एक साल चलेगा चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि सामूहिकता की जिस शक्ति ने गुलामी की बेड़ियां को तोड़ा वही भारत को दुनिया की बड़ी ताकत बनाएगी. सामूहिकता की यह शक्ति, आत्मनिर्भर भारत की ताकत है. देश को आत्मनिर्भर बनाने में सामूहिक भागीदारी बढ़ाने का संकल्प लेने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि देश की एकता और सम्मान सबसे बड़ा है. इसी भावना से प्रत्येक देशवासी को साथ लेकर आगे बढ़ना है. उन्होंने विश्वास जताया कि देश के विकास की यात्रा एक नये भारत के निर्माण के साथ पूर्ण होगी.

प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का शुभारम्भ किया. उन्होंने इस अवसर पर चौरी चौरा की घटना पर केन्द्रित एक डाक टिकट भी जारी किया.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर स्थित चौरी चौरा स्मारक स्थल से इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. प्रधानमंत्री जी के कार्यक्रम के साथ जुड़ने के पश्चात संगीत नाटक एकेडमी द्वारा चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का थीम सॉन्ग ‘चौरी चौरा के वीरों ने रचा नया इतिहास’ प्रस्तुत किया गया.

कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के सूचना विभाग द्वारा चौरी चौरा की घटना के सम्बन्ध में तैयार की गयी डॉक्यूमेण्ट्री भी प्रदर्शित की गयी. इस अवसर पर विभिन्न विभागों द्वारा प्रदर्शनी/स्टॉल भी लगाये गये.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 100 वर्ष पहले चौरी चौरा की घटना का संदेश बहुत बड़ा और व्यापक था. अनेक कारणों से पहले जब इस घटना की बात हुई, इसे आगजनी के रूप में देखा गया. आगजनी किन परिस्थितियों में हुई, वह महत्वपूर्ण है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी व उनकी टीम को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि चौरी चौरा के इतिहास को आज जो स्थान दिया जा रहा है, वह प्रशंसनीय है.

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प्रधानमंत्री जी ने कहा कि चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के शुभारम्भ के साथ ही, पूरे वर्ष विभिन्न कार्यक्रम होंगे. देश की आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश के समय यह कार्यक्रम अत्यन्त प्रासंगिक हैं. चौरी चौरा की घटना आम मानवी का स्वतःस्फूर्त संग्राम था. इस संग्राम के शहीदों का बलिदान प्रेरणादायी है. बाबा राघवदास, महामना पं0 मदन मोहन मालवीय का स्मरण करते हुए उन्होंने कहा कि ऐसी कम घटनाएं होंगी, जिसमें 19 स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी दी गयी हो. अंग्रेज सरकार अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देना चाहती थी, किन्तु बाबा राघवदास, महामना पं0 मदन मोहन मालवीय के प्रयासों से 150 से अधिक लोगों को फांसी से बचा लिया गया.

प्रधानमंत्री जी ने कार्यक्रम से युवाओं को जोड़े जाने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उन्हें इतिहास के अनकहे लोगों की जानकारी मिलेगी. भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों एवं स्वतंत्रता संग्राम की घटनाओं पर किताबें व शोध पत्र लिखने के लिए कार्यक्रम चला रहा है. इससे चौरी चौरा की घटना के सेनानियों का व्यक्तित्व और कृतित्व सामने लाया जा सकता है. चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रमों को लोककला और संस्कृति से जोड़े जाने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री जी व उनकी टीम की सराहना की.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि चौरी चौरा के संग्राम में किसानों की भरपूर भूमिका थी. वर्तमान सरकार ने विगत 06 वर्षाें में किसान को आगे बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयास किया है. कोरोना काल में भी कृषि में वृद्धि हुई तथा रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन हुआ. केन्द्रीय बजट में किसान कल्याण के लिए कई प्राविधान हैं. 1000 मण्डियों को ई-नाम से जोड़ा जाएगा. इससे किसानों को मण्डी में अपनी फसल को बेचने में आसानी होगी. ग्रामीण क्षेत्र के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर फण्ड को बढ़ाकर 40,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. इससे किसान लाभान्वित और आत्मनिर्भर तथा कृषि लाभकारी होगी.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का कार्य तेजी से संचालित है. यह योजना ग्रामीण विकास में सहायक है. इसके अन्तर्गत ग्रामीणों को उनके घर, जमीन के मालिकाना हक का अभिलेख उपलब्ध कराया जा रहा है. इससे ग्रामीण जमीन का मूल्य बढ़ेगा. कर्ज लेने में आसानी होगी.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार के प्रयास से किस तरह देश व प्रदेश की तस्वीर बदल रही है, गोरखपुर इसका उदाहरण है. यहां खाद कारखाना फिर से शुरु हो रहा है. इससे किसानों को लाभ होगा व युवाओं को रोजगार मिलेगा.

पूर्वांचल में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया गया है. 04 लेन व 06 लेन की सड़कें बन रही हैं. गोरखपुर से 08 शहरों हेतु हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध हो गयी है. कुशीनगर में इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की स्थापना से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. यह सभी विकास कार्य स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि हैं.
कार्यक्रम स्थल चौरी चौरा, गोरखपुर में उपस्थित मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने स्वागत सम्बोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी का कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आभार प्रकट करते हुए कहा कि चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव भारत माता के अमर बलिदानी सपूतों के प्रति श्रद्धा व सम्मान व्यक्त करने का अवसर है. चौरी चौरा की घटना 04 फरवरी, 1922 को इसी स्थान पर हुई थी. प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में राज्य सरकार ने चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव के आयोजन का निर्णय लिया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि चौरी चौरा में आमजन और पुलिस की गोली से तीन लोग शहीद हुए. ब्रिटिश सरकार द्वारा 228 स्वतंत्रता सेनानियों पर मुकदमा चलाया गया. 225 स्वतंत्रता सेनानियों को सजा हुई. इनमें से 19 को मृत्यु दण्ड, 14 को आजीवन कारावास, 19 को आठ वर्ष का कारावास, 57 को पांच वर्ष का कारावास, 20 को तीन वर्ष का कारावास तथा 03 को दो वर्ष के कारावास की सजा दी गयी. इस घटना को ध्यान में रखकर वर्ष 1857 से वर्ष 1947 के मध्य के सभी शहीद स्मारकों एवं आजादी के बाद विभिन्न युद्धों में शहीद अमर बलिदानियों के शहीद स्थलों पर राज्य सरकार द्वारा वर्ष भर चलने वाले कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रारम्भ की जा रही है. उन्होंने कहा कि चौरी चौरा शताब्दी महोत्सव का ‘लोगो’ ‘स्वरक्तैः स्वराष्ट्रं रक्षेत्’ अर्थात ‘हम अपने रक्त से अपने राष्ट्र की रक्षा करते हैं’, स्वतंत्रता आन्दोलन के शहीदों के जीवन आदर्शाें से ओतप्रोत है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सायंकालीन सत्र में सभी शहीद स्मारकों व शहीद स्थलों पर पुलिस बैण्ड द्वारा राष्ट्रभक्ति के गीतों का कार्यक्रम, कवि गोष्ठी का आयोजन तथा दीपोत्सव का कार्यक्रम होगा. स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी तिथियों पर अमर स्वाधीनता सेनानियों, उनसे जुड़े स्मारकों और शहीद स्थलों पर, उन तिथियों पर मुख्य आयोजन के साथ ही, प्रदेश में समस्त शहीद स्मारकों व शहीद स्थलों पर कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे. विद्यालयों में लेखन, पेंटिंग, वाद-विवाद प्रतियोगिता, ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित साहित्य की प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी. स्वतंत्रता सेनानियों एवं घटनाओं के सम्बन्ध में विशिष्ट शोध को बढ़ावा देने का कार्यक्रम भी प्रारम्भ हो रहा है.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को शॉल एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया. इनमें श्री रामनवल, श्री ओमप्रकाश, श्री लाल किशुन, श्री गुलाब, सुश्री सावित्री, श्री वीरेन्द्र, श्री रामआशीष, श्री मानसिंह यादव, श्री हरिलाल, श्री सौदागर अली, श्री लल्लन, श्री रामराज, श्री मैनुद्दीन, श्री सत्याचरण, श्री दशरथ और श्री राम नारायण त्रिपाठी सम्मिलित हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने 100 दिव्यांगजन को मोटराइज्ड ट्राईसाइकिल का वितरण किया तथा हरी झण्डी दिखाकर उन्हें रवाना किया. इससे पूर्व, मुख्यमंत्री जी ने शहीद स्मारक, चौरी चौरा पर शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित की. उन्होंने संग्रहालय का भ्रमण कर कराये जा रहे सौन्दर्यीकरण कार्याें का निरीक्षण किया तथा राष्ट्र गीत वन्दे मातरम के समवेतिक गान में प्रतिभाग किया.

कार्यक्रम के अन्त में पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ0 नीलकंठ तिवारी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया. कार्यक्रम को सांसद श्री कमलेश पासवान, विधायक श्रीमती संगीता यादव ने भी सम्बोधित किया.

इस अवसर पर समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री सहित जनप्रतिनिधिगण व अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.

‘उत्तर प्रदेश दिवस’ में दिखा विकास का खाका, किया प्रतिभाओ का सम्मान

लखनऊ :  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उत्तर प्रदेश दिवस के अवसर पर प्रदेश के विकास का खाका जनता के सामने रखा.मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बसंत पंचमी से ‘अभ्युदय योजना’ का शुभारम्भ किए जाने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रतिभाग करने वाले प्रदेश के युवाओं के लिए इस योजना के अन्तर्गत निःशुल्क कोचिंग दी जाएगी. प्रथम चरण में राज्य के सभी मण्डल मुख्यालयों पर यह कोचिंग संस्थान प्रारम्भ किये जाएंगे. इन संस्थानों में प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रतिभागी युवाओं के लिए फिजिकल और वर्चुअल, दोनों माध्यमों से मार्गदर्शन की व्यवस्था लागू की जाएगी. इन संस्थानों के लिए विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों एवं राजकीय विद्यालयों का इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रयोग में लाया जाएगा.

मुख्यमंत्री ने अवध शिल्पग्राम परिसर में उत्तर प्रदेश राज्य के ७१ वें स्थापना दिवस पर ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के चतुर्थ संस्करण के उद्घाटन समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे. मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली विभूतियों को इस अवसर पर सम्मानित किया. समारोह के दौरान अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये. उन्होंने ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह के अवसर पर अवध शिल्पग्राम में आयोजित प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि लाॅकडाउन के दौरान राजस्थान राज्य के कोटा तथा प्रदेश के जनपद प्रयागराज से प्रतियोगी विद्यार्थियों को सुरक्षित उनके घर पहुंचाने के अभियान के दौरान उनके द्वारा प्रदेश के युवाओं को राज्य में ही कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराने के सम्बन्ध मंे विचार-विमर्श किया गया था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश के अनेक प्रतिभाशाली लोगों ने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से देश-दुनिया में उत्तर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है. राज्य सरकार द्वारा कला, संस्कृति, खेल, विज्ञान सहित विभिन्न क्षेत्रों में प्रदेश का मान-सम्मान बढ़ाने वाली 03 से 05 विभूतियों को ‘यू0पी0 गौरव सम्मान’ से प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाएगा. विभूतियों को सम्मानित करने का यह कार्यक्रम इसी वर्ष प्रारम्भ किया जाएगा. सम्मान प्राप्त करने वाली विभूति को 11 लाख रुपए की धनराशि, प्रतीक चिन्ह, मेडल एवं प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 जनवरी, 2018 को प्रथम ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ समारोह का आयोजन किया गया था. इस अवसर पर ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी थी. प्रदेश के औद्योगिक विकास के निरन्तर प्रयासों की अभिनव कड़ी के रूप में राज्य सरकार द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना प्रारम्भ की गयी. इसका उद्देश्य राज्य के विभिन्न जनपदों के परम्परागत और विशिष्ट पहचान वाले उत्पादों को प्रोत्साहित कर युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराना है. वर्तमान में यह योजना देश की सर्वाधिक लोकप्रिय योजनाओं में से एक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ की सराहना की है. इस योजना में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने का सामथ्र्य है. केन्द्रीय बजट में भी इस योजना को सम्मिलित किया गया है. उन्होंने कहा कि आज के कार्यक्रम में एमएसएमई विभाग के अन्तर्गत एक जनपद, एक उत्पाद, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना, उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड से सम्बन्धित उद्यमियों व हस्तशिल्पियों को सम्मानित किया गया है. उन्होंने कहा कि यह योजनाएं प्रधानमंत्री जी की ‘वोकल फाॅर लोकल’ की संकल्पना को आगे बढ़ा रही हैं.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि द्वितीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर राज्य सरकार द्वारा ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ प्रारम्भ की गयी. यह योजना स्थानीय दस्तकारों तथा पारम्परिक कारीगरों के कौशल विकास हेतु संचालित की जा रही है. इसके अन्तर्गत पारम्परिक कारीगरों के आजीविका के साधनों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि तृतीय ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के अवसर पर अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की योजना का शुभारम्भ किया गया. इसके तहत, प्रदेश के सभी 18 मण्डलों में अटल आवासीय विद्यालय स्थापित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की संस्कृति और परम्परा पर गर्व की अनुभूति होती है. उत्तर प्रदेश भारत का हृदय स्थल है. यह देश की संस्कृति और परम्परा का केन्द्र स्थल है. उत्तर प्रदेश की देश में अग्रणी भूमिका रही है. विगत कुछ वर्षाें में यह भूमिका प्रभावित हुई. वर्तमान राज्य सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से प्रदेश को पुनः अग्रणी बनाने का कार्य कर रही है. उन्होंने कहा कि विगत 10 माह से पूरी दुनिया वैश्विक महामारी कोरोना के विरुद्ध संघर्ष कर रही है. ऐसे समय में प्रदेश सरकार प्रधानमंत्री जी के ‘जान भी, जहान भी’ मंत्र के अनुरूप कोविड प्रबन्धन के साथ ही, विकास कार्याें को पूरी गति से आगे बढ़ा रही है.

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मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आज देश और दुनिया में उत्तर प्रदेश की छवि बदल रही है. प्रदेश की बेहतर कानून-व्यवस्था को अन्य राज्य माॅडल के रूप में अपनाना चाह रहे हैं. राज्य में कानून और व्यवस्था के उत्कृष्ट वातावरण से प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े हैं. प्रदेश सरकार ने अब तक लगभग 04 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां उपलब्ध करायी हैं. निजी क्षेत्र में 15 लाख नौजवानों का नियोजन हुआ है. डेढ़ करोड़ से अधिक युवाओं को निवेश के माध्यम से रोजगार तथा लगभग 15 करोड़ नौजवानों को स्वतः रोजगार के लिए केन्द्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं से जोड़ने का कार्य विगत पौने चार वर्ष में हुआ है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों में जो कार्य हुए हैं, उससे एक नई कार्य संस्कृति का जन्म हुआ है. यह नई कार्य संस्कृति हर एक क्षेत्र में प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने की है. प्रदेश में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल की जा सकती है. कृषि, जल संसाधन के क्षेत्रों में इस दिशा मंे उल्लेखनीय कार्य हुआ है. सूखाग्रस्त माने जाने वाले बुन्देलखण्ड व विन्ध्य क्षेत्र में ‘हर घर नल’ योजना कार्य कर रही है. वर्तमान राज्य सरकार द्वारा गन्ना किसानों को 01 लाख 15 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया है. पर्यटन एवं संस्कृति क्षेत्रों के भी कार्य अत्यन्त उल्लेखनीय हंै. प्रयागराज कुम्भ-2019 के आयोजन को सुरक्षा, स्वच्छता एवं सुव्यवस्था ने विशिष्ट पहचान दी. यूनेस्को ने कुम्भ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर कहा. प्रयागराज कुम्भ-2019 के पश्चात प्रदेश में पर्यटन के क्षेत्र में तेजी से वृद्धि हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 24 करोड़ जनसंख्या का राज्य होने के बावजूद उत्तर प्रदेश ने कोरोना प्रबन्धन के क्षेत्र में उदाहरण स्थापित किया है. राज्य ने यह साबित किया है कि किसी भी आपदा का मुकाबला टीमवर्क एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के माध्यम से किया जा सकता है. लाॅकडाउन के दौरान प्रदेश में अन्य राज्यों से 40 लाख से अधिक श्रमिक व कामगार वापस आये. राज्य सरकार ने इनके रहने व खाने की व्यवस्था की. प्रदेश सरकार द्वारा ‘उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक (सेवायोजन एवं रोजगार) आयोग’ का गठन किया गया है. राज्य सरकार अपने पोर्टल पर पंजीकृत श्रमिकों को शीघ्र सामाजिक, आर्थिक सुरक्षा की गारण्टी भी देगी. प्रदेश सरकार द्वारा राज्य के हर वृद्ध, निराश्रित महिला एवं पात्र दिव्यांगजन को प्रतिमाह पेंशन प्रदान की जा रही है. हर व्यक्ति को आगे बढ़ने का अवसर मिल रहा है. इससे प्रदेश नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से देश में ही कोरोना का वैक्सीन तैयार किया गया है. ब्राजील के राष्ट्रपति ने यहां विकसित वैक्सीन को संजीवनी बूटी कहा है. भारत में विकसित वैक्सीन यहां के नागरिकों अलावा भूटान, नेपाल, माॅरीशस आदि दुनिया के दूसरे देशों के नागरिकों की जीवन रक्षा कर रहा है. प्रदेश में कोरोना वैक्सीनेशन के पहले चरण के पहले दिन 22 हजार हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया गया. दूसरी तिथि को 01 लाख 01 हजार वैक्सीनेशन किये गये. आगामी 28 व 29 जनवरी को भी हेल्थ वर्कर्स का वैक्सीनेशन किया जाएगा.

समारोह को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रदेश का सर्वांगीण विकास हो रहा है. राज्य औद्योगिक रूप से समृद्ध हो रहा है. साथ ही, युवाओं को रोजगार के व्यापक अवसर उपलब्ध हो रहे हैं. नकल विहीन परीक्षा, मेधावी छात्राओं एवं शिक्षकों के सम्मान के माध्यम से उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण बनाया जा रहा है. विश्वविद्यालयों में शोध पीठ की स्थापना की जा रही है.

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत करते हुए लघु, सूक्ष्म एवं मध्यम उद्यम तथा निर्यात प्रोत्साहन मंत्री श्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकार मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज तथा पं0 दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय की संकल्पना को साकार कर रही है. प्रदेश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी द्वारा इसके लिए ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’, ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ आदि योजनाएं क्रियान्वित की गयी हैं. इन योजनाओं को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने का ‘योगी माॅडल’ बताते हुए उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती पूरी अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करती है. इससे सतत विकास सम्भव होता है.

‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना की प्रगति के सम्बन्ध में एक रिपोर्ट का विमोचन भी किया. इस अवसर पर स्टेट बैंक आॅफ इण्डिया के सी0जी0एम0 श्री अजय कुमार खन्ना एवं अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के सम्बन्ध में एक एमओयू का हस्तान्तरण किया गया. इसी प्रकार अपर मुख्य सचिव एमएसएमई श्री नवनीत सहगल एवं इण्डियन इंस्टीट्यूट आॅफ पैकेजिंग के डायरेक्टर श्री संजीव आनन्द के मध्य ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के उत्पादों की पैकेजिंग के सम्बन्ध में एक अन्य एम0ओ0यू0 का हस्तान्तरण किया गया. ‘उद्यम सारथी’ एप के माध्यम से ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के सम्बन्ध में समस्त जानकारी प्राप्त की जा सकती है. एप में युवाओं को प्रशिक्षित करने की भी व्यवस्था है. भविष्य में प्रदेश की सभी योजनाओं को एप से जोड़ा जाएगा.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने समाज कल्याण विभाग द्वारा विद्यार्थियों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति का वितरण भी किया. उन्होंने बटन दबाकर 1,43,929 विद्यार्थियों के बैंक खातों में छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की 39 करोड़ रुपए की धनराशि का आॅनलाइन अन्तरण किया. उन्होंने 05 छात्र-छात्राओं को प्रतीकात्मक रूप से छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की धनराशि प्रदान की. कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत 05 पारम्परिक कारीगरों तथा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के 02 हस्तशिल्पियों को उन्नत टूल किट प्रदान किये. उन्होंने माटी कला बोर्ड के 02 माटी कारीगरों को भी पुरस्कृत किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने विभिन्न खेलों में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने वाले पुरुष एवं महिला खिलाड़ियों को वर्ष 2019-20 के लिए क्रमशः ‘लक्ष्मण पुरस्कार तथा रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित किया. ‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से 08 महिला खिलाड़ियों को सम्मानित किया गया है. इनमें 01 खिलाड़ी वेटरन वर्ग से हैं. साथ ही, 10 पुरुष खिलाड़ियों को ‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है. इनमें वेटरन वर्ग के 02 खिलाड़ी सम्मिलित हैं.

‘रानी लक्ष्मीबाई पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में हैण्ड बाॅल की सुश्री स्वर्णिमा जायसवाल, एथलेटिक्स की सुश्री प्रियंका, वुशू की सुश्री साक्षी जौहरी, हाॅकी की सुश्री वन्दना कटारिया, शूटिंग की सुश्री हिमानी सिंह, तीरंदाजी की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री ज्योति, शूटिंग की दिव्यांग खिलाड़ी सुश्री आकांक्षा तथा वेटर्न वर्ग में एथलेटिक्स की श्रीमती विमला सिंह हैं.

‘लक्ष्मण पुरस्कार’ से सम्मानित खिलाड़ियों में कबड्डी के श्री नितिन तोमर, रोइंग के श्री पुनीत कुमार, कुश्ती के श्री गौरव बालियान, वुशू के श्री सूरज यादव, बैडमिन्टन के दिव्यांग खिलाड़ी श्री अबू हुबैदा, पावरलिफ्टिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री सचिन चैधरी, शूटिंग के दिव्यांग खिलाड़ी श्री आकाश, एथलेटिक्स के दिव्यांग खिलाड़ी श्री वरुण सिंह भाटी तथा वेटर्न वर्ग में कुश्ती के श्री राजकुमार तथा एथलेटिक्स के श्री कुलदीप कुमार हैं.

मुख्यमंत्री जी द्वारा युवा कल्याण विभाग के राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ भी प्रदान किये गये. व्यक्तिगत श्रेणी में यह अवाॅर्ड 10 युवाओं को प्रदान किए गये हैं. मुख्यमंत्री जी ने यह पुरस्कार श्री सागर कसाना (गाजियाबाद), कु0 इशिका बंसल (आगरा) को प्रदान किये. राज्यस्तरीय ‘स्वामी विवेकानन्द यूथ अवाॅर्ड’ श्री कृष्ण पाण्डेय (गोरखपुर), श्री कलीम अतहर (पीलीभीत), श्री केतन मोर (झांसी), श्री शुभम मिश्रा (लखनऊ), श्री प्रवीण कुमार गुप्ता (अम्बेडकरनगर), श्री अजीत कुमार (लखनऊ), श्री अंकित मौर्य (लखनऊ) तथा रविकान्त मिश्रा (फतेहपुर) को भी दिया गया है. उन्होंने सामूहिक श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले युवक एवं महिला मंगल दल को सम्मानित किया.

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश में दुग्ध उत्पादन में वृद्धि करने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘गोकुल पुरस्कार’ एवं ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ वितरित किये. वर्ष 2018-19 में सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ लखीमपुर खीरी की दुग्ध समिति बेलवामोती के सदस्य श्री वरुण सिंह को प्रथम पुरस्कार तथा दुग्ध संघ गोरखपुर की दुग्ध समिति माहोपार के सदस्य श्री धीरेन्द्र सिंह को द्वितीय पुरस्कार दिया. उन्होंने भारतीय गोवंश की गाय के माध्यम से सर्वाधिक दूध उत्पादन के लिए दुग्ध संघ मथुरा की दुग्ध समिति भूड़ासानी के सदस्य श्री हरेन्द्र सिंह को ‘नन्द बाबा पुरस्कार’ प्रदान किया. उन्होंने कृषि विभाग द्वारा दिये जाने वाले ‘कृषक पुरस्कार’ जनपद लखनऊ की डाॅ0 कामिनी सिंह, जनपद बाराबंकी के श्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह तथा जनपद बहराइच के श्री अनिरुद्ध को प्रदान किये. मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘दृष्टि योजना’ के अन्तर्गत जनपद भदोही के एफ0पी0ओ0 हरियाली किसान समृद्धि प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड को योजना की प्रथम किस्त के रूप में 18 लाख रुपए का डमी चेक एवं स्वीकृति पत्र प्रदान किया गया.

कार्यक्रम के दौरान ‘इतिहास में महिला शक्ति’ पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया. यूपी गुडविल ताइक्वाण्डो फेडरेशन की प्रशिक्षित महिलाओं द्वारा मार्शल आर्ट के विभिन्न करतब प्रदर्शित किए गये. इण्डियन ब्लाइण्ड जूडो फेडरेशन की बालिकाओं द्वारा आत्मरक्षार्थ जूडो का प्रदर्शन किया गया. कार्यक्रम के दौरान संस्कृति विभाग के कलाकारों ने थारू नृत्य प्रस्तुत किया.

इस अवसर पर कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही, समाज कल्याण मंत्री श्री रमापति शास्त्री, दुग्ध विकास मंत्री श्री लक्ष्मी नारायण चैधरी, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नागरिक उड्डयन मंत्री श्री नन्द गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, जल शक्ति मंत्री डाॅ0 महेन्द्र सिंह, खेल राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री उपेन्द्र तिवारी, महिला कल्याण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह, उद्यान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री श्रीराम चैहान, कृषि राज्य मंत्री श्री लाखन सिंह राजपूत, लखनऊ की महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया, सांसद श्री कौशल किशोर सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन श्री मुकेश मेश्राम, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

उत्तर प्रदेश: गुस्सा जाहिर करती जनता

त्रेता युग के रामराज में सरकार के लोग वेशभूषा बदल कर जनता के दुखदर्द को राजा तक पहुंचाने का काम करते थे. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रामराज में जनता अब गुस्सा जाहिर करने लगी है. गुस्सा जाहिर करने के लिए जनता अपनी जान को भी दांव पर लगाने से परहेज नहीं कर रही है.

अपनी आवाज को सरकार तक पहुंचाने के लिए लोग विधानसभा भवन और भाजपा कार्यालय के सामने आत्मदाह करने लगे हैं. आत्मदाह की आधा दर्जन घटनाएं इस का सुबूत हैं.

अयोध्या में राम मंदिर बनने के बाद प्रदेश में रामराज बनाने का दावा फेल हो चुका है. जनता की बात नहीं सुनी जा रही, जिस से भड़के लोग आत्मदाह का रास्ता चुन रहे हैं.

उत्तर प्रदेश के विधानसभा भवन, लोकभवन और भारतीय जनता पार्टी प्रदेश कार्यालय के बीच 200 मीटर की लंबी सड़क आत्मदाह का केंद्र बन गई है. हाई सिक्योरिटी जोन में विधानसभा के चारों तरफ 650 वर्गमीटर का विशेष निगरानी घेरा बनाया गया है. यहां के चप्पेचप्पे पर अत्याधुनिक साधनों से लैस पुलिस लगाई गई है.

पुलिस को गच्चा देने के लिए पीडि़त पक्ष ने आत्मदाह की जगह वहीं पर बड़ी मात्रा मे नींद की गोलियां खा कर जान देने की कोशिश शुरू कर दी. अक्तूबर महीने में विधानसभा भवन के सामने इस तरह की 6 घटनाएं घट चुकी हैं.

4 मामलों में आग लगा कर जान देने की कोशिश की गई, जिस में 2 औरतों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है. विधानसभा भवन और भारतीय जनता पार्टी कार्यालय अपनी दुखभरी दास्तान कहने के लिए हौट स्पौट बन गया है.

विधानसभा भवन के सामने आत्मदाह की घटनाएं अनलौक 2 के बाद से तेज हुईं. 17 जुलाई को अमेठी की रहने वाली सोफिया और उस की बेटी ने खुद को आग लगा ली. सिविल अस्पताल में इलाज के दौरान सोफिया की मौत हो गई.

13 अक्तूबर को महाराजगंज जिले की रहले वाली अंजलि तिवारी उर्फ आयशा ने भाजपा प्रदेश कार्यालय के सामने आत्मदाह करने की कोशिश की. जली अवस्था में पुलिस ने सिविल अस्पताल में भरती कराया, जहां उस की मौत हो गई.

19 अक्तूबर को लखनऊ के ही हुसैनगंज इलाके के रहने वाले सुरेंद्र चक्रवर्ती ने आत्मदाह करने की कोशिश की. इसी दिन बाराबंकी का रहने वाला परिवार भी आत्मदाह के इरादे से विधानसभा भवन के सामने पहुंचा था. उसे पुलिस ने पहले ही पकड़ लिया था.

22 अक्तूबर को बेबी खान नामक औरत नींद की गोलियां खा कर बदहवास हालत में विधानसभा गेट के सामने पहुंची, पर पुलिस ने उस को भी पकड़ लिया था.

कोई नहीं सुनता दर्द

जैसेजैसे सरकार ने जनता की आवाज को सुनना बंद कर दिया है, वैसेवैसे इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. फिल्म ‘शोले’ में पानी की टंकी के ऊपर चढ़ कर बसंती से मिलने की जिद को सभी ने देखा था. अखिलेश सरकार में परेशान एक नौजवान विधानसभा भवन के सामने पेड़ पर चढ़ कर फांसी लगाने की जिद कर रहा था.

आत्मदाह करने वाले सुरेंद्र चक्रवर्ती डायमंड डेरी कालोनी में जावेद के घर में किराए के मकान में रहता था. वह फोटोकौपी मशीन का कारोबार करता था. साल 2013 से मकान के किराए को ले कर विवाद चल रहा था.

‘तालाबंदी’ के दौरान बेरोजगारी बढ़ने से सुरेंद्र बेहद परेशान था. ऐसे में जब मकान मालिक ने उस का सामान घर से निकाल कर सड़क पर फेंक दिया, तब आर्थिक तंगी में उसे विधानसभा भवन के सामने आत्मदाह करने का रास्ता ही सम झ आया.

लखनऊ के सिविल अस्पताल में भरती सुरेंद्र चक्रवर्ती ने बताया, ‘मेरा किराएदारी का मुकदमा चल रहा था. ऐसे में मेरे सामान को जब घर से बाहर फेंक दिया गया, तो मेरे सामने कोई रास्ता नहीं था. पुलिस भी मेरी बात सुन नहीं रही थी. वह मकान मालिक के दबाव में थी. मैं कब तक चुप रहता.

‘मु झे लगा कि अब जान की कीमत पर ही सही पर गूंगेबहरे प्रशासन के सामने अपनी बात कहनी है. मेरे घर से विधानसभा की दूरी एक किलोमीटर थी. मु झे लगा कि अगर सरकार के सामने अपनी आवाज उठाई जाए तो शायद वह मेरी पीड़ा सुन सकेगी. ऐसे में विधानसभा भवन के सामने आत्मदाह करने का फैसला किया.’

बाराबंकी का रहने वाला नसीर और उस का परिवार भी विधानसभा भवन के सामने आत्मदाह करने पहुंचा था, पर पुलिस ने पहले ही पकड़ लिया. नसीर सरकारी जमीन पर दुकान लगाता था. नगरनिगम ने दुकान तोड़ दी. परेशान नसीर को कुछ सम झ नहीं आया, तो सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उस ने यह रास्ता चुना था.

लखनऊ के राजाजीपुरम की रहने वाली बेबी खान का भाई अपराधी था. पुलिस उसे पकड़ने घर जाती थी. जब वह नहीं मिलता था, तो पुलिस घर वालों के साथ गालीगलौज और बदतमीजी करती थी. पुलिस की इस हरकत से बचने के लिए उस ने यह कदम उठाया.

लखनऊ के ही सिविल अस्पताल में भरती बेबी खान ने बताया, ‘मेरे भाई को पुलिस परेशान कर रही थी. उसे पुराने मुकदमों की धमकी दे कर जेल भेजने के लिए पकड़ने की कोशिश कर रही थी. भाई का मेरे घर किसी भी तरह से कोई आनाजाना नहीं था. इस के बाद भी हर दूसरेतीसरे दिन पुलिस हमारे घर पहुंच जाती थी. पुलिस अकसर रात को घर जाती थी.

‘हम जिस महल्ले में रहते हैं, वहां बदनामी होती थी. हम ने कई बार पुलिस को सम झाने की कोशिश की कि हम से उस का कोई मतलब नहीं है. ऐसे में उलटे पुलिस हमें ही धमकी दे रही थी. ऐसी बदनामी से बचने के लिए ही हम ने विधानसभा और भाजपा के औफिस के सामने जान देने का संकल्प ले लिया था.’

महाराजगंज की रहने वाली अंजलि तिवारी उर्फ आयशा छत्तीसगढ की रहने वाली थी. महाराजगंज के अखिलेश के साथ उस की शादी हुई. इस के बाद दोनों में विवाद हो गया और वे अलग हो गए.

अंजलि ने मोहम्मद आलम के साथ निकाह किया और आयशा बन कर उस के साथ रहने लगी. कुछ दिन के बाद मोहम्मद आलम नौकरी करने अरब चला गया, तो उस के घर वालों ने आयशा को ससुराल से निकाल दिया.

अंजलि ने पुलिस में शिकायत की, तो पुलिस ने सुनी नहीं. लिहाजा, उस ने आत्मदाह करने का फैसला लिया.

युद्ध सी तैयारी

आत्मदाह की घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस को युद्ध की सी तैयारी करनी पड़ी है. विधानसभा भवन और भारतीय जनता पार्टी कार्यालय के सामने आत्मदाह और जान देने की घटनाओं को रोकने के लिए हर 10 कदम पर पुलिस लगा दी गई है.

पुलिस कमिश्नर सुजीत कुमार पांडेय बताते हैं, ‘इस क्षेत्र में आनेजाने वालों पर नजर रखी जा रही है. पुलिस के साथ अग्निशमन वाहन, आग बु झाने के उपकरण, कंबल और एंबुलैंस का इंतजाम किया गया है. इस के साथ ही सभी थानों को हाई अलर्ट भेजा गया है, जिस में आत्मदाह की धमकी देने वालों की सूचनाएं जमा करने और जरूरी कार्यवाही करने के लिए कहा गया है.’

विधानसभा भवन के सामने आत्मदाह जैसी घटनाओं को रोकने के लिए 18 पुलिस टीमों को तैनात किया गया है. इस के अलावा 50 कंबल, 15 अग्निशमन उपकरण, 4 दोपहिया वाहन, 3 चारपहिया वाहन, एक अग्निशमन वाहन और एक एंबुलैंस वाहन तैनात किया गया है.

विधानसभा भवन लखनऊ के चारबाग से हजरतगंज मुख्य मार्ग पर बना है. मुख्य सड़क मार्ग होने के चलते यहां पर यातायात खूब रहता है. अब यह मार्ग रात के समय बंद कर दिया गया है. सुबह 6 बजे से यह मार्ग यातायात के लिए खोला जाता है. शनिवार और रविवार को यह रास्ता पूरी तरह से बंद कर दिया गया है.

बढ़ रहा है असंतोष

वरिष्ठ पत्रकार योगेश श्रीवास्तव कहते हैं, ‘सभी घटनाओं की विवेचना करें तो एक बात साफतौर पर दिखती है कि व्यवस्था के प्रति जनता में असंतोष बढ़ता जा रहा है. लोगों को सम झ नहीं आ रहा है कि वह किस से अपनी बात कहे. थानों में पुलिस अपनी मनमानी करती है. कई बार वह आरोपी के साथ मिल कर पीडि़त के ऊपर ही दबाव बनाने लगती है. अपराध की तमाम घटनाओं में यह बात सामने आती है.

‘उन्नाव के चर्चित रेप कांड, जिस में भाजपा के विधायक रहे कुलदीप सेंगर पर आरोप था, में भी जब उन्नाव की पुलिस ने लड़की की बात नहीं सुनी, तो लड़की ने मुख्यमंत्री आवास के पास आत्मदाह करने की कोशिश की थी. उस के बाद उस के मामले में पुलिस ने सुनवाई शुरू की थी.

‘ये घटनाएं देखदेख कर दूसरे परेशान लोगों को भी यही रास्ता आसान लगता है, जिस से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.’

4 पीएम अखबार के संपादक संजय शर्मा कहते हैं, ‘पुलिस नहीं सुनती तो लोग अपने जनप्रतिनिधियों, मंत्रियों, सांसद और विधायक के पास फरियाद ले कर जाते हैं. पिछले दिनों पीलीभीत के सांसद वरुण गांधी और उत्तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य राज्यमंत्री अतुल गर्ग के 2 फोन ओडियो वायरल हुए, जिन में उन्होंने पीडि़तों की बात नहीं सुनी. उन्हें बुराभला कहा. वे पीडि़त दोनों मामलों में अपने परिजनों के अस्पताल में भरती होने का दर्द बता कर मदद मांगने गए थे.

‘जब पीडि़त जनता की बात नहीं सुनी जाती तो उसे अपनी बात सुनवाने के लिए यह रास्ता ही दिखता है, जिस की वजह से इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं.’

मनोविज्ञानी समाजसेवी डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘इस तरह के मामलों में जिस तरह से मीडिया रिपोर्टिंग करने लगी है, उस में भी संवदेनशीलता की जरूरत है. मीडिया का समाज पर बहुत असर पड़ता है. इन घटनाओं को देख कर लगता है कि अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का यह सब से आसान रास्ता है.

‘अगर लोगों को शुरुआती लैवल पर सुन लिया जाए और परेशानी को दूर कर दिया जाए, तो लोग ऐसे कदम कम उठाएंगे.’

जेल से बाहर आने के बाद एस आर दारापुरी का बयान, “मुझे शारीरिक नहीं मानसिक प्रताड़ना मिली”

1972 बैच के आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी 32 पुलिस की सर्विस से साल 2003 में आईजी के पद से रिटायर हुये. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरानगर कालोनी में रहते है. पुलिस से रिटायर होने के बाद एसआर दारापुरी ने सोशल एक्टिविस्ट और राजनीतिक पार्टी के जरिये जनता की सेवा का काम करना शुरू किया. उनकी पहचान दलित चिंतक के रूप में भी है.

इसके अलावा पुलिस के द्वारा एकांउटर में मारे गये निर्दोश लोगों को लेकर उनका लंबा संघर्ष चल रहा है. इस संबंध में उनकी याचिका कोर्ट में है. 76 साल उम्र के एसआर दारापुरी औल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता है. नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया था. 14 दिन जेल में रहने के बाद वह जेल से छूटकर वापस आये और कहा कि ‘सरकार के दमन हमारे उपर कोई असर नहीं है. हमने नागरिकता कानून का पहले भी विरोध किया था. आज भी कर रहे और आने वाले कल भी करेगे. हमने पहले भी हिंसा नहीं की आज भी नहीं कर रहे और आगे भी नहीं करेंगे. शांतिपूर्ण तरह से हम अपना विरोध दर्ज कराते रहेगे.’

पूरी तरह से अवैध थी घर में हिरासत:

76 साल के एसआर दारापुरी में सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ गुस्सा पूरे जोश में है. वह किसी नौजवान की तरह से आगे भी सरकार की नीतियों से लड़ने के लिये तैयार है. एसआर दारापुरी अपनी गिरफ्तारी के घटनाक्रम पर विस्तार से जानकारी देते हैं. वह कहते है ‘5 दिसम्बर 2019 को नागरिकता कानून के खिलाफ हजरतगंज पर बनी डाक्टर अम्बेडकर की प्रतिमा के नीचे धरना दिया गया था. वहां बहुत सारे सामाजिक संगठनो के लोग थे. वहां पर 19 जनवरी को नागरिकता कानून के विरोध की घोषणा हुई थी. बाद में इस अभियान में दूसरे राजनीतिक लोग भी जुड गये. 19 दिसम्बर को विरोध प्रदर्शन को देखते हुये मुझे अपने घर में पुलिस ने नजरबंद कर दिया था.‘

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वह बताते है ‘19 दिसम्बर की सुबह 7 बजे जब मैं अपने घर से टहलने के लिये सामने पार्क में गया तो गाजीपुर थाने के 2 पुलिस के सिपाही वहां बैठे मिले. इसकी हमें पहले से कोई जानकारी नहीं थी. जब हम वापस आये सिपाहियों से पूछा तो बोले हमें थाने से यहां डयूटी पर भेजा गया है. करीब 2 घंटे के बाद सीओ गाजीपुर और एसओ गाजीपुर यहां जीप से आये. उस समय हमें यह बताया कि आपको घर से बाहर नहीं जाना है. तब मैने घर से अपने हाउस अरैस्ट होने और नागरिकता कानून के विरोध का फोटो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया. करीब 5 बजे हमें नागरिकता कानून के विरोध और हिंसा की खबरे मिली तो हमने अपने कुछ साथियों से पीस कमेटी बनाकर काम करने के लिये कहा. जिसमें यह तय हुआ कि शनिवार को हम लोग प्रशासन से मिलकर इस काम को अंजाम देगे.’

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पुलिस ने बंधक बनाकर रखा…

20 दिसम्बर की सुबह 11 बजे पुलिस हमारे घर आती है. सीओ और एसओ गाजीपुर हमें थाने चलने के लिये कहते है. हमने उनके पूछा कि क्या मुझे गिरफ्तार किया जा रहा है ? तो वह बोले ‘नहीं आपको थाने चलना है.’ हम अपने साधारण कपड़ों में ही पुलिस की जीप में बैठकर थाने चले आये. मुझे लगा कि शाम तक वापस छोड़ देगे. हम दिन में भी गाजीपुर थाने में बैठे रहे. शाम 6 बजे करीब हमें हजरतगंज थाने चलने के लिये बोला गया. हम पुलिस के साथ हजरतगंज थाने आ गये. यहां हमने फिर अपनी गिरफ्तारी की बात पूछी तो इंसपेक्टर हजरतगंज ने कहा कि ’39 पहले हो चुके है आप 40 वें है. हमें बूढ़ा होने या पुलिस में रहने के कारण बैठने के लिये कुर्सी दे दी गई थी पर खाने के लिये कुछ नहीं दिया गया. रात करीब 11 बजे हमें रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने के लिये रिवर बैंक कालोनी ले जाया गया. वहां मजिस्ट्रेट के सामने हमने पूरी बात बताई. पुलिस ने मुझ पर हिंसा की साजिश रचने की धारा 120 बी का मुकदमा कायम किया था. तथ्यों से पुलिस मजिस्ट्रेट को अपनी बात से सहमत नहीं कर पाई. ऐसे में  मजिस्ट्रेट ने रिमांड नहीं दी.

सर्दी से बचाव के लिये नहीं दिया कंबल:

रात करीब 12 बजे हमें वापस हजरतगंज थाने लाया गया. उस समय तक मुझे सर्दी लगने लगी थी. मै साधारण कपड़ों में था. मैने कंबल मांगा तो पुलिस ने नहीं दिया. मैने किसी तरह से घर फोन कर बेटे को कंबल लाने के लिये कहा तो वह डरा हुआ था. उसको यह जानकारी मिल रही थी कि जो भी ऐसे लोगों से मिलने जा रहा उसको पकड़ा जा रहा है. इस डर के बाद भी वह किसी तरह से कंबल लेकर घर से थाने आया. हमें इस दौरान खाने के लिये कुछ भी नहीं था. हमारे पास पानी की बोतल थी वही पीकर प्यास बुझा रहे थे. पुलिस ने मनगंढ़त लिखा पढ़ी कि और बताया कि रिमांड मजिस्ट्रेट मिले नहीं थे. फिर मेरी गिरफ्तारी को घर से ना दिखाकर महानगर के किसी पार्क से होना दिखाया. 21 दिसम्बर की शाम हमें जेल भेजा गया. जेल में रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने हमें पेश किया गया. जेल में जाने के समय रात का 9 बज गया था. हम रात को भूखे ही सो गये. 22 दिसम्बर की सुबह हमें जेल में नाश्ता मिला.

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करीब 37 घंटे हमें पुलिस ने बिना किसी तरह के खाने के रखा. मेरा 161 का बयान नहीं कराया गया. मेरे साथ शारीरिक प्रताड़ना नहीं हुई. लेकिन मानसिक प्रताड़ना मिली और हमको दबाने के लिये हर प्रयास किया गया. जेल में हमें तमाम ऐसे लोग मिले जिनका लखनऊ में दंगा फैलाने के आरोप में पकड़ा गया था. ऐसे लोगों की शारीरिक प्रताड़ना की भी जानकारी मिली. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दंगा करने वालों से बदला लेने के बयान के बाद पुलिस बेहद क्रूर हो गई. हिंसा में पकडे गये लोगो को हजरतगंज थाने से अलग ले जाकर मारा गया. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इनको इतना मारो की पीठ डेढ़ इंच से कम सूजी नहीं होनी चाहिये. जेल में दिखे कई लोगों के चेहरे ऐसे सूजे थे कि वह पहचान में नहीं आ रहे थे.

जेल से लोवर कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद एसआर दारापुरी को सेशन कोर्ट से जमानत मिली. इसके बाद वह जेल से रिहा हुये तो पूरे जोश में नारे लगाते हुये बाहर आये. जेल से बाहर आने के बाद भी उनको जोश पहले जैसा ही कायम है. वह कहते है कि ‘हम लोग राजनीतिक लोग है. नागरिकता कानून का विरोध करते है. हम जैसे बहुत सारे लोग इसका विरोध कर रहे है. एसआर दारापुरी जितने दिनो जेल में थे उनकी बीमार पत्नी घर पर थी. इस बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी उनसे मिलने उनके घर भी गई थी.

भाजपा, आरएसएस और पुलिस की मिलीभगत:

एसआर दारापुरी कहते है कि नागरिकता कानून का विरोध शांतिपूर्ण था. इसको दबाने के लिये हिंसा फैलाई गई. सदफ जफर फेसबुक पर लाइव करते पुलिस से कह रही थी कि इन लोगों को पकड़ो. पुलिस ने उनको नहीं पकड़ा. थाने में लाने के बाद भी कुछ लोगों को छोड़ दिया गया. जिनके बारे में सुना गया कि वह लोग भाजपा समर्थन के कारण छोड़ दिये गये. ऐसे में साफ है कि पुलिस की मिली भगत से भाजपा और आरएसएस के लोगों ने यह काम कराया. एसआर दारापुरी लखनऊ पुलिस को खुलेआम चुनौती देते कहते है कि अगर पुलिस ने सही लोगों को पकडा है तो 19 दिसम्बर के दंगे के सारे वीडियो फुटेज सार्वजनिक करे. यह दिखाये कि जिन लोगों को पकड़ा है यह वहीं लोग है जो दंगा फैलाने में शामिल थे. पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये. यही नहीं लखनऊ में हिंसा में मारा गया वकील नामक व्यक्ति पुलिस के रिवाल्वर की गोली से ही मरा है. यदि ऐसा नहीं है तो पुलिस वीडियो के जरिये यह क्यों नहीं दिखाती कि किसकी गोली से वह मरा है. मरने वाले का परिवार पुलिस दवाब में है. जांच होनी चाहिये.

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एसआर दारापुरी कहते हैं यह सरकार का यह दमनकारी कदम है. जो मानवाधिकार, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है. यह तानाशाही सरकार है. यह तो खुला दमन है. योगी राज में पुलिस पूरी तरह से क्रूर और हत्यारी हो चुकी है. इस सरकार के दौरान पुलिस के एनकांउटर में 95 फीसदी मामले झूठे है. दंगे में पकडे गये लोग भी 95 फीसदी गलत है. पुलिस जब घटना के दिन वाले वीडियो जारी करेगी तो सच खुद सामने आ जायेगा. जिन लोगो को पकड़ा गया. उनपर लगे आरोप पुलिस कोर्ट में साबित नहीं कर पाई. जिससे सभी को एक एक कर कोर्ट से जमानत मिल जा रही है. पुलिस ने ऐसे लोगों पर एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा कायम करने की धमकी भी दी थी. जब एनएसए लगाने के लायक सबूत नहीं मिले तो पुलिस को अपने कदम वापस खींचना पड़ा. पूरे मामले की जांच होने से सच सामने आ जायेगा.

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