नई तकनीक से उम्मीद : तनाव की कमी

मनोहर की शादी को एक हफ्ता हुआ था. वह रात को अपनी नईनवेली दुलहन के पास जाने से कतरा रहा था. इस की वजह थी उस के अंग में तनाव की कमी और वह सैक्स सुख के सागर में गोते नहीं लगा पा रहा था.

मनोहर अकेला ऐसा नहीं है, जो इस तरह की समस्या से जूझ रहा है. दुनियाभर में ऐसे बहुत सारे मर्द हैं, जो अपने अंग में मनचाहे तनाव की कमी के चलते अपने सैक्स पार्टनर के सामने शर्मिंदगी झेलते हैं. इस की सब से बड़ी वजह है कि हम किस तरह से जिंदगी जी रहे हैं.

अगर कोई बीड़ीसिगरेट ज्यादा पीता है, तो उस के अंग में ढीलापन हो सकता है. साथ ही, जो लोग ज्यादा शराब पीते हैं या कोई और नशा करते हैं, वे भी इस समस्या से दोचार हो सकते हैं.

जरूरत से ज्यादा दिमागी तनाव भी सैक्स लाइफ पर बुरा असर डालता है. अपने काम से जुड़े विचारों को बिस्तर पर लाने से मर्द अपने अंग में तनाव की कमी को बढ़ा सकता है. इतना ही नहीं, बढ़ती उम्र भी इस तकलीफ में इजाफा ही करती है.

इस के लक्षण

* शुरुआत में अंग में तनाव पाने में मुश्किल होना.

* सैक्स के लिए पूरे समय तक तनाव बनाए रखने में नाकाम होना.

* प्रवेश के तुरंत बाद तनाव में कमी.

* मनमुताबिक सैक्स न हो पाना.

* सैक्स में दिलचस्पी की कमी.

* आत्मसम्मान में कमी.

* गुस्सा, चिढ़चिढ़ापन, उदासी का होना, खुद को नामर्द महसूस करना.

अंग में तनाव की कमी के मुद्दे पर जब प्लास्टिक, कौस्मैटिक सर्जन और एंड्रोलौजिस्ट डाक्टर अनूप धीर से बात की गई, तो उन्होंने बताया, ‘‘अंग में तनाव की कमी को इंगलिश में ‘इरैक्टाइल डिस्फंक्शन’ कहते हैं. यह ऐसी आम कंडीशन है, जो दुनियाभर में मर्दों को प्रभावित करती है और इस की वजह से उन की जिंदगी की क्वालिटी के साथसाथ रिलेशनशिप भी बिगड़ती है.

‘‘इरैक्टाइल डिस्फंक्शन ऐसी मैडिकल कंडीशन है, जिस में मर्द सैक्स के लिए जरूरी इरैक्शन (तनाव) को हासिल करने या उसे बनाए रखने में नाकाम होता है. यह कई बार किसी शारीरिक या मनोवैज्ञानिक वजह के चलते होता है और आमतौर पर 40 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को प्रभावित करता है. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं है, क्योंकि यह समस्या किसी भी उम्र के मर्दों को अपना शिकार बना सकती है.

‘‘दिक्कत यह है कि इस समस्या से पीडि़त कई लोग शर्मिंदगी या संकोच के चलते इलाज कराने की पहल भी नहीं करते हैं. लिहाजा, उन के रिश्ते लगातार बिगड़ते रहते हैं. पर अगर समस्या है, तो उस का हल भी है.

‘‘हालांकि इरैक्टाइल डिस्फंक्शन के लिए फास्फोडिस्टेरेज (पीडीई5) 5 इंहिबिटर्स के साथ ओरल फार्मोकोथैरेपी ही अभी तक प्रमुख इलाज मानी जाती रही है, लेकिन इस समस्या का सामना कर रहे मर्दों को बेहतर समाधान देने के लिए नए उपायों की तलाश लगातार जारी है.

‘‘ऐसा ही एक नया उपाय है टौपिकल जैल इरौक्सौन, जो अंग में तनाव की कमी से जूझ रहे मर्दों के लिए अच्छे नतीजे दिला रहा है.

‘‘फूड ऐंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी एफडीए द्वारा स्वीकृत इरौक्सौन एक ऐसा टौपिकल जैल है, जो इरैक्टाइल की समस्या से जूझ रहे मर्दों के लिए उम्मीद की नई किरण है. इस जैल को सैक्स करने से ठीक पहले अंग के मुख पर सीधे लगा सकते हैं.

‘‘स्टडी से यह बात सामने आई है कि इरौक्सौन का इस्तेमाल करने वाले 65 फीसदी मर्दों ने 10 मिनट के भीतर इरैक्शन महसूस किया और वे सैक्स करने के लिए जरूरी इरैक्शन (तनाव) को बरकरार रख सके.

‘‘फिलहाल इसे एक क्रीम (विटारौस/विरिरेक) के तौर पर भी दिया जाता है, जिस में अंग के सक्रिय भाग पर ऐक्टिव दवा (एल्प्रोस्टेडिल, जो सिंथैटिक प्रोस्टाग्लैंडिन ई1 है) के तौर पर स्किन एन्हान्सर के साथ इस्तेमाल किया जाता है.

‘‘याद रहे कि दिल से जुड़ी बीमारी और डायबिटीज को अंग में तनाव संबंधी दोष का प्रमुख कारण माना जाता है, इसलिए ईडी संबंधी लक्षणों के दिखाई देने पर इन रोगों के लक्षणों पर गौर करें और डाक्टर से मिल कर जरूरी मैडिकल सलाह लें.

‘‘नियमित रूप से अपनी सेहत की जांच करवाएं, ब्लड प्रैशर पर नजर रखें और डायबिटीज की जांच करवाएं, ताकि ईडी के इन संभावित कारणों का पता लगा कर इन का समय पर इलाज किया जा सके.

‘‘इरैक्टाइल डिस्फंक्शन (ईडी) के उपचार के लिए इरौक्सौन नया टौपिकल जैल है, जो अंग में तनाव की समस्या, इस के उपचार और प्रबंधन के तौरतरीकों में क्रांति कर सकता है.

‘‘इरौक्सौन को अमेरिका में स्वीकृति मिल चुकी है और फिलहाल यह ब्रिटेन में भी उपलब्ध है. हालफिलहाल भारत में यह नहीं मिलता है, लेकिन जल्द ही भविष्य में यह उपलब्ध हो सकता है. यह अंग में तनाव लाने में क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है.

‘‘इस के अलावा अंग में तनाव लाने का एक और तरीका है, जिसे लिंग प्रत्यारोपण यानी पेनाइल इंप्लांट कहते हैं. यह एक ऐसा उपकरण है, जिसे आपरेशन द्वारा मर्दाना अंग के अंदर रखा जाता है, ताकि कम इरैक्शन वाले मर्दों को सही इरैक्शन मिल सके. ईडी के लिए दूसरे इलाज नाकाम होने के बाद आमतौर पर पेनाइल इंप्लांट की सिफारिश की जाती है.

‘‘पेनाइल इंप्लांट के 2 खास प्रकार हैं, अर्धकठोर और फुलाने लायक. हर तरह का पेनाइल इंप्लांट अलग तरीके से काम करता है और इस के अलगअलग फायदे और नुकसान हैं. यह अंग में तनाव की कमी के लिए आखिरी इलाज माना है. जब दूसरे इलाज खासतौर पर डायबिटीज वाले मर्दों में इलाज नाकाम हो जाते हैं, तब पेनाइल इंप्लांट किया जाता है.

‘‘अंग में तनाव की कमी की समस्या में एक और उम्मीद भरा जो तरीका दिख रहा है, वह शौकवेव थैरेपी है, जहां ईडी में सुधार के लिए अल्ट्रासाउंड तरंगों का इस्तेमाल किया जाता है.’’

4 साल पहले मैने बौयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, क्या मेरे पति को इस बात का पता चल सकता है?

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. इसी वर्ष के अंत तक घर वाले मेरी शादी कर देना चाहते हैं. मैं बहुत परेशान हूं, क्योंकि कालेज के दिनों में मेरे बौयफ्रैंड ने मुझे बरगला कर एक बार शारीरिक संबंध बना लिया था. उस के बाद मैं ने उस से सारे संबंध तोड़ लिए. इस बात को 4 साल हो चुके हैं. मैंने सुना है कि सुहागरात को ही पति को ज्ञात हो जाता है कि लड़की का कौमार्य भंग हो चुका है. यदि ऐसा हुआ और पति ने मुझे अपमानित कर के छोड़ दिया तो क्या होगा? इस से तो अच्छा यही होगा कि मैं शादी ही न करूं? पर घर वालों से क्या कहूं कि मैं शादी क्यों नहीं करना चाहती? बड़ी उलझन में हूं. बताएं क्या करूं?

जवाब

अतीत में आप के साथ जो हुआ उसे भूल जाएं. कौमार्य या शील भंग जैसे शब्द आज बेमानी हो गए हैं. आप जब तक अपने मुंह से नहीं कहेंगी आप के भावी पति नहीं जान पाएंगे कि आप का किसी से संबंध बन चुका है. सुनीसुनाई बातों पर ध्यान न दें और भविष्य की सुखद कल्पना करें. सब अच्छा होगा. जरूरी है विवाह के बाद पतिपत्नी का एकदूसरे पर विश्वास हो. रिश्तों को ईमानदारी से निभाएंगे तो कोई समस्या नहीं होगी.

इस उम्र में बढ़ती जाती है सेक्स की इच्छा

60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग यौन संबंध बनाने को लेकर ज्यादा इच्छुक रहते हैं. हालिया शोध में यह बात सामने आई है. अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. क्रिस्टीन मिलरोड द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, 60 की उम्र लांघने के बाद बुजुर्ग यौन संबंध बनाते वक्त अनिवार्य सुरक्षा लेना भी जरूरी नहीं समझते.

पैसे देकर यौन संबंध बनाने वाले 60 से 84 वर्ष के बुजुर्गो में यह देखने को मिला है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उनकी यौन संबंध बनाने की इच्छा भी बढ़ती जाती है. वे बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए पैसे खर्च करते हैं. वे ज्यादा से ज्यादा बार अपने पेड-पार्टनर के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं.

मिलरोड के मुताबिक, लोगों के बीच यह आम धारणा है कि बुजुर्गो में यौन संबंध बनाने के प्रति रुचि कम हो जाती है और वे रुपये खर्च कर संबंध बनाने के लिए साथी की तलाश नहीं करते हैं. परन्तु यह सही नहीं है. युवाओं के मुकाबले बुजुर्ग अपने पेड पार्टनर के साथ संबंध बनाते वक्त कम से कम एहतियात बरतने का प्रयास करते हैं.

डॉक्टर क्रिस्टीन मिलरोड व पोर्टलैंड विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर मार्टिन मोंटो ने 60 से 84 वर्ष की उम्र के बीच के उन 208 बुजुर्गो पर यह सर्वेक्षण किया, जो पैसे देकर यौन सबंध बनाते हैं. अध्ययन के दौरान पाया गया कि 59.2 प्रतिशत बुजुर्ग ऐसे हैं, जो हमेशा सबंध बनाते वक्त कंडोम का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं समझते. करीब 95 प्रतिशत बुजुर्ग हस्तमैथुन करते वक्त सुरक्षा नहीं बरतते. जबकि 91 प्रतिशत मुखमैथुन के दौरान सुरक्षा लेना जरूरी नहीं समझते.

31.1 प्रतिशत बुजुर्गों ने बताया कि जीवन काल के दौरान वे यौन संक्रमण का शिकार हुए, जबकि 29.2 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे अपनी पसंदीदा पेड पार्टनर के साथ बार-बार संबंध बनाते हैं.

मिलरोड और मोंटो ने यह सलाह दी कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग बुजुर्गो में संक्रमण संबंधित बीमारी का इलाज करते वक्त उनके पार्टनर के बारे में जरूर पूछें और उनसे सुरक्षित यौन संबंध बनाने के तरीकों के बारे में बताएं. चिकित्सकीय एवं मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों को यह कभी भी मान कर नहीं चलना चाहिए कि व्यक्ति बुजुर्ग है, तो वह पेड-संबंध नहीं बनाएगा.

मेरा बेटा जो भी याद करता है उसे कुछ ही देर में भूल जाता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा बेटा 10 साल का है और 5वीं क्लास में पढ़ताहै. दिक्कत यह है कि वह जो भी याद करता है, उसे कुछ ही देर में भूल जाता है. इस समस्या का क्या हल हो सकता है?

जवाब

बच्चे कई बार होमवर्क करना भूल जाते हैं और यह पूरी तरह सामान्य है. इसी तरह वे क्लासरूप में दिन में बैठेबैठे सपनों की दुनिया में खो सकते हैं या खाने की मेज पर बेचैन हो सकते हैं. लेकिन साथ ही, एकाग्रता में कमी, आवेश से भरा होना और हाइपरएक्टिविटी जैसे लक्षण बच्चों में अटैंशन डैफिसिट डिसऔर्डर की निशानी भी हो सकते हैं. एकाग्रता में कमी और आनाकानी करना इस बात का लक्षण हो सकता है कि बच्चे को एकाग्र होने में परेशानी है. उस का ध्यान जरा-जरा सी बात पर बंट जाता है या वह काम पूरा होने से पहले ही उस से बोर हो जाता है.

बच्चे को पढ़ने के लिए सही माहौल व जगह दें. आप को अपने भुलक्कड़ बच्चे को शोरशराबा या टैलीविजन से दूर रखना होगा. वह जगह आरामदायक होनी चाहिए ताकि बच्चा बेचैन न हो. किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह ले सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

खुशहाल सेक्स लाइफ यानी खुशियों का खजाना

सफल सेक्स जीवन सचमुच खुशियों का खजाना है. यह बात सिर्फ मनोविद ही नहीं कहते बल्कि शरीर विज्ञानी भी इस सच्चाई की तस्दीक करते हैं. सेक्स हमारे लिए फायदेमंद क्यों हैै यह जानना किसी रहस्य को उद्घाटित करना नहीं है बल्कि सहज और खुशियों से भरी जिंदगी को जीना है.

सेक्स एक अद्भुत अनुभूति है, जो न सिर्फ हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि कई रोगों से भी हमारा बचाव करती है. यदि लोग इस तथ्य को समझ जाएं तो समाज की बहुत-सी समस्याएं हल हो सकती हैं साथ ही लोगों में एक सकारात्मक ऊर्जा संचरित हो उसका इस्तेमाल रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है.

सेक्स पति-पत्नी के रिश्ते की प्रगाढ़ता का आईना है. यदि सेक्स-जीवन अच्छा है तो जाहिर है पूरा दांपत्य-जीवन भी सुखी होगा और जब दांपत्य-जीवन सुखमय होगा तो उसका सकारात्मक प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ेगा. क्योंकि सेक्स एक बहुत बड़ा -स्ट्रेस रिलीवर’ है. शरीर में तनाव पैदा करने वाले जो हार्मोंस होते हैं, सेक्स के जरिए उनका स्तर काफी हद तक कम हो जाता है और व्यक्ति तनावमुक्त हो जाता है. इसके अलावा तनाव से होनेवाली बीमारियों से भी वह बचा रहता है. जैसे सोरायसिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप आदि.

सेक्स एक बेहतरीन व्यायाम भी है. खासतौर से हृदय के लिए यह एक अच्छा व्यायाम साबित होता है. शोधों से यह साबित हो चुका है कि जिन लोगों के सेक्स-संबंध अच्छे व सामान्य होते हैं, उनमें हार्ट-अटैक की संभावना बहुत कम हो जाती है क्योंकि सेक्स की क्रिया कार्डियो पल्मोनरी एक्सरसाइज के समान ही होती है जिससे रक्त संचारण अच्छा होता है तथा धमनियों में कोलेस्ट्राॅल भी नहीं जमता. सेक्स को जितना शारीरिक फायदा है उतना ही मानिसक फायदा भी है.

सेक्स साथी की नज़दीकी से अकेलेपन की भावना दूर होती है और मन प्रफुल्लित रहता है. सेक्स के दौरान या उससे पहले जो ‘फोर प्ले’ होता है, वह रक्तसंचार में वृद्धि कर वही लाभ देता है जो मालिश से मिलता है. अधिकतर पुरुष बिना फोर प्ले के ही अपनी पत्नी से संबंध बना लेते हैं जिससे उनकी पत्नियों को काफी तकलीफ होती है, क्योंकि पुरुष सेक्स के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं, जबकि स्त्रियां प्यार भरी बातें व स्पर्श को महसूस करकें इस क्रिया के लिए तैयार होती हैं. पर पुरुष इसे समझे बिना यही सोचते हैं कि वे जैसा महसूस करते हैं, उनकी पत्नियां भी वही उत्तेजना महसूस करती होंगी.

इन सबके अलावा जिन लोगों का सेक्स जीवन अच्छा होता है, वे स्वभाव से शांत व खुशमिज़ाज रहते हैं, क्योंकि सेक्स जीवन का असर जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ता है. जिसका सेक्स जीवन अच्छा नहीं होता, वे आगे चलकर चिड़चिड़े हो जाते हैं.

फायदों की फेहरिस्त

– अच्छे सेक्स के बाद अच्छी नींद आती है और अच्छी नींद के अपने अनंत फायदे होते हैं.

– उच्च रक्तचाप वालों के लिए भी अच्छा व नियमित सेक्स बहुत फायदेमंद होता है.

– स्वस्थ व सामान्य सेक्स संबंध व्यक्ति के स्वाभिमान तथा आत्मविश्वास को बढ़ाता है. यह आत्मविश्वास जीवन के अन्य क्षेत्रों में बहुत लाभ पहुंचाता है.

– सेक्स ‘माइग्रेन’ की एक बहुत ही अच्छी दवा है. अक्सर शादी से पहले लड़कियां माइग्रेन से पीड़ित होती हैं, इसकी प्रमुख वजह होती है काम-वासना का दमन. इसके अलावा काम-भावना के दमन से और भी कई शारीरिक व मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं. जैसे हिस्टीरिया, स्प्लिट पर्सनैलिटी. यदि शादी के बाद सेक्स जीवन अच्छा हो तो इन समस्याओें से दूर-दूर तक वास्ता नहीं पड़ता.

– लड़कियों को मासिक के दौरान पेडू में जो दर्द होता है, वह शादी के बाद सेक्स से दूर हो सकता है, क्योंकि पुरुषों के वीर्य में  ‘प्रोस्टा ग्लैंडिन’ होता है जो एक दर्दनिवारक हार्मोन होता है.

– जो लोग नियमित रूप से सप्ताह में दो बार सेक्स करते हैं, उनके शरीर में इक्यूलोब्यूलिन की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो सर्दी से शरीर की सुरक्षा करता है.

– अच्छे सेक्स से फर्टिलिटी भी बढ़ जाती है. यदि आप बच्चा चाहते हैं, तो सेक्स के दौरान पोजीशन बदलते रहें. सेक्स जितना अधिक आनंददायक होता है, पुरुष के शुक्राणु उतने ही फर्टाइल होते हैं.

– सेक्स एक बेहतरीन पेनकिलर होता है. शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो और उसी समय आप अच्छे सेक्स का आनंद उठा लें, तो आपका दर्द गायब हो जाएगा.

उदासी, सेक्स का मजा भी किरकिरा कर देती है

वसीम बरेलवी का एक शेर है-हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल / उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती. मतलब यह कि उदास होंगे तो कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा. उदासी एक ऐसी नकारात्मकता है जो हर चीज को अपने रंग में रंग लेती है . यहां तक कि सेक्स जैसी सनसनाती चाहत भी उदासी के मनोभाव में न सिर्फ फीकी बल्कि जोशहीन हो जाती है. क्योंकि उदासी होती ही इतनी नकारात्मक भावना है . इसलिए उदास हों तो सेक्स करने से बचें क्योंकि उदासी सेक्स का मजा तो किरकिरा कर ही देगी,भविष्य के लिए भी इसके प्रति अरुचि की गांठ बना सकती है.

लेकिन कई बार दांपत्य जीवन में विशेषकर महिलाओं का व्यवहार उदासीनता बढ़ाने वाला होता है. कई स्त्रियां यौनक्रिया आरंभ होने से पूर्व या इसके दौरान भी प्यार का माहौल बनाने  की जगह शिकवे-शिकायतें शुरू कर देती हैं या दूसरी निरर्थक घरेलू बातें ले बैठती हैं.स्त्री का ऐसा व्यवहार पुरुष में सहवास के प्रति उदासीनता भर देती है. उसकी यौनेच्छा कमजोर हो जाती है. पुरुष की भावनाएं पूरी तरह ऊफान पर नहीं आ पातीं. जिस वेग से उसे सहवास करना चाहिए, वह कर नहीं पाता है. ऐसा भी प्रायः देखा गया है कि शिश्न में उत्थान तक नहीं आता या कमजोर होता है. ऐसी स्थितियां बार-बार आने पर पुरुष को सहवास से उदासीनता होने लगती है. संसर्ग से उसका मन उचाट हो जाता है. ऐसी बात नहीं कि स्त्री को ऐसी अवस्था नहीं भुगतनी पड़ती. उपर्युक्त हालात बनने से उसे भी पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने में खुशी की बजाय परेशानी होने लगती है. सहवास में उसे भी रुचि नहीं रह जाती. यही अरुचि उसे उदासीनता की अवस्था में ला पटकती है.

स्त्री चाहती है कि उसके शरीर रूपी पुस्तक में, जिसमें अनेकानेक अध्याय हैं, उनके महज पन्ने पलटकर न छोड़ दिये जाएं. वह रोज बदले हुए पुरुष (कहने का मतलब हर बार नये तरीके से) के साथ संबंध बनाने की कामनाओं को अपने मन में समेटे होती है. पुरुष के कई रूपों को देखने की उसे इच्छा होती है. यह तभी संभव हो सकता है, जब उसका पति या प्रेमी हर बार नये तरीके से सहवास करे. अगर आप छोटी-छोटी बातों पर उदास हो जाते हैं तो यह जीवन के प्रति नैराश्य की भावना है और आपके सेक्स व्यवहार के लिए बेहद हानिकारक. उदासी और उत्तेजना एक-दूसरे के जन्मजात शत्रु हैं. उदास रहने वाला व्यक्ति कभी भी बिस्तर पर बहुत सफल नहीं हो पाता . अतः उदासी ओढ़े रखना कतई अच्छा नहीं है.

तनावों को शयनकक्ष से दूर रखें

चूँकि आज तनाव के कारण हैं मसलन- आर्थिक विषमताएं बढ़ गई हैं. हर कोई अपने में फोकस है. जीवन में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है. सवाल है क्या इस तनावों के बीच उदासी से बचा जा सकता है ? क्या इस सबके बीच लरजता हुआ सेक्स करना संभव है. जवाब है नहीं . सेक्स की तो छोड़िये लगातार तनाव में रहने के चलते कई तरह की बीमारियों से भी ग्रस्त हो सकते हैं. मसलन ब्लड प्रेशर का बढ़ना, हृदय रोग, पागलपन तथा कई मानसिक बीमारियां भी निरंतर तनाव में रहने के चलते हो जाती हैं. ऐसे में यह तनाव सहवास के लिए बिल्कुल प्रतिकूल है. यहां तक कि तनाव से ग्रस्त व्यक्ति हस्तमैथुन करके भी पूरी तरह से चैन नहीं पता.

इसीलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि तनाव में हों तो सेक्स कभी न करें. क्योंकि तनाव के कारण सहवास को सफलतापूर्वक संपन्न करना संभव नहीं है. ऐसी अवस्था में यौन क्रिया करने से कई गलतफहमियां हो जाएंगी, जो बाद में मानसिक यौन रोग में परिवर्तित हो सकती हैं. इस तथ्य को जान लेना अति आवश्यक है कि अगर मस्तिष्क तनावों से भरा रहेगा तो सेक्स की भावनाएं ही नहीं आयेंगी. इसका मतलब है कि व्यक्ति सेक्स के लिए भावनात्मक रूप से तैयार ही नहीं होगा. ऐसा व्यक्ति पूरी क्षमता से सहवास को सम्पन्न नहीं कर सकता. अगर सहवास क्रिया से शारीरिक और मानसिक संतुष्टि नहीं होती तो इसके अनेक दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं. शरीर में थकान का बना रहना भी इसका एक दुष्परिणाम है. इससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है. काम में दिल का न लगना मानसिक तनाव का ही कारण है.

तनावमुक्त सहवास को ही एक किस्म की संभोग समाधि कहते हैं. समाधि का अर्थ होता है-सांसारिक तनावों से मुक्त होकर क्रिया करना. यौन की क्रिया को भी तनावों से मुक्त रहकर करना सुखद माना गया है. तनावमुक्त सहवास से व्यक्ति स्वच्छ तथा ताजा हो जाता है. नींद अच्छी से आती है. मस्तिष्क पूर्ण रूप से क्रियाशील बना रहता है. जिस तरह मंदिर के भीतर प्रवेश करने से पूर्व जूते उतारकर पांव साफ किए जाते हैं और फिर भीतर जाया जाता है, ठीक इसी प्रकार रात को शयनकक्ष में पत्नी के पास जाने से पूर्व मानसिक तनावों की गर्द को हटा देना चाहिए. निश्चय ही इससे मनवांछित सुख की प्राप्ति होगी. ऐसा न करने की स्थिति में निश्चित रूप से सहवास में पुरुष को ही विफलता नहीं मिलेगी बल्कि स्त्री को भी संतुष्टि प्राप्त नहीं हो पायेगी.

क्या है जेंडर इक्वैलिटी और ज्यादा सेक्स का संबंध

औस्टेलियाई महिलाओं के औसतन 11 सेक्स पार्टनर्स होते हैं और अमेरिकी महिलाओं के 4. भारतीय महिलाओं का एक ही सेक्स पार्टनर होता है. ये आंकड़े फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के रौय बौमीस्टर के अध्ययन को सही साबित करते हैं. उनका अध्ययन, सेक्शुअल इकोनौमिक्स : ए रिसर्च बेस्ड थ्योरी औफ सेक्शुअल इंटरैक्शन और व्हाय दि मैन बायज डिनर, कहता है कि ऐसे देश, जहां लैंगिक समानता (जेंडर इक्वैलिटी) का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाओं के एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर्स बनते हैं.

वे जनरल औफ सोशल साइकोलौजी सर्वेइंग में प्रकाशित उस रिसर्च की ओर ध्यान दिलाते हैं, जिसमें 37 देशों के 3 लाख लोगों पर सर्वे करने के बाद पाया गया था कि जिन देशों में लैंगिक समानता का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाएं कैशुअल सेक्स में ज्यादा लिप्त थीं. हमने जानने की कोशिश की कि भारतीय महिलाओं के संदर्भ में इसका क्या औचित्य है?

सेक्स, आपूर्ति व मांग से अछूता नहीं है

इस असमानता के पीछे कई सांस्कृतिक और आर्थिक कारण हैं. रौय की थ्योरी कहती है कि (औसतन) महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सेक्स की चाहत ज्यादा होती है और रिश्तों में सेक्स तभी संभव है, जब महिला यह चाहे. यहां भी आपूर्ति और मांग का नियम लागू होता है. जिस लिंग का अभाव होता है, उसके पास शक्ति होती है. ‘‘यदि महिलाओं के पास खुद पैसे कमाने के ज्यादा अवसर नहीं हैं तो वे सेक्स को बहुत मूल्यवान बनाए रखना चाहेंगी, क्योंकि सेक्स ही वह मुख्य चीज है, जो वे किसी पुरुष को दे सकती हैं,’’ रौय कहते हैं.

पुरुषों के लिए महिलाओं की सेक्शुएलिटी की बहुत अहमियत होती है; एक पुरुष जिसे किसी महिला से सेक्स की जरूरत है, उसे इसके बदले में उस महिला को कोई मूल्यवान चीज देनी होगी, जैसे-विवाह का प्रस्ताव. ‘‘ऐसे देश, जहां महिलाओं की दशा अच्छी नहीं है, महिलाएं सेक्स पर अंकुश रखती हैं, ताकि इसका मूल्य ऊंचा रहे और पुरुष सेक्स पाने के लिए ताउम्र प्रतिबद्घता का वचन दें,’’ रौय कहते हैं. ‘‘और पुरुष सेक्स के लिए कुछ भी कर सकते हैं.’’

साइकोलौजिस्ट की राय में

साइकोलौजिस्ट डा. छवि खन्ना रौय के निष्कर्षों से पूरी तरह सहमत हैं. ‘‘अध्ययन बताते हैं कि जहां लैंगिक समानता का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाएं वर्जनाओं को तोड़ती हैं और वहां के सामाजिक नियम भी सेक्शुअल गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं करते. ऐसे समाज में महिलाएं कैशुअल सेक्स में लिप्त भी रहती हैं और उन्हें सेक्स संबंधों का पहला अनुभव भी अपेक्षाकृत कम उम्र में हो जाता है,’’ यह बताते हुए वे कहती हैं, ‘‘लैंगिक समानता से महिलाओं को अपनी सेक्शुएलिटी को अपनी इच्छा के अनुसार व्यक्त करने का अवसर मिलता है.’’

आम लोगों की राय में

इन्वेस्टमेंट बैंकर, प्रिया नायर, 28, कहती हैं कि मेरी परवरिश ऐसे परिवार में हुई है, जहां महिलाओं को बिल्कुल बराबरी के अधिकार मिलते हैं. उन्हें हमेशा से पता था कि उनकी इच्छाओं को उतना ही महत्व मिलेगा, जितना किसी पुरुष की इच्छा को मिलता. ‘‘इस अध्ययन के बारे में जानकर मुझे लगता है कि, क्योंकि मैं आत्मनिर्भर और बुद्घिमान हूं इसलिए मेरे पास पुरुष को देने के लिए सेक्स के अलावा भी बहुत कुछ है,’’ वे कहती हैं. ‘‘इसका ये भी मतलब है कि मैं इतनी आत्मविश्वासी और खुले विचारों की हूं कि किसी पुरुष को ये बता सकती हूं कि मैं क्या चाहती हूं.’’

वहीं मीडिया कंसल्टेंट, पुरंजय मेहता, 26, का मानना है कि भारत के संदर्भ में ये अध्ययन केवल शहरों के लिए सही है. ‘‘जब महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपनी सेक्शुएलिटी का अन्वेषण करती हैं, तब उनके ज्यादा सेक्शुअल पार्टनर्स बनते हैं. ऐसा छोटे कस्बों की युवतियों के साथ नहीं होता, क्योंकि उन्हें अब भी पारंपरिक, लैंगिक असमानता वाले मूल्यों के साथ परवरिश मिलती है.’’

वहीं साइकोलौजिस्ट डा. सोनाली गुप्ता रोहित की बातों से सहमत हैं. ‘‘यह सच है कि शहरों में लैंगिक समानता ज्यादा होती है और महिलाएं जो पाना चाहती हैं, खुलकर उसे पाने का प्रयास करती हैं,’’ वे कहती हैं. ‘‘मैं उनके एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर्स होने के बारे में तो नहीं कह सकती, पर ये जरूर कह सकती हूं कि ऐसी महिलाओं के साथ सेक्स एक आनंददायक प्रक्रिया होती है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उन्हें क्या चाहिए.’’

उम्र के साथ ऐसे बदलता है सेक्स बिहेवियर

शादीशुदा जिंदगी में दूरियां बढ़ाने में सेक्स का भी अहम रोल होता है. अगर परिवार कोर्ट में आए विवादों की जड़ में जाएं तो पता चलता है कि ज्यादातर झगड़ों की शुरुआत इसी को ले कर होती है. बच्चों के बड़े होने पर पतिपत्नी को एकांत नहीं मिल पाता. ऐसे में धीरेधीरे पतिपत्नी में मनमुटाव रहने लगता है, जो कई बार बड़े झगड़े का रूप भी ले लेता है. इस से तलाक की नौबत भी आ जाती है. विवाहेतर संबंध भी कई बार इसी वजह से बनते हैं.

मनोचिकित्सक डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘उम्र के हिसाब से पति और पत्नी के सेक्स का गणित अलगअलग होता है. यही अंतर कई बार उन में दूरियां बढ़ाने का काम करता है. पतिपत्नी के सेक्स संबंधों में तालमेल को समझने के लिए इस गणित को समझना जरूरी होता है. इसी वजह से पतिपत्नी में सेक्स की इच्छा कम अथवा ज्यादा होती है. पत्नियां इसे न समझ कर यह मान लेती हैं कि उन के पति का कहीं चक्कर चल रहा है. यही सोच उन के वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती है. अगर उम्र को 10-10 साल के गु्रपटाइम में बांध कर देखा जाए तो यह बात आसानी से समझ आ सकती है.’’

शादी के पहले

आजकल शादी की औसत उम्र लड़कियों के लिए 25 से 35 के बीच हो गई है. दूसरी ओर खानपान और बदलते परिवेश में लड़केलड़कियों को 15 साल की उम्र में ही सेक्स का ज्ञान होने लगता है. 15 से 30 साल की आयुवर्ग की लड़कियों में नियमित पीरियड्स होने लगते हैं, जिस से उन में हारमोनल बदलाव होने लगते हैं. ऐसे में उन के अंदर सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. वे इस इच्छा को पूरी तरह से दबाने का प्रयास करती हैं. उन पर सामाजिक और घरेलू दबाव तो होता ही है, कैरियर और शादी के लिए सही लड़के की तलाश भी मन पर हावी रहती है. ऐसे में सेक्स कहीं दब सा जाता है.

इसी आयुवर्ग के लड़कों में सेक्स के लिए जोश भरा होता है. कुछ नया करने की इच्छा मन पर हावी रहती है. उन की सेहत अच्छी होती है. वे हर तरह से फिट होते हैं. ऐसे में शादी, रिलेशनशिप का खयाल उन में नई ऊर्जा भर देता है. वे सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, जबकि लड़कियां इस उम्र में अपनी इच्छाओं को दबाने में लगी रहती हैं.

30 के पार बदल जाते हैं हालात

महिलाओं की स्थिति: 30 के बाद शादी हो जाने के बाद महिलाओं में शादीशुदा रिलेशनशिप बन जाने से सेक्स को ले कर कोई परेशानी नहीं होती है. वे और्गेज्म हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार होती हैं. महिलाएं कैरियर बनाने के दबाव में नहीं होती. घरपरिवार में भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में सेक्स की उन की इच्छा पूरी तरह से बलवती रहती है. बच्चों के होने से शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जिन के चलते महिलाओं को अपने अंदर के सेक्सभाव को समझने में आसानी होती है. वे बेफिक्र अंदाज में संबंधों का स्वागत करने को तैयार रहती हैं.

पुरुषों की स्थिति: उम्र के इसी दौर में पति तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा होता है. शादी के बाद बच्चों और परिवार पर होने वाला खर्च, कैरियर में ग्रोथ आदि मन पर हावी होने लगता है, जिस के चलते वह खुद को थका सा महसूस करने लगते हैं. यही वह दौर होता है जिस में ज्यादातर पति नशा करने लगते हैं. ऐसे में सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

महिला रोग विशेषज्ञा, डाक्टर सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘हमारे पास बांझपन को दूर करने के लिए जितनी भी महिलाएं आती हैं उन में से आधी महिलाओं में बांझपन का कारण उन के पतियों में शुक्राणुओं की सही क्वालिटी का न होना होता है. इस का बड़ा कारण पति का मानसिक तनाव और काम का बोझ होता है. इस के कारण वे पत्नी के साथ सही तरह से सेक्स संबंध स्थापित नहीं कर पाते.’’

नौटी 40 एट

40 के बाद की आयुसीमा एक बार फिर शारीरिक बदलाव की चौखट पर खड़ी होती है. महिलाओं में इस उम्र में हारमोन लैवल कम होना शुरू हो जाता है. उन में सेक्स की इच्छा दोबारा जाग्रत होने लगती है. कई महिलाएं अपने को बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त पाती हैं, जिस की वजह से सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. मगर यह बदलाव उन्हीं औरतों में दिखता है जो पूरी तरह से स्वस्थ रहती हैं. जो महिलाएं किसी बीमारी का शिकार या बेडौल होती हैं, वे सेक्स संबंधों से बचने का प्रयास करती हैं.

40 प्लस का यह समय पुरुषों के लिए भी नए बदलाव लाता है. उन का कैरियर सैटल हो चुका होता है. वे इस समय को अपने अनुरूप महसूस करने लगते हैं. जो पुरुष सेहतमंद होते हैं, बीमारियों से दूर होते हैं वे पहले से ज्यादा टाइम और ऐनर्जी फील करने लगते हैं. उन के लिए सेक्स में नयापन लाने के विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं.

50 के बाद महिलाओं में पीरियड्स का बोझ खत्म हो जाता है. वे सेक्स के प्रति अच्छा फील करने लगती हैं. इस के बाद भी उन के मन में तमाम तरह के सवाल आ जाते हैं. बच्चों के बड़े होने का सवाल मन पर हावी रहता है. हारमोनल चेंज के कारण बौडी फिट नहीं रहती. घुटने की बीमारियां होने लगती हैं. इन परेशानियों के बीच सेक्स की इच्छा दब जाती है.

इस उम्र के पुरुषों में भी ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां और इन को दूर करने में प्रयोग होने वाली दवाएं सेक्स की इच्छा को दबा देती हैं. बौडी का यह सेक्स गणित ही पतिपत्नी के बीच सेक्स संबंधों में दूरी का सब से बड़ा कारण होता है.

डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि सेक्स के इस गणित को मन पर हावी न होने दें ताकि सेक्स जीवन को सही तरह से चलाया जा सके.’’

रिलेशनशिप में सेक्स का अपना अलग महत्त्व होता है. हमारे समाज में सेक्स पर बात करने को बुरा माना जाता है, जिस के चलते वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. इन का दवाओं में इलाज तलाश करने के बजाय अगर बातचीत कर के हल निकाला जाए तो समस्या आसानी से दूर हो सकती है. लड़कालड़की सही मानो में विवाह के बाद ही सेक्स लाइफ का आनंद ले पाते हैं. जरूरत इस बात की होती है कि दोनों एक मानसिक लैवल पर चीजों को देखें और एकदूसरे को सहयोग करें. इस से आपसी दूरियां कम करने और वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलती है.

कहीं आप भी तो नहीं करते स्लीप सैक्स

आप ने आज तक नींद में चलने, नींद में बोलने और नींद में गाड़ी चलाने की आदत के बारे में सुना होगा. लेकिन, आपको बता दें कि कई लोगों को नींद में सैक्स करने से संबंधित विकार भी होता है. इस विकार को स्लीप सैक्स (Sleep sex) कहते हैं. इसको सेक्सोमिया (Sexsomnia) भी कहा जाता है. सेक्सोमिया, पेरासोमिया (Parasomnia) का ही एक प्रकार है.

व्यक्ति के द्वारा नींद में असामान्य व्यवहार करने की स्थिति को पेरासोमिया कहा जाता है. यह नींद का विकार होता है. सेक्सोमिया में व्यक्ति सोते हुए यौन गतिविधियां करता है. जिसमें व्यक्ति के द्वारा हस्तमैथुन, संभोग आदि सभी यौन गतिधियां की जा सकती है.

आइये इस गंभीर विकार के बारे में आगे जानें कि स्लीप सैक्स क्या है, स्लीप सैक्स के लक्षण, कारण और जोखिम कारक, स्लीप सैक्स के लिए क्या परीक्षण किए जाते हैं और इसका इलाज कैसे होता है.

स्लीप सैक्स क्या है

जैसा कि आपको ऊपर बताया जा चुका है कि नींद में सोते हुए व्यक्ति के द्वारा यौन गतिविधियां करना ही स्लीप सैक्स होता है. इसमें व्यक्ति गहरी नींद में हस्तमैथुन व सैक्स तक कर सकता है. यह नींद में सैक्स के सपने आने की स्थिति से बेहद ही अलग होती है. इसमें व्यक्ति नींद में चलने की तरह ही सोते समय यौन गतिविधियों को करता है. सेक्सोमिया नाम से पहचाने जाने वाले इस विकार के कई कारण होते हैं. जिसके आधार पर ही इसके लक्षण सामने आते हैं.

सेक्सोमिया चिकित्सीय क्षेत्र में कुछ वर्षों पहले सामने आया एक नया विकार है. इसका पहला मामला 1986 में दर्ज किया गया था. सेक्सोमिया विकार पर अध्ययन करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि यह विकार सोते समय कभी भी हो सकता है. इसके होने का कोई निश्चित तरीका नहीं होता है.

स्लीप सैक्स के लक्षण

व्यक्ति के द्वारा सोते हुए सैक्स का सपना देखने के मुकाबले यह विकार काफी अलग व गंभीर होता है. सैक्स के सपने आना एक सामान्य स्थिति हो सकती है. लेकिन, नींद में शारीरिक संबंध बनाना किसी के लिए खरतनाक भी हो सकता है. सेक्सोमिया से ग्रसित व्यक्ति को पता ही नहीं चल पाता कि उसके साथ वास्तव में क्या हो रहा है. विकार से ग्रसित व्यक्ति में सेक्सोमिया के लक्षण सबसे पहले उसके परिजन, साथी, कमरे में साथ रहने वाले साथी या उसके पास सोने वाले मित्र महसूस करते हैं. किसी दूसरे के बताने पर ही व्यक्ति को यह पता चल पाता है कि उसके द्वारा नींद में किस तरह की गतिविधित की जा रही है.

सेक्सोमिया में किया जाने वाला व्यवहार और इसके लक्षण निम्न होते हैं –

  1. सोते हुए फोरप्ले की तरह महसूस करना.
  2. यौन क्रिया की तरह आवाजें निकालना.
  3. बिना उत्तेजना के चरमसुख अनुभव करना.
  4. दिल की धड़कने और सांसों का तेज होना.
  5. श्रोणी में संभोग की तरह गतिविधि करना.
  6. अधिक पसीना आना.
  7. हस्तमैथुन करना.
  8. साथ में सोने वाले के साथ फोरप्ले करना.
  9. साथ में सोए हुए के साथ संभोग करना.
  10. सोते समय किए गए यौन व्यवहार को याद न रख पाना.
  11. संभोग के समय न उठ पाना.
  12. जगाने पर रात की गतिविधियों को पूरी तरह से नकार देना.
  13. रात में चलना और बोलना.
  14. नींद में संभोग के समय आंखे खुली और भावहीन होना.

नींद के दौरान किए जाने वाला सैक्स भावनात्मक तौर पर रोगी को परेशान कर सकता है. इस दौरान व्यक्ति की आंखे खुली भी हो सकती है और लोगों को ऐसा भी लग सकता है कि व्यक्ति जगा हुआ है, जबकि वह नींद की अवस्था में ही ऐसा करता है.

डौक्टर से कब मिलें?

इस तरह के मामले आगे चलकर काफी गंभीर रूप धारण कर सकते हैं. सेक्सोमिया में सोते समय हस्तमैथुन करना आपके लिए समस्या का कारण बन सकता है. सेक्सोमिया में पीड़ित व्यक्ति की शादीशुदा जिंदगी पर भी खराब असर पड़ता है. इससे दोनों ही साथियों के रिश्ते में दरार आने लगती है. इन सभी कारणों के चलते आपको सेक्सोमिया में तुरंत डौक्टरी सलाह लेनी चाहिए. अगर कुछ सप्ताह से आपको सेक्सोमिया के लक्षण लगातार दिखाई दे रहें हैं तो आपको किसी विशेषज्ञ से मिलकर इस समस्या का इलाज शुरू करवाना चाहिए. अगर आपको इस बारे में कुछ समझ न आए तो आप अपने पारिवारिक डौक्टर की भी सलाह से सकते हैं.

स्लीप सैक्स के कारण

अन्य तरह के पेरासोमिया के अनुसार ही सेक्सोमिया में भी व्यक्ति का दिमाग गहरी नींद की अवस्था में सही तरह से कार्य नहीं कर पाता है. इस समस्या के कारण व्यक्ति को सुबह उठने पर पता ही नहीं चल पाता है कि वह कहां है. नींद में यौन गतिविधियों के सही कारणों का पता लगाना बेहद ही मुश्किल होता है. इस विकार की जाँच करने के बाद ही पता चल पाता है कि आपकी जीवनशैली में बदलाव, किसी प्रकार की दवाओं के सेवन या चिकित्सीय कारण आदि,  किन वजहों के चलते नींद के नियमित तरीके में बदलाव आया है.

अभी तक स्लीप सैक्स के सही कारणों का पता नहीं चल पाया है, परंतु इसको उत्तेजित (यौन व्यवहार के होने की तीव्रता) करने वाले कुछ कारण निम्नतः बताए जाते हैं –

  1. नींद में कमीं होना.
  2. अधिक थकान होना.
  3. अत्यधिक शराब पीना.
  4. नशीली दवाओं का उपयोग.
  5. चिंता.
  6. तनाव.
  7. सही तरह से नींद न आना.
  8. तनाव वाला काम करना या काम के घंटे ज्यादा होना.
  9. यात्रा करना.
  10. किसी व्यक्ति के साथ एक ही बिस्तर पर सोना.

कुछ निम्न तरह की चिकित्सीय स्थितियां, सेक्सोमिया होने की जोखिम कारक मानी जाती हैं –

  1. औब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया (Obstructive Sleep Apnea/ नींद में सांस लेने में बाधा होना)
  2. रेस्टलेस लेग सिंड्रोम (Restless leg syndrome/ पैरों में नियंत्रण न रहना)
  3. गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स रोग (Gastroesophageal reflux disease/ Gerd/ बार-बार एसिडिटी होना)
  4. इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (rritable Bowel Syndrome/ बड़ी आंत संबंधी विकार)
  5. पहले कभी पेरासोमिया हुआ हो, जैसे – सोते समय चलने या बोलने की आदत का होना.
  6. क्रोहन रोग (Crohn’s disease: पाचन तंत्र में सूजन आना)
  7. कोलाइटिस (Colitis/ बड़ी आंत में सूजन होना) (और पढ़ें – आंतों में सूजन का इलाज)
  8. अल्सर/ छाले (Ulcers) (और पढ़ें – छाले का घरेलू उपाय)
  9. माइग्रेन (Migrane/ सिर दर्द) (और पढ़ें – माइग्रेन के घरेलू उपाय)
  10. मिर्गी होना या शारीरिक अंगों का काम न कर पाना.
  11. सिर में गंभीर चोट आना.
  12. चिंता और अवसाद की दवाएं लेना. (और पढ़ें – अवसाद के घरेलू उपाय)
  13. बचपन में यौन अपराध का शिकार होना.
  14. पार्किंसन रोग होना.

स्लीप सैक्स का परीक्षण

इस विकार परीक्षण के लिए किसी डौक्टर से मिलने से पहले आपको अपने आसपास के उन लोगों से बात करनी होगी, जिन्होंने सोते समय आपकी यौन गतिविधियों की सही स्थिति को देखा हो. इसके बाद आप उनकी सभी बातों को किसी डायरी में लिख लें. इसके अलावा आपको दो-तीन दिनों में यौन गतिविधियों के नियमित तरीके को भी समझना होगा. दो चार दिनों की यौन गतिविधियों के आकंडों से डौक्टर को आपके विकार के बारे में सही तरह से जानने का मौका मिलेगा. अगर आपकी बात से डौक्टर सही स्थिति का पता नहीं लगा पाते हैं तो वह आपके सोने की स्थिति पर अध्ययन करेंगे.

चिकित्सीय जांच के विशेषज्ञों के द्वारा ही नींद की स्थिति का अध्ययन किया जाता है. इस टेस्ट को ‘पोलीसोम्नोग्राफी’ कहा जाता है. इसमें नींद के दौरान आपकी निम्न आधार पर जांच होती है –

  1. मस्तिष्क तरंगे.
  2. हृदय दर.
  3. सांस लेने का तरीका.
  4. आंखों और पैरों के संचालन का तरीका.

जांच के दौरान आपको परीक्षण केंद्र पर एक रात सोने के लिए भी कहा जा सकता है. एक रात में विकार के कारणों को समझने में मुश्किल होने पर डौक्टर आपको कुछ और रातें केंद्र पर सोने के लिए कह सकते हैं. इसके बाद भी विकार के कारणों का सही पता न लगने पर डौक्टर आपको कई अन्य परीक्षण की भी सलाह दे सकते हैं.

स्लीप सैक्स का इलाज

सही समय पर सोने और जगाने की नियमित आदत से आप स्लीप सैक्स विकार को आसानी से दूर कर सकते हैं. सेक्सोमिया के लक्षणों को दूर करने के बाद व्यक्ति को सही तरह से नींद आने लगती है. सामान्यतः स्लीप सैक्स के कारणों को समझने में लंबा समय लगता है.

सेक्सोमिया के लिए दवाएं –

सेक्सोमिया से संबंधित लक्षणों के इलाज के लिए दवाओं के प्रयोग करने से इस विकार में राहत मिलती है. इसमें आपकी नींद में बाधा आने वाले कारण, जैसे – स्लीप एप्निया का इलाज करने से सेक्सोमिया की समस्या कम होती है.

सेक्सोमिया के चिकित्सीय इलाज में शामिल हैं –

  1. चिंता और अवसाद को दूर करने वाली दवाओं का सेवन करें.
  2. नाक से सांस लेने की प्रक्रिया को सही करने के लिए सीपीएपी थेरेपी लेना.
  3. दर्द से राहत देने वाली दवाएं लेना.
  4. एसिडिटी को कम करने वाली दवाएं लेना.

जीवन शैली में क्या बदलाव करें-

सेक्सोमिया के इलाज के लिए जीवनशैली में भी बदलाव करना जरूरी होता है. सेक्सोमिया के लक्षण से आपके आसपास के लोगों को भी नकारात्मक प्रभाव झेलना पड़ता है. इसके लिए आपको रात में अलग या अकेले ही सोना चाहिए. सेक्सोमिया के कई मरीजों ने रात में अकेले सो कर और बेडरूम के दरवाजे पर अलार्म लगाकर भी अपने लक्षणों को कम किया है.

मनोचिकित्सक से मिलें

सेक्सोमिया के कारण होने वाली शर्मिंदगी को दूर करने के लिए आप मनोचिकित्सक से मिल सकते हैं. इस विकार के लक्षणों के चलते व्यक्ति मानसिक और भावनात्मक रूप से हताश हो जाता है, ऐसे में उसको मनोचिकित्सक से मिलने की आवश्यकता होती है. क्योंकि कई मामलों में सेक्सोमिया के लक्षण पीड़ित व्यक्ति के साथी के लिए भी समस्या का कारण बन सकते हैं.

स्लीप सैक्स से बचाव

अगर स्लीप सैक्स शराब और नशीली दवाओं के कारण हो रहा हो, तो आपको तुरंत इस तरह की दवाओं को लेना बंद करना होगा. इसके अलावा कई बार किसी रोग के लिए डौक्टर के द्वारा बताई जाने वाली दवाओं के सेवन और इसके विपरीत प्रभाव के कारण भी यह समस्या हो जाती है. अगर आप ऐसा महसूस करें तो इन दवाओं का सेवन रोक दें और इसकी जगह पर डौक्टरी सलाह के बाद कोई अन्य दवा लेना शुरू करें. स्लीप सैक्स के सही कारणों को समझकर आपको या डॉक्टर को इसका इलाज करना होता है.

मुझे भाभी के साथ सेक्स करते हुए मेरे भतीजे ने देख लिया, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है. पिछले 15 साल से मेरा अपनी भाभी के साथ जिस्मानी रिश्ता रहा है. लेकिन हाल ही में मेरे भतीजे ने हम दोनों को बिस्तर पर एकसाथ देख लिया था. तब से मेरी भाभी मुझ से बात नहीं कर रही हैं. मैं उस के बिना रह नहीं सकता. क्या करूं?

जवाब

इस तरह के संबंध बनाए तब जाने चाहिए जब छिपा कर रख सकें, वरना खतरा तो रहेगा ही. भतीजे की जगह अगर भाई या कोई और बड़ा देखता तो क्या हालत होती, इस का अंदाजा आप भी लगा सकते?हैं. आप की?भाभी वही कर रही?हैं जो इस हालत में किसी भी औरत को करना चाहिए. अब आप को चाहिए कि मुफ्त की मलाई का लालच छोड़ कर शादी कर लें और भाभी से जिस्मानी संबंधों की बात को भूल जाएं.

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