गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करने का मन करता है, उसे कैसे मनाऊं?

सवाल

मैं कालेज में पढ़ने वाला युवक हूं. इसी कालेज में एक लड़की से मेरी मुलाकात हुई. धीरेधीरे हम दोनों एकदूसरे के करीब आने लगे. हम दोनों एकदूसरे को प्यार भी करने लगे. अब उसे इस कदर चाहने लगा हूं कि उस के साथ सैक्स करना चाहता हूं. मैं उसे सैक्स के लिए किस तरह राजी करूं?

जवाब

अगर आप अपनी गर्लफ्रैंड के साथ सैक्स करना चाहते हैं तो यह आप की इच्छा है लेकिन इस के लिए अपनी गर्लफ्रैंड की राय भी आप को जान लेनी चाहिए कि क्या वह भी आप के साथ सैक्स करने को इच्छुक है?

आप दोनों ही रिलेशन में हैं और युवकयुवती हैं. इसलिए सैक्स का होना एक आम बात है मगर यह आपसी रजामंदी से हो तभी ठीक है। लेकिन आप की परेशानी यह है कि आप अपनी गर्लफ्रैंड को सैक्स के लिए कैसे मनाएं.

  • किसी भी युवती को सैक्स के लिए मनाने से पहले उस पर अपना भरोसा बनाएं. उसे हर बात की पहले जानकारी दें कि इस तरह या ऐसे करने से सैक्स होता है.
  • आप उसे कंडोम की जानकारी दें क्योंकि हो सकता है कि उसे इस बात की जानकारी न हो या फिर उसे डर हो कि सैक्स के बाद वह असमय प्रैगनैंट न हो जाए.
  • अलबत्ता, भरोसा जीतने के साथसाथ आप उस की बातों पर गौर करें कि वह क्या चाह रही है, उस के अंदर आप के लिए फीलिंग्स है या नहीं. इस तरह आप जान पाएंगे कि आप की गर्लफ्रैंड सैक्स करना चाहती है या नहीं क्योंकि रिलेशनशिप में किसी भी तरह की जोरजबरदस्ती करना बेकार है.
  • सैक्स के लिए यह भी जरूरी है कि अभी आप चोरीछिपे ही इस का आनंद उठाएं और भूल कर भी किसी तीसरे को जानकारी नहीं लगने दें। एक गर्लफ्रैंड इस शर्त पर भी सैक्स के लिए राजी होती है जब उसे यकीन हो जाता है कि बौयफ्रैंड इस की भनक किसी को नहीं चलने देगा. अकसर लड़के खुशीखुशी में बात को अपने रिश्तेदारों या दोस्तों से शेयर कर बैठते हैं, जो बिलकुल गलत है.
  • भरोसा, विश्वास और मजबूत संबंध के बावजूद भी अगर आप की गर्लफ्रैंड सैक्स के लिए राजी नहीं होती तो भूल कर भी जोरजबरदस्ती न करें. रिलेशनशिप को समय दें और यह अपनी गर्लफ्रैंड पर छोङ दें.

फिलहाल, बेहतर तो यही होगा कि दोनों पढ़ाई पर ध्यान दें और कैरियर बनाएं. इस के बाद ही अपनी लव लाइफ पर ध्यान दें. फिजिकल होना बेकार नहीं है, यह कुदरत का दिया एक अनमोल उपहार है और एकदूसरे के कनैक्शन को मजबूत करता है. लेकिन आप की गर्लफ्रैंड के लिए यह इमोश्नली बड़ा घातक है क्योंकि लड़कियां भावुक होती हैं और ज्यादा भावुक हो कर किसी से कुछ शेयर नहीं करतीं. उन्हें डर रहता है कि कहीं बात न फैल जाए.

इसलिए कालेज के दौरान आप पढ़ाई पर ध्यान दें. एकदूसरे के साथ रहें और कैरियर को पीछे छोड़ कर प्यार में न पड़ें.

अगर आप की भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सच्ची सलाह के लिए कैसी भी परेशानी टैक्स्ट या वौइस मैसेज से भेजें. मोबाइल नंबर : 08826099608

Sex Problem: क्या आपकी पत्नी को भी हैं ये 5 सैक्स समस्याएं

कहते हैं कि सफल दांपत्य जीवन में सैक्स एक बहुत बड़ी भूमिका निभाता है और विवाह के बिखराव का एक कारण सेक्स भी हो सकता है. आम धारणा है कि पुरुष को ही सैक्स में ज़्यादा रुचि होती है और महिला अमूमन इससे बचती है. लेकिन ऐसा नहीं है. पुरुष की तरह महिलाओं की भी सेक्स इच्छा होती है. अधूरा और सही समय पर संभोग के पूरा न होने पर महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानी होती है. दरअसल महिलाओं का सेक्स केवल संभोग तक सीमित नहीं होता, बल्कि स्पर्श, चुंबन आदि से भी उन्हें संतुष्टि मिलती है.

आइए हम आपको बताते है कि कौन कौन सी सैक्स समस्याएं आती है और उनका समाधान क्या है.

सैक्स में कमी

महिलाओं में सेक्स में कमी डिप्रेशन, थकान या तनाव की वजह से हो सकती है. इसके अलावा और भी वजह हो सकती है जैसे पार्टनर जिस तरह छूता है, वह पसंद नहीं आना, पसीना से या उसके मुंह से पान-तंबाकू वगैरह की बदबू आना आदि. कई महिलाओं को शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हाथ लगाने से दर्द महसूस होता है या अच्छा नहीं लगता. इससे भी वे सेक्स से बचने लगती हैं.

लुब्रिकेशन की कमी

महिलाओं के जनन अंग (vagina) में लुब्रिकेशन (गीलापन) को उत्तेजना का पैमाना माना जाता है. कुछ महिलाओं को कम लुब्रिकेशन की शिकायत होती है और ज़ाहिर है ऐसे में सैक्स काफी तकलीफदेह हो जाता है. लुब्रिकेशन में कमी तीन वजहों से हो सकती है. इन्फेक्शन, हार्मोंस में गड़बड़ी या फिर तरीके से फोर प्ले न करना.

सैक्स के दौरान दर्द

कुछ महिलाओं को सैक्स के दौरान दर्द होता है. कई बार यह दर्द बहुत ज़्यादा होता है और ऐसे में महिला सेक्स से बचने लगती है. साथी को इस दर्द का अहसास नहीं होता और उसे लगता है कि साथी महिला की दिलचस्पी नही है या फिर सहयोग नहीं कर रही है.

और्गेज्म न होना

महिलाओं में यह शिकायत आम होती है कि उनका पार्टनर उन्हें संतुष्ट नहीं कर पाता यानी उनका और्गेज्म नहीं हो पाता. कुछ को और्गेज्म नहीं होता और कुछ को होता तो है पर महसूस नहीं होता. कुछ महिलाओं को लुब्रिकेशन के दौरान ही जल्दी ऑर्गेज्म हो जाता है. कुछ को बहुत देर से और्गेज्म होता है.

वैजाइनल पेन

कभी-कभी महिलाओं को नाभि के नीचे और प्यूबिक एरिया के आसपास दर्द महसूस होता है. यह दर्द वैसा ही होता है, जैसा पीरियड्स के दौरान होता है. इसकी वजह यह है कि उत्तेजना होने पर प्राइवेट पार्ट के आसपास खून का बहाव होता है. ऐसे में लुब्रिकेशन होता है पर क्लाइमैक्स नहीं होता. इससे इस एरिया में खून जम जाता है और दर्द होने लगता है.

समाधान

सैक्स समस्या का सबसे बड़ा कारण है पति-पत्नी का सैक्स समस्याओं के बारे में बात ही नहीं करना. पति और पत्नी दोनों को इस मामले में खुलकर बात करनी चाहिए और कोई भी छुपाना नहीं चाहिए. हो सकता है इस मामले में पत्नी पहल न करें तो ऐसे में पति को चाहिए कि उनका व्यवहार ऐसा हो कि उनकी पत्नी उनसे हर बात शेयर कर सकें. यदि आप चाहते हैं कि आप अपने साथी से सभी समस्याओं खासकर सेक्स समस्याओं के बारे में बातचीत कर सकें तो आपको अपने साथी को विश्वास में लेना होगा. यदि आप अपने साथी को अपनी कोई सैक्स समस्या के बारे में बताना चाहते हैं तो आप उसे सीधे-सपाट शब्दों में ना कहें बल्कि उसके लिए थोड़ा समय लें और अपने साथी को बातचीत और प्यार से सहज करें. इसके बात सामान्य बातचीत के बाद ही अपनी समस्या बताएं.

Sex Tips : सैक्‍स के लिये सही नहीं होता ‘सुरक्षित दिन’

सेक्स में गर्भधारण का डर सबसे अधिक होता है. इस डर की वजह से बहुत सारे लोग सेक्स से बचने की कोशिश करते है. इस डर से ही सेक्स का इंजौय भी नहीं कर सकते है. कई लोग गर्भधारण से बचने के लिये ‘ओरल सेक्स’ और ‘अननैचुरल सैक्स’ भी करते है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह होती है कि उनको गर्भ को रोकने के तरीको का पता नहीं होता. इसका प्रयोग उनको असहज लगता है. उनको लगता है कि गर्भधारण से रोकने वाले तरीको के प्रयोग से सेक्स में जो इंजौय होता है वह नहीं मिलता.

एक धारणा यह भी होती है कि औरत के माहवारी चक्र में कुछ ऐसे दिन होते है. उस दिनों में गर्भधारण रोकने वाले साधन के बिना भी सेक्स कर सकते है. इन दिनों में सैक्स करने से गर्भधारण का खतरा नहीं रहता है. इन दिनों को ही सेक्स के लिये ‘सुरक्षित दिन’ माना जाता है. माहवारी आने के तुरंत बाद एक सप्ताह का समय और माहवारी आने के पहले का एक सप्ताह सेक्स के लिये सुरक्षित माना जाता है. आमधरणा यह है कि इस दौरान सेक्स करने से गर्भ ठहरने का खतरा नही रहता है.

इन सुरक्षित दिनों की गणना माहवारी आने के दिनो से की जाती है. अगर माहवारी नियमित समय से न हो तो यह गणना गडबडा भी सकती है. जिस वजह से सेक्स के सुरक्षित माने जाने वाले यह दिन सुरक्षित नहीं रहते है. इसी वजह से कहा जाता है कि इन सुरक्षित दिनो को उतना भी सुरक्षित ना माना जाये. इसलिये इस पर बहुत भरोसा करने वाला नही होता है. डाक्टरों का मानना है कि माहवारी आने के तुरंत बाद एक सप्ताह कासमय और माहवारी आने के पहले का एक सप्ताह सेक्स के लिये सुरक्षित माना जाता है. इस समय पर औरत के अंडाणू नहीं बनते ऐसे में सेक्स करने से बच्चे के ठहरने का खतरा कम होता है. डरने वाली बात यह है कि अगर माहवारी सही समय पर ना हो रही हो और उसके दिनों की गणना में कोई दिक्कत हो जाये तो यह सुरक्षित दिनों का फामूर्ला फेल हो सकता है.

सेक्स का मजा लेना है तो अपनाएं ये टिप्स

4 सहेलियां कुछ अरसे बाद मिली थीं. 2 की जल्दी शादी हुई थी तो 2 कुछ बरसों का वैवाहिक जीवन बिता चुकी थीं. ऐसा नहीं कि उन में और किसी विषय पर बात नहीं हुई. बात हुई, लेकिन बहुत जल्द ही वह पहली बार के अनुभव पर आ टिकी.

पहली सहेली ने पूछा, ‘‘तुम फोन पर ट्रेन वाली क्या बात बता रही थी? मेरी समझ में नहीं आई.’’

दूसरी बोली, ‘‘चलो हटो, दोबारा सुनना चाह रही हो.’’

तीसरी ने कहा, ‘‘क्या? कौन सी बात? हमें तो पता ही नहीं है. बता न.’’

दूसरी बोली, ‘‘अरे यार, कुछ नहीं. पहली रात की बात बता रही थी. हनीमून के लिए गोआ जाते वक्त हमारी सुहागरात तो ट्रेन में ही मन गई थी.’’

तीसरी यह सुन कर चौंकी, ‘‘हाउ, रोमांटिक यार. पहली बार दर्द नहीं हुआ?’’

दूसरी ने कहा, ‘‘ऐसा कुछ खास तो नहीं.’’

तीसरी बोली, ‘‘चल झूठी, मेरी तो पहली बार जान ही निकल गई थी. सच में बड़ा दर्द होता है. क्यों, है न? तू क्यों चुप बैठी है? बता न?’’

चौथी सहेली ने कहा, ‘‘हां, वह तो है. दर्द तो सह लो पर आदमी भी तो मनमानी करते हैं. इन्होंने तो पहली रात को चांटा ही मार दिया था.’’

बाकी सभी बोलीं, ‘‘अरेअरे, क्यों?’’

चौथी ने बताया, ‘‘वे अपने मन की नहीं कर पा रहे थे और मुझे बहुत दर्द हो रहा था.’’

पहली बोली, ‘‘ओह नो. सच में दर्द का होना न होना, आदमी पर बहुत डिपैंड करता है. तुम विश्वास नहीं करोगी, हम ने तो शादी के डेढ़ महीने बाद यह सबकुछ किया था.’’

दूसरी और तीसरी बोलीं, ‘‘क्यों झूठ बोल रही हो?’’

पहली सहेली बोली, ‘‘मायके में बड़ी बहनों ने भी सुन कर यही कहा था, उन्होंने यह भी कहा कि लगता है मुझे कोई धैर्यवान मिल गया है, लेकिन मेरे पति ने बताया कि उन्होंने शादी से पहले ही तय कर लिया था कि पहले मन के तार जोडूंगा, फिर तन के.

‘‘मुझे भी आश्चर्य होता था कि ये चुंबन, आलिंगन और प्यार भरी बातें तो करते थे, पर उस से आगे नहीं बढ़ते थे. बीच में एक महीने के लिए मैं मायके आ गई. ससुराल लौटी तो हम मन से काफी करीब आ चुके थे. वैसे भी मैं स्कूली दिनों में खूब खेलतीकूदती थी और साइकिल भी चलाती थी. पति भी धैर्य वाला मिल गया. इसलिए दर्द नहीं हुआ. हुआ भी तो जोश और आनंद में पता ही नहीं चला.’’

पतिपत्नी के पहले मिलन को ले कर अनेक तरह के किस्से, आशंकाएं और भ्रांतियां सुनने को मिलती हैं. पुरुषों को अपने सफल होने की आशंका के बीच यह उत्सुकता भी रहती है कि पत्नी वर्जिन है या नहीं. उधर, स्त्री के मन में पहली बार के दर्द को ले कर डर बना रहता है.

आजकल युवतियां घर में ही नहीं बैठी रहतीं. वे साइकिल चलाती हैं, खेलकूद में भाग लेती हैं, घरबाहर के बहुत सारे काम करती हैं. ऐक्सरसाइज करती हैं, नृत्य करती हैं. ऐसे में जरूरी नहीं कि तथाकथित कुंआरेपन की निशानी यानी उन के यौनांग के शुरू में पाई जाने वाली त्वचा की झिल्ली शादी होने तक कायम ही रहे. कई तरह के शारीरिक कार्यों के दौरान पैरों के खुलने और जननांगों पर जोर पड़ने से यह झिल्ली फट जाती है, इसलिए जरूरी नहीं कि पहले मिलन के दौरान खून का रिसाव हो ही. रक्त न निकले तो पुरुष को पत्नी पर शक नहीं करना चाहिए.

अब सवाल यह उठता है कि जिन युवतियों के यौनांग में यह झिल्ली विवाह के समय तक कायम रहती है, उन्हें दर्द होता है या नहीं. दर्द का कम या ज्यादा होना झिल्ली के होने न होने और पुरुष के व्यवहार पर निर्भर करता है. कई युवतियों में शारीरिक कार्यों के दौरान झिल्ली पूरी तरह हटी हो सकती है तो कई में यह थोड़ी हटी और थोड़ी उसी जगह पर उलझी हो सकती है. कई में यह त्वचा की पतली परत वाली होती है तो कई में मोटी होती है.

स्थिति कैसी भी हो, पुरुष का व्यवहार महत्त्वपूर्ण होता है. जो पुरुष लड़ाई के मैदान में जंग जीतने जैसा व्यवहार करते हैं, वे जोर से प्रहार करते हैं, जो स्त्री के लिए तीखे दर्द का कारण बन जाता है. ऐसे पुरुष यह भी नहीं देखते कि संसर्ग के लिए राह पर्याप्त रूप से नम और स्निग्ध भी हुई है या नहीं. उन के कानों को तो बस स्त्री की चीख सुनाई देनी चाहिए और आंखों को स्त्री के यौनांग से रक्त का रिसाव दिखना चाहिए. ऐसे पुरुष, स्त्री का मन नहीं जीत पाते. मन वही जीतते हैं जो धैर्यवान होते हैं और तन के जुड़ने से पहले मन के तार जोड़ते हैं व स्त्री के संसर्ग हेतु तैयार होने का इंतजार करते हैं.

भले ही आप पहली सहेली के पति की तरह महीना, डेढ़ महीना इंतजार न करें पर एकदम से संसर्ग की शुरुआत भी न करें. पत्नी से खूब बातें करें. उस के मन को जानने और अपने दिल को खोलने की कोशिश करें. पर्याप्त चुंबन, आलिंगन करें. यह भी देखें कि पत्नी के जननांग में पर्याप्त गीलापन है या नहीं. दर्द के डर से भी अकसर गीलापन गायब हो जाता है. ऐेसे में किसी अच्छे लुब्रीकैंट, तेल या घी का इस्तेमाल करना सही रहता है. शुरुआत में धीरेधीरे कदम आगे बढ़ाएं. इस से आप को भी आनंद आएगा और पत्नी को दर्द भी कम होगा.

कई युवतियों के लिए सहवास आनंद के बजाय दर्द का सबब बन जाता है. ऐसा कई कारणों से होता है, जैसे :

कुछ युवतियों में वल्वा यानी जांघों के बीच का वह स्थान जो हमें बाहर से दिखाई देता है और जिस में वेजाइनल ओपनिंग, यूरिथ्रा और क्लीटोरिस आदि दिखाई देते हैं, की त्वचा अलग प्रकार की होती है, जो उन्हें इस क्रिया के दौरान पीड़ा पहुंचाती है. त्वचा में गड़बड़ी से इस स्थान पर सूजन, खुजली, त्वचा का लाल पड़ जाना और दर्द होने जैसे लक्षण उभरते हैं. त्वचा में यह समस्या एलर्जी की तरह होती है और यह किसी साबुन, मूत्र, पसीना, मल या पुरुष के वीर्य के संपर्क में आने से हो सकती है.

सहवास के दौरान दर्द होने पर तुरंत डाक्टर को दिखाना चाहिए. सहवास से पहले पर्याप्त लुब्रीकेशन करना चाहिए. पुरुष को यौनांग आघात में बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वही काम मुद्राएं अपनानी चाहिए जिन में स्त्री को कम दर्द होता हो. इस से भी जरूरी बात यह है कि पहले मन के तार जोडि़ए. ये तार जुड़ गए तो तन के तार बहुत अच्छे और स्थायी रूप से जुड़ जाएंगे.    – सहवास के दौरान पर्याप्त लुब्रीकेशन न होने से भी महिला को दर्द का एहसास हो सकता है.

– महिला यौनांग में यीस्ट या बैक्टीरिया का इन्फैक्शन भी सहवास में दर्द का कारण बनता है.

– एक बीमारी एंडोमेट्रिआसिस होती है, जिस में गर्भाशय की लाइनिंग शरीर के दूसरे हिस्सों में बनने लगती है. ऐसा होने पर भी सहवास दर्दनाक हो जाता है.

– महिला के यौनांग की दीवारों के बहुत पतला होने से भी दर्द होता है.

– यूरिथ्रा में सूजन आ जाने से भी सहवास के दौरान दर्द होता है.

सैक्सरिंग : प्यार के नाम पर फंस न जाना

युवाओं का पहला आकर्षण प्रेम ही होता है. शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो रोमांस के इस फेज में न फंसा हो. कोई अपना लव इंटरैस्ट अपनी क्लासमेट में ढूंढ़ता है तो कोई पासपड़ोस की ब्यूटीफुल युवती पर फिदा हो जाता है. युवावस्था के आकर्षण से जुड़े हारमोंस ही हमें किसी विपरीतलिंग की तरफ आकर्षित करते हैं. हालांकि हर बार यह प्यार सच्चा हो, इस की कोई गारंटी नहीं. प्यार के नाम पर कैमिकल लोचा भी हो सकता है, प्यार एकतरफा भी हो सकता है और कई बार लव को लस्ट यानी वासना की शक्ल में भी देखा जाता है. इन सब प्यार की अलगअलग कैटेगरीज से गुजरता हर युवा मैच्योर होतेहोते सीखता है कि लव के असल माने क्या हैं?

इस रोमांटिक फेज में उपरोक्त कैटेगरीज के अलावा एक और खतरनाक फेज होता है सैक्सरिंग का यानी प्यार के नाम पर जब कोई युवती किसी युवती को फंसा ले तो वह सैक्सरिंग में उलझ कर रह जाती है.

प्यार में सौदा नहीं

करन अरोड़ा को कम उम्र में ही पेरैंट्स ने महंगी बाइक दिला दी. महंगी और ऐडवांस्ड बाइक के टशन में वह रोज स्कूल से कोचिंग आता. वह प्रिया को कई बार घर से कोचिंग तक लिफ्ट दे चुका था.

इस के पीछे कारण यह था कि अचानक कुछ दिनों से प्रिया करन की तारीफ उस के दोस्तों के बीच कुछ ज्यादा ही करने लगी थी. दोस्तों से अपनी तारीफ सुन कर करन को लगा कि वह प्रिया को प्रपोज कर देगा. एक दिन कोचिंग से बंक मार कर वह प्रिया को मौल ले गया और उसे प्रपोज कर दिया.

प्रिया ने जितनी जल्दी हामी भरी उस की करन को उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन प्रिया की हां से वह इतना उत्साहित हो गया कि दिमाग के बजाय दिल से सोचने लगा. उस दिन उस ने प्रिया की पसंद की ड्रैस, आर्चीज के गिफ्ट व फेवरिट रेस्तरां के खाने में हजारों रुपए खुशीखुशी खर्च कर डाले.

प्रिया के प्यार का यह नाटक उस दिन खुला जब करन के ही दोस्त यश ने उसे बताया कि प्रिया तो सौमिक की कार में घूम रही है और आजकल उस की गर्लफ्रैंड के तौर पर फेमस है.

हैरानपरेशान करन ने जब प्रिया से फोन कर सफाई मांगी तो उस ने उलटे सौमिक से पिटवाने की धमकी दे डाली.

लुटापिटा करन उस को पेरैंट्स से झूठ बोल कर कोर्स फीस के पैसों से स्मार्टफोन, ज्वैलरी व लैपटौप दिलवा चुका था. जाहिर है वह लव के नाम पर लूटा गया था.

अचानक लड़की आप के करीब आ जाए तो उस पर लट्टू होने के बजाय जरा दिमाग लगा कर सोचिए कि इस नजदीकी की वजह प्यार है या आप की मोटी जेब, क्योंकि प्यार कोई सौदेबाजी नहीं होती. जो लड़की आप से प्यार करेगी वह बातबात पर महंगे गिफ्ट्स नहीं मांगेगी और न ही हर समय आप की जेब ढीली करेगी. अगर आप की गर्लफ्रैंड भी आप से ज्यादा आप के तोहफों पर ध्यान देती है तो समझ जाइए कि आप भी सैक्सरिंग में फंसने वाले हैं.

सिंगल होना शर्मिंदगी नहीं

सैक्सरिंग का सब से आसान शिकार युवतियां ज्यादातर उन युवकों को बनाती हैं जो सिंगल होते हैं. साइकोलौजिस्ट भी मानते हैं कि हमारे समाज व युवाओं का रवैया कुछ ऐसा है कि जो लड़के सिंगल होते हैं उन का मजाक बनाया जाता है, उन पर जल्द से जल्द गर्लफ्रैंड बनाने का दबाव डाला जाता है. मानो किसी युवक की गर्लफ्रैंड नहीं है तो उस में कोई न कोई कमी होगी.

इस मनोवैज्ञानिक दबाव के तले दब कर युवक अपनी सोचसमझ खो कर एक अदद युवती की तलाश में जुट जाता है जो जल्दी से जल्दी उस की गर्लफ्रैंड बनने को तैयार हो. भले इस के लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े. इसी जल्दबाजी व मनोवैज्ञानिक दबाव का फायदा चालाक व शातिर युवतियां उठाती हैं और सिंगल युवकों को झूठे प्यार के सैक्सरिंग में फांस कर उन की जेबें ढीली करती हैं. कई मामलों में तो उन की पढ़ाईलिखाई व कैरियर तक बरबाद कर डालती हैं.

युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि सिंगल होना कोई  शर्मिंदगी की बात नहीं है. जब तक कोई ईमानदार या सच्चा प्यार करने वाली युवती न मिले, सिंगल रहना बेहतर है. पढ़ाई, कैरियर, शौक व दोस्तों को समय दे कर सैक्सरिंग से बचने में ही समझदारी दिखाने वाले युवा कुछ बन पाते हैं.

इमोशनल अत्याचार के साइड इफैक्ट्स

अकसर युवतियों से धोखा खाए या यों कहें कि सैक्सरिंग के शिकार युवक भावनात्मक तौर पर टूट जाते हैं और प्रतिक्रियास्वरूप कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन के भविष्य को खतरे में डाल देता है.

जनवरी 2017, दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके के रोहन को जब एक युवती ने झूठे प्यार के जाल में फंसा कर चूना लगाया तो उस ने उस से बदला लेने की ठान ली व एक दिन स्कूल से लौटते समय युवती के चेहरे पर ब्लैड मार दिया.

घायल युवती के परिजनों ने रोहन के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी. इस तरह मामला उलटा पड़ गया. युवती का तो कुछ नहीं बिगड़ा, रोहन को जरूर हवालात की हवा खानी पड़ी.

अकसर सैक्सरिंग के शिकार युवा इमोशनली इतने डिस्टर्ब हो जाते हैं कि धोखा खाए प्रेमी की तरह उस युवती से बदला लेने की ठान लेते हैं. आएदिन हम प्रेम में ठुकराए प्रेमियों की आपराधिक कृत्यों की खबरें पढ़ते रहते हैं. कोई तेजाब से हमला करता है तो कोई युवती का अपहरण तक कर डालता है. कोई सैक्स संबंधों की  पुरानी तसवीरों, सैक्स क्लिप्स या प्रेमपत्रों के नाम पर लड़की को सबक सिखाना चाहता है.

प्यार से अपराध की ओर न जाएं

याद रखिए ये तमाम हिंसात्मक व अनैतिक रास्ते अपराध की उन गलियों की ओर ले जाते हैं, जहां से युवाओं के लिए वापस आना नामुमकिन सा हो सकता है. एक तो पहले ही युवती ने फंसा कर आप का धन व समय बरबाद कर दिया. उस पर उस से बदला लेने के लिए अतिरिक्त समय, धन व भविष्य दांव पर लगाना कहां की समझदारी है?

बेहतर यही है कि उस बात को भूल कर आप अपने कैरियर पर ध्यान दें. एक न एक दिन आप को सच्चा प्यार जरूर मिलेगा. इस धोखेभरी लवस्टोरी से इतना जरूर सीखिए कि अगली बार जब कोई युवती आप की भावनाओं से खिलवाड़ कर आप पर सैक्सरिंग का वार करे तो उस के झांसे में न आएं.

सैक्सरिंग के लक्षण

 कोई युवती आप से सचमुच प्यार करती है या फंसा रही है, उसे समझने के लिए सैक्सरिंग के कुछ लक्षण समझना जरूरी है. निम्न पौइंट्स से समझिए कि कौन सी युवती स्वाभाविक तौर पर सैक्सरिंग के जाल में आप को फंसाना चाहती है :

–       जब बातबात पर शौपिंग, पार्टी या महंगे गिफ्ट्स की डिमांड करे.

–       जब खुद से जुड़ी जानकारियां छिपाए व आप की हर बात जानना चाहे.

–       आप के दोस्तों या परिवार से मिलने से कतराए.

–       अपने फैमिली या फ्रैंड सर्किल से मिलवाते वक्त आप की पौकेट खाली करवाए.

–       बातबात पर आप की तारीफ करे और आप की हर बात पर सहमति जताए.

–       हर जरूरत पर आर्थिक मदद की डिमांड करे.

–       झगड़े की वजहों में पैसों का ताना मारे.

–       आप के अमीर व संपन्न दोस्तों से करीबी बढ़ाए.

–       आप की आर्थिक मदद करने से कतराए या बहाने बनाए.

–       प्यार के नाम पर भावनात्मक सहारे के बजाय सिर्फ फिजिकल रिलेशन को तरजीह दे.

अगर इन तमाम पौइंट्स पर आप की गर्लफ्रैंड खरी उतर रही हो तो सावधान हो जाइए. आप पर सैक्सरिंग फेंका जा चुका है. सही मौका पाते ही सैक्सरिंग का छल्ला गले से निकाल फेंकिए और ब्रेकअप सौंग पर जम कर अपनी फेक लवर से आजादी का जश्न मनाइए.

मेरे पति संबंध बनाते समय एक मिनट में ही पस्त हो जाते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी शादी को 6 महीने हो गए हैं? जब मैं पति के साथ संबंध बनाती हूं तो वे एक मिनट में ही पस्त हो जाते हैं. उन से अपने दिल की बात कहती हूं तो वे नाराज हो जाते हैं. इस के लिए हमें क्या करना चाहिए?

जवाब

समय से पहले पस्त होना यानी प्रीमैच्योर इजैकुलेशन तब होता है, जब कोई जिस्मानी रिश्ता बनाने से पहले या कुछ ही देर में अपनी इच्छा से पहले ही पस्त हो जाता?है. इस की वजह से सैक्स बहुत ही कम समय का और दोनों साझेदारों के लिए नाकाफी होता है. तनाव और परेशानी की वजह से यह समस्या बढ़ सकती है. आप को अपने साथी से सैक्स समस्याओं का इलाज करने वाले किसी ऐसे डाक्टर से मुलाकात करने के लिए कहना चाहिए, जो उन्हें कुछ ऐसी तकनीकें बता सके? जिन से दवाओं का इस्तेमाल किए बिना सैक्स के समय को बढ़ाया जा सके.

कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उन के पति में अब पहले वाला जोश नहीं रहा और वे अब सेक्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते. कई बार पुरुष चाह कर भी यौन समागम नहीं कर पाते क्योंकि उन के मन में डर या संकोच बैठ जाता है कि क्या वे सफलतापूर्वक यौन संबंध नहीं बना पाएंगे और अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे. उन का पुराना जोश और उमंग वापस लौटा कर अपनी सेक्स लाइफ को आनंदमयी बनाने के लिए आप अपना सकती हैं ये उपाय:

भारी न पड़े काम

उन्हें प्रेमपूर्वक समझाएं कि आप का कैरियर बेशक बेहद महत्त्वपूर्ण है और उसे पूरा समय देना भी जरूरी है, लेकिन इसे बैडरूम में घुसा लेना ‘बैड हैबिट’ ही माना जाएगा. जितना औफिस का काम कैरियर लाइफ के लिए जरूरी है, उतना ही शयनकक्ष का काम पर्सनल लाइफ के लिए जरूरी है. कमाई सुख के लिए की जाती है और आप सुख से ही वंचित रह जाएं तो ऐसी कमाई से क्या फायदा? मस्तिष्क दूसरे जंजाल से मुक्त रहेगा तभी शरीर के दूसरे अंगों को अपना काम करने का सही निर्देश दे पाएगा. इसलिए औफिस का काम औफिस में ही छोड़ कर आएं ताकि घर पर एकाग्रता और सुकून के साथ घर का काम कर सकें.

एक बार और ट्राई करें

सफलता का जो फौर्मूला कैरियर लाइफ या ऐकेडमिक लाइफ में काम करता है, वही यहां भी काम करता है. अगर आप के पति एक बार सेक्स करने में विफल हो गए और इरैक्शन से वंचित रह गए, तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि ऐसा बारबार होगा. ‘ट्राई वन मोर टाइम’ का फौर्मूला यहां भी लागू होता है. उन से खुल कर बात करें और बताएं कि अगर आप हस्तमैथुन करते वक्त उत्तेजित हो जाते हैं और इंटरकोर्स के वक्त नहीं हो पाते, तो जाहिर है प्रौब्लम अंग में नहीं उमंग में है यानी आप के दिमाग में झूठा भय समा चुका है.

दुत्कारें नहीं पुचकारें

पति आप के पास आएं, आप को सहलाएं और चूमने की कोशिश करें तो उन्हें दुत्कार कर दूर न भगाएं. इस से उन का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा और वे अच्छे तरीके से परफौर्म नहीं कर पाएंगे. आप भी उतनी ही गर्मजोशी से उन्हें पुचकारें, दुलारें, सहलाएं और चूमें. इस से उन के मन में आत्मवश्वास लौटेगा और सेक्स की भावना भी जाग्रत होगी. ज्यादतर मामलों में ऐसी स्थिति में इरैक्शन न होने की समस्या भी हल हो जाती है. आप का स्पर्श और चुंबन उन के लिए सेक्स के मामले में टौनिक का काम करेगा.

व्यायाम से बनेगा काम

उन्हें शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहने और नियमित व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें और जरूरत पड़े तो आप भी उन का साथ दें. वे टालमटोल करें, तो उन्हें समझाएं कि इस का असर उन के और आप के यौन जीवन पर पड़ रहा है. ऐक्सरसाइज न करने या ऐक्टिव न रहने से ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त नहीं रहता, जिस का सीधा असर उत्तेजना और इरैक्शन पर पड़ता है. इसलिए रोज पुश अप्स, स्पौट जौगिंग और वौकिंग के लिए समय जरूर निकालें.

धुएं में न उड़ाएं जिंदगी का मजा

सिगरेट को स्टाइल स्टेटमैंट समझना बंद कर दें. पति को समझाएं कि धुआं सिगरेट का नहीं उन की जिंदगी का उड़ रहा है. कई अध्ययनों से पता चल चुका है कि स्मोकिंग से नपुंसकता की समस्या हो सकती है. शराब पीना भी कोई अच्छी बात नहीं है. शराब पीने से सेहत चौपट हो जाती है, लिवर नष्ट होने लगता है और जाहिर सी बात है स्वास्थ्य दुरुस्त नहीं रहता, तो इरैक्शन में प्रौब्लम आती है.

वेट को करें सैट

मोटापा अपनेआप में ही एक बीमारी है और यह अपने साथ कई बीमारियों को भी लाता है. वजन ज्यादा रहेगा, तो शरीर में लचीलापन नहीं रहेगा. लचीलापन नहीं रहेगा, तो पुरुष सेक्स क्या खाक करेगा वजन अनियंत्रित रहने पर शरीर में शुगर बढ़ जाती है. नतीजा, डायबिटीज. डायबिटीज तो इरैक्शन का दुश्मन नंबर वन है. वैसे भी मोटापा हार्ट डिजीज, हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल वगैरह का सबब बन सकता है. इसलिए उन्हें वजन कम रखने, पौष्टिक भोजन करने और अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करें.

सेक्स की गलतफहमी: पति-पत्नी के संबंधों में डालती दरार

‘तुम पापा बनने वाले हो…’ रमेश की नईनवेली पत्नी मोना ने जब शादी के एक महीने के बाद उसे फोन पर यह खुशखबरी दी, तो वह खुशी से झूमने लगा. उस की शादी के बाद पत्नी के साथ ज्यादा समय न बिताने की कसक मन से दूर हो गई थी. उस की आंखों के सामने उस का बच्चा घूमने लगा. उस ने पत्नी को अपना खयाल रखने की बात कही. इस के बाद वह फैक्टरी में काम करने चला गया.

रमेश की आंखों के सामने शादी से सुहागरात तक के पल घूमने लगे. वह 6 दिन की छुट्टी ले कर आया था. उन में से 3 दिन शादी में निकल गये थे. रमेश को सब से ज्यादा चिंता अपनी सुहागरात को ले कर थी.

घर पर रमेश को पता चला कि उस की सुहागरात तो 2 दिन बाद ही होगी, क्योंकि अभी घर में पूजा नहीं हुई है. उस की परेशानी बढ़ती जा रही थी. आखिरकार उसे छुट्टी के आखिरी दिन पत्नी के साथ सुहागरात मनाने का मौका मिला.

रमेश की नौकरी नई थी. इस वजह से वह अपनी छुट्टी रद्द नहीं कर सकता था. मन मार कर वह वापस मुंबई चला गया. उसे पता था कि अब 6 महीने के बाद ही उसे वापस आने को मिलेगा.

मुंबई पहुंच कर रमेश को बारबार पत्नी मोना की याद आती रही. मोबाइल पर उस से बातचीत करके मन को संतोष मिल रहा था. ऐसे करते एक महीने का समय कब गुजर गया पता ही नहीं चला.

आज फैक्टरी पहुंच कर रमेश बहुत खुश था. उस की खुशी किसी से छिपाए नहीं छिप रही थी. दोपहर खाने की छुट्टी हुई तो उस के दोस्त महेश ने पूछा, ‘रमेश भाई, क्या बात है, आज बहुत खुश नजर आ रहे हो?’

‘भाई, घर से पत्नी का फोन जो आया था,’ रमेश ने चुटीले अंदाज में जवाब दिया.

‘फोन तो रोज ही आता है. नईनई शादी के बाद कुछ दिन खूब फोन आते हैं. भाभी को तेरी याद जो आ रही होगी,’ दूसरे साथी रामपाल ने भी उसी मजाकिया लहजे में बात की.

‘आज का फोन कुछ खास था. आज उस ने खुशखबरी दी है कि मैं बाप बनने वाला हूं. आज शाम को आप सब को मिठाई खिलाता हूं.’

‘क्या… तुम बाप बनने वाले हो?पर कैसे? अरे भाई, तुम तो कह रहे थे कि तुम ने केवल एक बार ही पत्नी के साथ सेक्स किया है. कहीं एक बार सेक्स करने से कोई बाप बनता है भला. मुझे तो डाक्टर ने सलाह दी थी कि मैं अपनी पत्नी के साथ रोज सेक्स करूं. दिन में कई बार करूं तो जल्दी बच्चा ठहरेगा. इस के बावजूद 2 साल के बाद बच्चा ठहरा था,’ महेश बोला.

महेश की बातें सुन कर रमेश सोच में पड़ गया. उसे अपनी पत्नी पर शक होने लगा. महेश ने इस शक को और भी पुख्ता कर दिया, जब वह बोला, ‘भाई, आजकल की लड़कियों का कोई भरोसा नहीं होता. मेरी मान तो अपनी पत्नी से सही तरह से बात कर ले.’

रमेश की हिम्मत मोना से बात करने की तो नहीं हुई, पर उस ने मां से पूछा तो पता चला कि मोना तो शादी के बाद से अपने मायके तो क्या, घर बाहर ही नहीं गई. जब वह घर से बाहर जाती भी थी तो मां साथ होती थीं.

अपनी मां से बात करने के बाद भी रमेश के मन का वहम दूर नहीं हो रहा था. उस की फैक्टरी में हर बुधवार को एक डाक्टर साहब आते थे. वे बातचीत में खुले दिल के थे. रमेश ने सोचा कि क्यों न एक बार डाक्टर साहब से बात की जाए?

रमेश समय निकाल कर डाक्टर प्रशांत के पास गया और उन को पूरी बात बताई. साथी महेश ने जो कहा था, वह भी बताया.

रमेश की बात सुन कर डाक्टर प्रशांत समझ चुके थे कि नासमझी में महेश ने जो कह दिया है उस से रमेश के मन में शक का कीड़ा घुस गया है. जब तक पूरी बात नहीं समझाई जाएगी, तब तक बात सुलझेगी नहीं.

डाक्टर प्रशांत ने रमेश और महेश  दोनों को पास बुलाया और कहा, ‘देखो रमेश, जब एक बालिग उम्र के लोग सेक्स संबंध बनाते हैं, तो पहली बार में भी बच्चा ठहर सकता है. पेट में बच्चा ठहरने के लिए पत्नी के अंडाणु और पति के शुक्राणुओं का मिलना खास होता है. अंडाणु और शुक्राणु का यह मिलन कभी भी हो सकता है. कई बार यह मिलन पहली बार सेक्स संबंध बनाने में ही हो जाता है, तो कई बार लगातार सेक्स करने के बाद भी यह मिलन नहीं हो पाता है. कई बार पति या पत्नी के बीच लगातार सेक्स करने के बाद भी बच्चा नहीं ठहरता, तो डाक्टर दवा देने के साथसाथ कई बार सेक्स करने की भी सलाह देते हैं.’

डाक्टर प्रशांत के सामने महेश ने माना कि उसे शादी के 2 साल बाद तक तब बच्चा नहीं हुआ तो उस ने पत्नी के साथ अपना भी इलाज कराया था. तब डाक्टर ने कहा कि था कि दिन में कई बार सेक्स करोगे तो बच्चा जल्दी ठहरने की उम्मीद ज्यादा होती है.

डाक्टर प्रशांत ने उन दोनों को समझाते हुए कहा, ‘माहवारी के बाद कुछ दिन ऐसे होते हैं, जब सेक्स करने के बाद बच्चा ठहरने की उम्मीद सब से ज्यादा होती है. इन दिनों में औरत के अंडाणु बनते हैं. ये अंडाणु ताकतवर होते हैं. इन की गति तेज होती है. इन की संख्या भी ज्यादा होती है. ऐसे में आदमी के शुक्राणु से मिलने के बाद निषेचन की उम्मीद ज्यादा रहती है. निषेचन के बाद पेट में बच्चा ठहर जाता है.’

डाक्टर की बात सुन कर रमेश और महेश दोनों बहुत शर्मिंदा थे. महेश ने कहा, ‘डाक्टर साहब, आप का बहुतबहुत धन्यवाद. नासमझी में मैं ने रमेश के मन में शक बिठा दिया था. आप ने सही बात बता कर न केवल हमारे शक को दूर किया है, बल्कि रमेश की टूटती गृहस्थी को बचा लिया.’

इस के बाद रमेश और महेश मिठाई की दुकान पर गए. महेश ने कहा, ‘भाई, यह मिठाई हमारी ओर से अपनी नादानी दूर होने की खुशी में.’

मिठाई खाने से पहले रमेश ने अपनी पत्नी मोना को फोन कर उसे बधाई दी और कहा, ‘तुम अपना और बच्चे का खयाल रखना. हम तुम्हारे लिए झुमके ले कर जल्दी ही घर आ रहे हैं.’

रमेश मिठाई ले कर डाक्टर प्रशांत के पास गया और बोला, ‘डाक्टर साहब, आप ने मेरी शादी बचा ली, नहीं तो मैं अपनी पत्नी को चरित्रहीन मान चुका था. अपनी मां से पूछताछ भी कर डाली थी. मुझे तनाव के दलदल से बचाने के लिए आप का शुक्रिया.’

क्या मास्टरबेट करने से मैं बच्चा पैदा नहीं कर पाउंगा ?

सवाल 

मैं 24 वर्षीय नौजवान हूं शादी को दो साल हो गए हैं . मैं घर से दूर रहकर नौकरी करता हूं और साल में 4-5 बार ही घर जा पाता हूं. कुछ घरेलू वजहों के चलते अभी पत्नी को साथ नहीं ला पा रहा हूं. मेरी समस्या यह है कि सेक्स की तलब लगने और पत्नी की याद आने पर मैं संतुष्टि के लिए मास्टरबेट करता हूं पर यह सोच कर चिंतित हूं कि कहीं मास्टरबेट करने से मैं बच्चा पैदा कर पाऊंगा या नहीं.

जवाब

आपकी चिंता फिजूल है मास्टरबेट करने से बच्चा पैदा करने की क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है इसलिए आप सेक्स की जरूरत पूरी करने निसंकोच मास्टरबेट करते रहें. अच्छी बात यह है कि शरीर की भूख मिटाने आप काल गर्ल्स के पास नहीं जाते. वे महंगी भी पड़ती हैं और उनके पास जाने में खतरे भी बहुत रहते हैं इसलिए आप ने संतुष्टि के लिए बेहतर रास्ता चुना है.

हां इतना जरूर ध्यान रखें कि यह रोज रोज न करें . रही चिंता बच्चे पैदा करने की तो उसे दिल से निकाल दें क्योंकि शादी से पहले 99 फीसदी लोग मास्टरबेट करते हैं और शादी के बाद पिता भी बनते हैं. शादी के बाद पत्नी से दूर रहने पर भी सेहत या क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता इसलिए जरूरत पड़ने पर आप बेहिचक मास्टरबेट करते रहें और बीवी को जल्द अपने पास लाने की कोशिश करें क्योंकि जो हालत आप की है वही उसकी भी होगी.

मेरा आशिक अकेले में मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छेड़ता है. क्या मुझे उसे रोकना चाहिए?

सवाल –

मेरी उम्र 22 साल है. मेरा एक बौयफ्रैंड है जिस से मेरा रिलेशन 1 साल से चल रहा है. वह मुझ से बहुत प्यार करता है और मेरा अच्छे से खयाल भी रखता है. लेकिन मेरा बौयफ्रैंड जब भी मुझ से अकेले में मिलता है तो वह मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करता है. मैं हर बार उसे ऐसा कुछ करने से मना करती हूं लेकिन वह फिर भी नहीं मानता और कहता है कि गर्लफ्रैंड और बौयफ्रेंड में यह सब चलता है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या मुझे उसे यह सब करने देना चाहिए?

जवाब –

आजकल रिलेशनशिप में आना काफी सामान्य सी बात है और कई लोग रिलेशनशिप में न सिर्फ रोमांस बल्कि सैक्स भी कर लेते हैं. हर इंसान को रोमांस करना पसंद होता है. जैसाकि आप ने बताया कि आप का बौयफ्रैंड अकेले में आप के प्राइवेट पार्ट्स को छूता है तो ऐसे में आप खुद सोचिए कि क्या आप को अच्छा लगता है जब वह यह सब करता है?

अगर आप को यह सब अच्छा लगता है और आप का बौयफ्रैंड का टच करना पसंद आता है तो बेशक आप को उसशका साथ देना चाहिए और इसे एक ऐंजौय की तरह लेना चाहिए.

रिलेशनशिप में किसिंग, स्मूचिंग या फिर सैक्स संबंध बनाना आम बात है मगर यह जबरन नहीं, रजामंदी से हो तभी ठीक है.

अलबत्ता, आप दोनों पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं लेकिन आप हर बार अपने बौयफ्रैंड को रोमांस के लिए मना कर देती हैं पर वह फिर भी आप से प्यार करता है तो ऐसे में उस का प्यार आप के लिए सच्चा है और जिस्मानी नहीं है तो आप को उस के साथ रोमांस जरूर करना चाहिए और उसे भी थोड़ी लिबर्टी लेने दीजिए.

आप को एक अच्छा लड़का मिला हुआ है तो उसे थोड़ी छूट देने में कोई बुराई नहीं है. कहीं ऐसा न हो कि आप के इस स्वभाव की वजह से आप एक अच्छे लड़के से हाथ धो बैठें.

अगर आप श्योर नहीं हैं कि भविष्य में आप की उस के साथ शादी होगी या नहीं तो ऐसे में सैक्स को ले कर आप सोचसमझ कर कदम उठाएं लेकिन रोमांस का मजा आप खुल कर उठा सकती हैं.

अगर आप को कभी भी ऐसा फील हो कि आप सैक्स करने के लिए भी तैयार हैं तो यह करना भी कोई गुनाह नहीं है बल्कि रोमांस और सैक्स एक ऐसा अनुभव है जिसे हर कोई ऐंजौय करता है.

मगर ध्यान रहे, सैक्स के लिए दोनों की रजामंदी जरूरी है और चूंकि अभी आप दोनों को ही पहले कैरियर बनानी है, तो ऐहतियात जरूर बरतें और बौयफ्रैंड से कहें कि वह सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करे. इस दौरान यह चैक भी करें कि कंडोम फट तो नहीं गया. वैसे, अच्छी क्वालिटी का कंडोम जल्द फटता नहीं और सैक्स को मजेदार बनाता है.

आप एक बात का ध्यान रखना कि आप को अपने बौयफ्रेंड को उतनी ही छूट देनी है जहां तक आप का मन मानता हो या जहां तक आप कंफर्टेबल फील करें. जहां भी आप को लगे कि आप असहज फील कर रही हैं तो उसी समय अपने बौयफ्रैंड को रोक दें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर पर 8588843415 भेजें.

युवाओं के लिए बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

आज जिस तेजी से युवाओं की सोच बदल रही है, उन में जो खुलापन आया है वह मानसिक विकास के लिए तो जरूरी है, लेकिन खुलापन शारीरिक स्तर तक बढ़ जाए, यह गलत है. गलत इसलिए है क्योंकि हर कार्य को करने का समय होता है. किसी काम को समय से पहले ही अंजाम दिया जाए, तो उस का परिणाम भी गलत ही होता है. आज युवाओं में सेक्स के प्रति बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि युवतियां प्रैग्नैंट हो जाती हैं और अपनी जान तक गंवा देती हैं.

किशोरों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ विकास के लिए सब से जरूरी है, उन्हें सेक्स से संबंधित हर तरह की जानकारी से अवगत कराया जाए. खासकर पेरैंट्स को अपने जवान होते बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए, लेकिन अपने देश में बहुत कम ऐसे पेरैंट्स होते होंगे, जो अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक और सचेत करने की पहल करते हों. यही कारण है कि हमारे देश में अधिकतर बच्चे सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित जानकारी दोस्तों, किताबों, पत्रिकाओं, पौर्नोग्राफिक वैबसाइट्स और अन्य कई साधनों के जरिए चोरीछिपे हासिल करते हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि सेक्स से संबंधित ऐसी अधकचरी जानकारी मिलने से नुकसान भी होता है.

दरअसल, किशोर या युवा इन स्रोतों के जरिए सेक्स के प्रति अपने मन में गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि सेक्स मात्र ऐंजौय करने की चीज है, जिस से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.

एशिया के तमाम देशों जैसे भारत में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सफल प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह आज भी एक बहस का मुद्दा बना हुआ है. यदि ऐसा संभव हुआ तो सेक्स ऐजुकेशन के जरिए बच्चों को इस की पूरी जानकारी दी जा सकेगी, जिस से किशोरों का विकास सही रूप में हो सकेगा.

1. सेक्स ऐजुकेशन क्यों जरूरी

सेक्स के प्रति युवाओं की अधूरी जानकारी न केवल सेक्स के प्रति धारणाओं को बदल रही है बल्कि इन पर शारीरिक और मानसिक रूप से नकारात्मक असर को भी उन्हें झेलना पड़ता है.

साइकोलौजिस्ट अरुणा ब्रूटा कहती हैं, ‘‘सेक्स ऐजुकेशन किशोरों को सब से पहले घर से ही मिलनी चाहिए, लेकिन पेरैंट्स आज भी इस विषय पर बात करना पसंद नहीं करते. उन्हें इस बारे में बात करने पर शर्म महसूस होती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि युवाओं को सेक्स की पूरी जानकारी न होने से उन का भविष्य खराब भी हो सकता है.

‘‘आज बच्चे लैपटौप, टैलीफोन, कंप्यूटर आदि पर निर्भर हो गए हैं और इस का कहीं न कहीं वे गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं. मुझे याद है कि एक बार मेरे पास एक 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के का केस आया था. वह लड़का प्रौस्टीट्यूट एरिया में पकड़ा गया था.

‘‘जब मैं ने उस से पूछताछ की कि तुम वहां कैसे पहुंचे, तो उस का कहना था कि वह 11वीं क्लास के एक छात्र के कहने पर वहां चला गया था. उस बच्चे का कहना था कि वह औरत का शरीर देखना चाहता था. इस तरह की जिज्ञासा किशोर में तभी संभव है, जब वह दोस्तों की गलत संगत में रह कर चोरीछिपे उन की बातें सुनता है.

‘‘यदि किशोर ऐसा करता है, तो युवा होतेहोते सेक्स के प्रति उस का ऐटीट्यूड वल्गर होता चला जाएगा. हालांकि सेक्स कोई वल्गर चीज नहीं है. यह एक नैचुरल प्रोसैस है, जो स्त्रीपुरुष के जीवन का एक अहम हिस्सा है.

‘‘यह सिर्फ मीडिया का ही नतीजा है कि बच्चे सेक्स को गलत रूप में लेते हैं. ऐसे में पेरैंट्स को चाहिए कि वे युवा होते बच्चों को सही और पूरी जानकारी दें. किशोरों को भी ऐसी वर्कशौप अटैंड करनी चाहिए, जिस में 10-15 किशोरों का समूह हो और जहां खुल कर सेक्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती हो. इस से बच्चे भी शांत माहौल में सब कुछ समझ सकेंगे.’’

‘‘किशोरावस्था के दौरान खासकर यौनांगों का विकास होता है और साथ ही शरीर में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जो किशोरों को यह जानने के लिए उत्तेजित करते हैं कि वे इन बदलावों को ऐक्सप्लोर कर सकें. जो उन्होंने मीडिया के जरिए ऐक्सपीरियंस किया है, उसे वे सही में ट्राई कर बैठते हैं. ऐसे किशोरों के बीच ‘सैक्सुअल ऐरेना’ हौट टौपिक होता है. सही जानकारी न होने से इस से किशोरों को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचता है.’’

2. पेरैंट्स की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सेक्स ऐजुकेशन उन सभी बच्चों को देनी चाहिए, जो 12 वर्ष और इस से ऊपर के हैं. खासकर जिस तरह से देश में टीनएज प्रैग्नैंसी और एचआईवी के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह काफी गंभीर विषय बनता जा रहा है.

लगातार स्कूलों या आसपास के इलाकों में बलात्कार, यौन शोषण, स्कूली छात्रछात्राओं को डराधमका कर उन के साथ जबरदस्ती करना, उन्हें अश्लील वीडियो, पिक्चर्स देखने पर मजबूर किया जाता है. इसलिए पेरैंट्स की भूमिका काफी बढ़ जाती है कि वे अपनी युवा होती बेटी को उस के शरीर के बदलावों के बारे में समय रहते ही जानकारी दें ताकि वह खुद को सुरक्षित रख सके, अच्छेबुरे लोगों की पहचान कर सके, सेक्स और प्यार में फर्क समझ सके.

यह बताना भी जरूरी है कि सेक्स जैसे विषय पर शर्म नहीं बल्कि खुल कर बात करें. इस तरह की शर्म और भय को अपने मन से निकाल दें कि कहीं आप का युवा होता बच्चा असमय ही इस ज्ञान का अनुचित लाभ न उठा ले.

ऐसी स्थिति को पैदा ही न होने दें कि जब उस की शादी हो तो उसे अपने हसबैंड के पास जाने में घबराहट हो. मां की सही भूमिका निभाते हुए आप बेटेबेटियों को शरीर से संबंधित ज्ञान, विकास, काम से संबंधित थोड़ीबहुत जानकारी, प्रैग्नैंसी, कौंट्रासैप्टिव पिल्स, ऐबौर्शन आदि के नकारात्मक असर के बारे में जरूर बता दें. इस से वे जिंदगी में कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. वह अपनी शारीरिक सुरक्षा और जीवन के सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं.

3. स्कूलों में शामिल हो सेक्स ऐजुकेशन

कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रभावकारी ढंग से जब किशोरों को सेक्स ऐजुकेशन के बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने सही उम्र में ही सेक्स का आनंद लेना ठीक समझा. हालांकि देश में आज भी स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित वर्कशौप और प्रोग्राम्स आयोजित करने में असहमति दिखाती है. इस की मुख्य वजह पेरैंट्स, समाज के कुछ रूढि़वादी तत्त्वों और स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि सेक्स ऐजुकेशन से किशोर लड़केलड़कियां और भी ज्यादा आजाद खयालों के हो जाएंगे, जिस से वे सैक्सुअल इंटरकोर्स में ज्यादा फ्री हो कर लिप्त होंगे.

4. सेक्स ऐजुकेशन का फायदा

द्य इस से टीनएज प्रैग्नैंसी में बहुत हद तक कमी आएगी. युवतियां हैल्थ, शिक्षा, भविष्य यहां तक कि गर्भ में पलने वाले भू्रण पर होने वाले अप्रत्यक्ष परिणामों से भी बच सकती हैं. उन में सेक्स के प्रति जागरूकता आएगी.

समय पर सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी होने से आगे चल कर बहुत हद तक तनाव से बचा जा सकता है.

यहां तक कि यदि कोई किशोर सैक्सुअल इंटरकोर्स में शामिल होता है, तो भी कौंट्रासैप्टिव मैथड्स जैसे कंडोम का इस्तेमाल, कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जानकारी होने पर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज और टीनएज प्रैग्नैंसी से बचा जा सकता है.

सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जैसे गौनोरिया, पैल्विक इंफ्लैमैटरी डिसीज और सिफिलिस से बचाव होता है.

युवाओं और किशोरों में सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उन्हें गर्भनिरोधक और मौर्निंग पिल्स, कंडोम और ऐबौर्शन के बारे में जानकारी मिल सकती है.

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