मेरे पति काफी देर तक फोरप्ले करते हैं जबकि मैं चाहती हूं कि फटाफट संबंध बनाकर फारिग हो जाएं, बताएं मैं क्या करूं.

सवाल
मैं शादीशुदा युवती हूं. मेरी समस्या थोड़ी अजीब है. मेरे पति सहवास से पहले आलिंगन, चुंबन व स्तन मर्दन आदि काफी देर तक करते हैं. उन्हें इस में पता नहीं क्या आनंद आता है, जबकि मैं थक जाती हूं. मैं चाहती हूं कि फटाफट संबंध बना कर फारिग हो सो जाएं. बावजूद इस के वे पूरी तरह से इस में तल्लीन हो जाते हैं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब
आलिंगन चुंबन आदि सहवास पूर्व की रति क्रीड़ाएं हैं. इन से कामोत्तेजना बढ़ती है और सहवास का आनंद दोगुना हो जाता है. आप को पति को पूर्ण सहयोग देना चाहिए. हमबिस्तरी में तन के साथ साथ मन से भी प्रवृत्त होना चाहिए, तभी पति पत्नी दोनों को आनंदानुभूति होती है. आप को मालूम होना चाहिए कि सैक्स दांपत्य जीवन की धुरी होती है. अत: इस से विमुख न हों.

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हौले हौले छुअन से दोगुना होगा मजा

जया और रमिका लंच कर रही थीं. 8 घंटे की औफिस ड्यूटी के बीच यही समय मिलता है दोनों को अपना सुखदुख बांटने का. दोनों की हाल ही में शादी हुई है. पिछले 5 सालों से दोनों एक ही कंपनी में काम कर रही हैं.

खाना खाने के बाद वे एकदूसरे से बैडरूम की बातें करने लगीं. बातें गरमागरम थीं इसलिए वे दोनों औफिस से नजदीक ही एक पार्क में चहलकदमी करने लगीं.

जया ने बताया कि उस की सैक्स लाइफ काफी रोचक है. पतिपत्नी सैक्स में कई तरह के प्रयोग करते हैं. कभी उभार चूमना और उंगलियां फेरना एकसाथ करते हैं, तो कभी कंडोम पहनने के बाद उभार को उठा कर उसे चूमते हैं. इस मस्ती भरी छुअन के बाद वे सैक्स का मजा लेते हैं.

जया की इस बात पर रमिका मुसकराई. जया के पूछने पर रमिका ने बताया कि उस के पति उसे संतुष्ट नहीं करते. यह सुन कर जया चौंक गई.

इस पर रमिका ने कहा, ‘‘मेरा वह मतलब नहीं था. मेरे पति के लिए सैक्स का मतलब है न्यूड हो कर मेरे ऊपर आओ. शादी के 1-2 महीने बाद तक मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन अब नहीं.

‘‘जया बताओ न, मैं क्या करूं? मुझे सैक्स को बोरिंग नहीं बनाना है.’’

जया ने रमिका को सैक्स बटन के बारे में बताया जिन को इस्तेमाल में ला कर आज रमिका खुश दिखती है.

क्या आप जानते हैं सैक्स बटन की एबीसी?

दरअसल, औरतों में सिर से ले कर पैर तक सारे अंग कामुक होते हैं. अगर आप जानते हैं कि उन्हें सही तरीके से कैसे छूना है तो उन के शरीर का हर अंग मजा दिला सकता है.

होंठ

होंठ चूमना किसी औरत के लिए एक बड़ा टर्निंग पौइंट होता है. जब रिलेशन बन रहे होते हैं तो चूमना ऐसी पहली चीज होती है जो पहले मना की जाती है, लेकिन इस में देरी न करें.

होंठ उत्तेजक नसों से लबालब भरे होते हैं. लिहाजा, इन्हें तुरंत जीभ में नहीं डुबाना चाहिए. सब से पहले औरत के निचले होंठ पर अपनी जीभ फेरें, फिर उसे अपने होंठों के बीच फंसा कर चूसें. साथ ही, उसे भी ऐसा करने दें.

जब आप उसे चूम रहे हों तो अपने हाथ उस की गरदन पर रखें या फिर उस की कमर या कूल्हों पर या फिर इस दौरान इन सभी जगहों पर हाथ फेर सकते हैं.

बैकबोन

इस हिस्से के बारे में बहुत से लोग अनजान हैं, लेकिन यह औरतों को सब से ज्यादा जोश में लाने वाली जगह होती है. आप उन की स्पाइन पर अपनी उंगलियों को आराम से फिराएं. इस से आप अपने पार्टनर को बहुत जल्द कामुक कर सकते हैं.

उंगली

जीभ के बाद उंगलियों को शरीर का सब से सैंसिटिव हिस्सा माना जाता है. आप अपने पार्टनर की उंगलियों के ऊपरी हिस्से को चूम सकते हैं या हलके से दांत भी चुभा सकते हैं. दबाने से औरतों में जोश बढ़ता है. साथ ही, जैसेजैसे जोश बढ़ता जाता है आप को उस की उंगलियों को अपने होंठों के बीच ले जाना चाहिए, फिर होंठों से सहलाते हुए धीरेधीरे चूसना चाहिए. इस से वह नशे की सी हालत में आ जाएगी.

गरदन

औरतों की गरदन को भी काफी सैंसिटिव माना जाता है. गरदन की स्किन काफी पतली होती है, इसलिए यहां छूने पर काफी अच्छा महसूस होता है.

अगर आप अपनी उंगलियां सही जगह रख कर कौलरबोन सहलाएं तो पार्टनर को बहुत अच्छा महसूस होगा.

कान

जोश में लाने वाले बौडी पार्ट्स में कान बहुत काम के होते हैं. अपने पार्टनर के कानों को अपने होंठों से छुएं, चूमें या हलका सा काट लें और फिर देखिए उन का मूड.

पैर

बिस्तर पर जाने से पहले आप अपने पार्टनर से पैर धोने की गुजारिश करें, क्योंकि पैर सैक्सी होते हैं और इन्हें भी प्यार की जरूरत है.

पार्टनर के तलवों को चूम कर आप उसे जोश में ला सकते हैं. शुरुआत छोटी उंगली से करें. पैरों को सहलाते हुए रगड़ना एक औरत के लिए यह जबरदस्त अनुभव होता है. इस से उस के शरीर के दूसरे अंग भी उत्तेजित होने लगते हैं. इस की वजह यह है कि पैरों को सहलाने पर दिमाग का एक बड़ा हिस्सा जोश का अनुभव करता है इसलिए सैक्स से इस काम को नजरअंदाज न करें.

स्तन

स्तन महिला के सैक्सुअल अंगों में खास जगह रखते हैं. पर इस के लिए सीधे छलांग न लगाएं. स्तनों को तब तक न छुएं जब तक कि आप को यह न पता चल जाए कि वह चाह रही है कि आप उस के स्तनों को छुएं.

इस के लिए शुरुआत किनारे से करें, फिर गोल घेरे में अपनी उंगलियां स्तनों के चारों ओर घुमाएं. ऐसा तब तक करें जब तक स्तनों के निप्पल के चारों ओर के गुलाबी या भूरे रंग के गोल घेरे तक न पहुंच जाएं. यहां कुछ देर तक उंगलियां फिराने के बाद निप्पल तक पहुंचना चाहिए.

अब आप निप्पल को सहलाते हुए थपथपाएं, खींचें, दबाएं, चूमें और चूसें. इस दौरान आप चाहें तो हलके से दांतों से काट सकते हैं.

जब आप का मुंह एक स्तन पर है तो इस दौरान आप का हाथ दूसरे स्तन पर होना चाहिए तभी वह सबकुछ सौंपने को तैयार होगी. इस के बाद स्तन बदल कर यही दोहराएं. फिर दोनों हाथों से स्तनों को जम कर दबाना चाहिए. साथ ही, बीच में अपने पार्टनर से पूछें कि उसे स्तनों में कौन सी छुअन मजा देती.

कभी भी पार्टनर की इच्छाओं को नजरअंदाज न करें. स्तनों के बीच का हिस्सा कई बार नजरअंदाज कर दिया जाता है, जबकि यह भी कामुक जगह  है.

भग

भग क्षेत्र में छलांग लगाना काफी आसान होता है लेकिन उस के पहले उस गूदेदार क्षेत्र को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए जो रोमों से घिरा होता है. इसे थपथपाना और रगड़ना पार्टनर को सिसकने पर मजबूर कर देगा.

योनि वह दूसरा क्षेत्र है जहां कई आदमी स्तनों को उत्तेजित करने के बाद सीधे पहुंच जाते हैं. जैसे ही औरतें उत्तेजित होती हैं उन का गर्भद्वार ऊपर की ओर खिसक जाता है, जिस से योनि की गहराई बढ़ जाती है और आप को गहरे तक जाने का मजा मिलता है.

इसलिए यह आप की पसंद का मामला है कि आप उसे कितना गीला कर सकते हैं. जितना समय यहां दिया जाएगा उतना ही मजा आप को प्रवेश पर मिलेगा.

सुहागरात को जब मैंने पति के साथ सेक्स किया तो मुझे ब्लीडिंग नहीं हुई, बताएं ऐसा क्यों हुआ?

सवाल

मैं 22 वर्षीय युवती हूं. 6 महीने पहले ही मेरा विवाह हुआ है. मैं एक बात को ले कर बहुत परेशान हूं. सुहागरात को जब मैं ने पति के साथ सहवास किया तो रक्तस्राव नहीं हुआ. मैं ने आज तक किसी से संबंध बनाना तो दूर दोस्ती तक नहीं की. फिर प्रथम समागम के दौरान रक्तस्राव क्यों नहीं हुआ. भले ही मेरे पति ने इस बात पर गौर नहीं किया पर यह बात मुझे अंदर ही अंदर खाए जा रही है. कृपया बताएं ऐसा क्यों हुआ?

जवाब

सुहागरात को संबंध बनाने के दौरान आप को रक्तस्राव नहीं हुआ इस बात को ले कर आप को परेशान नहीं होना चाहिए. बहुत बार दौड़तेभागते या गिरने आदि से कौमार्य झिल्ली फट जाती है. आप के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ होगा, इसलिए आप बेवजह परेशान न हों और वैवाहिक जीवन का आनंद उठाएं. अभी आप की नईनई शादी हुई है. रोमांस करने के समय में बेकार की बातों को ले कर परेशान न होएं.

कई महिलाओं को संभोग के बाद रक्त स्त्राव होता है. वैसे तो यह एक सामान्य प्रक्रिया होती है, लेकिन कुछ मामलों में यह अन्य समस्याओं की ओर भी इशारा करती है. पीरियड्स के दौरान सेक्स करने से योनि से खून आता है. लेकिन, यह महिलाओं की योनि में सेक्स के समय लगी किसी चोट, संक्रमण व सर्वाइकल कैंसर का भी संकेत करता है. अगर सेक्स के बाद योनि से लगातार खून निकल रहा हो तो इस स्थिति में आपको तुरंत किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

सेक्स करते समय खून क्यों आता है?

सेक्स के बाद योनि से खून आने की समस्या को चिकित्सा जगत में पोस्टकोइटल ब्लीडिंग (Postcoital bleeding) के नाम से जाना जाता है. यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकती है. जो महिलाएं रजोनिवृत्ति की स्थिति में नहीं है, उनमें इस तरह की समस्या गर्भाशय ग्रीवा के कारण उत्पन्न होती है, जबकि रजोनिवृत्ति से गुजर रही महिलाओं में यह समस्या कई अन्य कारणों से भी होती हैं.

महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर एक चिंता का विषय है. खासकर रजोनिवृत्ति वाली महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है. सेक्स के बाद महिलाओं की योनि से इस कारण भी खून आता है.

इसके अलावा कुछ ऐसे कारण भी हैं, जिनकी वजह से सेक्स के बाद रक्त स्त्राव होता है.

संक्रमण होना कुछ संक्रमण में सूजन व ऊतक भी योनि से खून आने की वजह होते हैं. इसमें निम्न संक्रमण शामिल होते हैं –

  • श्रोणि में सूजन की बीमारी (Pelvic inflammatory disease)
  • एसटीडी- यौन संचारित रोग
  • गर्भावशय की ग्रीवा में सूजन (Cervicitis)
  • योनि में सूजन (Vaginitis; वैजिनाइटिस)

रजोनिवृत्ति में जेनिटोयुरनेरी सिंड्रोम

यह सिंड्रोम महिलाओं की योनि की सक्रियता को कम करने का इशारा करता है. यह रोग रजोनिवृत्ति के समय व अंडाशय निकालने के कारण होता है. महिलाओं की अधिक उम्र होने पर महवारी बंद हो जाती है और ऐसे उनके शरीर में एस्ट्रोजन के बनने का स्तर कम हो जाता है. एस्ट्रोजन महिलाओं के शरीर में प्रजनन के लिए जिम्मेदार होता है.

महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से कई तरह के रोग उत्पन्न होने लगते हैं. इससे महिलाओं की योनि में कम ल्युब्रिकेशन बनता है. जिससे महिलाओं की योनि में सूखापन व जलन होने लगती है. एस्ट्रोजन का स्तर कम होने से योनि के लचिलेपन पर भी असर पड़ता है. योनि के ऊतक सिकुड़ जाते हैं. जिसकी वजह से सेक्स के समय दर्द, असहजता व खून आता है.

पोलिप्स (Polyps)

यह एक प्रकार का बैक्टीरिया होता है. इसके होने से कैंसर का खतरा नहीं रहता है. यह महिलाओं के गर्भाशय ग्रीवा व गर्भाशय की अंदरूनी परत में भी हो जाते हैं. यह गोल आकार के होते हैं. इनके सक्रिय होने पर यह ऊतकों में जलन व रक्त वाहिकाओं में ब्लीडिंग की वजह बनते हैं.

जोश में सेक्स करना

जोश के साथ सेक्स करना भी योनि से खून आने का कारण होता है, क्योंकि इस तरह के सेक्स में शारीरिक बल लगाया जाता है जिससे योनि में खरोंच आ जाती है. रजोनिवृत्ति, स्तनपान व योनि में रूखापन होने के कारण भी योनि से खून आता है.

कैंसर

योनि से लगातार खून आना या सेक्स के बाद खून आना सर्वाइकल व योनि के कैंसर का लक्षण होता है. इस तरह के लक्षण पाए जाने वाली कई महिलाओं की जांच में सर्वाइकल कैंसर पाया गया है. इसके अलावा कई मामलों में गर्भाशय के कैंसर को भी पाया गया.

योनि में सूखापन होना

योनि का सूखापन रक्त स्त्राव होने का आम कारण होता है. इसके अलावा भी योनि से खून बहने के निम्न अन्य कारण होते हैं –

  • स्तनपान कराना.
  • बच्चे के जन्म के बाद.
  • अंडाशय को निकालना
  • कई दवाएं, जैसे- सर्दी में ली जाने वाली दवाएं, अस्थमा की दवा, अवसाद को कम करने वाली दवाएं व एस्ट्रोजन को कम करने वाली दवाएं आदि.
  • किमोथेरेपी व रेडीएशन थेरेपी.
  • शारीरिक बल व जोश के साथ सेक्स करना.
  • किसी कैमिकल से योनि को साफ करना.

क्या सेक्स के बाद योनि से खून आना किसी समस्या की ओर संकेत करता है?

अगर आपको सेक्स के बाद खून आ रहा हो तो यह सामान्य स्तिथि होती है. लेकिन इस स्थिति के बारे में सही जानकारी के लिए आपको डॉक्टर से मिलना होगा. अगर आपको पीरियड्स के कुछ समय पहले या बाद के दौरान सेक्स करने के बाद खून आए तो आपको डॉक्टर से इस विषय पर अवश्य परार्मश कर लेना चाहिए. जब तक डॉक्टर की जांच की रिपोर्ट आपको न पता चले तब तक दोबारा सेक्स न करें. कई बार संक्रमण व किसी अन्य गंभीर समस्या के कारण भी संभोग के बाद योनि से खून आने लगता है.

सेक्स के बाद ब्लीडिंग होने पर डॉक्टर से कब मिलना है जरूरी

सेक्स के बाद खून आने के लक्षण इसके कारण के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं. अगर आपको सेक्स के बाद बेहद ही कम रक्त स्त्राव हो रहा हो, तो आपको इस स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है.

इन लक्षणों के दिखाई देने पर डॉक्टर से तुरंत मिलें.

  • योनि में खुजली और जलन,
  • मूत्रत्याग में जलन महसूस होना,
  • संभोग करते समय अधिक दर्द होना,
  • अधिक खून बहना,
  • पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द,
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द,
  • जी मिचलाना और उल्टी आना,
  • योनि से सफेद पानी आना इत्यादि.

संभोग के बाद खून बहने पर कौन से परीक्षण कराएं?

यौन संबंध के बाद खून बहना आमतौर पर योनि के रूखेपन के कारण होता है, लेकिन कई बार यह समस्या गंभीर भी हो सकती है. इसमें डॉक्टर सबसे पहले कैंसर की जांच करते हैं. जिसमें वह आपकी योनि व गर्भाशय ग्रीवा की जांच के लिए पैप स्मीयर (Pap Smear) टेस्ट करते हैं. कैंसर की पहचान होने पर कैंसर विशेषज्ञ के पास आपको भेज दिया जाता है.

यौन संबंध के बाद खून बहने के अतिरिक्त कारणों की जांच निम्न परीक्षण से की जाती है.

  • कोलपोस्कोपी (Coloscope) – इसमें महिलाओं की योनि व गर्भाशय ग्रीवा की जांच की जाती है.
  • ट्रांसवैजाइनल अल्ट्रासाउंड.
  • यूरीन टेस्ट (मूत्र का परीक्षण).
  • खून की जांच.
  • योनि से निकलने वाले सफेद पानी की जांच.

यौन संबंध बनाने के बाद खून आने का इलाज

यौन संबंध बनाने के बाद योनि से खून आने के कारणों के आधार पर इस समस्या का इलाज किया जाता है. जिनमें निम्न प्रमुख हैं –

ल्यूब्रिकेंट्स –

अगर आपकी योनि से खून आने की वजह रूखापन है तो आपको योनि में मॉइश्चराइजर लगना चाहिए. नियमित रूप से मॉइश्चराइजर को योनि की त्वचा पर लगाने से यह योनि की अंदरूनी त्वचा को मॉइश्चराइज करता है. इससे रूखापन खत्म होकर त्वचा में नमीं आने लगती है.

योनि के लिए आने वाले ल्यूब्रिकेंट्स के इस्तेमाल से संभोग के समय त्वचा के घर्षण से छिलने की समस्या कम हो जाती है. पानी युक्त ल्यूब्रिकेंट सेक्स के समय योनि से आने वाले खून को कम कर देता है. तेल युक्त ल्यूब्रिकेंट व कंडोम को साथ में इस्तेमाल करने से कंडोम के कटने या फटने का डर बना रहता है. इसलिए आप पानीयुक्त ल्यूब्रिकेंट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके साथ ही साथ यौन संबंध बनाते समय तेजी या जोश दिखाने की जरूरत नहीं हैं. अगर जोश में महिला को समस्या हो रही है तो आपको तुरंत रूक जाना होगा या इसको आराम से धीरे-धीरे करना होगा.

एस्ट्रोजन थेरेपी –

रजोनिवृत्ति या अंडाशय को बाहर निकलवाने से योनि में रूखापन आने की वजह में आप एस्ट्रोजन थेरेपी को अपना सकती हैं. योनि के लिए आने वाली एस्टोजन क्रीम व अन्य उपादों का इस्तेमाल कर सकती हैं. योनि से खून आने की स्थिति में आप एस्ट्रोजन अंगूठी (रिंग) का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. इस लचीली अंगूठी को योनि में अंदर लगाई जाती है. यह सीमित मात्रा में एस्ट्रोजन को करीब 90 दिनों तक स्त्रावित करता है. ओरल हार्मोन थेरेपी में एस्ट्रोजन व प्रोजेस्टीन को बदल दिया जाता है.  इसके लावा भी महिलाओं के लिए कई अन्य विकल्प मौजूद है.

अन्य इलाज –

योनि में सूजन आना रूखेपन व संक्रमण की ओर संकेत करता है. इसके कारण अज्ञात हो सकते हैं. आपके डॉक्टर द्वारा दी जाने वाली एंटीबॉटिक के कारण भी ऐसा हो सकता है. श्रोणी में दर्द व यौन संचारित रोगों की दवा के साथ भी आपको एंटीबॉयोटिक की दवा दी जा सकती है. इसके अलावा गर्भाशय ग्रीवा में संक्रमण होने पर भी डॉक्टर आपको कुछ ऐसी दवाएं दे सकते हैं, जिससे आपको योनि में रूखापन हो जाता है.

मेरा देवर मुझे बहुत पसंद करता है लेकिन मैं अपने पति के लिए वफादार हूं, क्या करूं?

सवाल

मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं. समस्या यह है कि उन का भाई यानी मेरा देवर मुझे बहुत पसंद करता है. कई दफा वह मेरे साथ कुछ ऐसा व्यवहार कर जाता है जो मेरे पति को नागवार गुजरता है. मैं देवर को भी नाराज नहीं करना चाहती. क्या करूं?

जवाब

आप को पहले इस मामले में स्वयं क्लियर होना होगा. यदि आप अपने पति से प्यार करती हैं तो फिर इस प्यार को बनाए रखने के लिए दूसरे रिश्तों से एक मर्यादित दूरी बना कर रखें. अपने देवर से स्पष्ट तौर पर कह दें कि आप उन्हें सिर्फ देवर के तौर पर देखती हैं और वह आप को ले कर किसी तरह की ख्वाहिशें न पाले.

अकसर देवर भाभी के अवैध रिश्ते जिंदगी में तूफान ले आते हैं. पति की भावनाओं का खयाल रखें. मुमकिन हो तो आप दोनों पति पत्नी कहीं अलग एक छोटा सा फ्लैट ले लें ताकि देवर से थोड़ी दूरी कायम हो जाए. हर वक्त साथ रहने से इस तरह के नाजुक रिश्तों में गलतफहमियां बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं.

‘‘अरे वाह देवरजी, तुम तो एकदम मुंबइया हीरो लग रहे हो,’’ सुशीला ने अपने चचेरे देवर शिवम को देख कर कहा.

‘‘देवर भी तो तुम्हारा ही हूं भाभी. तुम भी तो हीरोइनों से बढ़ कर लग रही हो,’’ भाभी के मजाक का जवाब देते हुए शिवम ने कहा.

‘‘जाओजाओ, तुम ऐसे ही हमारा मजाक बना रहे हो. हम तो हीरोइन के पैर की धूल के बराबर भी नहीं हैं.’’

‘‘अरे नहीं भाभी, ऐसा नहीं है. हीरोइनें तो  मेकअप कर के सुंदर दिखती हैं, तुम तो ऐसे ही सुंदर हो.’’

‘‘अच्छा तो किसी दिन अकेले में मिलते हैं,’’ कह कर सुशीला चली गई.

इस बातचीत के बाद शिवम के तनमन के तार झनझना गए. वह सुशीला से अकेले में मिलने के सपने देखने लगा.

नाजायज संबंध अपनी कीमत वसूल करते हैं. यह बात लखनऊ के माल थाना इलाके के नबी पनाह गांव में रहने वाले शिवम को देर से समझ आई.

शिवम मुंबई में रह कर फुटकर सामान बेचने का काम करता था. उस के पिता देवेंद्र प्रताप सिंह किसान थे.

गांव में साधारण सा घर होने के चलते शिवम कमाई करने मुंबई चला गया था. 4 जून, 2016 को वह घर वापस आया था.

शिवम को गांव का माहौल अपना सा लगता था. मुंबई में रहने के चलते वह गांव के दूसरे लड़कों से अलग दिखता था. पड़ोस में रहने वाली भाभी सुशीला की नजर उस पर पड़ी, तो दोनों में हंसीमजाक होने लगा.

सुशीला ने एक रात को मोबाइल फोन पर मिस्ड काल दे कर शिवम को अपने पास बुला लिया. वहीं दोनों के बीच संबंध बन गए और यह सिलसिला चलने लगा.

कुछ दिन बाद जब सुशीला समझ गई कि शिवम पूरी तरह से उस की गिरफ्त में आ चुका है, तो उस ने शिवम से कहा, ‘‘देखो, हम दोनों के संबंधों की बात हमारे ससुरजी को पता चल गई है. अब हमें उन को रास्ते से हटाना पड़ेगा.’’ यह बात सुन कर शिवम के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई.

सुशीला इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी. वह बोली, ‘‘तुम सोचो मत. इस के बदले में हम तुम को पैसा भी देंगे.’’

शिवम दबाव में आ गया और उस ने यह काम करने की रजामंदी दे दी.

नबी पनाह गांव में रहने वाले मुन्ना सिंह के 2 बेटे थे. सुशीला बड़े बेटे संजय सिंह की पत्नी थी. 5 साल पहले संजय और सुशीला की शादी हुई थी.

सुशीला उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के महराजगंज थाना इलाके के मांझ गांव की रहने वाली थी. ससुराल आ कर सुशीला को पति संजय से ज्यादा देवर रणविजय अच्छा लगने लगा था. उस ने उस के साथ संबंध बना लिए थे.

दरअसल, सुशीला ससुराल की जायदाद पर अकेले ही कब्जा करना चाहती थी. उस ने यही सोच कर रणविजय से संबंध बनाए थे. वह नहीं चाहती थी कि उस के देवर की शादी हो.

इधर सुशीला और रणविजय के संबंधों का पता ससुर मुन्ना सिंह और पति संजय सिंह को लग चुका था. वे लोग सोच रहे थे कि अगर रणविजय की शादी हो जाए, तो सुशीला की हरकतों को रोका जा सकता है.

सुशीला नहीं चाहती थी कि रणविजय की शादी हो व उस की पत्नी और बच्चे इस जायदाद में हिस्सा लें.

लखनऊ का माल थाना इलाका आम के बागों के लिए मशहूर है. यहां जमीन की कीमत बहुत ज्यादा है. सुशीला के ससुर के पास  करोड़ों की जमीन थी.

सुशीला को पता था कि ससुर मुन्ना सिंह को रास्ते से हटाने के काम में देवर रणविजय उस का साथ नहीं देगा, इसलिए उस ने अपने चचेरे देवर शिवम को अपने जाल में फांस लिया.

12 जून, 2016 की रात मुन्ना सिंह आम की फसल बेच कर अपने घर आए. इस के बाद खाना खा कर वे आम के बाग में सोने चले गए. वे पैसे भी हमेशा अपने साथ ही रखते थे.

सुशीला ने ससुर मुन्ना सिंह के जाते ही पति संजय और देवर रणविजय को खाना खिला कर सोने भेज दिया. जब सभी सो गए, तो सुशीला ने शिवम को फोन कर के गांव के बाहर बुला लिया.

शिवम ने अपने साथ राघवेंद्र को भी ले लिया था. वे तीनों एक जगह मिले और फिर उन्होंने मुन्ना सिंह को मारने की योजना बना ली.

उन तीनों ने दबे पैर पहुंच कर मुन्ना सिंह को दबोचने से पहले चेहरे पर कंबल डाल दिया. सुशीला ने उन के पैर पकड़ लिए और शिवम व राघवेंद्र ने उन को काबू में कर लिया.

जान बचाते समय मुन्ना सिंह चारपाई से नीचे गिर गए. वहीं पर उन दोनों ने गमछे से गला दबा कर उन की हत्या कर दी.

मुन्ना सिंह की जेब में 9 हजार, 2 सौ रुपए मिले. शिवम ने 45 सौ रुपए राघवेंद्र को दे दिए. इस के बाद वे तीनों अपनेअपने घर चले गए.

सुबह पूरे गांव में मुन्ना सिंह की हत्या की खबर फैल गई. उन के बेटे संजय और रणविजय ने माल थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज कराया. एसओ माल विनय कुमार सिंह ने मामले की जांच शुरू की.

पुलिस ने हत्या में जायदाद को वजह मान कर अपनी खोजबीन शुरू की. मुन्ना सिंह की बहू सुशीला पुलिस को बारबार गुमराह करने की कोशिश कर रही थी.

पुलिस ने जब मुन्ना सिंह के दोनों बेटों संजय और रणविजय से पूछताछ की, तो वे दोनों बेकुसूर नजर आए.

इस बीच गांव में यह पता चला कि सुशीला के अपने देवर रणविजय से नाजायज संबंध हैं. इस बात पर पुलिस ने सुशीला से पूछताछ की, तो उस की कुछ हरकतें शक जाहिर करने लगीं.

एसओ माल विनय कुमार सिंह ने सीओ, मलिहाबाद मोहम्मद जावेद और एसपी ग्रामीण प्रताप गोपेंद्र यादव से बात कर पुलिस की सर्विलांस सैल और क्राइम ब्रांच की मदद ली.

सर्विलांस सैल के एसआई अक्षय कुमार, अनुराग मिश्रा और योगेंद्र कुमार ने सुशीला के मोबाइल को खंगाला, तो  पता चला कि सुशीला ने शिवम से देर रात तक उस दिन बात की थी.

पुलिस ने शिवम का फोन देखा, तो उस में राघवेंद्र का नंबर मिला. इस के बाद पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला से अलगअलग बात की.

सुशीला अपने देवर रणविजय को हत्या के मामले में फंसाना चाहती थी. वह पुलिस को बता रही थी कि शिवम का फोन उस के देवर रणविजय के मोबाइल पर आ रहा था.

सुशीला सोच रही थी कि पुलिस हत्या के मामले में देवर रणविजय को जेल भेज दे, तो वह अकेली पूरी जायदाद की मालकिन बन जाएगी, पर पुलिस को सच का पता चल चुका था.

पुलिस ने तीनों को साथ बिठाया, तो सब ने अपना जुर्म कबूल कर लिया.

14 जून, 2016 को पुलिस ने राघवेंद्र, शिवम और सुशीला को मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया. वहां से उन तीनों को जेल भेज दिया गया.

सुशीला अपने साथ डेढ़ साला बेटे को जेल ले गई. उस की 4 साल की बेटी को पिता संजय ने अपने पास रख लिया.

जेल जाते समय सुशीला के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वह शिवम और राघवेंद्र पर इस बात से नाराज थी कि उन लोगों ने यह क्यों बताया कि हत्या करते समय उस ने ससुर मुन्ना सिंह के पैर पकड़ रखे थे.

जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर जब चाहिए हो किसी का साथ

अकेलेपन की टीस बेहद पीड़ादायक होती है. इस के एहसास की पीड़ा तब तक इंसान को महसूस नहीं होती है जब तक वह इस का भुक्तभोगी न हो. इस अकेलेपन को दूर करने का सब से बड़ा संबल है, एक साथी या जीवनसाथी का होना. साथी की जरूरत जवानी में तो होती ही है पर बुढ़ापे में अधिक होती है. चाहे स्त्री हो या पुरुष, जिंदगी की अन्य जरूरतों की तरह ही शारीरिक जरूरत भी हर इंसान की एक अहम जरूरत है, जो यौवन में ही नहीं, यौवन की दहलीज के पार भी महसूस होती है.

वृद्धावस्था में किसी की शादी की बात सुन कर अकसर हम सब चौंक जाते हैं. उसे दोषी करार देते हैं. पर क्यों? इस के पीछे क्या कारण है, उस ओर हम ध्यान नहीं देते. ‘एक महिला ने 62 साल की उम्र में अपना विवाह बड़ी धूमधाम से किया…’ अखबार में छपी इस खबर ने कुछ पाठकों को जरूर चौंका दिया होगा पर यह घटना न तो असामान्य है, न अमानवीय. मानसिक, सामाजिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से अकेले रहने की टीस से नजात पाने के लिए हर इंसान बेचैन रहता है. वह इस कैद से बाहर निकल कर, खुली आबोहवा में सांस ले कर जीना चाहता है. क्या यह अपराध है?

बचपन और किशोरावस्था में इस अकेलेपन के एहसास से इंसान पूरी तरह से अनभिज्ञ रहता है. जवानी में उम्र के जोश और उत्साह के उन्माद में डूबा रहता है. इस भागदौड़ में कब उस की जवानी बीत जाती है, उसे पता ही नहीं चल पाता है. जब वह वृद्धावस्था में कदम रखता है, तो इस सत्य से रूबरू होता है. और जब उसे इस का एहसास होता है, तो वक्त के सारे पंछी उस के हाथों से उड़ चुके होते हैं.

यह एकाकीपन क्या है, क्या होता है, इस का विश्लेषण किया गया. इस से होने वाले नुकसान के बारे में रिसर्च करने पर परिणामस्वरूप बहुत सारे तथ्य सामने आए. समाज के अलगअलग वर्गों और समुदायों के लोगों से बातचीत की गई.

मुंबई के उपनगर बोरीवली की एक मनोचिकित्सक डा. सुमन कालरा, 18 वर्षों से साइकेट्रिक क्लिनिक चला रही हैं. जाहिर है इस विषय में उन्हें प्रगाढ़ अनुभव है. मेरे प्रश्न पर वे मुसकराती हैं और फिर विस्तार से बताती हैं, ‘‘मेरे पास तरहतरह के रोगी आते हैं. उन में जो 50 साल से अधिक उम्र वाले हैं, चाहे पुरुष हों या स्त्री, उन के रोग का मुख्य कारण देखा गया है, ‘जीवन का एकाकीपन.’ यही उन्हें सब से ज्यादा तकलीफ देता है.

‘‘जब धीरेधीरे सभी सगेसंबंधी, मित्र, रिश्तेदार उन्हें छोड़ कर अपनेअपने परिवार में व्यस्त होने लगते हैं, तो बुढ़ापे की ओर अग्रसर, ये एकाकी या चिरकुंआरे लोग, समाज में अलगथलग पड़ जाते हैं और अकेलापन उन के जीवन में दंश देना शुरू कर देता है, जो उन्हें धीरेधीरे असामान्य बना देता है.’’

सैक्स की आवश्यकता और उस की अनिवार्यता को पूरी तरह स्वीकारती, स्त्रीरोग विशेषज्ञ, डा. रति माथुर बताती हैं, ‘‘जीवन क्या है? परिस्थितिस्वरूप आते बदलाव का नाम ही जीवन है. उम्र के अनुसार शारीरिक बदलाव होते हैं, और यही बदलाव नईनई जरूरतों को जन्म देते हैं. शारीरिक जरूरतों की भी एक खास उम्र हुआ करती है जब विपरीत सैक्स के प्रति अनायास ही चाहेअनचाहे आकर्षण पैदा होने लगता है और उस का साथ अनायास ही अच्छा लगने लगता है. लेकिन 50 की उम्र के बाद, शरीर की सैक्स की मांग कम होने लगती है. ऐसे समय में मानवीय भावनाओं की मांग ज्यादा अहम हो जाती है.’’

डा. रति ने काफी सुलझे हुए तरीके से हमें समझाया कि बढ़ती उम्र में कई वजहों से सहवास की अभिलाषा अवश्य कम हो जाती है पर ‘साथ’ की अभिलाषा खत्म नहीं होती और ‘साथ’ न मिलने पर भावनात्मक पीड़ा होने लगती है.

एक विदेशी फर्म की मार्केटिंग मैनेजर कादंबरी सहाय 59 साल की हैं. अविवाहित कादंबरी को अब अपना अकेलापन खलने लगा है. पारिवारिक जिम्मेदारियां और अपने छोटे भाईबहनों को पढ़ानालिखाना तथा उन की शादी का उत्तरदायित्व भी कादंबरी ने ही उठाया है, जिन के लिए उन्होंने अपनी शादी और अपना भविष्य दांव पर लगा दिया था. अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह निभाने के बाद विडंबना ऐसी कि अब वही अपने लोग, जिन के लिए कादंबरी ने अपनी वैवाहिक आवश्यकता की कुर्बानी दी, उन को गैरजरूरी व भार समझने लगे हैं.

अगले साल रिटायर होने के बाद आने वाला अकेलापन सोच कर कादंबरी कांप उठती हैं. मुंबई में अपना फ्लैट है. घर में आराम के सभी साधन मौजूद हैं. बैंक बैलेंस भी अच्छाखासा है, पर साथ रहने वाला कोई नहीं है.

शारीरिक जरूरतों की बात पर कादंबरी बिना किसी लागलपेट के कहती हैं, ‘‘देखिए, जीवन का एक अटूट हिस्सा है सैक्स. पर मानवीय भावनाओं को मैं ज्यादा अहम मानती हूं. जब अपनों से दिल टूट जाता है, तो ऐसी जिंदगी का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता. इसीलिए अब मैं जिंदगी को पूरी तरह से जीने में यकीन करने लगी हूं. महिला मित्रों के साथसाथ मेरे कुछ पुरुष मित्र भी हैं.

‘‘हम लोग आउटिंग पार्टियां करते रहते हैं, एंजौय करते हैं. पर जब मैं उस टीस के बारे में सोचती हूं, जो मेरे भाईबहन ने मुझे दी है, जिन के लिए मैं ने अपना जीवन कुर्बान कर दिया है, तो बहुत तकलीफ होती है, बहुत अकेलापन सा लगने लगता है.’’ यह कहने के साथ उन की आंखें भर आईं.

कादंबरी के साथ काम करने वाली उन की ही तरह अविवाहित, फ्लोरिया डिसूजा ने बताया, ‘‘मैं व्यक्तिगत रूप से शारीरिक संबंध को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देती हूं, पर सैक्स की इच्छा को दबा कर दफन करने में भी विश्वास नहीं करती हूं. जहां तक सैक्स की बात है, मुझे अच्छी तरह से याद है कि मेनोपौज तक, जब मैं 48 साल की थी, उन दिनों तक मैं इसे बहुत महत्त्वपूर्ण समझा करती थी.

‘‘यह भी सच है कि अकेलेपन की वजह से सैक्स की इच्छा सामान्य से कुछ अधिक ही हुआ करती है. शायद यह असुरक्षा की भावना रहती होगी या फिर वृद्ध होने के एहसास का भय, पता नहीं? वैसे यह मेरा व्यक्तिगत विचार है.’’

सूरत में अपना क्लिनिक चलाने वाले डा. राहुल जैन से जब जीवन में आने वाले अकेलेपन व सैक्स पर बात हुई, तो उन्होंने बताया, ‘‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए हम सभी को ही परिवार व समाज की आवश्यकता तो होगी ही. अकेलापन जिंदगी को दीमक की तरह खाने लगता है. परंतु मैडिकल साइंस का कुछ और ही कहना है.

‘‘मैडिकल साइंस के हिसाब से, कभीकभी इस का कारण शरीर के कुछ खास हार्मोन्स की गैरमौजूदगी भी हुआ करती है. फ्राइब्रायडो या एडीनी मायेसिस की समस्या अकसर महिलाओं में सैक्स की इच्छा को परोक्षरूप से और बढ़ा देती है. यह बदलाव पुरुषों में भी आता है, पर महिलाओं में कुछ ज्यादा ही आता है. यह विशेष बदलाव महिलाओं में व्यग्रता, अति संवेदनशीलता और अधीरता को बढ़ा देता है. भावनाएं बेचैनी का रूप धारण कर लेती हैं और यही बदलाव धीरेधीरे आदत में परिवर्तित हो जाया करता है. फलस्वरूप, सैक्स की इच्छा बारबार उठती रहती है. इसे मैडिकल की भाषा में पीएमएम यानी पोस्ट मैंस्टुअल मूडस्विंग कहते हैं.

मशहूर जरमन गाइनीकोलौजिस्ट ई डब्लू फेब्रक्स की चर्चित पुस्तक ‘स्पींस्टर ऐंड देअर डिजायर्स’ में लिखा है कि जो भी स्त्री या पुरुष अधिक उम्र तक अविवाहित रहते हैं, वे प्राकृतिक नियमों की अवहेलना और उल्लंघन करते हैं. प्राकृतिक नियमों को तोड़ कर जो अविवाहित रहने का फैसला करते हैं, वे अपने प्रति अन्याय करते हैं.

सैक्स इंसान के जीवन की आवश्यकता ही नहीं, अनिवार्यताओं में एक है. सैक्स इंसान की कुंठाओं को रिलीज कर उसे सामान्य बने रहने में सहायता करता है और साथी पति या पत्नी, को समाज में स्थान और प्रतिष्ठा दिलाता है.

मुंबई की एक संस्था है महाराष्ट्र नारी उत्थान मंडल जिस ने विधवा विवाह और तलाकशुदा महिलाओं का दोबारा विवाह कराने का बीड़ा उठाया है. इस मंडल की संचालिका ममता राज्याध्यक्ष, महिलाओं के अविवाहित रहने की घोर विरोधी हैं. 17 साल से इस मंडल का संचालन कर रही ममता अब तक 250 से भी अधिक पुनर्विवाह करवा चुकी हैं. इन में ज्यादातर महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें शादी के लिए राजी करना टेढ़ी खीर था.

ममता बताती हैं, ‘‘एक ओर तलाकशुदा स्त्रियां, अपनी एक शादी के टूटने से ही इतनी विचलित और भयभीत हो उठती हैं कि दोबारा विवाह करने और किसी दूसरे पुरुष के साथ जीवन बिताने को सोच पाना भी उन्हें कठिन सा लगने लगता है तो दूसरी ओर विधवाओं की अलग ही समस्याएं हैं. पति की मृत्यु के बाद वे अपने पति की याद में खोईखोई सी रहती हैं. उन के लिए किसी और व्यक्ति के साथ रहने या शारीरिक संबंध बनाने व शादी करने की बात उन्हें रास ही नहीं आती.’’

उन्होंने आगे बताया कि दोनों ही मामलों में उन्हें बहुत ही जद्दोजेहद करनी पड़ती है, पर वे इसे भी एंजौय करती हैं. वे कहती हैं, ‘‘कार्य जितना कठिन होता है, उस की संतुष्टि उतनी ही अधिक हुआ करती है. मुझे ऐसी महिलाओं को प्रेरित करने में ऐंडवैचर सा आनंद मिलता है.’’

संख्या की दृष्टि से अविवाहित महिलाओं और पुरुषों की एक बड़ी तादाद मैट्रो शहरों में रह रही है. कारण चाहे जो भी हो, कभी जिंदगी की व्यस्तता होती है, तो कभी कोई सही जीवनसाथी  का न मिल पाना या फिर प्रेम में विफलता का सदमा. पर अविवाहित लोगों का जीवन, उम्र के अंतिम पड़ाव में बहुत ही दुखदाई हो जाता है.

उम्र के उस पड़ाव पर, जब किसी साथी की सब से ज्यादा जरूरत हुआ करती है, अकेलापन मिले तो आप समझ सकते हैं कि यह उसे कितनी टीस देगा. शारीरिक भूख की तृष्णा भले ही उस उम्र में कम हो पर भावनात्मक रूप से तितरबितर सा उस का जीवन अवश्य उसे कचोटता रहेगा. और अकेलेपन के लिए हो रहे पछतावे की आग उसे क्षणक्षण जलाती रहती है.

कुंआरे रहने वाले लोग, अपनेआप को भले ही तरहतरह की तसल्लियों से समझाते रहें, अपने इस निर्णय की सराहना करते रहें, पर जब आसपास का एकाकीपन उन्हें डंसता होगा, तो एक पछतावे की आह अवश्य उन के हृदय से उठती होगी. दरअसल, सचाई तो सचाई ही है. सचाई से आंख चुराई जा सकती है, पर मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है.

नीम-हकीमों के चक्कर में पड़ कर कहीं खो न दें मर्दाना ताकत

इन विज्ञापनों के नीचे विज्ञापनदाता के क्लीनिक का पता दिया गया होता है और मिलने का खास दिन भी लिखा होता है. जब विज्ञापन देने वाले नीम हकीमों के क्लीनिकों में मर्दाना ताकत की चाहत लेकर व्यक्ति जाता है, तो पता चलता है की यहाँ ईलाज करने वाला नीम हकीम किसी किराये के छोटे से कमरे में क्लिनिक चलाते हुए मिल जाता है.

मर्दाना ताक़त को बढ़ाने की चाहत लिए पहुंचा व्यक्ति जब अपने मर्दाना ताकत को बढ़ाने के लिए इन नीम हकीमों से जांच करने और दवाएं देनें को कहता है. तो क्लिनिक चलाने वाला व्यक्ति सामने वाले व्यक्ति को पैंट की जिप खोलने को कहता है और उसके अंग पर टार्च की लाल-पीली रौशनी छोड़ता है. फिर गहरी सांस लेता है और कहता है की मरीज की बचपन की गलतियों के चलते उसकी मर्दाना ताकत में कमी आ गई है. जिसके चलते उसका अंग टेढ़ेपन का शिकार है और अंग की साइज़ का डेवलपमेंट सही से नहीं हुआ है. इसी कारण से व्यक्ति अपने पार्टनर के साथ सेक्स संबध के दौरान जल्दी ही स्खलित हो जाता है.

अब सामने वाले व्यक्ति की हालत देखते बनती है. वह काफी डर जाता है, कहीं ऐसा न हो की पत्नी उसे छोड़ कर किसी गैर मर्द के साथ भाग जाए. फिर वह व्यक्ति हकीम साहब से उस समस्या का निदान पूंछता है. इस पर वह हकीम अपने दराज से नीली-पीली सीसी निकालता है और कहता है उसे घबराने की जरुरत नहीं है. क्यों की उसकी दवाएं मरीज के सेक्स से जुड़े सारे समस्याओं को छूमंतर कर देगी. मरीज के चेहरे पर कुछ सुकून आता है अब हकीम साहब द्वारा मरीज को ईलाज के खर्च के बारे में बताया जाता है. स्वर्ण भस्म की कीमत 2 हजार से 3 हजार रुपये साथ ही महीने भर के दवा के पुड़ियों की कीमत लगभग 30 हजार रूपये यानी कुल ईलाज का खर्च लगभग 32 से 33 हजार रूपये. महीने भर के दवा की कीमत सुन कर व्यक्ति चौंकता है. लेकिन पत्नी को खुश करने और अपनी खोई हुई मर्दाना ताकत को वापस लाने के लिए हकीम साहब के पास ईलाज के लिए गया व्यक्ति  अपनी जमीन गिरवी रखके या पैसे उधार लेकर भी यह ईलाज शुरू कर देता है.

हकीम साहब की दवा की पुड़िया पहले दिन से ही काम करना शुरू कर देती है. कुछ दिनों तक तो तक तो बहुत अच्छा चल रहा होता है. लेकिन यह दवा भी अपना असर दिखाना बंद कर देती है. अब मरीज फिर से हकीम साहब के पास जाता है. हकीम साहब मरीज की हालत देख कर कहते हैं की अब दवाएं बदलनी पड़ेंगी. इसके लिए शाही ईलाज शुरू करना पडेगा. लेकिन हकीम साहब इस बार के ईलाज की कीमत डेढ़ गुना ज्यादा बताते हैं. सेक्स कूवत बढ़ाने की चाहत लिए व्यक्ति मरता क्या न करता, शाही ईलाज भी शुरू करता है. कुछ दिनों तक उस व्यक्ति को सेक्स में बड़ा मजा आता है. लेकिन इस बार उसके सेक्स की बची खुची ताकत भी चली जाती है. अब मरीज फिर से हकीम साहब के पास जाता है और ईलाज बदलने को कहता है. लेकिन हकीम साहब इस बार हाथ खड़े कर देते हैं. उनका कहना होता है की मरीज ने अपनी मर्दाना ताकत पूरी तरह से खो दी है, अब इसका ईलाज उनके पास नहीं है.

थक हार कर जब वह व्यक्ति सेक्स के किसी माहिर डाक्टर के पास जाता है. तो पता चलता है की उसके अन्दर कोई भी मर्दाना कमजोरी नहीं थी. लेकिन अब वह हकीम साहब के पुड़ियों के असर के चलते अपनी मर्दाना ताकत को खो चुका है. डाक्टर मरीज को कुछ परामर्श देते हैं साथ बहुत सस्ती दवाएं लिखते है. वह व्यक्ति फिर से माहिर डाक्टर की देखरेख में अपना ईलाज शुरू करता है. अब मरीज की मर्दाना ताकत फिर से वापस आने लगती है और कुछ दिनों में वह पूरी तरह से सेक्स के काबिल बन जाता है.

यह स्थितियां कमोबेश सेक्स में कमजोरी का भ्रम पाले सभी व्यक्तियों के साथ होती है. इसका कारण है है की व्यक्ति हकीम के लच्छेदार विज्ञापनों के भ्रमजाल में फंस जाता है. दूसरा इन हकीमों की क्लिनिक ऐसी जगह पर होती है ईलाज कराने वाले को जान पहचाने वाले आते जाते देख भी नहीं पाते है. लेकिन नीम-हकीमों के क्लीनिकों में ईलाज कराने वाले मरीज अपनी बची-खुची मर्दाना ताकत भी खो बैठते हैं. ऐसे में उनके पास पछताने के सिवा कोई चारा भी नहीं होता हैं.

क्या है नीम हकीमों के दवा के पुड़ियों की असलियत – सेक्स क्लिनिक चलाने वाले एक हकीम ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की वह मर्दाना ताकत को बढ़ाने के नाम पर दी जाने वाली पुड़ियों में वियाग्रा जैसी दवाएं मिला देते है. इसी लिए उनका ईलाज महंगा होता है. व्यक्ति को लगता है की हकीम साहब की पुड़िया के चलते सेक्स की ताकत में बढ़ोतरी हो रही है. लेकिन सब कमाल वियाग्रा जैसी दवाओं का होता है, वहीँ शाही ईलाज क्या होते होता है पूंछने पर उस हकीम ने बताया की उसमें ऐसा कुछ नहीं होता है. बस वियाग्रा जैसी दवाओं का डोज बढ़ा दिया जाता है जिससे व्यक्ति को ज्यादा मजा आने लगता है.

हकीमों के चक्कर में पड़ खो सकते हैं अपनी मर्दाना ताकत- सेक्स के माहिर डाक्टर एम अकमालुद्दीन का कहना है की हकीमों से ईलाज के चक्कर में पड़ कर कई लोग जब पूरी तरह से अपनी मर्दाना ताकत खो बैठते हैं. जब उनके पास वह ईलाज के लिए आते है ऐसे में इन मरीजों का ईलाज बहुत कठिन हो जाता है.

सेक्स की ज्यादातर समस्या दिमागी – डाक्टर एम अकमालुद्दीन का कहना है की सेक्स से जुडी ज्यादातर समस्याएं दिमागी होती है. इसमें अंग का छोटापन, टेढ़ापन, जल्दी स्खलित होंने जैसी समस्याएं ज्यादा शामिल हैं. जब की इन समस्याओं का ईलाज बिना किसी दवा के ही किया जा सकता है. इसके लिए सेक्स के किसी माहिर डाक्टर से मिलने भर की जरुरत होती है. अगर डाक्टर को लगता है समस्या में दवा देनें की जरुरत है तभी वह दवा लिखता है. नहीं तो सेक्स की ज्यादातर समस्या परामर्श से ही ठीक हो जाती है.

करोड़ों का सेक्स के भ्रामक विज्ञापनों का खर्च- नीम हकीमों के कमाई का अंदाज हम इसी बात से लगा सकते हैं की ये लोग करोड़ों रूपये खर्च करके दीवालों, अखबारों और टीवी जैसे माध्यमों पर अपना विज्ञापन करवाते हैं.

कानून के दायरे को तोड़ कर चलती हैं नीम-हकीमों की दुकानें – मर्दाना ताकत का ईलाज करने के नाम पर चलने वाले ज्यादातर क्लिनिक कानून का पालन नहीं करते हैं. इन क्लीनिकों में ज्यादातर रजिस्टर्ड ही नहीं होते हैं और ज्यादातर के पास कोई डिग्री ही नहीं होती है. कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो हफ्ते के सातो दिन अलग-अलग नाम से अलग – अलग जगहों पर अपनी क्लिनिकें भी चलाते हैं. उत्तर प्रदेश में इस तरह के हकीमों का पूरा जाल फैला हुआ है.

इसमें हकीम एम जुनैद क्लिनिक, हाशमी दवाखाना , पीके जैन जैसे हजारों क्लिनिक मिल जातें हैं. इस तरह के नीम हकीमों द्वारा सेक्स के ईलाज के नाम पर ठगी के मामले में आई पी एस अमिताभ ठाकुर और उनकी एक्टिविस्ट पत्नी नूतन ठाकुर ने 20 क्लीनिकों के खिलाफ वर्ष 2013 में एफ आई आर भी दर्ज कराया था. इसमें मशहूर हाशमी दवाखाना के हकीम ताजुद्दीन हाशमी व डॉ. पीके जैन क्लीनिक के डॉ. पीयूष जैन का नाम भी शामिल था. इन लोगों पर दवाओं और चमत्कारिक (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954  के तहत मुकदमें दर्ज हुए थे.

इस लिए जब भी आप को लगे की आप की मर्दाना ताकत घट रही है या आप सेक्स में कमजोर पड़ रहें है तो सेक्स के किसी माहिर डाक्टर की देखरेख में ही अपना ईलाज कराएं .

मेरे पति रात को बिस्तर पर एकदम जानवर बन जाते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 27 साल की एक शादीशुदा औरत हूं. मेरे पति रात को बिस्तर पर एकदम जानवर बन जाते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी प्यास बुझानी होती है, जबकि उन्हें मेरी जिस्मानी जरूरतों की कोई परवाह नहीं रहती है.

इसी के चलते हम दोनों में अकसर लड़ाई होती है. मेरे पति मुझ पर हाथ उठाते हैं और मेरे घर वालों को कोसते हैं. कभीकभार तो मेरा मन करता है कि खुदखुशी कर लूं, लेकिन फिर जान देने के खयाल से डर भी जाती हूं. मैं इस जंजाल से कैसे बाहर निकलूं?

जवाब

आप इस जंजाल में ही लुत्फ ढूंढ़ें, क्योंकि सैक्स करने का तरीका निहायत ही प्राइवेट बात होती है. कोई आराम और इतमीनान से करना पसंद करता है, तो किसी से एक मिनट का भी सब्र नहीं होता है. कई औरतें तो इसलिए भी परेशान रहती हैं कि उन का पति जानवरों सरीखा बरताव नहीं करता है.

आप की परेशानी जायज है, जिसे दूर करने के लिए आप दोनों में तालमेल होना जरूरी है, जो कलह और लड़ाई से नहीं, बल्कि प्यार से आएगा. लड़ने से तो बात बिगड़ती ही है.

आप अपने पति को प्यार से समझाएं और बिस्तर में देर तक उसे उलझा कर रखें. फोरप्ले लंबा करें और पति को राजी करें कि वह कोई खेल खेलें. मसलन, कपड़े एकदम न उतारे जाएंगे, इस के लिए ताश के पत्ते बांटे जाएंगे. जिस के पास छोटा पत्ता आएगा, वह पहले अपना एक कपड़ा उतारेगा. दूसरे के लिए फिर से पत्ते बांटे जाएंगे.

जब तक दोनों पूरी तरह बिना कपड़ों के नहीं हो जाते हैं, तब तक यह खेल चलता रहेगा. इस तरह मजा भी आएगा और पति बिस्तर में जानवर से आदमी बन जाएगा.

मैं बीवी के साथ रोजाना सेक्स करना चाहता हूं पर उसे अच्छा नहीं लगता, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 29 साल का हूं. मेरे 7 और 5 साल के 2 बच्चे भी हैं. मैं बीवी के साथ रोजाना सेक्स करना चाहता हूं, पर उसे अच्छा नहीं लगता. मैं क्या करूं?

जवाब

बच्चे होने के बाद अकसर औरतें सैक्स से बेजार हो जाती हैं. आप बीवी को प्यार से समझाएं कि हमबिस्तरी करना आप का हक है और दोनों के लिए अच्छा भी है. इस से बीवी की सोच बदल जाएगी.

आमतौर पर शादी के कुछ समय बाद तक तो कपल्स की सेक्स लाइफ मस्‍त रहती है. लेकिन, बच्‍चा होने के बाद उनकी सेक्‍स लाइफ को ब्रेक सा लग जाता है. उनके सेक्‍स एंड रिलेशनशिप पर बच्‍चे के बाद काफी असर पड़ता है. ऐसे कपल्स कम ही होते हैं, जिनके रिलेशन में बच्‍चा होने के बाद भी उतनी ही मस्‍ती बरकरार रहती है. जाहिर सी बात है कि बच्चा होने के बाद पैरंट्स बने कपल्‍स की जिम्‍मेदारियां भी बढ़ जाती है. उनका काफी समय बच्‍चे की देखभाल करने में चला जाता है. ऐसे में हसबेंड-वाइफ एक-दूसरे के लिए वक्त नहीं निकाल पाते है.

दूसरी तरफ मां बनने के बाद किसी भी महिला की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, बच्चे की सेहत का खयाल रखना किसी भी मां की प्राथमिकता होती है. यही वजह है कि वे सेक्स लाइफ पर इतना ध्यान नहीं दे पाती. कुछ लोगों को यह लगता है कि बच्चे हो जाने के बाद सेक्स लाइफ रूचिकर नहीं रहती. ऐसा होता भी है, कई बार प्रेग्नेसी के बाद कुछ वक्त के लिए महिलाओं की सेक्स में रुचि कम हो जाती है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप बच्चे की वजह से अपनी सेक्स लाइफ का आनंद न उठाएं.

शोध बताते हैं कि बच्चों के जन्म के बाद नर्व एडिंग ज्यादा सेंसिटिव हो जाते है और क्लाइमेक्स की तीव्रता बढ़ जाती है. बच्चे के जन्म के बाद कुछ टिप्स अपनाकर आप अपनी सेक्स लाइफ को दोबारा ट्रैक पर ला सकते हैं-

लौट आएगी बहार

आमतौर पर जब बच्चा कुछ महीने का हो जाता है, तो औरतों में दोबारा से मासिक धर्म होने लगता है और उनके भीतर सेक्स करने की इच्छा दोबारा होने लगती है. उनकी सेक्स लाइफ दोबारा से एक्टिव हो जाती है. कई बार महिलाओं को लगता है कि सेक्स का मकसद सिर्फ मां बनना है, लेकिन यह बात बिल्‍कुल भूल जायें, क्‍योंकि सेक्‍स का असल मकसद शादीशुदा जिंदगी में ताजगी बनाए रखना है.

बनाए रखें रोमांस 

आपका रिश्‍ता सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि भावनात्‍मक रूप से मजबूत होना चाहिए. इससे प्रेग्नेसी जैसे वक्त में रिश्तों की गर्मी बरकरार रखने में मदद मिलती है. बच्चा होने के बाद पैरंट्स की जिम्मेदारी बढ़ जाती है, लेकिन बावजूद इसके उन्हें साथ में कुछ क्वॉलिटी टाइम बिताने की कोशिश करनी चाहिए. बच्चे की जन्‍म के तुरंत बाद आप बिना रिलेशन बनाए सिर्फ फोरप्ले से ही अपना सेक्स रिलेशन जवां बनाए रख सकते हैं. चाहें तो बेडरूम में म्यूजिक चलाकर और फ्लावर लगाकर रोमांटिक माहौल बना सकते हैं. इस तरह थोड़े समय बाद जब आपकी पत्‍नी के हॉर्मोन में चेंज आएगा, तो आपकी सेक्स लाइफ आसानी से पटरी पर लौट आएगी.

एक्सरसाइज करें

बच्चे के जन्म के बाद कई महिलाओं को वैजाइना में ढीलेपन की शिकायत हो जाती है. ऐसे में एक्सरसाइज या योगा की मदद से आप अपनी मसल्स को दोबारा से चुस्त कर सकती हैं. कुछ हफ्तों की एक्सरसाइज या योगा प्रैक्टिस के बाद आपकी सेक्स लाइफ दोबारा पहले जैसी ही होगी.

सावधानी बरतें

कई बार बच्चे के जन्म को आसान बनाने के लिए डिलिवरी के वक्त एप्सिटॉमी नाम की छोटी सी सर्जरी की जाती है. कई बार इस ऑपरेशन की वजह से इंटरकोर्स करते वक्त परेशानी या दर्द होता है. ऐसे में आप सावधानी जरूर बरतें, वैसे 6 से 8 हफ्ते में इस सर्जरी का असर खत्म हो जाता है और वैजाइना अपनी पुरानी शेप में लौट आती है.

अपनी पसंद का काम करें

सेक्सुअल ऐक्टिविटी के लिए ‘ एड्रनेलिन ‘ केमिकल बहुत जरूरी होता है. शरीर में इसकी मात्रा बढ़ाने की कोशिश कीजिए. अगर आप थके हुए या तनावग्रस्त हैं, तो अपनी पसंद का कोई काम कीजिए. मनपसंद मूवी देखिए या कॉफी का कप लेकर रिलैक्स कीजिए.

रिलेशनशिप के बारे में बात करें

अक्सर यह देखा जाता है कि अगर आप अपनी रिलेशनशिप के बारे में बात नहीं करते, तो यह जल्दी ही बोझिल रिश्ते में बदल जाता है. इसलिए एक-दूसरे से इस विषय पर बात कीजिए. यह तरीका आजमाने पर आपको जल्द चेंज नजर आएंगे.

क्रेजी बनें

कई पैरंट्स बच्चा होने के बाद सेक्स नहीं कर पाते. ऐसे में आपको इसे लेकर क्रेजी होना पड़ेगा. माना कि बच्चे के सामने सेक्स के कम मौके मिलते हैं, लेकिन समझदार पैरंट्स बच्चे के झपकी लेते वक्त भी एक-दूसरे को प्यार कर लेते हैं.

मानसिकता को समझें

एक-दूसरे की मानसिकता को समझें व उसी तरह परस्पर व्यवहार करें, क्योंकि शारीरिक आनंद तभी प्राप्त होगा जब मन प्रसन्न होगा. कई बार हसबेंड भी बच्चे के जन्म के तुरंत बाद अपनी वाइफ पर सेक्स करने के लिए प्रेशर डालने लगते हैं. ऐसा ना करें, इससे आपकी पत्‍नी को परेशानी हो सकती है, या सेक्स के प्रति अरुचि भी हो सकती है.

मैं 28 वर्षीय युवक हूं. अपनी भतीजी से 2 साल से प्यार करता हूं. क्या हम दोनों का विवाह संभव नहीं है.

सवाल
मैं 28 वर्षीय युवक हूं. एक लड़की से 2 साल से प्यार करता हूं. वह भी मुझे चाहती है. हम दोनों शादी करना चाहते हैं. लड़की के घर वालों को एतराज नहीं है, परंतु मेरे घर वाले इस शादी का विरोध कर रहे हैं. कारण लड़की दूर के रिश्ते में मेरी भतीजी लगती है. क्या हम दोनों का विवाह संभव नहीं है? यदि है तो मैं अपने घर वालों को कैसे मनाऊं?

जवाब
लड़की से चूंकि आप की दूर की रिश्तेदारी है, इसलिए यह आप के रिश्ते में आड़े नहीं आएगी. खासकर तब जब लड़की वालों को इस रिश्ते से कोई एतराज नहीं है. आप को अपने घर वालों पर दबाव बनाना होगा. यदि आप की बात वे नहीं सुन रहे तो किसी सगेसंबंधी या पारिवारिक मित्र से मदद ले सकते हैं. वे उन्हें समझा सकते हैं कि इतनी दूर की रिश्तेदारी माने नहीं रखती. यदि लड़की आप के लिए उपयुक्त जीवनसंगिनी है और विवाह के लिए गंभीर है, तो घर वाले देरसवेर मान ही जाएंगे. लड़की के घर वाले भी उन्हें मना सकते हैं.

जब बेटी को विवाहित से प्रेम हो जाए

युवाओं में प्रेम होना एक आम बात है. अब समाज धीरेधीरे इसे स्वीकार भी कर रहा है. माता- पिता भी अब इतना होहल्ला नहीं मचाते, जब उन के बच्चे कहते हैं कि उन्हें अमुक लड़की/लड़के से ही शादी करनी है, लेकिन अगर कोई बेटी अपनी मां से आ कर यह कहे कि वह जिस व्यक्ति को प्यार करती है, वह शादीशुदा है तो मां इसे स्वीकार नहीं कर पाती.

ऐसे में बेटी से बहस का जो सिलसिला चलता है, उस का कहीं अंत ही नहीं होता लेकिन बेटी अपनी जिद पर अड़ी रहती है. मां समझ नहीं पाती कि वह ऐसा क्या करे, जिस से बेटी के दिमाग से इश्क का भूत उतर जाए.

ऐसे संबंध प्राय: तबाही का कारण बनते हैं. इस से पहले कि बेटी का जीवन बरबाद हो, उसे उबारने का प्रयास करें.

कारण खोजें : मौलाना आजाद मेडिकल कालिज में मनोचिकित्सा विभाग के निदेशक, डा. आर.सी. जिलोहा का कहना है कि इस तरह के मामले में मां एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं.

मां के लिए पहले यह जानना जरूरी है कि बेटी का किसी अन्य व्यक्ति की ओर आकर्षण का कारण घरेलू वातावरण तो नहीं है. कहीं यह तो नहीं कि जिस प्यार व अपनेपन की बेटी को जरूरत है, वह उसे घर में नहीं मिलता हो और ऐसे में वह बाहर प्यार ढूंढ़ती है और हालात उसे किसी विवाहित पुरुष से मिलवा देते हैं.

यह भी संभव है कि वह व्यक्ति अपने वैवाहिक जीवन से संतुष्ट न हो. चूंकि दोनों के हालात एक जैसे हैं, सो वे भावुक हो एकदूसरे के साथ न जुड़ गए हों. यह भी संभव है कि अपनी पत्नी की बुराइयां कर के और खुद को बेचारा बना कर लड़कियों की सहानुभूति हासिल करना उस व्यक्ति की सोचीसमझी साजिश का एक हिस्सा है.

सो, बेटी से एक दोस्त की तरह व्यवहार करें व बातोंबातों में कारण जानने का प्रयास करें, तभी आप अगला कदम उठा पाएंगी.

सही तरीका अपनाएं : डा. जिलोहा का कहना है कि बेटी ने किसी शादीशुदा से प्यार किया तो अकसर माताएं उन को डांटतीफटकारती हैं और उसे उस व्यक्ति को छोड़ने के लिए कहती हैं, पर ऐसा करने से बेटी मां को अपना दुश्मन मानने लगती है. बेहतर होगा कि प्यार से उसे इस के परिणाम बताएं. बेटी को बताएं कि ऐसे रिश्तों का कोई वजूद नहीं होता. व्यावहारिक तौर पर उसे समझाएं कि उस के संबंधों के कारण बहुत सी जिंदगियां तबाह हो सकती हैं.

फिर जो व्यक्ति उस के लिए अपनी पत्नी व बच्चों को छोड़ सकता है, वह किसी और के लिए कभी उसे भी छोड़ सकता है, फिर वह क्या करेगी?

मदद लें : आप चाहें तो उस व्यक्ति की पत्नी से मिल कर समस्या का हल ढूंढ़ सकती हैं. अकसर पति के अफेयर की खबर सुनते ही कुछ पत्नियां भड़क जाती हैं और घर छोड़ कर मायके चली जाती हैं. उसे समझाएं कि वह ऐसा हरगिज न करे. बातोंबातों में उस से यह जानने का प्रयास करें कि कहीं उस के पति के आप की बेटी की ओर झुकाव का कारण वह स्वयं तो नहीं. ऐसा लगे तो एक दोस्त की तरह उसे समझाएं कि वह पति के प्रति अपने व्यवहार को बदल कर उसे वापस ला सकती है.      द्य

प्लान बनाएं

आप की सभी तरकीबें नाकामयाब हो जाएं तो उस की पत्नी से मिल कर एक योजना तैयार करें, जिस के तहत पत्नी आप की बेटी को बिना अपनी पहचान बताए उस की सहेली बन जाए. उसे जताएं कि वह अपने पति से बहुत प्यार करती है. उस के सामने पति की तारीफों के पुल बांधें. अगर वह व्यक्ति अपनी पत्नी की बुराई करता है तो एक दिन सचाई पता चलने पर आप की बेटी जान जाएगी कि वह अब तक उसे धोखा देता रहा है. ऐसे में उसे उस व्यक्ति से घृणा हो जाएगी और वह उस का साथ छोड़ देगी. यह भी हो सकता है कि उन का शादी का इरादा न हो और अपने संबंधों को यों ही बनाए रखना चाहते हों. ऐसे में बेटी को बारबार समझाने या टोकने से वह आप से और भी दूर हो जाएगी. उस को दोस्त बना कर उसे समझाएं और प्रैक्टिकली उसे कुछ उदाहरण दें तो शायद वह समझ जाए.

मैं 28 साल का हूं. मेरा अंग छोटा रह गया है. इस वजह से सैक्स के दौरान मैं पत्नी खुश नहीं कर पाता. मैं क्या करूं.

सवाल
मैं 28 साल का हूं. एक साल की उम्र में किसी तकलीफ की वजह से डाक्टर ने मेरे अंग का आपरेशन कर दिया था. लिहाजा, वह छोटा रह गया है. इस वजह से पत्नी खुश नहीं रहती है. मैं क्या करूं?

जवाब
आमतौर पर अंग के आकार से हमबिस्तरी के मजे में कोई फर्क नहीं पड़ता है. चूंकि आप के अंग का आपरेशन हुआ था, इसलिए शायद कुछ और दिक्कत होगी. आप इस बारे में किसी माहिर डाक्टर से बात करें.

वीर्य की जानकारी आपके लिए है फायदेमंद

वीर्य आदमी के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टै्रट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल ग्रंथियों से निकले रसों से बनता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म होते हैं, जो वीर्य में तैरते रहते हैं. शुक्राणु की मदद से ही बच्चे पैदा होते हैं.

अंडकोष यानी शुक्राशय आदमी के शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की जरूरत होती है. अगर किसी वजह से अंडकोष अंदर ही रह जाते हैं, तो ये खराब हो जाते हैं. शुक्राशय के 2 काम हैं, शुक्राणु बनाना और पुरुषत्व हार्मोन टैस्ट्रोस्ट्रान बनाना.

टैस्ट्रोस्ट्रान कैमिकल ही आदमी में क्रोमोसोम के साथ लिंग तय करता है. इसी के चलते बड़े होने पर लड़कों में बदलाव होते हैं, जैसे अंग के आकार में बढ़ोतरी, दाढ़ीमूंछें निकलना, आवाज में बदलाव, मांसपेशियों का ताकतवर होना वगैरह.

किशोर उम्र तक शुक्राशय शुक्राणु नहीं बनाते. ये 11 से 13 साल के बीच शुरू होते हैं और तकरीबन 17-18 साल तक पूरी तेजी से बनते हैं.

अंडकोष से निकल कर शुक्राणु इस के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो कर पकते हैं. यहां पर ये तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हैं. शुक्राणु बनने की पूरी प्रक्रिया में 72 दिन का समय लगता है.

किशोर उम्र में बनना शुरू हो कर शुक्राणु जिंदगीभर बनते रहते हैं. हां, अधेड़ उम्र में इस के बनने की रफ्तार धीमी हो जाती है. शुक्राणु के बनने में दिमाग में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन का हाथ होता है. इन हार्मोनों की कमी होने पर शुक्राणु बनना बंद हो जाते हैं.

वीर्य में मौजूद शुक्राणु 2 तरह के होते हैं, 3 3 या 3 4. अगर औरत के अंडे का मिलन 3 3 से होता है, तो लड़की और अगर 3 4 से होता है, तो लड़का पैदा होता है.

मां के पेट में बच्चे का लिंग आदमी के शुक्राणुओं द्वारा तय होता है. इस में औरत का कोई बस नहीं होता है. वीर्य में सब से ज्यादा रस सैमाइनल वैसिकल ग्रंथि से निकले पानी से होता है. इस में फ्रक्टोज शुक्राणुओं का पोषक तत्त्व होता है. इस के अलावा रस में साइट्रिक एसिड, प्रोस्ट्राग्लैंडिन और फाइब्रोजन तत्त्व भी पाए जाते हैं.

प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रस दूधिया रंग का होता है. इस में साइट्रेट, कैल्शियम, फास्फेट, वीर्य में थक्का बनाने वाले एंजाइम और घोलने वाले तत्त्व होते हैं. इन में अलावा मूत्र में स्थित यूरेथल ग्रंथियों का रिसाव भी वीर्य में मिल जाता है.

स्खलन के समय शुक्राशय से निकले शुक्राणु सैमाइनल वैसिकल व प्रोस्टै्रट के स्राव के साथ मिल कर शुक्र नली द्वारा होते हुए मूत्र नलिका से बाहर हो जाते हैं.

यह भी जानें

* एक बार में निकले वीर्य की मात्रा 2 से 5 मिलीलिटर होती है.

* वीर्य चिकनापन लिए दूधिया रंग का होता है और इस में एक खास तरह की गंध होती है.

* वीर्य का चिकनापन सैमाइनल वैसिकल व पीए प्रोस्टै्रट के स्राव के चलते होता है. अगर पीए अम्लीय है, वीर्य पीला या लाल रंग लिए है, तो यह बीमारी की निशानी है.

* वीर्य से बदबू आना भी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

* 2-3 दिन के बाद निकला वीर्य गाढ़ा होता है, क्योंकि इस में शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा होती है.

* वीर्य निकलने के बाद जम जाता है. पर इस में मौजूद रसायन फाइब्रोलाइसिन एंजाइम इसे 15-20 मिनट में दोबारा पतला कर देते हैं. अगर वीर्य दोबारा पतला न हो, तो यह बीमारी की निशानी है.

* 4-5 दिन बाद एक घन मिलीलिटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 8 से 12 करोड़ होती है. यानी एक बार में तकरीबन 40 करोड़ शुक्राणु निकलते हैं, पर एक ही शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए काफी होता है.

* अगर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 6 करोड़ प्रति मिलीलिटर से कम हो, तो आदमी में बच्चे पैदा करने की ताकत कम होती है. अगर 2 करोड़ से कम हो, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* सामान्य शुक्राणु छोटे से सांप की शक्ल का होता है. इस का सिरा गोल सा होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिस को एक्रोसोम कहते हैं. साथ में गरदन, धड़ और पूंछ होती है.

* अगर शुक्राणुओं के आकार में फर्क हो, तब भी बच्चे पैदा करने की ताकत कम हो जाती है. यह फर्क सिर, धड़ या पूंछ में हो सकता है. अगर असामान्य शुक्राणुओं की संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा होती है, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* शुक्राणु वीर्य में हमेशा तैरते रहते हैं. अगर शुक्राणु सुस्त हैं या 40 फीसदी से ज्यादा गतिहीन हैं, तो भी आदमी नामर्द हो सकता है.

* अगर वीर्य में मवाद, खून या श्वेत खून की कणिकाएं मौजूद हों, तो यह भी बीमारी की निशानी है.

* वीर्य या शुक्राणु बनने में खराबी कई बीमारियों के चलते हो सकती है. हार्मोन के बदलाव से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है.

* शुक्राशय में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे मम्स, लेप्रोसी, सिफलिस वगैरह.

* ट्यूमर, इंफैक्शन, फाइलेरिया से शुक्राशय खराब हो सकता है.

* शुक्राणु के बनने में प्रोटीन, विटामिन, खासतौर से विटामिन ई की जरूरत होती है.

वीर्य संबंधी गलतफहमियां

 *  अगर पेशाब के साथ वीर्य या वीर्य जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तो लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. वे समझते हैं कि उन की ताकत कम हो रही है. नतीजतन, वे कई बीमारियों को न्योता दे बैठते हैं, जबकि वीर्य के निकलने या धातु निकलने से जिस्मानी ताकत में कमी होने का कोई संबंध नहीं है.

* हस्तमैथुन करने या रात को वीर्य गिरने से नौजवान समझते हैं कि इस के द्वारा उन की ताकत निकल रही है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं, जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है.

* वीर्य जमा नहीं होता. अगर वीर्य के साथ शुक्राणु बाहर न निकलें, तो शरीर में इन की कमी हो जाती है. इसी तरह शौच जाते समय जोर लगाने से भी कुछ बूंद वीर्य निकल सकता है, इसलिए घबराएं नहीं.

* कुछ लोगों में यह गलतफहमी है कि वीर्य की एक बूंद 40 बूंद खून के बराबर है. यह गलत सोच है. वीर्य जननांगों का स्राव है, जो लार, पसीना या आंसू की तरह ही शरीर में बनता है.

* कुछ लोगों का मानना है कि वे वीर्य गिरने के समय जीवनदायक रस को बरबाद करते रहे हैं.

* अगर वीर्य के निकल जाने से कीमती ताकत का नाश होता है, तो सभी शादीशुदा आदमी कमजोर हो जाते, इसलिए वीर्य और सैक्स संबंध के बारे में गलत सोच न बनाएं, तनाव से दूर रहें और कामयाब जिंदगी का लुत्फ उठाएं.

सेक्स करने के बाद मेरे यूटरस में काफी दर्द होने लगा है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 21 साल की युवती हूं. कुछ दिनों पहले मैने अपने बौयफ्रैंड के साथ सेक्स किया था. हालांकि इस दौरान बौयफ्रैंड ने कंडोम का प्रयोग कर सेक्स किया पर दूसरे दिन सुबह मेरे यूटरस में दर्द होने लगा और मुझे बुखार भी हो गया. अत: बताएं कि सुरक्षित संबंध बनाने के बाद भी दर्द क्यों हुआ?

जवाब

सेक्स संबंध हमेशा सुरक्षित ही बनाना चाहिए. सेक्स क्रिया में कंडोम एक सरल व सहज गर्भनिरोधक है, जिस से अनचाहे गर्भधारण से बचा जा सकता है.

यूटरस में दर्द और बुखार होने का सुरक्षित सेक्स संबंध बनाने से कोई वास्ता नहीं है. संभव है कि आप के साथ कोई अंदरूनी वजह रही होगी. बेहतर होगा कि आप अपने डाक्टर से मिल कर सलाह लें.

अच्छी बात नहीं सैक्स में नानुकुर

आज यह लगातार चौथी रात थी जब सुरभि बिस्तर पर आने के बाद तकरीबन घंटाभर अपने मायके वालों से ले कर दोस्तों तक फोन पर लगी रही थी. टैलीविजन देख रहा उस का मर्द विवेक उस से बीचबीच में जोकुछ भी कहता, उस का वह ‘हांहूं’ में जवाब देती जाती. यही करतेकरते उसे खर्राटे आने लगे. विवेक ने मन मसोस कर टैलीविजन बंद किया और बगल में लेट गया.

आधी रात को जब विवेक की आंख खुली तो उस ने अपने में कड़ापन पाया. उसे सैक्स की तलब हो रही थी. उस ने सुरभि को जगाना चाहा लेकिन उस ने अपना रोज का ‘सोने दो न…’ वाला डायलौग बोल दिया.

झल्ला कर विवेक को आज भी खुद से ही काम चलाना पड़ा और वह नाराज मूड लिए ही सो गया.

इस तरह की हालत केवल विवेक की ही नहीं है बल्कि हर दूसरे घर में मर्दों को अपनी औरतों की यह ‘न’ झेलनी पड़ती है.

औरतों की सैक्स को ले कर नानुकर या इस के बल पर अपने मर्द को ब्लैकमेल करने की यह आदत अकसर अच्छेखासे रिश्ते को खराब कर देती है. ऐसा करना खुद औरतों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचाता है.

बारबार सैक्स के लिए मना करने से औरत के साथी को लगने लगता है कि शायद उस में कोई कमी है जिस के चलते ही औरत को उस के साथ सैक्स करने में मजा नहीं आ रहा है. इस से जिंदगी के प्रति उस की चाहत कम हो सकती है.

अगर सैक्स के दौरान सचमुच औरत को अपने साथी की कोई बात खटके तो वह उसे सीधे शब्दों में बताए ताकि उस का हल निकाला जा सके.

लगाव कम होना

अपने साथी से लगातार सैक्स संबंध न बनाना या बहुत कम यानी महीने में 1-2 बार बनाना मर्दऔरत दोनों के रिश्ते में कड़वाहट घोल सकता है. सैक्स के दौरान मर्दऔरत जितने घुलतेमिलते जाते हैं, वैसा किसी और मौके पर होना अकसर मुश्किल होता है.

नए रिश्ते बनाना बुरा नहीं है लेकिन बारबार नएनए रिश्ते बनाना न आसान होता है और न ही अच्छा, इसलिए अगर औरत को अपना रिश्ता प्यारा है तो वह उसे और मजबूत करने पर ध्यान दे.

जिस तरह कोई गायक रियाज करना छोड़ दे तो वह गाना भी भूलने लगता है, उसी तरह सैक्स कम करने से सैक्स की चाहत में भी कमी आनी शुरू हो जाती है. वैसे, सैक्स करने से नीचे खून का दौरा सही रहता?है, पेशाब पर जोर बढ़ता है.

शक को जन्म देना

जी हां, औरत की रोजरोज की यह नानुकर उसे इस तरह की समस्या से भी दोचार करा सकती है खासकर अगर वह कामकाजी औरत है. फिर वह चाहे जो भी बहाने बना ले, अपने साथी को बिस्तर पर समय न देना उस के मन में यह शक पैदा करेगा कि उस की औरत की जिस्मानी जरूरतें कहीं और से पूरी हो रही हैं. मर्द का इस बात का गुस्सा दूसरे मौकों पर निकलने लगेगा जो घर में कलह की वजह बनेगा.

न करें ये गलतियां

कई औरतों को अकसर अपना बदन एक हथियार जैसा लगने लगता है. सासससुर, ननद वगैरह से नोकझोंक की हालत में वे अपने पति को सैक्स के नाम पर धमकाना शुरू कर देती हैं. साथी अगर बौयफ्रैंड है तो मामला खर्च, औफिस जैसे मसलों पर टिक जाता है.

औरत को यह समझना होगा कि सैक्स केवल मर्द की गरज नहीं है, बल्कि औरत को भी सैक्स की उतनी ही जरूरत होती है. अगर ऐसा नहीं होता तो ‘पति के अंग में तनाव कम होता है’ जैसे मुद्दों पर घर नहीं टूटते. सैक्स को ले कर ब्लैकमेल करने की आदत औरत को एक दिन किसी लायक नहीं छोड़ती है.

बिना वजह ‘न’ कहना

ऐसा हो सकता है कि किसी दिन या कुछ दिनों तक औरत सैक्स के लिए तैयार न हो, पर इस की सही वजह होनी चाहिए. ‘थकी हुई हूं’ जैसी बातें हमेशा अच्छी नहीं लगतीं. औरत का साथी भी उसी की ही तरह थका हुआ होता है. इस के अलावा एक कामयाब सैक्स औरत की थकान भी उतारेगा, इस को भी समझें.

प्यार भरी छेड़छाड़ तक तो ठीक है लेकिन औरत का साथी अगर उस से सैक्स करने के लिए चिरौरी कर रहा है, तो यह सोच कर मजे लेना शुरू न करें. इस का भारी खमियाजा भी भुगतना पड़ सकता है. लिहाजा, सैक्स करने का मजा लें और अपनी जिंदगी को खुशहाल बनाएं.

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