एक गेस्ट मेरे घर आकर रहना चाहते हैं पर उनसे मैं अनकंफर्टेबल फील करती हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी ननद के पति यानी ननदोई कुछ दिन हमारे घर आ कर रहना चाहते हैं. मैं नहीं चाहती कि वे हमारे घर में रहें. उन के यहां आते ही मेरी सारी खुशी खत्म हो जाती है. लेकिन मेरे पति यह बात नहीं समझते. उन का कहना है कि हमें रिश्ते निभाने चाहिए और अतिथि का आदर करना चाहिए. मगर अतिथि एक दिन के लिए आए तो अच्छा है न, घर में 15 दिन बसने के लिए आ जाए, यह तो सही नहीं है. उन के आने के एक मिनट बाद से ही मैं अनकंफर्टेबल फील करने लगती हूं, पर पति को कैसे समझाऊं?

जवाब

आप यदि नहीं चाहतीं कि कोई आप के घर में इतने लंबे समय के लिए आए तो अपने पति से साफ शब्दों में कह दीजिए, यह भी बताएं कि आप अनकंफर्टेबल महसूस करती हैं. हो सकता है इस बात से आप पतिपत्नी की आपस में बहस भी हो लेकिन अपनी बात रखना गलत नहीं है. आखिर आप किसी के प्रति खुशी जाहिर तभी कर सकते हैं न जब आप सच में खुश हों. आप अपने पति को समझाइए कि 15 दिन ज्यादा हैं, बात एकदो दिन की हो तो आप एडजस्ट करने के लिए तैयार हैं.

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मेरी चाची अक्सर अपने कमरे में रहती है उन्हें देखकर लगता है वो खुश नहीं हैं, मैं क्या करूं ?

सवाल

मेरे चाचाचाची की अभी कुछ समय पहले ही शादी हुई है. मेरी उम्र 19 वर्ष है और मेरे चाचाचाची की उम्र यही कुछ 26-27 के आसपास है. मुझे अपनी चाची को देख कर लगता है जैसे वे खुश नहीं हैं और हमेशा उदास रहती हैं. मैं कालेज जाती हूं, वापस आती हूं तो अपने कमरे में ही रहती हूं जिस कारण कभी चाची से घुलीमिली भी नहीं. समझ नहीं आता उन से कैसे पूछूं कि क्या परेशानी है?

जवाब

आप की और आप की चाची की उम्र में कुछ ज्यादा फर्क नहीं है, आप चाहें तो उन से हिलनेमिलने की कोशिश कर सकती हैं. आप का और उन का व्यवहार एकदूसरे से अलग हो सकता है, व्यक्तित्व अलग हो सकता है मगर इस का मतलब यह नहीं कि आप उन्हें परेशान देख कर भी चुप बैठी रहें, यह तो   नैतिक भी नहीं होगा. आप उन्हें समय देने की कोशिश कीजिए. यदि वे आप को बता दें कि उन्हें किस बात से परेशानी है और उस में आप उन की मदद कर सकें तो इस से बेहतर क्या होगा.

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उम्र के साथ ऐसे बदलता है सेक्स बिहेवियर

शादीशुदा जिंदगी में दूरियां बढ़ाने में सेक्स का भी अहम रोल होता है. अगर परिवार कोर्ट में आए विवादों की जड़ में जाएं तो पता चलता है कि ज्यादातर झगड़ों की शुरुआत इसी को ले कर होती है. बच्चों के बड़े होने पर पतिपत्नी को एकांत नहीं मिल पाता. ऐसे में धीरेधीरे पतिपत्नी में मनमुटाव रहने लगता है, जो कई बार बड़े झगड़े का रूप भी ले लेता है. इस से तलाक की नौबत भी आ जाती है. विवाहेतर संबंध भी कई बार इसी वजह से बनते हैं.

मनोचिकित्सक डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘उम्र के हिसाब से पति और पत्नी के सेक्स का गणित अलगअलग होता है. यही अंतर कई बार उन में दूरियां बढ़ाने का काम करता है. पतिपत्नी के सेक्स संबंधों में तालमेल को समझने के लिए इस गणित को समझना जरूरी होता है. इसी वजह से पतिपत्नी में सेक्स की इच्छा कम अथवा ज्यादा होती है. पत्नियां इसे न समझ कर यह मान लेती हैं कि उन के पति का कहीं चक्कर चल रहा है. यही सोच उन के वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती है. अगर उम्र को 10-10 साल के गु्रपटाइम में बांध कर देखा जाए तो यह बात आसानी से समझ आ सकती है.’’

शादी के पहले

आजकल शादी की औसत उम्र लड़कियों के लिए 25 से 35 के बीच हो गई है. दूसरी ओर खानपान और बदलते परिवेश में लड़केलड़कियों को 15 साल की उम्र में ही सेक्स का ज्ञान होने लगता है. 15 से 30 साल की आयुवर्ग की लड़कियों में नियमित पीरियड्स होने लगते हैं, जिस से उन में हारमोनल बदलाव होने लगते हैं. ऐसे में उन के अंदर सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. वे इस इच्छा को पूरी तरह से दबाने का प्रयास करती हैं. उन पर सामाजिक और घरेलू दबाव तो होता ही है, कैरियर और शादी के लिए सही लड़के की तलाश भी मन पर हावी रहती है. ऐसे में सेक्स कहीं दब सा जाता है.

इसी आयुवर्ग के लड़कों में सेक्स के लिए जोश भरा होता है. कुछ नया करने की इच्छा मन पर हावी रहती है. उन की सेहत अच्छी होती है. वे हर तरह से फिट होते हैं. ऐसे में शादी, रिलेशनशिप का खयाल उन में नई ऊर्जा भर देता है. वे सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, जबकि लड़कियां इस उम्र में अपनी इच्छाओं को दबाने में लगी रहती हैं.

30 के पार बदल जाते हैं हालात

महिलाओं की स्थिति: 30 के बाद शादी हो जाने के बाद महिलाओं में शादीशुदा रिलेशनशिप बन जाने से सेक्स को ले कर कोई परेशानी नहीं होती है. वे और्गेज्म हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार होती हैं. महिलाएं कैरियर बनाने के दबाव में नहीं होती. घरपरिवार में भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में सेक्स की उन की इच्छा पूरी तरह से बलवती रहती है. बच्चों के होने से शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जिन के चलते महिलाओं को अपने अंदर के सेक्सभाव को समझने में आसानी होती है. वे बेफिक्र अंदाज में संबंधों का स्वागत करने को तैयार रहती हैं.

पुरुषों की स्थिति: उम्र के इसी दौर में पति तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा होता है. शादी के बाद बच्चों और परिवार पर होने वाला खर्च, कैरियर में ग्रोथ आदि मन पर हावी होने लगता है, जिस के चलते वह खुद को थका सा महसूस करने लगते हैं. यही वह दौर होता है जिस में ज्यादातर पति नशा करने लगते हैं. ऐसे में सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

महिला रोग विशेषज्ञा, डाक्टर सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘हमारे पास बांझपन को दूर करने के लिए जितनी भी महिलाएं आती हैं उन में से आधी महिलाओं में बांझपन का कारण उन के पतियों में शुक्राणुओं की सही क्वालिटी का न होना होता है. इस का बड़ा कारण पति का मानसिक तनाव और काम का बोझ होता है. इस के कारण वे पत्नी के साथ सही तरह से सेक्स संबंध स्थापित नहीं कर पाते.’’

नौटी 40 एट

40 के बाद की आयुसीमा एक बार फिर शारीरिक बदलाव की चौखट पर खड़ी होती है. महिलाओं में इस उम्र में हारमोन लैवल कम होना शुरू हो जाता है. उन में सेक्स की इच्छा दोबारा जाग्रत होने लगती है. कई महिलाएं अपने को बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त पाती हैं, जिस की वजह से सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. मगर यह बदलाव उन्हीं औरतों में दिखता है जो पूरी तरह से स्वस्थ रहती हैं. जो महिलाएं किसी बीमारी का शिकार या बेडौल होती हैं, वे सेक्स संबंधों से बचने का प्रयास करती हैं.

40 प्लस का यह समय पुरुषों के लिए भी नए बदलाव लाता है. उन का कैरियर सैटल हो चुका होता है. वे इस समय को अपने अनुरूप महसूस करने लगते हैं. जो पुरुष सेहतमंद होते हैं, बीमारियों से दूर होते हैं वे पहले से ज्यादा टाइम और ऐनर्जी फील करने लगते हैं. उन के लिए सेक्स में नयापन लाने के विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं.

50 के बाद महिलाओं में पीरियड्स का बोझ खत्म हो जाता है. वे सेक्स के प्रति अच्छा फील करने लगती हैं. इस के बाद भी उन के मन में तमाम तरह के सवाल आ जाते हैं. बच्चों के बड़े होने का सवाल मन पर हावी रहता है. हारमोनल चेंज के कारण बौडी फिट नहीं रहती. घुटने की बीमारियां होने लगती हैं. इन परेशानियों के बीच सेक्स की इच्छा दब जाती है.

इस उम्र के पुरुषों में भी ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां और इन को दूर करने में प्रयोग होने वाली दवाएं सेक्स की इच्छा को दबा देती हैं. बौडी का यह सेक्स गणित ही पतिपत्नी के बीच सेक्स संबंधों में दूरी का सब से बड़ा कारण होता है.

डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि सेक्स के इस गणित को मन पर हावी न होने दें ताकि सेक्स जीवन को सही तरह से चलाया जा सके.’’

रिलेशनशिप में सेक्स का अपना अलग महत्त्व होता है. हमारे समाज में सेक्स पर बात करने को बुरा माना जाता है, जिस के चलते वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. इन का दवाओं में इलाज तलाश करने के बजाय अगर बातचीत कर के हल निकाला जाए तो समस्या आसानी से दूर हो सकती है. लड़कालड़की सही मानो में विवाह के बाद ही सेक्स लाइफ का आनंद ले पाते हैं. जरूरत इस बात की होती है कि दोनों एक मानसिक लैवल पर चीजों को देखें और एकदूसरे को सहयोग करें. इस से आपसी दूरियां कम करने और वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलती है.

मेरे पेरेंट्स और भाई हमेशा ताना मारते रहते हैं, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरे 2 बड़े भाई हैं जो मुझ पर अकसर रोकटोक करते रहते हैं. उन दोनों के अनुसार मुझे एक सभ्य लड़की की तरह रहना चाहिए मुंह बंद कर के. बीते दिनों घर में सुबहशाम न्यूज चैनल चलते
रहते थे. उन पर कभी जमाती तो कभी हिंदूमुसलिम मसला उठता तो परिवार के सभी लोग किसी गुंडे जैसी भाषा का प्रयोग करने लगते. जला दो, मार डालो जैसे शब्द कहते तो मैं खिन्न हो जाती क्योंकि किसी भी स्थिति में इंसानियत भूल जाना तो किसी मसले का हल नहीं.

इस चक्कर में मेरी अपने भाइयों से भी कई बार लड़ाई हुई और मम्मीपापा से भी. अब हो यह रहा है कि वे आज तक मुझे ताने ही देते रहते हैं. मुझे लगने लगा है कि मेरी ही गलती है जो मैं ने किसी को कुछ समझाने की कोशिश की, लेकिन क्या सचमुच में मैं ही गलत हूं? अब अपने घरवालों से अपने रिश्ते को संभालूं या अपने सिद्धांतों पर चलूं?

जवाब

आप का कहना सही है कि इंसान को इंसानियत देखनी चाहिए और अपने सिद्धांतों पर भी चलना चाहिए. आप अब तक अपने परिवार को सही समझाने की कोशिश करती आई हैं तो अब पीछे हटने के बारे में मत सोचिए. यह सही है कि रिश्ते बनाए रखना जरूरी है लेकिन इस बाबत किसी के गलत तथ्यों या कहें गलत बातों का समर्थन करना तो सही नहीं है. आप अपनी बात पर अडिग रहें और साथ ही अपने पारिवारिक संबंध भी सही करने की कोशिश करें.

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मुझे भाभी के साथ सेक्स करते हुए मेरे भतीजे ने देख लिया, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है. पिछले 15 साल से मेरा अपनी भाभी के साथ जिस्मानी रिश्ता रहा है. लेकिन हाल ही में मेरे भतीजे ने हम दोनों को बिस्तर पर एकसाथ देख लिया था. तब से मेरी भाभी मुझ से बात नहीं कर रही हैं. मैं उस के बिना रह नहीं सकता. क्या करूं?

जवाब

इस तरह के संबंध बनाए तब जाने चाहिए जब छिपा कर रख सकें, वरना खतरा तो रहेगा ही. भतीजे की जगह अगर भाई या कोई और बड़ा देखता तो क्या हालत होती, इस का अंदाजा आप भी लगा सकते?हैं. आप की?भाभी वही कर रही?हैं जो इस हालत में किसी भी औरत को करना चाहिए. अब आप को चाहिए कि मुफ्त की मलाई का लालच छोड़ कर शादी कर लें और भाभी से जिस्मानी संबंधों की बात को भूल जाएं.

मैं अपनी बड़ी बहन की दोस्त को पसंद करता हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 16 साल है और मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं. मेरी एक बड़ी बहन है जो 18 साल की है और कालेज के फर्स्ट ईयर में है. मेरी बहन की एक दोस्त है जो 17 साल की है. वह मुझे बहुत अच्छी लगती है. वह कभीकभी घर आती है तो उस की और मेरी नजरें आपस में टकरा जाती हैं, लेकिन बात आज तक नहीं हो पाई.

जब भी उस से नजरें टकराती हैं तो पता नहीं क्यों ऐसा लगता है जैसे वह भी वही फील कर रही हो जो मैं फील कर रहा हूं. मैं उस से बात करना चाहता हूं, उसे जानना चाहता हूं लेकिन उस के रिस्पौंस से डरता हूं. कहीं वह मुझे खुद से छोटा समझ कर या ‘सहेली का भाई है’ इस कारण मना न कर दे. या हो सकता है कि वह मुझे पसंद करती हो और बाकी सभी लड़कियों की तरह बताने में झिझक रही हो. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की परेशानी जायज है पर आजकल उम्र से ज्यादा लोग सामने वाले की पर्सनैलिटी, पसंदनापसंद और थिंकिंग को इंपोर्टैंस देते हैं. आप का यह सोचना कि आप की बहन की सहेली कहीं आप को छोटा समझ कर या सहेली का भाई समझ कर मना न करे, सही है. लेकिन, इस तथ्य को भी नहीं झुठलाया जा सकता कि अगर आप उसे पसंद होंगे तो वह भी खुद को नहीं रोक पाएगी. वह आप की बहन की दोस्त है तो आप अपनी बहन से इस बारे में बात कर सकते हैं.

आप यदि सीधा उस लड़की से बात करेंगे तो हो सकता है उस की नजर में आप गिर जाएं और साथ ही आप की बहन भी. समझदारी से काम लें. नौर्मल फ्रैंड्स की तरह बात करने की कोशिश करें. उस के हावभाव से आप को उस के मन में क्या है, पता चल जाएगा. उस के बाद ही उस से आगे कुछ बात करने या मन की बात कहने के बारे में सोचें.

एक आंटी मेरे घर कभी भी चली आती हैं उनके कारण हमें परेशानी होती है, मैं क्या करूं?

सवाल

हमारे पड़ोस में एक आंटी रहती हैं. वे जब चाहे हमारे घर में चली आती हैं. हमें उन का इस तरह बेमतलब और बेवक्त आना पसंद नहीं है. पर हम से उन्हें कुछ कहते नहीं बनता. हम उन्हें कुछ सालों से जानते हैं, इसलिए कुछ कह नहीं सकते पर वे खुद भी तो समझ सकती हैं कि उन के कारण हमें परेशानी होती है. वे हमें देख कर टीकाटिप्पणी और टोकाटाकी करने लगती हैं जो हमें अच्छा नहीं लगता. उन्हें आने से कैसे रोकें, कुछ बताएं.

जवाब

देखिए, आजकल वैसे भी समय ऐसा नहीं है कि आप आपसी रिश्ते या दोस्ती देखें. इस समय आप के लिए सब से ज्यादा जरूरी होना चाहिए हर बाहरी व्यक्ति से दूरी बनाए रखना. आप उन से यदि यह नहीं कह सकते कि आप को उन का अपने घर आनाजाना पसंद नहीं है तो कम से कम आप उन से कह सकते हैं कि देश में चल रही महामारी को देखते हुए उन्हें अपनी और आप सभी की सेहत का ध्यान रखते हुए दूरी मैंटेन करनी चाहिए और अपने घर में रहना चाहिए.

वे आप के घर आती हैं तो किसी व्यक्ति से मिलने ही आती होंगी, जैसे आप की मम्मी या कोई और. वे जब आप के घर आएं तो कह दीजिए कि आप की मम्मी फ्री नहीं हैं और कुछ काम कर रही हैं, सो, उन से बैठ कर बात नहीं कर सकतीं. शायद इस से वे वापस चली जाएं. आप एकदो दिन एकसमान बहाना बनाएंगे तो हो सकता है वे आप का इशारा समझ जाएं और खुद ही बिना कहे घर आना कम कर दें या बंद कर दें.

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मेरे बौयफ्रैंड ने मुझसे ब्रेकअप कर लिया, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवती हूं. बौयफ्रैंड के साथ ढाई साल से रिलेशनशिप चल रहा था कि एक दिन आ कर वह  बोला कि वह मुझसे शादी नहीं कर सकता क्योंकि उस की मां को मैं पसंद नहीं हूं. वजह यह बताई कि मैं शांत नेचर की हूं और उन की फैमिली में फिट नहीं बैठूंगी. मैं क्या करूं, मेरा स्वभाव ही इंट्रोवर्ट है. फिर भी मैं ने बौयफ्रैंड को समझाने की कोशिश की कि मैं उस की खातिर अपने को बदलने की पूरी कोशिश करूंगी. लेकिन उस ने मुझसे ब्रेकअप कर लिया. मैं बहुत अपसेट हो गई हूं. भीतर से टूट गई हूं क्योंकि मैं उस से बहुत प्यार करती हूं. उस के जैसा दोबारा शायद ही मुझे कोई मिले. लगता है लाइफ में कुछ नहीं बचा. क्या करूं? कहीं अपने साथ कुछ गलत न कर बैठूं.

जवाब

सब से पहले तो अपने को बेचारी मत बनाइए. ऐसा बौयफ्रैंड जो आप के लिए अपने घरवालों के आगे स्टैंड नहीं ले सकता, वह आप का पूरी जिंदगी क्या साथ देगा. वजह भी ऐसी बेतुकी, कि गले नहीं उतरती. सब का अपनाअपना स्वभाव होता है. लेकिन परिवार में आ कर सब एकदूसरे से एडजस्ट कर ही लेते हैं. और फिर ज्यादा जरूरी बात है, कपल का एकदूसरे को समझना. फैमिली तो आगे की बात है. ससुराल में हर लड़की को कुछ न कुछ एडजस्ट करना होता ही है और कुछ ससुराल वालों को. ताली दोनों हाथ से बजती है.
बौयफ्रैंड की मां ने आप को रिजैक्ट किया, उस की वजह कुछ और भी हो सकती है, जो हो सकता है आप का बौयफ्रैंड छिपा रहा हो. खैर, हमारी राय तो यह है कि जो बौयफ्रैंड बेतुकी वजह से और मां के कहने पर एक ?झटके में ब्रेकअप कर ले उस से आप आगे क्या उम्मीद रखेंगी.

देखिए, कहना आसान है कि उसे भूल जाने की कोशिश करें. लेकिन कोशिश तो करनी ही पड़ेगी. जब उसे आप की परवा नहीं तो आप क्यों उस के पीछे अपनी जिंदगी बेजार कर रही हैं. वह आप को डिजर्व नहीं करता. दिल से प्यार करने वाली मुश्किल से मिलती है, शायद आप के बौयफ्रैंड को इस बात का अंदाजा नहीं.

फिलहाल, अब आप खुद को मजबूत बनाएं. जिंदगी में आगे बढि़ए, अपने को दूसरे कामों में बिजी रखिए. दोस्तों के साथ घूमनेफिरने जाइए. बहुतकुछ नया देखनेसुनने को मिलेगा. दिल का बोझ कम होगा. सोच का दायरा बढ़ेगा. जिंदगी की राह पर हिम्मत से चलती रहिए, अपनेआप रास्ते मिलते जाएंगे.

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हर युवा को जाननी चाहिए कंडोम से जुड़ी ये जानकारियां

मां बनने की खुशी से भला कौन वंचित रहना चाहता है? मगर सही वक्त और सही स्थिति का होना बहुत जरूरी है. सेक्स के दौरान या उसके बाद तमाम सुविधा-असुविधा के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है. तभी एक परिवार सफल व सुखी परिवार बना रह सकता है. यह जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टनर की नहीं बल्कि दोनों की, बराबर की है. युवाओं को अकसर इस संबंध में सही जानकारी नहीं होती. यहां प्रस्तुत है इस संबंध में वैज्ञानिक जानकारी ताकि कई तरह के रोगों और असमय गर्भधारण से बचा जा सके.

कंडोम को हमेशा तवज्जो देना क्यों जरूरी है?

सेक्स हर हाल में शारीरिक संबंध है जो अपने साथ-साथ कई किस्म की बीमारियां भी लिए होता है. जरा सी लापरवाही किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है. किसी के जीवन का अंत भी हो सकता है. इसलिए सेक्स के बारे में सोचने के साथ ही कंडोम के बारे में सोचना जरूरी है. क्योंकि इससे ही सुरक्षित सेक्स संभव है. संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए कंडोम एक बेहतर विकल्प है.

संक्रामक रोग, असमय प्रेग्नेंसी के बारे में दोनो सोचें

इन सब विषयों के बारे में सोचना सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी नहीं है. दरअसल लोगों की इस पर अपनी-अपनी राय है कि कंडोम, प्रेग्नेंसी आदि यह सब पुरुषों के सोचने का विषय है. वास्तव में संक्रामक रोगों से बचाव और असामयिक प्रेग्नेंसी की समस्या दोनो की ही समस्या है. विशेषतौर पर महिलाओं को इस मामले में मुखर होने की जरूरत है.

कंडोम न मिलने की स्थिति में क्या करना चाहिए?

कंडोम एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिसकी तुलना मंे कोई और गर्भनिरोधक नहीं है. हालांकि गर्भनिरोधक कई मौजूद हैं मगर बिना किसी रिस्क फैक्टर के कंडोम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता. लेकिन कोई ऐसी स्थिति आ जाए जब सेक्स करने के दौरान कंडोम न हो तो क्या किया जाए? बाजार में कई दूसरे गर्भनिरोधक भी आपके काम आ सकते हैं. ध्यान रखें यह गर्भनिरोधक सिर्फ गर्भ ठहरने की आशंका को ही सुनिश्चित करते हैं. इनमें किसी किस्म की दूसरी सुरक्षा नहीं होती.

क्या पहली बार सेक्स में ही कोई महिला गर्भवती हो सकती है?

यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं है. इसलिए युवाओं का यह जानना बहुत जरूरी है कि चाहे आप पहली बार सेक्स कर रहे हों या दसवीं बार, कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. हालांकि यह थोड़ी परेशान करने वाली बात लग सकती है कि पहली बार सेक्स में भी कंडोम का इस्तेमाल किया जाए? लेकिन हकीकत यही है कि अगर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते हैं तो कंडोम का उपयोग बिना झिझक करें.

कंडोम कहां से खरीदे जा सकते हैं? क्या कंडोम अलग-अलग प्रकार के भी होते हैं?

कंडोम कोई ऐसी अंजान चीज नहीं है जिसे खरीदने के लिए मुश्किल सामने आती है. यह आपको कहीं भी आसानी से उपलब्ध हो सकता है. कैमिस्ट की दुकान से इसे आसानी से खरीदा जा सकता है. जब आप सेक्स से नहीं शरमाते तो किसी के सामने एक शब्द ‘कंडोम’ कहने में शरम कैसी?

अब जहां तक बात है इसके प्रकार की तो विभिन्न प्रकार के कंडोम मार्केट में उपलब्ध हैं. अपनी सहूलियत के अनुसार जो पसंद हो, उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

मैटीरियलः ज्यादातर कंडोम लैटेक्स और पाॅलीयूरीथेन से बने होते हैं. लैटेक्स के द्वारा बनाए गए कंडोम ज्यादा मजबूत होते हैं. प्रेग्नेंसी और संक्रामक रोगों से दूसरों के मुकाबले यह ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते हंै.

साइजः बाजार में अलग-अलग लम्बाई का कंडोम उपलब्ध होता है. कोई छोटे होते हैं, कई ज्यादा लम्बे होते हैं तो कई की चैड़ाई ज्यादा होती है तो कुछ पतले होते हैं. अगर पैकेट में लिखा है ‘लार्ज’ अथवा ‘स्माॅल’ इसका मतलब उसकी लम्बाई से नहीं बल्कि चैड़ाई से है. कंडोम खरीदते वक्त बिना शरमाएं अपने शिश्न के साइज अनुसार ही कंडोम खरीदें.

लुब्रीकेटः लुब्रीकेट यानी चिकनाई. कुछ कंडोम ऐसे भी होते हैं जिसमे जरा भी चिकनाहट नहीं होती. जबकि कुछ में सिलिकन बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं तो कुछ में वाॅटर बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं.

कलर्डः लैटेक्स या कंडोम का वास्तविक रंग क्रीमी व्हाईट होता है. लेकिन बाजार में कंडोम अलग-अलग रंगों में भी उपलब्ध हैं.

फ्लेवर्डः कुछ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन, ओरल सेक्स की वजह से भी फैलते हैं. सो, अगर ओरल सेक्स के दौरान भी कंडोम का उपयोग किया जाए तो अच्छा है. कई दफा लोगों को लैटेक्स की गंध और उसका स्वाद पसंद नहीं आता. इसलिए फ्लेवर्ड कंडोम बेहतर विकल्प हैं.

कंडोम कितना कारगर है?

वास्तव में यह निर्भर करता है उपयोग करने वाले पर. अगर कंडोम का उपयोग सही मायने में किया जाए तो 94प्रतिशत से लेकर 97प्रतिशत तक तमाम समस्याओं से निजात दिलाता है. प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोग, सभी से निजात दिलाने में यह कारगर साबित हुआ है. एचआईवी से तो यह लगभग 100प्रतिशत तक राहत देता है. कुछ लोग मानते हैं कि कुछ वायरस हैं जिनके सामने कंडोम असफल है, जबकि ऐसा नहीं है.

क्या दो कंडोम का इस्तेमाल एक कंडोम के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है?

नहीं. ऐसा बिल्कुल नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने से कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. मसलन दोनों कंडोम घिसने के कारण फट सकते हैं. साथ ही यह किसी भी व्यक्ति के लिए सहज नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने में असुविधा होती है.

फीमेल कंडोम क्या है?

मेल कंडोम की ही तरह बाजार में फीमेल कंडोम भी मौजूद है. फीमेल कंडोम एक पाउच की तरह होता है. इसे वैजाइना में फिट किया जाता है.

कंडोम कैसे पहना जाता है?

ध्यान रखें कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. उससे भी जरूरी है उसका सही से इस्तेमाल करना. शिश्न और योनि के बीच संपर्क होने से पहले ही कंडोम को लगाया जाना चाहिए. अन्यथा प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोगों से बचना मुश्किल हो सकता है.

पुरुष को कंडोम तब लगाना चाहिए जब उसका शिश्न लम्बा और खड़ा हो जाए. कंडोम को खोलते समय दांत का उपयोग न करें; क्योंकि हो सकता है कि आपके दांतों की वजह से कंडोम में दरार पड़ जाए और वह आपको न दिखे.

अगर कंडोम फट जाए?

अगर सेक्स के दौरान कंडोम फट जाए तो तुरंत वहीं सेक्स प्रक्रिया रोक दें और नए कंडोम का इस्तेमाल करें. कई दफा ऐसा होता है कि आपके महसूस हो रहा है कि कंडोम फट गया है, जबकि ऐसा नहीं होता. कई बार यह मात्र एक वहम होता है. मगर बेहतर है कि रह-रहकर कंडोम को चेक करते रहें. अगर सेक्स के दौरान लगे कि आपका वीर्य कहीं न कहीं से निकलकर योनि के अंदर प्रवेश कर चुका है तो बेहतर है तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें या किसी प्रिकाॅशनरी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें. इसी से बचाव हो सकता है.

क्या ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है?

हां, कई डिजीज ऐसे होते हैं जो ओरल सेक्स से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए कंडोम का उपयोग अवश्य करें.

सेक्स करना कब रोकना चाहिए?

पुरुषों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब वह अपना शिश्न गुदा से या योनि से बाहर निकालने वाला हो तो उसे कंडोम को पकड़ लेना चाहिए. इसे आहिस्ता से निकालने के बाद सावधानीपूर्वक किसी सही जगह पर फेकना चाहिए. कंडोम को यूज करने के बाद टायलेट में न फेंके और न ही यादगार के रूप मेें अपने कमरे में सजाने का सामान बनाएं. उसे डस्टबिन में ही फेंके.

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है. उस का कहना है कि वह मुझ से कभी मूव औन नहीं कर पाया और न ही मुझे भूल पाया है. वहीं, मैं तो कब की उस से मूव औन कर चुकी हूं, यहां तक कि कुछ महीनों पहले एक लड़के को डेट भी किया था. फिलहाल मैं सिंगल हूं.

हम दोनों के ब्रेकअप की वजह उस का मुझे ले कर हमेशा कन्फ्यूज्ड रहना था. क्या पता अब वह क्लियर हो गया हो. क्या यह सही रहेगा कि मैं सिंगल तो हूं ही तो अपने एक्स के साथ ही रिलेशनशिप में आ जाऊं?

जवाब-

अगर आप रिलेशनशिप में इसलिए आना चाहती होतीं कि आप भी उस से उतना ही प्यार करती हैं जितना वह करता है तो मेरा सुझाव होता कि बिलकुल आइए, रिलेशनशिप में आखिर बुराई क्या है. लेकिन, आप के मन में अब अपने एक्स के लिए कोई प्यार नहीं है और शायद रिस्पैक्ट भी नहीं है तभी तो आप बिना फीलिंग्स उस के साथ रिलेशनशिप में आना चाहती हैं.

आप जानती हैं कि वह आप से प्यार करता है और आप अब नहीं करतीं. हो सकता है कि उस का कन्फ्यूजन आप को ले कर खत्म हो गया हो लेकिन क्या अब आप कन्फ्यूज्ड नहीं हैं? यह तो बिल्कुल हिस्टरी रिपीट करने वाली बात हो गई. तब शायद आप को तकलीफ हुई थी, अब आप अपने एक्स को तकलीफ देंगी.

वैसे भी एक्स के साथ एक बार फिर किसी रिश्ते में बंधने से पहले सोच लेना चाहिए. यह बौलीवुड या टीवी सीरियल नहीं है, असल जीवन बेहद उलझा हुआ होता है. जब तक मन से आप बिलकुल तैयार न हों, फीलिंग्स एक सी न हों, तब तक एक्स से दूरी बनाए रखने में ही फायदा है. बिना बात खुद हर्ट होना या उसे हर्ट करना बेतुका है.

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