सेना के फर्जी जवान, ठगी से डाक्टर हलाकान

सेना के फर्जी जवान बन कर खासतौर पर डाक्टरों से ठगी करने वाला गिरोह इन दिनों अनेक लोगों को अपना शिकार बना चुका है. बतौर सावधानी जरूरी है कि अगर आप के पास ऐसा कोई फोन आता है और भुगतान के लिए यूपीआई नंबर की मांग की जाती है, तो सावधान हो जाएं.

दरअसल, डाक्टरों से ठगी करने वाला गिरोह छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में कांड करता है. ऐसी कुछ घटनाएं पिछले कुछ सालों में भी हुई थीं, जिन में कोई भी अपराधी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया. अब पिछले कुछ समय से गिरोह के सदस्य दोबारा जवानों की जांच कराने के नाम पर किसी भी डाक्टर को फोन करते हैं. जवानों की तादाद बता कर वे फीस के बारे में पूछते हैं और फिर डाक्टर से ठगी करते हैं.

डाक्टर के फीस बताने पर ठग पेटीएम के जरीए एडवांस यूपीआई नंबर मांगते हैं. यूपीआई नंबर बताते ही ठगी का खेला शुरू हो जाता है. अब डाक्टर के खाते में फीस जमा होने के बजाय उस के खाते की रकम ठग के खाते में जाना शुरू हो जाती है.

छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, दुर्ग और राजधानी रायपुर में डाक्टरों के पास इन दिनों ऐसे फोन आ रहे हैं. ट्रु कौलर पर सेना की वरदी पहने आदमी का फोटो देख कर डाक्टरों को यही महसूस होता है कि फोन करने वाला सेना का कोई अफसर होगा, मगर ऐसा कुछ नहीं होता है और डाक्टर ठगी का शिकार हो जाते हैं.

मार्च, 2024 के पहले हफ्ते में राजनांदगांव के एक संस्थान में ऐसा ही फोन आया. ट्रु कौलर पर सेना के अफसर का फोटो देख कर शहर के एक नामचीन डाक्टर वर्मा (बदला हुआ नाम) ने इज्जत के साथ बातचीत की और बाद में वे खुद ठगी का शिकार हो गए.

ऐसे ही एक और मामले में डाक्टर माखीजा ने फोन रिसीव किया, तो सामने वाले ने खुद को सेना का अफसर बताते हुए कुछ सेना के जवानों की शारीरिक जांच कराने की चर्चा की. जब उस अफसर ने फीस का भुगतान पेटीएम से करने की कह कर यूपीआई नंबर मांगा, तो डाक्टर मखीजा को शक हो गया और उन्होंने तत्काल फोन काट दिया.

इसी तरह स्टेशनरी और टेलरिंग की एक दुकान से भुगतान के लिए यूपीआई नंबर ले लिया गया और बाद में कारोबारी का खाता खाली होता चला गया.

भुगतान करने की कह कर एक कारोबारी के यूपीआई नंबर अकाउंट को आर्मी के खाते से लिंक कराने के एक और मामले में आर्मी के अफसर के नाम से ठगी की कोशिश हुई. उस कारोबारी को किसी ठग ने खुद को आर्मी का अफसर बताते हुए वरदी के और्डर देने की बात कही. ठग ने नियम का हवाला दे कर पेमेंट के लिए यूपीआई नंबर या बैंक अकाउंट नंबर देने की बात कही और ओटीपी आने पर उन्हें वह ओटीपी बताने की बात कही, जिस पर शक होने पर उस कारोबारी ने अपने दोस्त की सलाह ली और किसी भी तरह की जानकारी देने से मना कर दिया और दुकान पर आ कर पेमेंट कैश कर और्डर कंफर्म करने की बात कही. इस पर ठग ने बकवास करते हुए गालीगलौज करना शुरू कर दिया. यह सारा मामला पुलिस की जानकारी में आ चुका है और अभी तक आरोपी पकड़े नहीं गए हैं.

ऐसी ठगी भी होती है

एक मामले में 45 साल के वी. सिंह, जो आम्रपाली सोसाइटी, लालपुर, रायपुर में रहते थे, ठगी का शिकार हो गए. उन के पास सुबह 10 बजे एक फोन आया. फोन करने वाले ने अपना नाम दीपक पवार बताते हुए खुद को आर्मी अफसर बताया. उस ने किराए पर घर लेने की इच्छा जताई. इस के बाद उस ने अपना आधारकार्ड, पैनकार्ड उन्हें ह्वाट्सएप कर दिया. फिर उस ने एडवांस पैसा जमा करने के लिए अकाउंट नंबर मांग लिया.

पीड़ित ने अपनी मां का अकाउंट नंबर दे दिया. इस के बाद उस ने कहा कि यूपीआई ट्रांजेक्शन करना है, इसलिए अकाउंट नंबर कंफर्म करने के लिए एक रुपया भेजने के लिए कहा और उस के बदले में उस ने 2 रुपए भेज दिए.

अब ठग ने कहा कि आर्मी अकाउंट का नियम है है कि आप एक रुपया भेजोगे तो डबल भेजेंगे. उस ने घर किराए की एडवांस रकम 54,000 रुपए प्रार्थी को भेजने के लिए कहा. उस ने वैसा ही कर दिया. पैसे डालने के बाद उस ने कहा कि गलत ट्रांजैक्शन हो गया है, एक रुपया कम कर के भेजना था.

इस के बाद पीड़ित ने 45,999 रुपए भेज दिए. तभी के शिकार हो चुके शख्स ने पुलिस को बताया कि इस के बाद वह फोन करता रहा, लेकिन ठग ने फोन उठाना बंद कर दिया. मगर पीड़ित से कुल 99,999 रुपए ठग लिए गए थे.

नोटों की बारिश का झांसा

हमारे आसपास बहुत से लोग सज्जन और भोलेभाले होते हैं, जो किसी की भी बातों में आ जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. हाल ही में ऐसी अनेक घटनाएं घटी हैं.

पहली घटना

छत्तीसगढ़ के रतनपुर, बिलासपुर में लड़कियों को दैवीय शक्ति से पैसों की बारिश होने का झांसा दे कर पूजापाठ करने के नाम पर ठगी की गई.

दूसरी घटना

‘चांदी ले कर आओ उसे हम सोना बना देंगे,’  कह कर जिला कोरबा के पाली थाना इलाके में 2 लोगों ने कई औरतों को ठग लिया.

तीसरी घटना

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कटोरा तालाब थाना इलाके के तहत रुपयों को दोगुना बनाने का झांसा दे कर ठगी कर ली गई.

ये कुछ घटनाएं बताती हैं कि आज के पढ़ेलिखे समाज में भी लगातार ठगी की घटनाएं हो रही हैं. इस का सीधा सा मतलब यह है कि 21वीं सदी में भी वही हालात हैं, जो कई साल पहले हुआ करते थे. आखिर इस के पीछे वजह क्या है और इसे कैसे रोका जा सकता है?

रुपए की बरसात

2 नाबालिग लड़कियों को दैवीय शक्ति से पैसों की बारिश होने का झांसा दे कर पूजापाठ करने और फिर रेप करने वाले 4 आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया. पुलिस की अपील है कि झांसा देने वाले ऐसे लोगों से सभी को सावधान रहना चाहिए, जिस से भविष्य में ऐसी घटना न हो.

दरअसल, हुआ यह था कि छत्तीसगढ़ के रतनपुर थाना इलाके के तहत 14 फरवरी, 2024 को पीडि़ता के परिवार द्वारा रिपोर्ट दर्ज की गई कि उन के गांव के 2 लोगों द्वारा उन्हें बताया गया था कि एक ठाकुर बाबा हैं, जो कुंआरी कन्याओं के साथ पूजापाठ करते हैं, जिस से पैसा बरसने लगता है.

इस झांसे में आ कर वे लोग रतनपुर के मदनपुर इलाके में एक घर में आए, जहां पूजापाठ के बाद बाबा द्वारा उन बच्चियों को अकेले कमरे में ले जा कर  जिस्मानी शोषण किया गया. अपने घर जाने पर उन बच्चियों ने यह बात अपने परिवार वालों को बताई, जिस पर उन के द्वारा थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई.

थाना रतनपुर में पुलिस टीम गठित कर संदेहियों को लोकल मुखबिर के आधार पर आरोपियों का पता लगाकर गिरफ्तारी के लिए 3 अलगअलग टीमें बनाई गईं और 4 आरोपियों को बालपुर, भाठागांव थाना सरसींवा जिला सारंगढ़, बिलाईगढ़ व लिगिंयाडीह और मदनपुर जिला बिलासपुर से गिरफ्तार किया गया.

पुलिस से यह भी जानकारी मिली कि सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के बाशिंदे धनिया बंजारे और हुलसी रात्रे तकरीबन 2 महीने पहले से 2 अलगअलग जगह की नाबालिग बच्चियों और उन के मातापिता को कुंआरी लड़की की पूजा करा कर और उस के ऊपर दैवीय शक्ति बैठाने से लाखोंकरोड़ों रुपए की बारिश होती है कह कर अपने विश्वास में लिया गया.

11 फरवरी, 2024 को उन 2 नाबालिग बच्चियों को उन के परिवार के साथ बिलासपुर बसस्टैंड ले कर गए और वहां पूजा करने वाले पंडित कुलेश्वर राजपूत उर्फ पंडित ठाकुर और उन के साथी कन्हैया से मिलवा कर उन के द्वारा ही पूजापाठ करा कर पैसे बरसाने वाली बता कर मुलाकात कराई गई, जहां से वे लोग उन दोनों नाबालिग बच्चियों को मदनपुर रानीगांव के पास गणेश साहू के मकान में ले कर गए. वहां सभी ने गणेश साहू के घर खाना खाया.

बाद में पंडित कुलेश्वर ठाकुर उन दोनों नाबालिग बच्चियों में से एक बच्ची को मकान के अंदर कमरे में ले गए और पूजा के बहाने उस लड़की के साथ जबरदस्ती जिस्मानी संबंध बनाया और उस घटना के बारे में किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देते हुए कमरे के बाहर छोड़ दिया.

इसी तरह दूसरी नाबालिग लड़की को भी पूजा कराने के बहाने अंदर कमरे में ले जा कर जबरदस्ती रेप किया. इस के बाद पंडित कुलेश्वर ठाकुर द्वारा उन लड़कियों के परिवार वालों को बताया गया कि पूजापाठ से महज 2-4 हजार रुपए की ही बारिश हो पाई है और पैसे दे दिए.

दोनों नाबालिग बच्चियां इस घटना से इतनी ज्यादा डरीसहमी थीं कि वे अपने परिवार वालों को कुछ भी नहीं बता पाईं.

पर बाद में बिलासपुर बसस्टैंड से अपने घर लौटते समय इस घटना के संबंध में दोनों नाबालिग लड़कियों ने अपने परिवार को बताया. रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड विधान की धाराओं के तहत मामला बना कर आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें जेल भेज दिया.

 

जुनून में हो रहे खून

महाराष्ट्र के पुणे शहर में 21 जनवरी, 2024 को एक सिरफिरे आशिक ने प्यार का विरोध करने पर अपनी प्रेमिका की मां की गला घोंट कर हत्या कर दी. कत्ल के लिए उस ने कुत्ते की बैल्ट का इस्तेमाल किया. प्रेमिका की शिकायत पर पुलिस ने केस दर्ज कर के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

यह वारदात पुणे के पाषाण सुस रोड पर बनी एक सोसाइटी में हुई. वहां 58 साल की वर्षा अपनी 22 साल की बेटी मृण्मयी के साथ रहती थीं. जनवरी महीने की पहली तारीख को वर्षा के पति की मौत हो गई थी. उन की बेटी एक कंप्यूटर इंजीनियर है, लेकिन 1 जनवरी को पिता की मौत के बाद उस ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी.

मृण्मयी की तकरीबन 7 महीने पहले एक डेटिंग एप पर शिवांशु के साथ मुलाकात हुई थी. फिर वे दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे थे, लेकिन कुछ महीने बाद ही मृण्मयी को पता चला कि उस का प्रेमी डिलीवरी बौय है.

मृण्मयी की मां वर्षा उन दोनों के रिश्ते के खिलाफ थीं. वे लड़के की नौकरी और माली हालत को अपनी हैसियत के बराबर नहीं समझाती थीं, इसलिए उन्होंने अपनी बेटी मृण्मयी से इस रिश्ते से बाहर निकलने के लिए कहा.

पिता को खो चुकी मृण्मयी ने अपनी मां की बात मान ली. उस ने शिवांशु से ब्रेकअप कर लिया और उस से मिलनाजुलना भी बंद कर दिया. इस बात से नाराज शिवांशु एक रात मृण्मयी के घर पहुंच गया.

मृण्मयी की मां वर्षा शिवांशु को पहले से जानती थीं, इसलिए उन्होंने दरवाजा खोल कर उसे अंदर बुला लिया. घर में घुसने के बाद शिवांशु ने पहले तो मां को शादी के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन जब वे नहीं मानीं, तो उस ने कुत्ते की बैल्ट से गला घोंट कर उन की हत्या कर दी.

इसी तरह दिल्ली के रोहिणी इलाके में एक 24 साल के लड़के ने अपनी 19 साल की प्रेमिका की गला रेत कर हत्या करने की कोशिश की. बाद में खुद की भी जान ले ली.

दरअसल, अमित नाम का यह सिरफिरा आशिक उसी दफ्तर में काम करता था, जिस में लड़की काम करती थी. उसे लड़की से एकतरफा प्यार हो गया था. परेशान हो कर लड़की ने अमित से बात करना बंद कर दिया.

अमित यह बेरुखी सह नहीं सका. उस ने चाकू से लड़की पर हमला किया और उस का गला रेतने की कोशिश की. लेकिन औफिस के दूसरे लोगों ने उसे बचा लिया. फिर अमित ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और फांसी लगा कर खुदकुशी कर ली.

इस तरह के अपराध होने की वजह क्या है? दरअसल, आजकल हमारे पास अच्छी सोच विकसित करने के लिए कोई जरीया नहीं है. न हमारे पास वैसे लेखक हैं, जो समाज को सुधारने की बातें कहते हों या जिन के लेखन में कोई पैनापन झलकता हो. न हमारे पास पढ़ने के लिए वैसी किताबें हैं, जो हमें अच्छा नागरिक बनाएं.

हम बस विश्वास या कहें कि अंधविश्वास के सहारे चल रहे हैं. तभी हम कहते हैं कि धर्म ने ऐसा कहा, इसलिए यही सही है या प्यार ऐसे ही होता है और हम ऐसे ही प्यार करेंगे. इसी पर हमारा विश्वास है.

आज हमारे पास देखने के लिए जो फिल्म या सीरियल की कहानियां हैं, उन में तिकड़मबाजी, लालच और जबरदस्ती दिखाई जाती है. कुछ गिनीचुनी किताबें जो हम पढ़ते हैं, उन की कहानियों में भी आज इसी तरह के ही किरदार दिखाई देते हैं.

आज हमारे पास पढ़ने को बचा क्या है? लेदे कर एक मोबाइल है, जो सब के हाथों में होता है. हम उस में आंखें गड़ाए रखते हैं. उस में जो भी बेसिरपैर की बातें पढ़ने को मिलती हैं, वही हमारे मन में बैठती जाती हैं.

मोबाइल में ऐसी बेहूदा चीजें भी होती हैं, जिन का हमारी जिंदगी पर नैगेटिव असर पड़ता है. मगर हम उसे ही फौरवर्ड किए जाते हैं. इस में केवल विश्वास को बढ़ावा दिया जाता है. बस, इसी विश्वास के आधार पर हमारी सोच विकसित होती है. हम वैसा ही करने लग जाते हैं, जैसा हमें समझाया जा रहा है.

गलती हमारी नहीं, बल्कि गलती है हमारे माहौल की. गलती है समाज के बदलते हुए नजरिए की जिस ने हमें तिकड़मबाजी, लालच, बेईमानी जैसी बुराइयां सिखाई हैं.

आज कुछ पत्रिकाएं हैं, जो अच्छी सोच को समाज सुधारने का आधार मानती हैं. दिल्ली प्रैस की पत्रिकाएं ऐसी ही हैं, मगर समस्या यह है कि हम पढ़ने के लिए समय ही नहीं निकालते हैं. हम मोबाइल में लगे रहते हैं.

जब तक हम मोबाइल के जंजाल से पीछा नहीं छुड़ाएंगे, तब तक कुछ भी सही होने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?

चसका पराई औरत का

नंदू का अपने गांव की विधवा कमला से जिस्मानी संबंध अब लोगों में चर्चा की बात बन चुका है. नंदू की बीवी तारा इस वजह से अपने बच्चों को ले कर 2 महीने से मायके में बैठी हुई है.

सारा समाज नंदू की इस हरकत पर थूथू कर रहा है, लेकिन नंदू है कि विधवा कमला से अपने जिस्मानी संबंध तोड़ने को तैयार नहीं है.

मायके जाने से पहले नंदू की बीवी तारा भी कमला को समझाने और पति नंदू से जिस्मानी रिश्ता तोड़ लेने की गुहार लगाने कमला के पास गई थी, लेकिन कमला ने उस की एक नहीं सुनी और कहा, ‘‘तू अपने मर्द को बांध कर रख ले. मैं उस के पास नहीं जाती, वही मेरे पास आता है.’’

शबनम की शादीशुदा जिंदगी भी बुरी तरह गुजर रही है. वजह, शबनम का शौहर शब्बीर अपने चाचा की बीवी तनाज की जवानी में खोया रहता है. शब्बीर अपने घर न रह कर अकसर चाचा के घर ही पड़ा रहता है और वहां तनाज के जिस्मानी रूप का जाम पीता रहता है. चाचा की रोकटोक नहीं होने और तनाज की हामी के चलते शब्बीर की ये करतूतें मजे से चल रही हैं.

शब्बीर ने अपनी सारी दौलत तनाज को खुश करने में लुटा रखी है. तनाज की अदाओं के सामने शब्बीर अपनी बीवी को भी भुला बैठा है.

शब्बीर ने समाज के बंधनों को भी ताक पर रख दिया. बस, तनाज और उस के जिस्मानी रिश्तों को वह अपनी जिंदगी मानने लगा है और तनाज है कि शब्बीर को बेवकूफ बना कर उसे दोनों हाथों से लूट रही है.

दूसरे की औरत सभी मर्दों को अच्छी लगती है. पराई बीवी में मर्द को जवानी और जोश का सैलाब दिखता है. पराई औरत को भोगने की इच्छा तकरीबन सभी मर्दों में पाई जाती है. इस के लिए वे इज्जत को ताक पर रख जिस्मानी मजा लेने के लिए उतावले हो जाते हैं.

कुछ मर्दों को दूसरे की बीवी के ब्लाउज से झाकते उभार पसंद आते हैं, तो किसी को उस के हिलते हुए कूल्हे. कोई गैर की बीवी के कसे हुए जिस्म पर मरता है, तो कोई उस की नशीली अदाओं का शिकार हो जाता है.

ऐसा दर्शन पा कर उस पर लट्टू मर्द को अपनी बीवी बेकार लगने लगती है. उसे तब अपनी बीवी में न जवानी दिखती है और न ही सैक्सी अदाएं नजर आती हैं.

बदमाश किस्म की औरतें ऐसे मर्दों की तलाश में रहती हैं, जो उन के हुस्न पर पैसा लुटाए और जरूरत पड़ने पर उन की जिस्मानी प्यास को भी बुझाए.

इन औरतों का अपना कोई दीनईमान नहीं होता है. जब तक उन्हें पराए मर्द से पैसा मिलता है, तब तक वे उन के करीब रहती हैं. कंगाल मर्द को वे दूध में पड़ी मक्खी की तरह निकाल कर बाहर फेंक देती हैं.

सच यही है कि दूसरे की बीवी के चक्कर में पड़ने के बाद वह अपनी बीवी और समाज की नजर में गिर जाता है. बीवी भी अपने मर्द को दिल से माफ नहीं कर पाती है.

पराई औरत से जिस्मानी रिश्तों के चक्कर में ऐसे मर्दों को आखिर में बदनामी ही मिलती है. उन्हें हमेशा गलत नजर से देखने की जो आदत पड़ जाती है, वह भी आसानी से नहीं छूटती है.

दूसरे की बीवी से जिस्मानी रिश्ता बनाने के चलते मर्दों को कई अंदरूनी बीमारियों का शिकार होते भी देखा गया है. अनजाने में उस मर्द की बीवी भी शिकार हो जाती है. बीमारी के बढ़ने पर ही पता चलता है, लेकिन तब तक देर हो चुकी होती है.

गैर की बीवी गैर की ही होती है. सबकुछ लुटा देने के बाद भी वह गैर की रहती है. ऐसे में उस के लिए अपना घरपरिवार और जिंदगी बरबाद करना समझदारी वाली बात नहीं है. जो सुख पराई बीवी देती है, उस से कहीं ज्यादा मजा खुद की बीवी दे सकती है, फिर क्यों घर से बाहर दूसरे की बीवी में जिस्मानी सुख तलाशा जाए?

अच्छी बात तो यह होगी कि दूसरे की बीवी को अपनी बांहों में भरने की गलत आदत को छोड़ें. अपनी बीवी को प्यार करें, ताकि बीवी तो खुश रहे ही, घरपरिवार में भी सुख बना रहे.

जिस्मानी रिश्तों को अपनी जिंदगी से ज्यादा अहमियत न दें. दूसरे की बीवी अगर गलत इरादे से करीब आना चाहे, तो उस से दूरी बना कर रखें.

पटना ट्रिपल मर्डर, कैसे बना वह हथौड़े वाला हत्यारा

सुबह के 10 बज रहे थे. 50 साला अलीना सिंह अपनी दोनों बेटियों को स्कूल और कालेज भेज कर घर का काम निबटा रही थीं. उस समय घर में उन का सौतेला बेटा देवेश कुमार उर्फ रिंटू ही मौजूद था. अचानक देवेश कुमार ने अलीना के चेहरे पर कपड़ा लपेट दिया और सिर पर हथौड़ा मारमार कर उन्हें जान से मार डाला.

11 बजे अलीना की 11 साला छोटी बेटी पूर्णिमा स्कूल से घर आई, तो देवेश ने दरवाजा खोला. उस के बाद उस ने पूर्णिमा के सिर पर भी चादर लपेट कर हथौड़ा मारमार उस की जान ले ली.

दोपहर 1 बजे अलीना की 18 साला मझली बेटी सोनाली कालेज से घर लौटी और डोरबैल बजाई. देवेश ने दरवाजा खोला और उस का भी वही हाल किया, जो अलीना और पूर्णिमा का किया था.

15 दिसंबर को पटना के इंद्रपुरी महल्ले के जीरो नंबर रोड पर एक के बाद एक 3 कत्ल करने के बाद देवेश कुमार अपने पिता गोपाल शरण सिंह के पास पहुंचा.

दरअसल, देवेश ने ही गोपाल को सुबह 8 बजे उन के दोस्त धर्मपाल महतो के घर भेज दिया था.

देवेश ने गोपाल से कहा कि दिल्ली चलना है. जल्दी तैयार हो जाइए. उस के बाद दोनों पटना जंक्शन पहुंचे. देवेश ने किसी तरह से पटनादिल्ली राजधानी ऐक्सप्रैस ट्रेन में टिकट का इंतजाम किया और दोनों दिल्ली की ओर चल पड़े.

जब ट्रेन कानपुर के पास पहुंची, तो देवेश ने अपने पिता से कहा कि उस ने अपनी सौतेली मां समेत दोनों बहिनों को मार डाला.

गोपाल को तो पहले बेटे की इस हैवानियत पर यकीन नहीं हुआ, लेकिन जब सारा मामला उन्हें समझ में आया, तो वे जोरजोर से रोने लगे.

देवेश ने अपने हाथों से उन का मुंह दबा कर कहा कि वे रोएं नहीं, वरना वह पकड़ा जाएगा. इस के बाद देवेश ट्रेन से नीचे उतर गया.

ट्रेन जब दिल्ली पहुंची, तो गोपाल अपने छोटे बेटे ओंकार सिंह उर्फ चिंटू के कालकाजी इलाके में बने घर पहुंचे और उसे सारा माजरा बताया.

दिल्ली से ही गोपाल ने पटना में अपने पड़ोसी जोगिंदर को फोन कर के कहा कि वह उन के घर जा कर देखें कि वहां कुछ गड़बड़ तो नहीं है, क्योंकि घर में कोई भी फोन नहीं उठा रहा है.

जोगिंदर जब गोपाल के घर पहुंचा, तो चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था. गेट खोल कर वह अंदर गया, तो कमरे में पड़ी 3 लाशों को देख कर वह सन्न रह गया.

हड़बड़ी में वह भाग कर बाहर निकला और गोपाल को फोन कर सारा माजरा बताया. इस के बाद उस ने महल्ले वालों से बात कर पाटलीपुत्र थाने में खबर दी.

पटना के एसएसपी अमृतराज ने बताया कि हत्या करने का क्रूर तरीका बता देता है कि हत्यारा अलीना, सोनाली और पूर्णिमा से काफी नफरत करता था. हत्या को लूट का रंग देने के लिए उस ने कमरे में रखे बक्सों को उलटपुलट कर रख दिया था. इस मर्डर केस की जड़ में जायदाद का झगड़ा ही है.

रिटायर्ड क्लर्क गोपाल शरण सिंह का पटना के इंद्रपुरी महल्ले में डेढ़ कट्ठा यानी तकरीबन 2 हजार वर्ग फुट जमीन पर मकान बना हुआ है, जिस की कीमत तकरीबन 80 लाख रुपए है. इस के अलावा कटिहार के राजपूताना इलाके में 55 कट्ठा जमीन भी है, जिस की कीमत भी करोड़ों रुपए की आंकी गई है.

देवेश चाहता था कि पिता गोपाल शरण सिंह अपनी जायदाद का बंटवारा कर दें. पिता गोपाल बंटवारे को तैयार थे, पर अलीना इस के लिए तैयार नहीं थीं. वे चाहती थीं कि सोनाली और पूर्णिमा की शादी के बाद ही जायदाद का बंटवारा हो.

अलीना ने जमीन और मकान के सारे कागजात अपने कब्जे में कर रखे थे. इस मामले को ले कर अकसर घर में हल्लाहंगामा होता रहता था.

गोपाल के पड़ोसी बताते हैं कि गोपाल की पहली बीवी की मौत 20-22 साल पहले हो गई थी. इस के बाद उन्होंने अलीना से दूसरी शादी की. अलीना से उन की 3 बेटियां हुईं, जबकि पहली बीवी से 2 बेटे थे.

अलीना जब ब्याह कर घर आईं, तो उसी समय से उन्होंने गोपाल के बेटों को परेशान करना शुरू कर दिया. इस को ले कर अलीना और गोपाल में अकसर बकझक होती रहती थी. हार कर गोपाल ने अपने दोनों बेटों को हौस्टल में भेज दिया था. शुरुआती पढ़ाई करने के बाद गोपाल ने दोनों बेटों को पढ़ने के लिए दिल्ली भेज दिया था. दोनों भाई पिछले 12 सालों से दिल्ली में रह रहे थे.

कई पड़ोसियों ने बताया कि अलीना काफी सख्त मिजाज की औरत थीं और गोपाल उन के सामने घुटने टेके रहते थे. अलीना ने दोनों बेटों की शादी में भी गोपाल को नहीं जाने दिया था.

सौतेली मां और 2 बेटियों की हत्या करने में हैवानियत की हद पार कर देवेश फरार है. उस की शादी हो चुकी है और पिछले महीने ही वह बाप बना था.

मनोविज्ञानी अनिल पांड्या कहते हैं कि अपने परिवार के लोगों का कत्ल कर के देवेश हैवानियत की तमाम हदें पा कर गया. इस से पता चलता है कि उस के मन में अलीना को ले कर इस कदर नफरत थी कि वह उस की बेटियों को भी नहीं देखना चाहता होगा.

घरेलू झगड़ों के बढ़ते मामलों के बीच परिवार वालों को देखना समझना होगा कि ऐसे झगड़ों को तूल न पकड़ने दें और न ही ऐसे मामलों को लटका कर रखें.

लालच और गुस्से में मां की हत्या, कत्ल का खुलासा हैरान करने वाला

दिसंबर, 2012 को महाराष्ट्र के सांगली शहर में लालच के चलते एक बेटे ने अपनी मां का ही कत्ल कर दिया. खुद का कारोबार, घर और गाड़ी पाने के लालच में रूपेश पाटिल ने अपनी मां के साथसाथ अपने दूसरे रिश्तेदारों से भी रिश्ते खराब कर लिए थे. उस के रिश्ते इतने बिगड़ गए थे कि सासबहू के झगड़े में उसे अपनी मां विजयालक्ष्मी कांटा लगने लगी और गुस्से में उस ने अपनी मां का गला दबा कर हत्या कर दी.

बचपन में ही रूपेश के पिताजी की मौत हो गई थी. उस की मां ने उसे बड़े जतन से पालपोस कर बड़ा किया, पर मां के इसी प्यार की वजह से उस ने 10वीं से आगे पढ़ाई नहीं की. फिर वह अपने चाचा के मैडिकल स्टोर में काम करने लगा.

कुछ सालों बाद फार्मेसी से जुड़े किसी जानने वाले की बेटी शुभांगी के साथ रूपेश की शादी हुई.

शादी के बाद रूपेश बड़ा बनने के सपने देखने लगा. उसे लगने लगा कि उस की अपनी भी खुद की कोई दुकान हो. इस बीच उस की अपने चाचा के साथ किसी बात पर अनबन हो गई और उस ने उन का काम छोड़ दिया.

कारोबार के लिए रूपेश ने बैंक से 18 लाख रुपए का कर्ज लिया. उन्हीं पैसों में से उस ने घर बनवाने का काम भी शुरू कर दिया, पर बैंक की किस्तें समय पर न चुकाने के चलते बैंक ने उसे नोटिस भेज दिया.

चाचा से अलग होने की वजह से रूपेश की मां विजयालक्ष्मी भी उस से नाराज हो गईं. बहू के साथ भी उन की छोटीछोटी बातों को ले कर अनबन होने लगी.

अपना कर्जा कम करने के लिए रूपेश ने अपनी मां से उस के 15 तोले गहने और उस के नाम की कोथड़ी की एक एकड़ जमीन भी ले ली.

इस जमीन को बेचने के लिए वह ग्राहक ढूंढ़ने लगा. इस बीच मांबेटे के बीच की झगड़े की खबर सभी रिश्तेदारों में फैल गई और सभी रिश्तेदार रूपेश से नाराज हो गए.

ऐसे में रूपेश ने अपनी ससुराल का रुख किया और मां के सभी गहने उन के पास रखने को दे दिए. कर्ज ले कर पहला कर्जा कम करने की उस की मंसा थी. इसी बीच एक दिन घर में सासबहू के बीच झगड़ा हो गया. हमेशा के इस झगड़े से रूपेश तंग आ गया था, जिस की वजह से गुस्से में बौखला कर उस ने अपनी मां का तब तक गला दबाया, जब तक कि उस की जान नहीं चली गई.

अपना जुर्म छिपाने के लिए रूपेश ने घर में चोरी की मनगढ़ंत कहानी बनाई. उस की इस साजिश में उस की पत्नी शुभांगी भी शामिल थी.

साजिश की बू

रूपेश का पिछला रिकौर्ड देखते हुए पुलिस को इस हत्या के पीछे किसी साजिश की बू आने लगी. उन्होंने शक के आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया. सख्ती से पूछताछ करने पर आखिरकार उस ने अपनी जबान खोल दी.

रूपेश ने कबूल किया कि लालच और गुस्से में आ कर उस ने अपनी मां की गला दबा कर हत्या कर दी. रूपेश के साथ हत्या और पुलिस को चोरी की मनगढ़ंत कहानी सुना कर गुमराह करने के जुर्म में शुभांगी पर भी कार्यवाही की गई. पतिपत्नी की इस करतूत की वजह से उन की एक साल की बच्ची अनाथ हो गई.

पति की दी सुपारी, वजह जानकर खौल जाएगा खून

13 जुलाई, 2012 को महाराष्ट्र के परभणी के वसमत रोड के किनारे बसे शिवराम नगर में रहने वाले किशोर आहूजा के घर में कुछ अनजान हत्यारों ने घुस कर धारदार हथियार से उन की हत्या कर दी. साथ ही, 85 हजार रुपए नकद और जेवरात भी लूट लिए.

वारदात के बाद खुद सिमरन ने ही पुलिस स्टेशन में फोन कर के पुलिस को इस बात की जानकारी दी. पुलिस वाले जब घटना वाली जगह पर पहुंचे, तब किशोर के जिस्म पर लगे घाव के निशान देख कर उन्होंने यह शक जाहिर किया कि यह हत्या चोरी की मंशा से नहीं की गई है.

मामले की तहकीकात करने के लिए पुलिस उपाधीक्षक संदीप डोईफोडे और राहुल माकणीकर ने अलगअलग दल तैयार किए. पुलिस निरीक्षक सुनील जैतापुरकर ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तहकीकात की और किशोर की पत्नी सिमरन से पूछताछ की.

शुरू में तो सिमरन ने टालमटोल की और पुलिस को यह बताया कि किशोर उस पर बहुत जुल्म किया करता था और इस बारे में उस ने अपने भाई राम कृपलानी से भी शिकायत की थी, पर उस के इस जवाब से पुलिस वालों को तसल्ली नहीं हुई और उन्होंने सख्त रवैया अपनाया. इस के बाद सिमरन टूट गई और उस ने जो राज खोला, उस ने सब को हिला कर रख दिया.

पुलिस निरीक्षक सुनील जैतापुरकर ने बताया कि सिमरन ने इस बात का खुलासा किया कि उस का पति किशोर अपनी बेटी पर बुरी नजर रखता था. इसी बात पर पतिपत्नी में काफी झगड़ा भी होता था, पर किशोर पर इस का कोई असर नहीं होता था, इसलिए हार कर सिमरन ने किशोर को रास्ते से हटाने का फैसला किया और अपने भाई की मदद से किशोर की हत्या की सुपारी दे दी.

पुलिस ने इस हत्याकांड में शामिल सचिन भगवान कदम, सोनू पुयनी वडीयार, प्रकाश अण्णा डोंगरे, अजय पांडुरंग भोसले, निलेश रणजीत शिंदे और सद्दाम को गिरफ्तार कर लिया है.

सैक्स के लालच में ठगी का शिकार होते लोग

Crime News in Hindi: आजकल हर उम्र के लोग सैक्स के मजे के लिए इतने ज्यादा उतावले रहते हैं कि लड़कियां उन्हें आसानी से अपने जाल में फंसा लेती हैं. कुछ दिन पहले एक 25 साला खूबसूरत लड़की रागिनी ने आगरा के एक 50 साला कारोबारी रामदास के 3 लाख रुपए लूट लिए थे. कारोबारी रामदास धौलपुर के कुछ दुकानदारों से अपने सामान की उधारी के 3 लाख रुपए की उगाही कर स्कूटर से आगरा जा रहे थे. धौलपुर के बसस्टैंड से कुछ ही दूर पहुंचे थे कि सड़क के किनारे खड़ी एक लड़की ने उन से लिफ्ट मांगी. उस लड़की ने अपना नाम रागिनी बताया. तरस खा कर रामदास ने उसे अपने स्कूटर पर बिठा लिया. रागिनी ने जब उन की कमर को पकड़ा, तो उस के हाथ की छुअन से उन्हें बड़ा मजा आने लगा था.

जब उन्होंने स्कूटर की रफ्तार तेज की, तो रागिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘जरा आराम से चलिए. आप के साथ चलने में मुझे बड़ा मजा आ रहा है.’’

‘‘वह क्यों?’’ रामदास ने मुसकराते हुए उस से पूछा, तो वह बोली, ‘‘आप अभी भी एकदम जवान लगते हैं.’’

यह सुन कर रामदास खुश हो कर उस से बोले, ‘‘अब भी मुझ में इतनी ताकत है कि आप की उम्र की लड़की से सैक्स करूं, तो उसे भी 1-2 बार में पेट से कर सकता हूं.’’

रागिनी हंसते हुए बोली, ‘‘फिर तो आप काम के आदमी हैं.’’

‘‘कैसे?’’ सुन कर रामदास ने उस से पूछा, तो रागिनी बोली, ‘‘आगरा में मेरी एक सहेली है दीप्ति. 2 साल पहले उस की शादी हुई थी, मगर अभी तक उस के बच्चा नहीं हुआ है. उस का पति दिनरात उस से सैक्स करता है, मगर बच्चा ठहरता ही नहीं. अगर आप उस के साथ सैक्स कर के उसे पेट से कर दें, तो वह और मैं कभी आप का यह एहसान नहीं भूलेंगीं.’’

यह सुन कर कारोबारी रामदास चहकते हुए बोले, ‘‘अगर मैं तुम्हारी सहेली को पेट से कर दूं, तो इनाम में मुझे क्या मिलेगा?’’

‘‘आप को इनाम में क्या चाहिए?’’ रागिनी ने पूछा.

रामदास बोले, ‘‘इनाम में मैं तुम्हारे साथ सैक्स करना चाहता हूं.’’

रागिनी कमर में प्यार से चपत लगाते हुए बोली, ‘‘मैं आप को मजे देने के लिए तैयार हूं.’’

रामदास ने बीच रास्ते में ही स्कूटर रोका और रागिनी को पेड़ों की ओट में ले गए और अपनी बांहों में ले कर उस के गालों को चूम लिया. उस समय वे इतने उतावले हो रहे थे कि वे उसे झाडि़यों की ओर ले जाने लगे, तो वह उन की ओर मुसकरा कर बोली, ‘‘यहां पर कुछ मजा नहीं आएगा. आनेजाने वाले लोगों के डर से ठीक से सैक्स नहीं हो पाएगा. हम आगरा पहुंच कर आज रात किसी होटल में रुक कर पूरी रात सैक्स के मजे लेंगे. मैं अपनी उस सहेली को भी वहां ले आऊंगी.

‘‘पर यह ध्यान रखना कि आप को मेरी सहेली को पेट से करना है, मुझे नहीं. क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई है.’’

जब वे आगरा के निकट पहुंचे, तो रागिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘आप जरा यहीं पर खड़े रहिए. मेरी सहेली का घर पास में ही है. मैं उसे आप के स्कूटर से 10-15 मिनट में ले कर आती हूं.’’

इतना कह कर रागिनी उन के स्कूटर को ले कर अपनी सहेली के यहां पर चली गई.

शाम तक रामदास वहीं खड़े हो कर रागिनी के आने के इंतजार में परेशान हो गए थे, मगर वह वापस नहीं लौटी थी. कुछ दूरी पर उन्हें अपना स्कूटर तो मिल गया था, मगर उस की डिग्गी में रखे 3 लाख रुपए गायब थे.

यह देख कर रामदास उस खूबसूरत लड़की और उस की सहेली के साथ सैक्स के मजे के लालच पर पछतावे के आंसू बहा रहे थे.

कुछ इसी तरह से कचरा बीनने वाली 2 लड़कियों ने एक अफसर के 20 साला लड़के को लूटा था. दोपहर का समय था. संदीप और उस का दोस्त सुरेश बंगले का गेट खोल मोबाइल फोन पर गाने सुन रहे थे. उन्हें वहां पर कचरा बीनने वाली 2 लड़कियां दिखाई दीं. उन दोनों लड़कियों ने उन से पानी मांगा, तो उन्होंने फ्रिज से बोतल निकाल कर उन्हें पानी पिलाया.

उन में से एक लड़की ने उन की ओर मुसकरा कर देखा, तो संदीप ने उस का हाथ पकड़ लिया.

वह लड़की उस से बोली, ‘‘हाथ पकड़ने से क्या होगा? अगर मजे लेने हैं, तो कुछ खर्चा करना पड़ेगा.’’

यह सुन कर संदीप ने उन दोनों लड़कियों को अंदर आने को कहा.

संदीप ने उन से पूछा, ‘‘मजे देने के लिए तुम्हें क्या चाहिए?’’

एक लड़की बोली, ‘‘हमें सोने का कोई जेवर चाहिए.’’

संदीप कुछ सोचने लगा, तभी उन दोनों लड़कियों ने अपनी कमीज के बटन खोल कर दिखाए, तो संदीप और सुरेश ने जोश में आ कर उन्हें अपनी बांहों में भर लिया.

यह देख कर एक लड़की उस से बोली, ‘‘अगर मजे चाहिए, तो पहले हमें सोने का एकएक जेवर दो. हम आप को ऐसे मजे देंगे, जैसे अब तक किसी ने नहीं दिए होंगे.’’

संदीप ने अलमारी खोल कर उस में से 2 सोने की चेनें निकाल कर उन्हें दीं, तो वे दोनों मजे देने के लिए उन के बैड पर लेट गई थीं. उन दोनों से मजे लेते हुए संदीप और उस का दोस्त सुरेश खुशी से मुसकरा रहे थे.

मजे ले कर जब वे लोग एकदूसरे से अलग हुए, तो संदीप उन से बोला, ‘‘क्या तुम दोनों आज रात यहां आ सकती हो? यहां पर तुम्हें अंगरेजी शराब के साथसाथ खाने में लजीज चिकन व तंदूरी रोटियां मिलेंगी. 2-2 हजार रुपए भी मिलेंगे.’’

यह सुन कर वे दोनों लड़कियां रात में आने की कह कर वहां से चली गईं.

संदीप और उस का दोस्त सुरेश रात होने का इंतजार करने लगे थे. रात को जब वे दोनों लड़कियां वहां आईं, तो लड़कियों ने चुपके से शराब में नशे की गोलियां मिला कर संदीप और सुरेश को बेहोश कर दिया.

दोपहर में जब संदीप ने अलमारी से निकाल कर उन्हें सोने की चेनें दी थीं, तभी उन लड़कियों ने चाबी रखने की जगह देख ली थी, इसलिए उन दोनों को बेहोश करने के बाद उन्होंने अलमारी से सोने के सभी जेवर और रुपए निकाले और वहां से चंपत हो गईं.

संदीप को जब पता चला कि वे लड़कियां उसे लूट चुकी हैं, तो मारे घबराहट के उस ने ट्रेन के आगे छलांग लगा कर खुदकुशी कर ली. कुछ पलों का सुख संदीप के लिए जानलेवा साबित हुआ.

लड़की के चक्कर में बरबादी, समय रहते संभलें

11 जुलाई, 2011 को पटना के गांधी मैदान में एक आशिक ने अपनी मुहब्बत का इजहार किया, जिसे माशूका ने बेरहमी से ठुकरा दिया. आशिक ने जान देने की धमकी दी, लेकिन माशूका पर इस का कोई असर नहीं हुआ.

आशिक ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बगैर नहीं रह सकता… तुम्हें मुझ से शादी करनी ही पड़ेगी… मैं तुम्हारी शादी कहीं और नहीं होने दूंगा… अगर तुम मुझे नहीं मिली, तो मैं कुछ कर जाऊंगा…’’

माशूका ने मुंह बिचका कर गुस्से से कहा, ‘‘जाओ, जो करना है कर लो.’’

माशूका के इतना कहते ही आशिक ने अपने पेट में चाकू घुसेड़ लिया. आननफानन उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उस ने दम तोड़ दिया.

भरी दोपहरी में 26 साल के आशिक विद्याशंकर ने गिलेशिकवे दूर करने के लिए अपनी प्रेमिका 22 साला अर्चना को गांधी मैदान में बुलाया था.

दोनों पटना के खगौल इलाके में रहते थे. बीबीए की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बेंगलुरु से लौटा था और इग्नू में बीए की पढ़ाई कर रही अर्चना के साथ प्यार की पेंग बढ़ा रहा था.

23 अगस्त को रजत ने महात्मा गांधी पुल पर चढ़ कर गंगा नदी में छलांग लगा दी. पुल के नीचे मछली पकड़ने के लिए जाल बिछा कर बैठे मछुआरों ने उसे बचा लिया और पुलिस के हवाले कर दिया.

रजत ने पहले तो पुलिस को बताया कि पिता की डांट से नाराज हो कर उस ने खुदकुशी करने की कोशिश की थी. पुलिस ने उस के घर वालों को इस की जानकारी दी.

घर वाले जब थाने पहुंचे, तो पता चला कि रजत का किसी लड़की से इश्क चल रहा था. उस के मां और पिता ने उसे कई बार समझाया कि वह लड़की का चक्कर छोड़ कर पढ़ाईलिखाई में मन लगाए, लेकिन उस पर इश्क का भूत इस कदर सवार था कि उसे किसी की बात समझ में नहीं आ रही थी.

इस का नतीजा यह हुआ कि वह 12वीं के इम्तिहान में फेल हो गया. जब घर वालों ने डांटफटकार लगाई, तो वह खुदकुशी करने की नीयत से पुल से नीचे कूद गया.

प्यार जिंदगी के लिए जरूरी है, पर बेवक्त इस के फेर में फंस कर कई जिंदगियां बरबाद भी होती रही हैं. पढ़ाईलिखाई की उम्र में लड़की और प्यार के चक्कर में फंसना कई घनचक्करों को न्योता देना ही है.

आज के तेजी से बदलते लाइफ स्टाइल और फास्ट फूड कल्चर के बीच पनपे बच्चे हर कुछ फटाफट हासिल करने के चक्कर में लगे रहते हैं. चाहे पढ़ाई का मामला हो या कैरियर का या फिर प्यारमुहब्बत का, हर चीज फटाफट चाहिए. अगर सबकुछ उन के मन के मुताबिक नहीं हो पाता है, तो वे जान देनेलेने पर उतारू हो उठते हैं.

लड़की के चक्कर में फंसने पर समय, पढ़ाई, पैसा, कैरियर बरबाद होने के साथसाथ मां और पिता से रिश्ते भी खराब होते हैं. माली, दिमागी और जिस्मानी हर तरह का नुकसान होता है सो अलग.

समाजशास्त्री हेमंत राव कहते हैं कि कच्ची उम्र होने की वजह से नौजवानों में अच्छेबुरे की जानकारी नहीं होती है, जिस से वे लड़की के फेर में फंस कर अपना सबकुछ बरबाद कर डालते हैं. साथ ही, वे अपने मांबाप के सपनों को भी तोड़ देते हैं. सबकुछ लुटने के बाद जब सच का पता चलता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

चाहे पढ़नेलिखने वाले नौजवान हों या नौकरी करने वाले, वे लड़की के चक्कर में फंस कर अपने कीमती समय को बरबाद करते रहते हैं. लड़की पर प्यार का चक्कर चलाने वाले भले ही यह सोचें कि ऐसा कर के वे मर्दानगी दिखा रहे हैं, पर असल में वे लुटनेपिटने के रास्ते पर चल रहे होते हैं.

एक प्राइवेट बैंक में मैनेजर की नौकरी करने वाला विनीत बताता है कि किस तरह लड़की के चक्कर में फंस कर उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ा और किस तरह से उस की पारिवारिक जिंदगी चौपट हो गई.

बैंक में ही क्लर्क की नौकरी करने वाली एक लड़की के इश्क में फंसने के बाद विनीत खुद को बड़ा किस्मत वाला समझ रहा था. घर पर बीवी और दफ्तर में प्रेमिका पा कर वह फूला नहीं समाता था.

एक दिन उसे पता चला कि वह लड़की के प्यार में नहीं, चंगुल में बुरी तरह से फंस चुका है. लड़की ने उस के साथ बनाए जिस्मानी रिश्ते की वीडियो रिकौर्डिंग कर ली थी. वीडियो दिखा कर वह विनीत को ब्लैकमेल करने लगी. जबतब उस से पैसे ऐंठने लगी और नौकरी में तरक्की दिलाने के लिए दबाव बनाने लगी.

जब उस लड़की की मांगों को पूरा करना विनीत के बूते के बाहर की बात हो गई, तो वह दफ्तर से लंबी छुट्टी ले कर गायब हो गया. लड़की बारबार फोन पर उसे धमकी देने लगी.

जब विनीत उस के पास नहीं पहुंचा, तो उस लड़की ने उस की बीवी के मोबाइल फोन पर वीडियो को भेज दिया. उस के बाद विनीत दोबारा दफ्तर नहीं गया और अब उस की बीवी से तलाक का मुकदमा चल रहा है.

मगध यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर अरुण कुमार कहते हैं कि हर चीज हद में ही अच्छी मानी जाती है. पढ़ाईलिखाई, नौकरी, घरपरिवार, इज्जत वगैरह को ताक पर रख कर जो नौजवान लड़कियों के चक्कर में जरा सा मजा पाने के लालच में फंसते हैं, तो बाकी जिंदगी उन के लिए सजा बन जाती है.

पिता बन गया दुश्मन, ओनर किलिंग का खौफनाक किस्सा

उत्तर प्रदेश के जिला प्रतापगढ़ की कोतवाली पट्टी का एक गांव है असुढ़ी. इसी गांव के रहने वाले भास्कर पांडेय का बेटा सौरभ प्रतापगढ़ शहर में रह कर बीकौम कर रहा था. वह जिस कालेज में पढ़ता था, उसी कालेज में गांव धनगढ़ सराय छिवलहां के रहने वाले राकेश कुमार सिंह की बेटी संजू सिंह भी बीएड कर रही थी. सौरभ और संजू आसपास के गांवों के रहने वाले थे, इसलिए दोनों में जानपहचान हो गई. दोनों की यह जानपहचान जल्दी ही दोस्ती में बदली तो दोनों अकसर मिलनेजुलने लगे. लगातार मिलने से दोनों में प्यार हो गया. धीरेधीरे उन का प्यार बढ़ता गया. फिर तो यह हाल हो गया कि जब तक दोनों एकदूसरे को देख न लेते, बातचीत न कर लेते, उन्हें चैन न मिलता.

सौरभ और संजू का यह प्यार परवान चढ़ा तो उन्होंने साथसाथ जीनेमरने की कसमें ही नहीं खाईं, बल्कि निश्चय कर लिया कि कुछ भी हो, लोग कितना भी विरोध करें, वे शादी जरूर करेंगे. लेकिन यह इतना आसान नहीं था. इस की वजह यह थी कि दोनों की जाति अलगअलग थी.

सच है, प्यार न तो जाति देखता है और न ही धर्म. संजू और सौरभ के साथ भी यही हुआ था. उन के प्यार को जमाने की नजर न लगे, उन्हें किसी तरह जुदा न कर दिया जाए, यह सोच कर उन्होंने शादी करने का फैसला ही नहीं किया, बल्कि पड़ोसी जिला इलाहाबाद जा कर पानदरीबा स्थित आर्यसमाज मंदिर में वहां की रीतिरिवाज के अनुसार विवाह कर लिया. यह 1 जुलाई, 2016 की बात है.

विवाह करने के बाद संजू अपने घर आ गई थी. उस के विवाह की भनक घर के किसी भी आदमी को नहीं लग पाई थी. शादी के बाद सौरभ आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चला गया. वहां वह पढ़ाई के साथसाथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी भी कर रहा था.

सौरभ के लखनऊ चले जाने के बाद संजू की उस से मोबाइल पर बातें जरूर हो रही थीं, लेकिन वह खुद को अकेली महसूस कर रही थी. उसे सौरभ की दूरी बहुत परेशान कर रही थी. संजू भी पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी, इसलिए सौरभ ने आगे की पढ़ाई के लिए कानपुर में उस का एमएड में रजिस्ट्रेशन करा दिया.

कानपुर आने के बाद संजू सौरभ के साथ रहने की जिद करने लगी और 18 सितंबर, 2016 को वह लखनऊ आ गई. सौरभ लखनऊ के आशियाना में रहता था. संजू उसी के साथ उस के कमरे पर रहने लगी.

आगे चल कर कोई परेशानी न हो, इस के लिए 20 सितंबर, 2016 को सौरभ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में संजू के साथ कोर्टमैरिज कर ली. इस के बाद संजू के घर वालों को सौरभ के साथ उस की शादी का पता चल गया. चूंकि सौरभ उन की जाति का नहीं था, इसलिए पूरा परिवार आगबबूला हो उठा. बेटी द्वारा लिया गया यह निर्णय किसी को स्वीकार नहीं था. खास कर संजू के पिता राकेश कुमार सिंह को.

बेटी की इस हरकत से वह काफी नाराज थे. जबकि सौरभ के घर वाले बेटे के इस प्यार के बारे में जानते तो थे ही, उन्हें संजू बहू के रूप में स्वीकार भी थी. संजू के पिता राकेश सिंह जनता इंटर कालेज उड़ैयाडीह के प्रधानाचार्य थे. ऐसे में अपनी इज्जत को ले कर वह काफी परेशान थे. किसी भी कीमत पर वह इस शादी के लिए तैयार नहीं थे.

बेटी की इस हरकत से वह काफी तनाव में रहने लगे थे. वैसे भी वह काफी उग्र स्वभाव के थे. यही कारण था कि उन के घर के अन्य लोग संजू का प्रेम विवाह चाह कर भी स्वीकार करने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे.

संजू के लखनऊ आने के बाद दोनों पतिपत्नी की तरह रहते हुए अपनी आगे की पढ़ाई कर रहे थे और भविष्य के सपनों में खोए रहते थे. उन्हें जरा भी अंदाजा नहीं था कि एक ऐसा तूफान आने वाला है, जो उन की जिंदगी को झकझोर कर रख देगा.

सौरभ और संजू के दिन अच्छी तरह से कट रहे थे. लेकिन 10 अक्तूबर, 2016 को संजू के पिता राकेश कुमार सिंह अचानक सौरभ के कमरे पर आ धमके तो उन्हें देख कर पहले तो दोनों डरे, लेकिन जब उन्होंने कहा कि घबराने की कोई बात नहीं है, उन्होंने उन्हें माफ कर दिया है तो दोनों को थोड़ी राहत मिली.

राकेश कुमार सिंह ने कहा, ‘‘बच्चो, तुम्हारी शादी से हमें कोई परेशानी नहीं है. जो होना था, वह हो गया है. अब हम चाहते हैं कि समाज के जो रीतिरिवाज हैं, उन का पालन किया जाए.’’

इस के बाद संजू और सौरभ को विश्वास में ले कर गांव में धूमधाम से दोनों की शादी की बात कह कर राकेश कुमार सिंह संजू को अपने साथ ले कर गांव लौट आए.

सौरभ भी खुश था कि चलो देर ही सही, उस के ससुरजी ने नाराजगी त्याग कर बेटी को और उसे अपना लिया है. लेकिन संजू के गांव जाने के बाद जब उस ने उस से बात करने की कोशिश की तो बात नहीं हो सकी. क्योंकि संजू को उस से बात नहीं करने दी जा रही थी.

संजू पर तमाम पाबंदियां लगा दी गई थीं. एक तरह से उसे बंधक बना लिया गया था. 10 अक्तूबर, से 31 अक्तूबर, 2016 तक जब संजू से बात न हो पाई तो सौरभ अपनी ससुराल जा पहुंचा. लेकिन संजू से मिलने की कौन कहे, उसे घर पर रुकने तक नहीं दिया गया. उसे दुत्कार कर भगा दिया गया.

ऐसा कई बार हुआ तो सौरभ ने पत्नी को पाने के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से गुहार लगाई. इस का नतीजा यह निकला कि 3 नवंबर, 2016 को हाईकोर्ट ने संजू को उसे सौंपने का आदेश तो दे दिया, साथ ही हाईकोर्ट में भी पेश करने को कहा. लेकिन निर्धारित तारीख पर संजू को हाईकोर्ट में पेश नहीं किया गया.

इस के बाद पट्टी कोतवाली पुलिस ने राकेश कुमार सिंह को संजू के साथ थाने बुलाया, जहां हुई पंचायत में संजू अपने पिता के साथ जाने को तैयार नहीं थी. वह बारबार अपने पति सौरभ के साथ जाने की बात कर रही थी. उस का कहना था कि उस ने सौरभ को ही अपना सब कुछ मान लिया है, अब वह मरेगी तो उसी के साथ और जिएगी भी तो उसी के साथ.

थाने में हुई पंचायत में संजू के फैसले एवं हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद राकेश कुमार सिंह पुलिस पर दबाव डलवा कर संजू को अपने साथ घर ले आए. जबकि सौरभ ने पुलिस को हाईकोर्ट का आदेश दिखाने के साथ कोर्टमैरिज का प्रमाणपत्र भी दिखाया था. लेकिन पुलिस ने उस की एक नहीं सुनी थी.

30 अक्तूबर को दीपावली का त्यौहार था, जिस की वजह से कुछ नहीं हो सका. अगले दिन 31 अक्तूबर को पट्टी कोतवाली में सौरभ ने अपनी पत्नी संजू की जान का खतरा बताते हुए उस के पिता राकेश कुमार सिंह समेत 3 लोगों के खिलाफ नामजद तहरीर देते हुए न्याय की गुहार लगाई.

इस के अलावा सौरभ एसपी माधवप्रसाद वर्मा से मिला और उन्हें भी तहरीर दे कर पत्नी की जान बचाने की गुहार लगाई. एसपी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए न केवल संजू को सौरभ के सुपुर्द कराने के निर्देश दिए, बल्कि सौरभ की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर काररवाई करने का भी आदेश दिया.

उन के आदेश का यह असर हुआ कि पट्टी कोतवाली पुलिस ने 2 नवंबर, 2016 को सौरभ की तहरीर पर राकेश कुमार सिंह, उस के छोटे भाई धीरेंद्र सिंह और छोटे बेटे शुभम के खिलाफ अपराध संख्या 376/2016 पर भादंवि की धारा 368 के तहत मुकदमा तो दर्ज कर लिया, लेकिन तुरंत कोई काररवाई नहीं की.

2 नवंबर को गांव धनगढ़ के लोगों से पट्टी पुलिस को पता चला कि संजू की मौत हो गई है तो पुलिस के हाथपांव फूल गए. पुलिस तुरंत गांव पहुंची और आननफानन संजू की लाश को कब्जे में ले कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया, साथ ही अपहरण के मुकदमे में हत्या की धारा 302 जोड़ कर नामजद लोगों की तलाश शुरू कर दी.

3 नवंबर, 2016 की सुबह संजू के पिता राकेश कुमार सिंह को उड़ैयाडीह मोड़ से गिरफ्तार कर लिया गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला था कि संजू की मौत जहर से हुई थी. थाने ला कर राकेश कुमार सिंह से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा कि संजू ने उन की इज्जत से खिलवाड़ किया था, जिस की सजा जहर दे कर उस की हत्या कर के दी गई.

पूछताछ के बाद पटटी कोतवाली प्रभारी इंसपेक्टर राजकिशोर ने उसे अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया. इस के बाद वह संजू के चाचा धीरेंद्र सिंह तथा भाई शुभम की तलाश में लगे थे. कथा लिखे जाने तक दोनों पकड़े नहीं जा सके थे.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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