है. पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी की चपेट में है. सोशल डिस्टैंसिंग पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में सैक्स करते समय कैसे सुरक्षित रहें इस पर ध्यान देने की जरूरत है. अगर मैं सैक्स करता हूं तो क्या मुझे कोरोना हो जाएगा? आप के जेहन में यह बात कई बार आई होगी, लेकिन आप शर्मिंदगी के डर से यह पूछ नहीं पा रहे हैं तो आइए हम आप को बताते हैं कि कैसे बचें कोरोना से सैक्स करते समय.

रिलेशनशिप पर असर

अगर आप रिलेशनशिप में हैं और किसी शख्स के साथ रह रहे हैं तो थोड़ी दूरी बना कर रहिए. अगर आप में से किसी को भी कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं तो अपने को आइसोलेट कर लेना चाहिए. इस में पार्टनर को बुरा नहीं मानना चाहिए. इस से दोनों सुरक्षित रहेंगे. ध्यान रहे सैक्स का मजा तभी ले पाएंगे जब आप बचे रहेंगे.

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किस पर पाबंदी लगाएं

अब आप को किस करने से पहले सोचना पड़ेगा. पहले तो किस को प्यार की निशानी माना जाता था. लेकिन अब यह एक भयानक बीमारी का रास्ता भी हो सकता है. इस का मतलब यह नहीं कि आप किस करें ही न. किस करें लेकिन वो सांकेतिक होना चाहिए. हां अगर आप में खांसीजुकाम के लक्षण दिखाई देते हैं और आप जानते हैं कि आप ने हाल में ही किसी को किस किया है तो आप को उन्हें यह बात बता देनी चाहिए. अगर आप ने किसी ऐसे को किस किया है जिस में अब लक्षण दिख रहे हैं तो आप को खुद को सैल्फ आइसोलेशन में डाल लेना चाहिए. अगर आप किसी के जननांग छूते हैं तो यह मुमकिन है कि आप ने उसे किस भी किया हो. आप को मालूम है कि यह वायरस सलाइवा से फैलता है. अत: किस करना जोखिम भरा है. ऐसे में जिस पार्टनर के साथ आप रह नहीं रहे हैं उन के साथ कौंटैक्ट मत रखिए.

अच्छी सैक्स लाइफ जीएं

इस महामारी ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक अच्छी सैक्स लाइफ क्या है. इस बीमारी के कारण जो लोग आइसोलेशन में हैं वे इस मौके और दूरी का फायदा उठा रहे हैं. वे क्रिएटिव हो गए हैं. अगर आप और आप के पार्टनर को एक ही घर में आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है तो इस दौरान आप अपने पार्टनर के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं. एकदूसरे की पसंदनापसंद को समझ सकते हैं. दूर रहिए लेकिन दिल को जोड़े रखिए.

इंटर कोर्स में सावधानी बरतें

कोरोना किसी को पहचानता नहीं. वह तो बस एक रास्ता खोजता है. इंटरकोर्स की वजह से किसी भी तरह के इंफैक्शन का खतरा न रहे इस के लिए आप को सतर्क रहना पड़ेगा. यानी साफसफाई से जुड़ी कुछ बातों को अपनी आदत में शुमार कर लेना चाहिए. सैक्स लाइफ में सैक्सुअल हाइजीन उतनी ही जरूरी है जितना कि हमारे जीवन में साफसफाई. एक सेहतमंद दांपत्य जीवन के लिए यौन संबंधों से पहले और बाद में सफाई रखना जरूरी है. अकसर लोग सैक्सुअल हाइजीन के बारे में कम ही ध्यान देते हैं जिस से यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफैक्शन का खतरा दोनों ही पार्टनर को बना रहता है. इसलिए साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. सैक्स के बाद आप दोनों को कितनी ही नींद क्यों न आ रही हो लेकिन अगर आप हाइजीन से समझौता करेंगे तो आप को इंफैक्शन होने की आशंका बढ़ जाएगी. यहां यह भी ध्यान देना होगा कि आप को या आप के पार्टनर को सर्दीजुकाम तो नहीं हुआ है. ऐसे में आप को आइसोलेट करना ही होगा क्योंकि थोड़े से मजे के लिए जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते.

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सैक्सुअल वाशिंग

सैक्स से पहले और सैक्स के बाद अच्छी तरह से हैंड वाश करना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि बैक्टीरिया और कीटाणु आमतौर पर हमारे हाथों से ही फैलते हैं. सैक्स के दौरान अकसर हम अपना या पार्टनर का जैनिटल एरिया पेनिट्रेट करने के लिए हाथों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अगर आप के हाथ गंदे होंगे तो प्राइवेट पार्ट में बैक्टीरिया ट्रांसफर होने का खतरा बना रहेगा. लिहाजा सैक्स से पहले और इंटरकोर्स के बाद हाथों को अच्छी तरह से रगड़ कर करीब 20 सैकेंड तक साफ करें. यौन संबंध बनाने से पहले और बाद में अपने जननांगो को अच्छी तरह साफ जरूर करें.

संक्रमित प्राइवेट पार्ट

सैक्स के बाद अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करना भी बेहद जरूरी है. किसी भी तरह के बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि इंटरकोर्स के बाद पानी से प्राइवेट पार्ट की सफाई की जाए. आप चाहें तो पानी के साथ माइल्ड साबुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन अगर आप की स्किन सैंसिटिव है तो आप को इरिटेशन की समस्या हो सकती है. प्राइवेट पार्ट की सफाई के लिए फैंसी लोशन या परफ्यूम का इस्तेमाल करने की बजाए कुनकुने पानी से इसे धोएं. पार्टनर संग इंटरकोर्स के बाद जब आप बाथरूम में क्लीनिंग के लिए जाएं तो टौयलेट करना न भूलें. इस का मकसद यह है कि आप का ब्लैडर खाली होना चाहिए क्योंकि अगर सैक्स के दौरान किसी तरह का बैक्टीरिया आप के यूरेथा तक पहुंच गया होगा तो टौयलेट के दौरान वह शरीर से बाहर निकल जाएगा. सैक्स के बाद एक गिलास पानी पी कर मन को शांत कर सकते हैं.

कौंडम ही बचाव है

कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों में लौकडाउन है. कौंडम बनाने वाली कंपनियां भी इस से अछूती नहीं हैं. ऐसे में कौंडम की सप्लाई कम हो रही है दुनियाभर में इस की भारी कमी हो गई है, जिस से बाजार में लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है. अगर आप भी इस स्थिति से गुजर रहे हैं तो कामेच्छा पर काबू रखें. लाइफ पार्टनर से खुल कर इस विषय पर बात करें. दोनों मिल कर रास्ता ढूंढ़ें. अगर आप सैक्सुअल अर्ज को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो वह कई तरह से इस पर नियंत्रण पाने में आप की मदद कर सकती हैं. अपने विचारों पर काबू करने की कोशिश करें. हर बार यौन संबंधों के बारे में सोचेंगे तो आप की कामेच्छा को काबू करना नामुमकिन हो जाएगा. बेहतर यही है कि जब भी ऐसा कोई खयाल आए तो दिमाग को तुरंत किसी और थौट की ओर डायवर्ट करने की कोशिश करें. सैक्सुअल ऊर्जा को किसी क्रिएटिव कार्य में लगा दें. रोमांस और प्यार का मतलब सिर्फ यौन संबंध ही नहीं होता है.

मोटे पुरुष और महिला दूर ही रहें

कुछ दिनों पहले हुई एक स्टडी से पता चलता है कि पुरुष जिन का वजन अधिक होता है वे ज्यादा सैक्स करते हैं. ऐंगलिया रस्किन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं ने ब्रिटेन के करीब 5 हजार सैक्सुअली ऐक्टिव पुरुषों का विश्लेषण किया है और फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि मोटे पुरुष, दुबलेपतले पुरुषों की तुलना में ज्यादा सैक्स करते हैं. सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी यही बात देखने को मिली. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओवरवेट महिलाओं ने भी कम वजन वाली महिलाओं की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा सैक्स किया. कोरोना के प्रकोप से बचे रहें इसलिए मोटे लोग सैक्स विचारों से बचें.

संगृहीत नहीं होता वीर्य, इसके तमाम पहलुओं को युवाओं को समझना जरूरी है

आलोक के सासससुर व मातापिता परेशान हो गए. आलोक की बीवी उस के घर आने को तैयार नहीं थी. उसे बहुत समझाया, मगर वह मानी नहीं. इस की पूरी पड़ताल की गई. तब सचाई का पता चला कि आलोक अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी करने से दूर भागता था, इस कारण उस की बीवी उस के पास रहना नहीं चाहती थी.

आलोक के दोस्तों से बात करने पर पता चला कि आलोक अपनी ताकत नहीं खोना चाहता था. इस कारण वह अपनी बीवी से दूर भागता था.

उस का कहना था, ‘‘वीर्य बहुत कीमती होता है. उसे नष्ट नहीं करना चाहिए. इस के संग्रह से ताकत बढ़ती है.’’ यह जान कर आलोक के मातापिता ने अपना सिर पीट लिया.

ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिन में हमें इस बात का पता चलता है कि यह भ्रम कितनी व्यापकता से फैला हुआ है, इस भ्रम की वजह से कई खुशहाल परिवार उजड़ जाते हैं. इन उजड़े हुए अधिकांश परिवारों के व्यक्तियों का मानना होता है कि वीर्य संगृहीत किया जा सकता है. क्या इस के संग्रह से ताकत आती है? क्या वाकई यह भ्रम है या यह हकीकत है. हम यहां इस को समझने का प्रयास करते हैं.

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आलोक के मातापिता समझदार थे. वे आलोक को डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर यह सुन कर मुसकराया. उन्होंने आलोक से कहा, ‘‘तुम्हारी तरह यह भ्रम कइयों को होता है.’’

डाक्टर ने आलोक को कई उदाहरण दे कर समझाया तब उस की समझ में आया कि उस ने वास्तव में एक भ्रम पाल रखा था, जिस के कारण उस का परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया था. उस के परिवार और उस की खुशहाल जिंदगी को डाक्टर साहब और उस के मातापिता ने अपनी सूझबूझ से बचा लिया. नतीजतन, वह आज अपनी बीवी और 2 बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है.

शरीर विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान के अपने नियम हैं. उन के अपने सिद्धांत हैं. वे उन्हीं का पालन करते हैं. नियम कहता है कि वीर्य को संगृहीत नहीं किया जा सकता है. जिस तरह एक भरे हुए गिलास में और पानी नहीं भरा जा सकता है वैसे ही वीर्यग्रंथि में एक सीमा के बाद और वीर्य नहीं भरा जा सकता है. यदि शरीर में वीर्य बनना जारी रहा तो वह किसी न किसी तरह शरीर से बाहर निकल जाता है.

वीर्य का गुणधर्म है बहना

वीर्य शरीर से बहने और बाहर निकलने के लिए शरीर में बनता है. वह किसी न किसी तरह बहेगा ही. यदि आप हमबिस्तरी कर के पत्नी के साथ आनंददायक तरीके से बहा दें तो ठीक से बह जाएगा, यदि ऐसा नहीं करोगे तो वह स्वप्नदोष के जरिए बह कर निकल जाएगा.

वीर्य का कार्य प्रजनन चक्र को पूरा करना होता है. बस, वहीं उस का कार्य और वही उस की उम्र होती है. उस में उपस्थित शुक्राणु औरत के शरीर में जाने और वहां अंडाणु से मिल कर शिशु उत्पन्न करने के लिए ही बनते हैं. उन की उम्र 2 से 3 दिन के लगभग होती है. यदि उस दौरान उन का उपयोग कर लिया जाए तो वे अपना कार्य कर लेते हैं अन्यथा वे मृत हो जाते हैं.

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मृत शुक्राणु अन्य शुक्राणु को मारने का काम भी करते हैं. इसलिए इस को जितना बहाया जाए, शरीर में उतने स्वस्थ शुक्राणु पैदा होते हैं. शरीर मृत शुक्राणुओं को शरीर से बाहर निकालता रहता है. इस से शरीर की क्रिया बाधित नहीं होती है.

शरीर को ताकत यानी ऊर्जा वसा और कार्बोहाइड्रेट से मिलती है. हम शरीर की मांसपेशियों को जितना मजबूत करेंगे, हम उतने ताकतवर होते जाएंगे. यही शरीर का गुणधर्म है. इसी वजह से शारीरिक मेहनत करने वाला 40 किलो का एक हम्माल 100 किलोग्राम की बोरी उठा लेता है जबकि 100 किलोग्राम का एक व्यक्ति 40 किलोग्राम की बोरी नहीं उठा पाता. इसलिए यह सोचना कि वीर्य संग्रह से ताकत आती है, कोरा भ्रम है.

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