सेक्स पावर बढ़ाने की दवाइयों से रहें दूर, हो सकते हैं ये नुकसान

आप ने ऐसे कई विज्ञापन देखे होंगे जिन में सेक्स समस्याओं को खत्म करने और सेक्स पावर बढ़ाने की दवाओं के बारे में बताया जाता है. यों तो सेक्स पावर बढ़ाने का दावा कई दवा कंपनियां करती हैं, लेकिन सवाल है कि इन पर कितना विश्वास किया जाए. इस पर विचार करें. लेकिन आंखें बंद कर के भरोसा न करें. आप को ऐसे विज्ञापनों से सावधान रहने  की जरूरत है.

1.  बौडी पर बुरा प्रभाव 

ऐसी दवाएं किसी मान्यताप्राप्त लैब में नहीं, बल्कि झोलाछाप नीमहकीमों द्वारा बनाई जाती हैं, जिन्हें दवा बनाने की कोई साइंटिफिक जानकारी नहीं होती. इधरउधर, गांव के बुजुर्गों से मिले अधकचरे ज्ञान के आधार पर वे इन्हें तैयार करते हैं. दवा में किस चीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए और कौन सी 2 चीजें एक ही दवाई में होने पर रिएैक्ट करेंगी, इस बारे में भी इन लोगों को कोई जानकारी नहीं होती है.

ये दवाएं सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त भी नहीं होती हैं. यही वजह है कि जब इन का सेवन किया जाता है तो ये शरीर पर गलत असर डालती हैं. कई बार तो इन के सेवन से धीरेधीरे शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते हैं. इसलिए वही दवाएं लें जो आप की समस्या के अनुसार मान्यताप्राप्त डाक्टर द्वारा दी गई हों.

2.  डोज का सही होना जरूरी

परेशानी चाहे तन से जुड़ी हो या मन से, उस का निवारण तभी हो सकता है जब उस की काट के लिए दवा सही मात्रा में ली जाए. इस के लिए जरूरी है कि सही डाक्टर से उचित देखरेख में ही यह काम किया जाए. लेकिन झोलाछाप, ओझा आदि पैसे बनाने के लिए और अधिक से अधिक दवा की बिक्री के लिए ज्यादा डोज लेने को कहते देते हैं. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि इस से मरीज की सेहत पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा. इन चक्करों में पड़ने से बचें.

3. दवा के साइड इफैक्ट्स

कामोत्तेजना बढ़ाने वाली वियाग्रा जैसी कई दवाओं के भ्रामक विज्ञापन अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं और युवा पीढ़ी इस ओर जल्द आकर्षित होती है और इन दवाओं का सेवन शुरू करती है. थोड़ा सा असर दिखने पर युवाओं को यह एक नशे के जैसा लगने लगता है और वे खुद ही इस की मात्रा बढ़ा देते हैं ताकि और मजे लिए जा सकें. मजे का तो पता  नहीं लेकिन इन दवाओं का साइड इफैक्ट होने लगते हैं और मरीज को थकान व कमजोरी जैसी समस्याएं महसूस होने लगती हैं. ऐसी कोई भी दवा लेने से बचें और अगर ले रहे हैं तो उन दवाओं के बारे में इंटरनैट पर पूरी जानकारी लें और फिर सोचविचार के बाद ही उन्हें खरीदने के बारे में सोचें.

4. अति हर चीज की बुरी

सेक्स पावर बढ़ाने जैसी कई दवाओं के विज्ञापन आएदिन छपते रहते हैं, लेकिन ये सभी सही नहीं होते हैं. सेक्स की हर व्यक्ति की अपनी इच्छा और क्षमता होती है. इसे किसी दूसरे से कंपैरिजन नहीं किया जा सकता है. इसलिए कहीं  पढ़ कर ऐसा न सोचें कि आप भी ये दवाएं खा कर हृष्टपुष्ट हो जाएंगे.

यदि अगर वास्तव में कोई दिक्कत है तो अपने डाक्टर से कंसल्ट करें और अपने अच्छे खानपान और पूरी नींद जैसी बातों पर ध्यान दें. इन विज्ञापनों के बारे में सोच कर ज्यादा ऐक्साइटेड न हों क्योंकि अति हर चीज की बुरी होती है. अगर आप की सेक्सलाइफ बिना कुछ किए ही अच्छी चल रही है तो फिर इन दवाओं का सेवन करना बेकार है.

5. गर्भ निरोधक गोलियां

गर्भ रोकने वाली दवाओं को बारबार लेने के घातक परिणाम हो सकते हैं. स्त्रियों के प्रजन्न अंगों पर इन का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. उपयोग करने के इच्छुकों को चाहिए कि वे डाक्टर से दवाओं के साइड इफैक्ट, उन के असफल होने की आशंकाएं और गर्भाशय से बाहर गर्भधारण की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें. यदि अगला मासिकधर्म न आए या मासिकधर्म के समय बहुत अधिक खून बहने लगे, तो हकीमों के पास जाने के बजाय तुरंत डाक्टर से जांच करवाएं.

डाक्टर से जांच करवा कर यह सुनिश्चित कर लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार महिला इस दवा को लेने के लिए सक्षम है या नहीं. आपात गर्भनिरोधक गोलियों का विज्ञापन जिस तरह से किया जा रहा है उस से समाज में और विशेषरूप से युवावर्ग में यह भ्रांति फैल रही है कि बिना किसी डर के यौन संबंध बनाओ, गोली है न. लेकिन ऐसा नहीं है. युवाओं को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि इन गोलियों की जरूरत ही न पड़े.

ऐसा न हो कि आपात गोली आफत की गोली बन जाए. इसलिए डाक्टर से मिलें और किसकिस तरह के प्रोटैक्शन होते हैं और आप दोनों में से कौन सा प्रोटैक्शन लेना ज्यादा बेहतर होगा, आदि के बारे में बात कर के ही कोई प्रोटैक्शन यूज करें. सिर्फ इन विज्ञापनों में दी गई गोली का नाम पढ़ कर ही लेना शुरू न करें.

6. वियाग्रा का इस्तेमाल न करें

प्रिस्क्रिप्शन पर दी गई परफौर्मेंस बढ़ाने वाली दवाओं जैसे वियाग्रा का उपयोग कभी न करें, क्योंकि इन्हें पहले से ब्लडप्रैशर जैसी कंडीशन होने पर, लेना सुरक्षित नहीं होता, साथ ही, अगर आप शुगर की बीमारी से पीडि़त हैं तो भी यह दवा लेना सही नहीं है. यह आप के डाक्टर का काम है कि आप के लिए ऐसी दवा लिखें जो आप के लिए सुरक्षित हों और आप को बताएं कि आप को कितनी डोज से इन्हें लेने की शुरुआत करनी चाहिए. विशेषरूप से जब आप पहले से आप द्वारा ली जाने वाली दवाओं के साथ इन्हें लेने का प्लान बना रहे हों.

7. हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बनी दवाओं से सावधान

आप सेक्स की इच्छा बढ़ाने का दावा करने वाली हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बच कर रहें. इन में से कुछ के कारण असुविधाजनक इरैक्शन हो सकता है जो घंटों तक वापस नहीं आता और योहिम्बे जैसी हर्ब आप के हृदय की गति को बढ़ा कर कार्डियक अरैस्ट  की आशंका को बढ़ा देती है. इसलिए इन्हें लेने से पहले हमेशा अपने डाक्टर की सलाह लें.

8. स्टैरौयड न लें

गैरकानूनी स्टैरौयड आप की सेक्स इच्छा बढ़ा तो सकते हैं लेकिन बाद में आप को इस की महंगी कीमत चुकानी पड़ती है. ये आप के हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शरीर में ऐसे अपरिविर्तनीय बदलाव ला सकते हैं जिन से आप कभी भी पूरी तरह से नहीं उबर नहीं सकते. बजाय इस के ऐसे प्राकृतिक और कानूनी रूप से वैध सप्लीमैंट का उपयोग करें जो स्टैरौयड के समान ही प्रभाव रखते हैं और आप को स्थायी रूप से कोई हानि भी नहीं पहुंचाते.

औरतों का कंडोम है कमाल की रबड़

रात होते ही साधना अपने पति मुकेश की बांहों में आ गई. पर सैक्स के दौरान वह मजा लेने के बजाय किसी चिंता में डूबी हुई थी. दरअसल, आज भी मुकेश ने कंडोम का इस्तेमाल नहीं किया था, जबकि साधना अभी बच्चा नहीं चाहती थी.इस बात पर मुकेश बिफर गया और जल्दी से सैक्स कर के वह मुंह फेर कर सो गया. साधना की चिंता ने आज की रात खराब कर दी.

यह बात सौ फीसदी सच है कि अगर सैक्स करते समय आप को अनचाहा बच्चा ठहरने की चिंता सताने लगती है, तो यह आप के रिश्ते को ग्रहण लगा सकती है, क्योंकि सैक्स शादीशुदा जिंदगी को खुशनुमा बनाने में खास रोल निभाता है.

ऐसे में अगर आप का मर्द साथी कंडोम के इस्तेमाल से बचना चाहता है, तो आप परेशान न हों, क्योंकि आप बेझिझक फीमेल कंडोम यानी औरतों के लिए बना कंडोम इस्तेमाल कर सकती हैं. वैसे भी हमेशा मर्द साथी ही क्यों कंडोम का इस्तेमाल करे, कभी तो आप भी फीमेल कंडोम से सैक्स का मजा लें.इस कंडोम को औरतें सैक्स के दौरान इस्तेमाल कर के खुद को एसटीडी और अनचाहे बच्चे के ठहरने से महफूज रख सकती हैं.

मेल कंडोम की तुलना में फीमेल कंडोम एसटीडी जैसी बीमारियों से बचाने में ज्यादा कारगर साबित हुआ है.जानें फीमेल कंडोम कोयह एक इंटरनल कंडोम है. औरतें इस कंडोम को मर्दों की तरह बाहर से नहीं, बल्कि अंदर पहनती हैं.

यह कंडोम स्पर्म को गर्भाशय में घुसने से रोकने के लिए एक दीवार के रूप में काम करता है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने पर 95 फीसदी तक अनचाहे बच्चे के ठहरने से बचा जा सकता है.ऐसे करें इस्तेमालइस कंडोम के पैकेट को सावधानी से खोलें.

देखने में यह एक पतले और मुलायम से ढीले फिट होने वाले पाउच  की तरह नजर आता है, जिस के दोनों छोरों पर रिंग होती हैं. बंद सिरे वाली मोटी रिंग वजाइना के अंदर इस्तेमाल की जाती है और कंडोम को जगह पर रखती है. पतली और बाहरी रिंग शरीर के बाहर रहती है, जो योनि को ढकती है. यह कंडोम अलगअलग साइज में भी आता है. इसे इस्तेमाल करते समय सब से पहले आप एक आरामदायक पोजिशन लें.

जैसे आप बैठ जाएं, लेट जाएं या एक पैर टेबल या किसी भी चीज पर टिका लें, फिर अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली का इस्तेमाल करते हुए भीतरी रिंग के किनारों को पकड़ें और योनि में डालें. भीतरी रिंग को बिना मुड़े पक्के तौर पर गर्भाशय ग्रीवा तक पहुंचाएं और बाहरी रिंग एक इंच बाहर ही रहने दें, जिस से आप आसानी से इसे बाद में बाहर निकाल सकें.इसे इस्तेमाल करते समय जल्दबाजी न करें, क्योंकि सही तरीके से फिट करने पर ही आप दोनों पार्टनर सैक्स करने का मजा ले सकते हैं, वह भी बिना किसी टैंशन के. लेकिन बात जब इसे बाहर निकालने की आती है,

तो सावधानी रखें कि स्पर्म कंडोम से बाहर न गिरने पाए. इस के लिए बाहरी रिंग को आराम से पकड़ें व धीरे से घुमाते हुए बाहर निकाल लें और कूड़ेदान में फेंक दें.

ध्यान रखने वाली बातें

* हर बार सैक्स करने से पहले नया कंडोम इस्तेमाल करना चाहिए.

* फीमेल कंडोम को माहवारी, बच्चा ठहरने और बच्चे के जन्म के बाद भी इस्तेमाल में लाया जा सकता है.

* कंडोम को सैक्स करने के 8 घंटे पहले योनि में डाला जा सकता है

.* औरतों के कुदरती हार्मोन पर इस का कोई बुरा असर नहीं होता. ज्यादा सावधानी के लिए आप गर्भनिरोधक गोलियों के साथ भी इस कंडोम का इस्तेमाल कर सकती हैं.

* मेल कंडोम के मुकाबले फीमेल कंडोम के फटने का खतरा कम होता है, क्योंकि यह योनि में जाने के बाद बहुत ज्यादा टाइट नहीं होता, जबकि मेल कंडोम ज्यादा टाइट होने के चलते कई बार फट जाता है.

* मेल और फीमेल कंडोम एक समय पर इस्तेमाल न करें.अगर किसी चीज के फायदे हैं, तो उस के साइड इफैक्ट भी होते हैं. इस कंडोम के इस्तेमाल से औरतों की योनि और मर्दों के अंग में जलन हो सकती है.

 

सेक्स, सपने और सच्चाई की अनोखी दुनिया

डा.पौम स्पर के अनुसार, सपनों की दुनिया आप के यथार्थ की दुनिया से एकदम अलग हो सकती है. सपने में आप औफिस में बौस के साथ सैक्स कर रहे हैं, जबकि आप उसे पसंद तक नहीं करते. डा. पौम स्पर का मानना है कि लोग अमूमन अपने पुराने साथी के साथ सैक्स के सपने देखते हैं, जबकि वे एक नए रिश्ते में बंध चुके होते हैं. यह एक आम बात है. इस में कुछ भी असामान्य नहीं है.

रवि फैंटेसी की दुनिया में जीता था. हमेशा उस के दिमाग में उथलपुथल मची रहती थी. वह काफी परेशान भी दिखता था. उस के दोस्तों ने जब उसे काफी कुरेदा, तो उस ने बताया कि उसे लगभग रोजाना ऐसा सपना आता है. ऐसे सपने देखना कोई बुरी बात नहीं है और न ही अप्राकृतिक है, लेकिन उस की परेशानी की वजह यह थी कि उसे सपने में केवल सैक्स की बातें आती थीं. आखिर क्यों? कहीं यह दिनभर फैंटेसी में रहने का नतीजा तो नहीं था?

असल में कई लोग सैक्स को ले कर काफी उतावले रहते हैं, लेकिन इसे मन में दबाए रखते हैं. इस कमी को पूरी करने के लिए वे सपनों में इस का अनुभव करते हैं. ऐसा नहीं कि सैक्सी सपनों पर केवल जवां दिलों का ही अधिकार है. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि सभी उम्र के लोगों को सैक्सी सपने आते हैं. सैक्स से संबंधित सपने अकसर बढ़ती उम्र के साथ बढ़ जाते हैं, लेकिन इन का हमारी सैक्स लाइफ से कोई संबंध नहीं है.

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि उम्र बढ़ने के साथसाथ रचनात्मक प्रवृत्ति वाले लोेगों को ऐसे सपने भी अधिक आते हैं. वाकई सपनों की दुनिया अजीब है, सोने के बाद हम किस दुनिया में चले जाते हैं हमें मालूम भी नहीं होता. यह दुनिया हमारे असल जीवन से कितनी भिन्न होती है और इस का हमारी जिंदगी से क्या रिश्ता है, कई बार यह सम झना मुश्किल हो जाता है.

आप जब सपने में किसी के साथ सैक्स कर रहे होते हैं और उत्तेजित हो कर जागते हैं, तब आप ने क्या कभी सोचा है कि यह एहसास कहां से आता है? क्या इन सपनों के माने कुछ और भी हो सकते हैं?

सैक्स से जुड़ा विचार भी यदि सपने में आए तो इस का भी एक अर्थ होता है. ऐसा कई लोगों के साथ होता है और काफी आम बात भी है, लेकिन यह एक ऐसा सपना है जो व्यक्ति को हैरत में डाल देता है. आप कोई डरावना या किसी की मृत्यु का सपना देखेंगे तो उसे कुछ समय बाद भुला देने में सफल हो जाएंगे, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि सैक्स से जुड़ा सपना ऐसा होता है जिसे भुलाने का विचार काफी दूर होता है. काफी देर तक तो व्यक्ति यह नहीं सम झ पाता कि उसे ऐसा सपना आया क्यों?

लोग अमूमन अपने पुराने साथी के साथ सैक्स के सपने देखते हैं जबकि वे एक नए रिश्ते में बंध चुके होते हैं. यह एक आम बात है. इस में कुछ भी असामान्य नहीं है. जब कभी आप को मदभरी हसीनाओं की रंगीनियां ख्वाबों में सराबोर कर दें, तो जागने पर शर्मसार न हों, क्योंकि यह केवल आप के रंगीन सपनों की आवारगी का नतीजा नहीं है.

मनोवैज्ञानिकों ने कुछ सपनों के कारण बताए हैं, जिन्हें जान कर आप हैरान हो जाएंगे. अगर आप सेम जैंडर के पार्टनर के साथ सैक्स का सपना देखते हैं, तो परेशान न हों. इस का यह मतलब नहीं है कि आप की बौडी या सोच में सैक्स को ले कर चेंज आ रहा है, बल्कि इस का मतलब है कि आप विश्वास से भरे व्यक्ति हैं और खुद को बहुत प्यार करते हैं. अगर आप सपने में खुद को सिर्फ एक नहीं बल्कि कई पार्टनर्स के साथ सैक्स करते हुए देखते हैं, तो यह आप की दबी हुई सैक्सुअल भावनाओं का प्रतीक है. इस का मतलब है कि आप का मन कुछ प्रयोग करने के लिए तड़प रहा है.

डा. पौम स्पर ने अपनी किताब ‘ड्रीम्स ऐंड सिंबल्स अंडरस्टैंडिंग यौर सबकौंशस डिजायर्स’ में लोगों के बिस्तर के रहस्यों का खुलासा किया है. उन के अनुसार, आप के सैक्स के सपने आप के साथी या जिसे आप बेपनाह चाहते हैं, उस से जुड़े नहीं होते हैं. जब आप सैक्स के सपने देखते हैं और उत्तेजना के साथ जागते हैं, तो इन सपनों के माने कुछ और भी हो सकते हैं. डा. पौम स्पर के अनुसार सपनों की दुनिया आप के यथार्थ की दुनिया से एकदम परे हो सकती है.

डा. पौम स्पर का मानना है कि लोग अमूमन अपने पुराने साथी के साथ सैक्स के सपने देखते हैं, जबकि वे एक नए रिश्ते में बंधे होते हैं. यह एक आम बात है. इस में कुछ भी असामान्य नहीं है.

कई बार आप खुद को किसी अजनबी के साथ बिस्तर पर देखते हैं. वह आप को अपना सा लगता है और खुशी देता है, लेकिन यह  सही नहीं है. दरअसल, इस का मतलब है कि आप को अब अपने भीतर कुछ मर्दाना क्वालिटीज लानी होंगी, जैसे, खुल कर अपनी बात रखना, स्टैंड लेना आदि. यदि आप खुद को किसी ऐसे व्यक्ति के साथ इंटिमेट होता देखें जिस से आप का रिश्ता ही कुछ और है, मसलन, आप की फ्रैंड का पति या कोई और, तो उस का यह कतई मतलब नहीं है कि आप उस की तरफ अट्रैक्ट हैं. आप सिर्फ यह जानने के लिए उतावले हैं कि वह बैड पर क्या चाहता है. साथ ही आप को भी लाइफ में किसी बेहतर इंसान की जरूरत है.

अगर आप सपने में अपनी पूर्व गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड के साथ सैक्स करते हैं तो हो सकता है पुराने प्रेमी या प्रेमिका के साथ आप की सैक्स लाइफ बहुत अच्छी रही हो. हो सकता है कि आप अपने नए साथी की तुलना पुराने साथी से न करती हों, लेकिन आप का अचेतन मन ऐसा करता है. अगर आप सिंगल हैं तो इस का मतलब है कि आप सैक्स मिस कर रहे हैं.

यदि आप सपने में अपने किसी पसंदीदा स्टार के साथ सैक्स करते हैं तो इस का सीधा मतलब है कि आप अपने पार्टनर में और भी बहुत कुछ तलाश रहे हैं. आप स्टार का लुक और सक्सैस को अपने पार्टनर की खूबियों के साथ तोलते हैं.

अगर कोई सपने में अपने पति/पत्नी या प्रेमी के साथ सैक्स करता है, तो इस के अलगअलग मतलब होते हैं या तो आप का रिलेशन काफी बेहतर है या फिर आप को अपने पार्टनर से वह सब नहीं मिल रहा जो आप चाहते हैं. सैक्सोलौजिस्ट कहते हैं कि ऐसा सपना आने पर पार्टनर से बात कर के इस का कारण जानने की कोशिश करनी चाहिए.

यदि आप ने सपने में अपने ऐक्स के साथ काफी क्रेजी रात गुजारी है, तो आप अकेले नहीं हैं, ऐसा कई लोगों के साथ होता है. अगर रीयल लाइफ में आप ऐसा कुछ नहीं कर रहे हैं, तो इस में कोई बुराई भी नहीं है. इस का मतलब यह है कि आप की मौजूदा रिलेशनशिप नीरस हो गई है और आप को उस में कुछ ऐक्साइटमैंट लाने की जरूरत है.

जब गांव की लड़की को हुई पहली माहवारी, फिर हुआ ये

पहली माहवारी हर लड़की के लिए बड़ी उलझन और मुश्किल भरी होती है. किसी के लिए दर्द बरदाश्त से बाहर होता है तो कोई इस से पूरी तरह से अनजान इस बात से डरी होती है कि कहीं उसे किसी तरह की चोट या बीमारी तो नहीं हो गई जो उस के साथ यह सब हो रहा है.

यह वह सोच है, जो माहवारी से जुड़ी हुई है और जो अकसर स्कूल की किताबों में बच्चे कैसे पैदा होते हैं वाले पाठ में लिखी मिलती है. गैरसरकारी संस्था वाले जब कोई जानकारी देने आते हैं, तो वे कुछ इसी तरह से बच्चों को माहवारी के बारे में समझाते हैं.

लेकिन, माहवारी की यह परिभाषा असल में जगह और संसाधनों या कहें सुखसुविधाओं की तर्ज पर दी जाए तो बेहतर रहेगा. पर क्यों? क्योंकि जिन लड़कियों को सैनेटरी पैड या एक साफ कपड़ा भी नहीं मिल पाता, उन के लिए महीने के वे 5 दिन किसी बुरे सपने से कम नहीं होते.

लेकिन अगर सुविधाएं हों और तब भी बहुत सी लड़कियों का मुंह बंद रख कर परेशानियों को झेलते रहना भी यह सोचने पर मजबूर करता है.

84 फीसदी लड़कियों को पहली माहवारी होती है तो पता नहीं होता कि क्या हो रहा है. 15 फीसदी लड़कियां ही सैनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल करती हैं.

माहवारी को धर्म से भी जोड़ा जा चुका है. कहा जाता है कि जब इंद्र देवता ने ब्राह्मणों को मारा था और इंद्र का पाप औरतों ने अपने सिर ले लिया जो हर महीने आता है.

इस बेसिरपैर की कहानी की वजह से औरतों को माहवारी के दिनों में अछूत मान लिया जाता है.

पंडेपुजारी यह भी बता देते हैं कि गलत सोच के चलते हर महीने खून की शक्ल में निकलती है. इस तरह की बातें सुनसुन कर लड़कियां अपनेआप को पापिन समझती हैं.

माहवारी, जिसे अकसर लोग पीरियड्स, महीना या डेट कह कर पुकारते हैं, असल में वह मुद्दा है, जिस पर बात तो की जाने लगी है, लेकिन बात असल में किस तरह की और क्या बात होनी चाहिए, इस पर शायद ही कोई ध्यान देता है.

गांव और कसबों की लड़कियां शहरी लड़कियों से इस मामले में बहुत अलग हैं. हर लड़की ही इस मामले में बहुत अलग है, यह कहना ज्यादा बेहतर रहेगा. पहली माहवारी का दर्द, घबराहट, चिंता जैसी परेशानियां भी सब की एकजैसी नहीं होती हैं.

नाम दिया ‘लीच’ अलीगढ़ की रहने वाली खुशबू

16 साल की है. उस से यह सवाल पूछने पर कि जब उसे पहली बार माहवारी आई थी, तो उस ने क्या किया था, तो वह हंसते हुए कहती है, ‘‘इस में बताने वाला क्या है. सब के साथ एकजैसा ही होता है.’’

खुशबू पर थोड़ा जोर डाल कर पूछने पर उस ने आगे बताया, ‘‘दीदी, मुझे तो स्कूल में बता दिया गया था कि कैसे क्या होता है, तो मुझे तो सब पता था. मम्मी ने भी कहा था कि यह दिक्कत होती है लड़कियों को.

‘‘दिक्कत…?’’ मैं ने पूछा.

खुशबू फिर जोर से हंस कर कहने लगी और बोली, ‘‘हां, मतलब वही.

‘‘तुम पीरियड्स को क्या कहती हो?’’

‘‘दीदी, मैं अपनी सहेली को बुलाती हूं. वह आप को बता देगी अच्छे से,’’ कह कर खुशबू बगल के घर से अपनी सहेली रोली को बुला लाई.

‘‘हां, क्या बताना है?’’ रोली ने खुशबू की ही तरह हंसते हुए पूछा.

‘‘पहली माहवारी आई थी, तो क्या हुआ था?’’

यह सुनते ही रोली खिलखिला कर हंसने लगी, ‘‘मुझे तो मेरी चाची ने बताया था कि यह हो तो क्या होता है.’’

‘‘यह मतलब?’’ मैं ने एक बार फिर सवाल किया.

‘‘हां, मतलब यही,’’ कह कर वह हंस पड़ी.

‘‘तुम माहवारी को क्या कहती हो?’’

‘‘कहते तो हम लीच यानी जोंक हैं,’’ रोली ने कहा और यह बताए बिना कि असल में पहली बार माहवारी आई थी तो क्या हुआ था, खुशबू को देख हंसने दी.

इस के बाद वे सिर्फ हंस रही थीं और माहवारी के बारे में बात करने से कतरा रही थीं. यह कतराना, हंसना, मजाक बनाना वह समस्या है, जिस पर बात करने की जरूरत है. क्यों? क्योंकि इस हंसी के पीछे माहवारी लड़कियों के लिए माहमारी बन जाती है और इसी हंसी के पीछे दब कर रह जाती है.

चुप रहना पड़ा महंगा 8 महीने पहले इसी गांव की रहने वाली सुनीता को अनियमित माहवारी की समस्या हुई थी. उसे 2 महीने तक 13 दिन माहवारी हुई. उस ने अपनी मां को बताया तो उन्होंने समझाया कि शुरूशुरू में ऐसा होता है. पर कोई दिक्कत नहीं.

13 दिन पीरियड्स होने पर सुनीता ने सैनेटरी पैड का इस्तेमाल किया था, लेकिन बारबार ले कर कौन आता, इस उलझन में वह एक ही पैड पूरा दिन इस्तेमाल करती. इस वजह से उस की जांघों पर दाने निकल आए. उस ने मां से दानों का जिक्र किया तो उन्होंने उसे क्रीम लगा लेने के लिए कहा.

माहवारी तो नियमित हो गई, लेकिन दाने बढ़ते गए. एक जांघ से शुरू हुए दाने अब दोनों पर फैलने लगे. सुनीता और उस की मां दोनों को ही समझ नहीं आया कि जांघें दिखा कर तो दवा ले नहीं सकते और बोलने में भी उन्हें शर्म आ रही थी, तो सुनीता की मां ने अपने पति से कह कर फैल रहे दानों की दवा मंगाई. जांघ पर हुए ये दाने अब बड़ेबड़े निशान बनने लगे और सुनीता की जांघों की चमड़ी ढीली पड़ने लगी.

अगले महीने जब पीरियड आया, तो पैड या कपड़ा कुछ भी लगाने पर वह जांघों पर बुरी तरह चुभने लगा. इस के चलते ढीली पड़ी जांघ की चमड़ी पर गहरा कट लग गया. अब न सुनीता उठ पा रही थी, न चल पा रही थी. आखिरकार सुनीता ने भाई से फोन मांग कर जांघों का फोटो खींचा और डाक्टर के पास गई.

डाक्टर ने देखते ही बताया कि सुनीता की जांघों पर दाद हुआ है और जांघों की ढीली हुई चमड़ी जिस पर खिंचाव के निशान आ गए हैं, अब कभी ठीक नहीं होगी, ये निशान कभी नहीं जाएंगे.

जाहिर तौर पर दाद की वजह से सुनीता का माहवारी के समय सफाई न रखने पर इंफैक्शन की चपेट में आना था, जिस ने बाद में दाद का रूप ले लिया.

साफतौर पर लड़कियों के लिए बहुत जरूरी है कि वे इस बात को समझें कि पहली माहवारी के बारे में सीख लेना या जान लेना ही काफी नहीं है, बल्कि तीसरी, चौथी, 5वीं और हर एक माहवारी में यह ध्यान रखना जरूरी है कि साफसफाई जरूरी है.

पैड हो या कपड़ा समय पर बदलना जरूरी है. जिस तरह से खीखी और हंसीठिठोली में इस बारे में बात होती है, उसी तरह माहवारी से हो रही तमाम बीमारियों के बारे में खुल कर बोलना भी जरूरी है.

क्या आप भी होते है कपल की ओर आकर्षित, तो Symbiosexual है आप

अब तक गे, होमोसेक्शुअल, ट्रांसजेंडर, बाइसेक्शुअल तरह के लोग तो आपने सुने होंगे और देंखे भी हो. लेकिन अमेरिका ने एक और कम्युनिटी का खुलासा किया है. जिसमें पता चला है कि कुछ लोग जो दूसरे कपल में इंट्रस्ट दिखाते है वे सिम्बियोसेक्सुअल (Symbiosexual) होते है.

 

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इस नई सेक्सुएलिटी में व्यक्ति किसी ऐसे जोड़े की तरफ आकर्षित होता है, जो पहले से ही एक दूसरे के साथ रिश्ते में है. इंसानों की इस नई रुचि का खुलासा एक शोध में हुआ है. इस रिश्ते में आने वाले लोग सिर्फ अपनी फिजिकल नीड्स को पूरा करने के लिए आते हैं उनको किसी इसके अलावा किसी तरह का अटेचमेंट नहीं होता है.

अमेरिका में सिएटल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने जो थ्योरी दी है उसमें इस नई सेक्सुएलिटी का खुलासा हुआ है. इस शोध को करने वाली प्रोफेसर डॉ. सैली जौनस्टन का कहना है कि जितना हम कामुकता के बारे में जानते हैं वो पूरा नहीं है, इसमें जानने के लिए और भी बहुत कुछ है.शोध में सामने आया कि जिस व्यक्ति को पता होता है कि वो सिम्बियोसेक्सुअल है तो उसको दो लोगों के बीच में तालमेल बैठाना अच्छा लगता है. मतलब वो इस जोड़े के साथ रिश्ते में आना पसंद करता है. इस तरह के केस हर तरह के लोगों में देखने को मिले हैं.

सैपियोसेक्शुअलिटी (SPIOSEXUAL)

ये भी एक तरह की कामुकता है. जिसमें कोई व्यक्ति दिमागी तौर पर किसी ओर कपल की तरफ आकर्षित होता है. ये दिमाग ही जो यौन आकर्षण को उत्तेजित करता है. इस तरह के लोगों में दूसरे की लव कपल के बारें गहरी बातें होती है.

गे (Gay)

गे उस तरह के युवक होते है जिमसे एक लड़का दूसरे लड़के को पसंद करता है उसके साथ शारीरिक संबंध बनाता है साथ ही, शादी भी रचा लेते है. इसे अग्रेंजी में गे कहते है.

लेस्बियन (Lesbian)

जब एक लड़की, दूसरी लड़की को दिल दें बैठती है और बात सैक्स तक पहुंच जाती है और समाजिक तौ पर एक दूसरे के हो जाते है तो इसे लेस्बियन कहते है.

बाईसेक्सुअल (Bisexual)

बाइसेक्शुअल – ऐसे महिला और पुरुष,  जो दोनों के प्रति आकर्षित होते हैं यानि महिला और पुरुष दोनों के साथ सेक्स करते हैं उन्हें बाइसेक्शुअल कहते हैं. लड़के और लड़कियां दोनों में बाइसेक्शुअल होते हैं.

ट्रांसजेंडर (Transgender)

ट्रांसजेंडर लोग वे लोग होते हैं जिनकी लिंग पहचान उस लिंग से अलग होती है. जिसे वे जन्म के समय मानते थे. “ट्रांस” शब्द का इस्तेमाल अक्सर ट्रांसजेंडर के लिए संक्षिप्त रूप में किया जाता है. जब हम पैदा होते हैं, तो डॉक्टर आमतौर पर हमारे शरीर की बनावट के आधार पर हमें पुरुष या महिला बताते हैं. जिसमे व्यक्ति अपनी लिंग बदलवा लेते है.

एंड्रोसेक्सुअल (Androsexual)

ये एक ऐसा शब्द है जिसका उपयोग पुरुषों के लिए इस्तेमाल होता है. ये शब्द ब्यौज के लिए बना हे. जिसमें लड़कियों लड़को की मसकुलर बौड़ी देखकर अट्रैक्ट होती है.

स्पाइनल इंजरी का सेक्सुअल लाइफ पर प्रभाव

स्पाइनल इंजरी किसी के भी जीवन की त्रासदपूर्ण घटना हो सकती है. इस से व्यक्ति एक तरह से लकवाग्रस्त हो सकता है. इंजरी जब गरदन में हो तो इस से टेट्राप्लेजिया हो सकता है. यदि इंजरी गरदन के नीचे हो तो इस से पाराप्लेजिया यानी दोनों टांगों और इंजरी से निचले धड़ में लकवा हो सकता है. केंद्रीय स्नायुतंत्र का हिस्सा होने के कारण स्पाइनल कौर्ड की सेहत पर ही पूरे शरीर की सेहत निर्भर करती है. इंजरी से यौन सक्रियता भी प्रभावित हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी ऊंचाई से गिरने, सड़क दुर्घटना, हिंसक या खेल की घटनाओं के कारण हो सकती है. स्पाइनल कौर्ड इंजरी के नौनट्रोमेटिक कारणों में स्पाइन और ट्यूमर के टीबी जैसे संक्रमण शामिल हैं.

यौन सक्रियता जरूरी

स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति को यथासंभव आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश होनी चाहिए. भारतीय समाज के एक बड़े हिस्से में यौन स्वास्थ्य पर चर्चा करना हमेशा वर्जित विषय माना जाता रहा है, इसलिए इस विषय पर बात करने से लोग कतराते हैं और मरीज खामोशी से इसे सहता रहता है. शिक्षा, ज्ञान और जागरूकता के अभाव में लोग ऐसे मरीजों के बारे में यह समझने लगते हैं कि वे यौनेच्छा एवं यौन उत्कंठा से पीडि़त हैं. लेकिन सच यह है कि सामान्य व्यक्ति की तरह ही स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्ति के लिए भी यौन सक्रियता उतनी ही जरूरी है.

पार्टनर का अभाव

दरअसल, स्पाइन इंजरी इच्छाशक्ति का स्तर तो प्रभावित नहीं करती, लेकिन किसी व्यक्ति की यौन गतिविधि प्रभावित जरूर हो जाती हैं. कई बार ऐसा पार्टनर के अभाव में भी होता है. अन्य मामलों में यह मांसपेशियों पर नियंत्रण रखने वाले व्यायाम की कमजोर क्षमता के कारण भी हो सकता है. यौन अनिच्छा लिंग के आधार पर भी अलगअलग हो सकती है. पुरुष जहां उत्तेजना के अभाव के कारण प्रभावित होते हैं, वहीं महिलाएं आमतौर पर शिथिल पार्टनर होने के कारण इस से कम प्रभावित होती हैं खासकर भारतीय समाज में. लेकिन स्पाइनल इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन अनिच्छा को सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम और निरंतर अभ्यास से बहुत हद तक दूर किया जा सकता है.

समस्या की अनदेखी

ऐसे मरीजों में आत्मविश्वास जगाना और यौन स्वास्थ्य के बारे में उन से खुल कर बात करना बहुत जरूरी होता है. इस में तंबाकू पूरी तरह से निषेध होना चाहिए. शारीरिक गतिविधियों के अभाव और दर्द के अलावा एससीआई मरीज आकर्षण, संबंधों और प्रजनन की क्षमता जैसे अन्य कारकों को ले कर भी चिंतित रहते हैं. समय के साथ जहां मरीज अपने नवजात शिशु के साथ जीना सीख जाते हैं और परिवर्तित जिंदगी अपना लेते हैं, वहीं वे अपने यौन स्वास्थ्य को ले कर अकसर अनजान रहते हैं. मरीज के शरीर की कुछ खोई गतिविधियां बहाल करने के लिए व्यापक रिहैबिलिटेशन प्रोग्राम के दौरान भी यौन समस्या की अनदेखी ही की जाती है.

खुद पहल नहीं करतीं

एससीआई के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं के लिए अकसर सैक्सुअल पार्टनर बनना ज्यादा आसान होता है जो न सिर्फ शारीरिक रचना के कारण, बल्कि सक्रियता के स्तर पर भी संभव होता है. भारत जैसे रूढिवादी समाज में महिलाओं से यौनइच्छा की उम्मीद करना मुश्किल है. भारत की 80% महिलाएं ऐसी पैसिव सैक्सुअल पार्टनर होती हैं जो खुद पहल नहीं करतीं. इसलिए पुरुषों की तुलना में उन के लिए यौन स्वास्थ्य वापस पाना ज्यादा आसान होता है और उन का मुख्य लक्ष्य यौन सक्रियता वापस पाना तथा संभोग करने की क्षमता हासिल करना होता है.

समस्या का समाधान

पुरुषों के मामले में समस्याएं उत्तेजना में कमी और स्खलन से ही जुड़ी होती हैं. उन की उत्तेजना क्षमता और स्खलन में बदलाव आने के अलावा कामोत्तेजना की यौन संतुष्टि भी एक ऐसा क्षेत्र है जो एससीआई पीडि़त पुरुषों के लिए चिंता का कारण होता है. एक अन्य चिंता स्पर्म की क्वालिटी पर होने वाले प्रभाव और स्पर्म काउंट को ले कर होती है. ज्यादातर स्पाइनल इंजरी के मामले में वियाग्रा जैसी दवा से उत्तेजना की समस्या दूर की जा सकती है. कुछ मामलों में वैक्यूम ट्यूमेसेंस कंस्ट्रक्शन थेरैपी (वीटीसीटी) या पैनाइल प्रोस्थेसिस जैसे उपकरण की भी जरूरत पड़ सकती है.

गलत धारणा की वजह

सैक्सुअल काउंसलिंग और मैनेजमैंट विकासशील देशों में एससीआई के सब से उपेक्षित पहलुओं में से एक है. लेखकों के एक अध्ययन से पाया गया है कि एससीआई से पीडि़त 60% मरीजों और उन के 57% पार्टनरों ने पर्याप्त रूप से सैक्सुअल काउंसलिंग नहीं ली. जिन फैक्टर्स पर बहुत कम जोर दिया जाता है, उन में से एक है जागरूकता और सांस्कृतिक बदलाव. पति और पत्नी के बीच यौन संबंध का मकसद सिर्फ बच्चे पैदा करना ही माना जाता है. सेक्स के बारे में बातचीत को खराब माना जाता है.

यौन समस्याएं न सिर्फ आम हो गई हैं, बल्कि सेक्स की अनदेखी, सेक्स के बारे में गलत धारणाओं और नकारात्मक सोच भी इस के मुख्य कारण माने जाते हैं. पारंपरिक वर्जना भी इस में अहम भूमिका निभाती है. सैक्सुअलिटी को प्रभावित करने वाले अन्य सामाजिक, पारंपरिक फैक्टर्स में यौन संबंधी सोच, मातापिता के प्रति सम्मान तथा अन्य ऐसे कारण शामिल हैं, जिन में सेक्स को खराब माना जाता है और पुरुषों तथा महिलाओं के लिए बरताव के दोहरे मानदंड अपनाए जाते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं की स्थिति बदतर होती है.

आत्मविश्वास में कमी

एक अध्ययन के अनुसार, विकसित देशों की तुलना में भारत जैसे देश में स्पाइनल कौर्ड इंजरी से पीडि़त व्यक्तियों की यौन गतिविधि की बारंबारता कम रहती है. ज्यादातर मरीज इंजरी से पहले की तुलना में मौजूदा स्तर पर अपने सेक्स जीवन को कमतर आंकते हैं. यह शायद एससीआई की समस्याओं, इंजरी के बाद पार्टनर की असंतुष्टि, यौनक्रिया के दौरान पार्टनर से कम सहयोग, आत्मविश्वास में कमी तथा अपर्यात सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के कारण भी हो सकता है.

पश्चिमी देशों के मामलों की तरह बहुत कम पार्टनर संतुष्ट होते हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाएं यौन संतुष्टि के अभाव की शिकायतें ज्यादा करती हैं. इस के पीछे प्रचलित सांस्कृतिक मान्यता है कि किसी बीमार महिला के साथ यौन संबंध बनाना नैतिकता के विरुद्ध है और इस से पुरुष पार्टनर में भी रोग संचारित हो सकता है. भारतीय समाज में महिलाओं की कमतर स्थिति, पार्टनर की भिन्न सोच, पाचनतंत्र आदि की गड़बड़ी और निजता का अभाव भी इस के कुछ अन्य संभावित कारण हो सकते हैं.

यौनजीवन का अंत नहीं

निष्कर्षतया स्पाइनल इंजरी को यौनजीवन का अंत नहीं मान लेना चाहिए. इस से इंजरी पीडि़त व्यक्ति को अपने नए शरीर में यौन सुख स्वीकार करने में मदद की जरूरत पड़ती है और कई बार उस के लिए अलग तरीके से सोचने की जरूरत होती है. परिवर्तित संवेदनशीलता, शारीरिक प्रतिबंध की स्वीकृति या उन्नत मसल कंट्रोल जैसे फैक्टर्स को समझने से स्पाइनल इंजरी मरीज को स्वस्थ यौनजीवन बहाल करने में मदद मिल सकती है. उस के सैक्सुअल रिहैबिलिटेशन के लिए मैडिकल प्रोफैशनल्स की मदद की जरूरत होती है. इस संबंध में जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है खासकर भारतीय समाज तथा प्रोफैशनल्स के बीच.

6 टिप्स: जानें सेक्स के दौरान महिलाओं को कौन सी चीज बना देती है दीवाना

महिलाओं का सेक्स आनंद एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर काफी अध्ययन और सर्वे किया जाता रहा है. लेकिन अब तक की गई रिसर्च सामान्य ही रही है. जैसे कि यह एक जाना माना तथ्य है कि फोरप्ले और विविधता लड़कियों के चरम के लिए अच्छे हैं.

  1. रसभरी जानकारियां

किन्तु विशिष्ट जानकारी का क्या? जब बात महिलाओं को एक विशेष तरीके से स्पर्श करने की आती है, तो शायद अब तक की गई शोध कोई खास मददगार साबित नही हो पाती. उंगली को असल में कहां घुमाना है, किस तरह से घुमाना है और कितना स्पर्श जरूरी है.

महिलाओं के ओर्गास्म और सेक्स आनंद की रसभरी और विशिष्ट जानकारी पाने के लिए प्रतिबद्ध शोधकर्ता समूह ने अलग अलग उम्र की 1000 महिलाओं पर एक सर्वे किया. यह सर्वे ओ एम जी व्हाई रिसर्च कंपनी की प्लेजर रिपोर्ट सर्वे का हिस्सा था. यह संस्थान महिला सेक्स आनंद से जुड़े तथ्यों पर वेबसाइट चलाता है.

गोपनीय रखे गए सर्वे में महिलाओं से शोधकर्ताओं ने इस तरह के प्रश्न पूछे, जैसे कि: कितना दबाव पर्याप्त लगता है? आपके साथी के कौनसे स्पर्श ने आपको सबसे ज़्यादा आनंद दिया? कुछ ओर्गास्म दूसरे ओर्गास्म से बेहतर क्यों लगते हैं? आपको एक से अधिक ओर्गास्म एक साथ होते हैं?

2. एहसास को लाजवाब क्या बनाता है?

रिसर्चकर्ताओं ने जाना कि सहवास के दौरान होने वाले ओर्गास्म में भगशिश्न (क्लाइटोरिस) की अहम भूमिका है. करीब 36 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि इसके बिना उन्हें ओर्गास्म नही होता और 36 प्रतिशत ने कहा कि क्लाइटोरिस उत्तेजन उनके ओर्गास्म को बेहतर बना देता है.

बेहतर ओर्गास्म की बात की जाए तो महिलाओं ने माना कि ओर्गास्म के आनंद का स्तर अलग अलग होता है. तो एक ओर्गास्म को दूसरे से बेहतर कैसे किया जा सकता है? 75 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उत्तेजना यदि धीरे धीरे बने, तो उसका अंत फल ज्यादा मीठा महसूस होता है. करीब आधी महिलाओं का ये भी कहना था कि अगर उनके साथी के प्रति उनका भावनात्मक जुड़ाव हो तो भी ओर्गास्म बेहतर महसूस होता है. एक दिलचस्प तथ्य ये था कि अधिकतर महिलाओं ने कहा कि सेक्स के देर तक चलने का ओर्गास्म के बेहतर होने से कोई संबंध नहीं है.

3. सही स्पर्श

जननांग के स्पर्श  के मामले में सही जगह और तरीका काफी हद तक महिला विशेष की पसंद पर ही निर्भर था. जैसे कि करीब हर 3 में से 2 महिलाओं ने कहा कि क्लाइटोरिस पर सीधा स्पर्श उन्हें पसंद था जबकि 45 प्रतिशत को सीधा स्पर्श नापसन्द था.

अधिकतर महिलाओं को हल्का, कम दबाव का स्पर्श पसंद था. रिसर्चकर्ताओं ने यह भी पाया कि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं को अधिक दबाव से अच्छा महसूस होता है.

4. गति की महत्ता

गति का महत्व भी इस रिसर्च में समझाया गया. 60 प्रतिशत महिलाओं को ऊपर नीचे की लय पसंद थी, जबकि आधी से ज़्यादा को गोल गति. 20-30 प्रतिशत महिलाओं को एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ की गति और दबाव अधिक सुहाता था.

कुछ तकनीक महिलाओं को बेसुध कर देने में सक्षम है, शोधकर्ताओं ने जाना. एक विशेष लय में स्पर्श, गोलाई में छुअन और फिर गतियों और लय का मिश्रण- ये सभी अच्छे तरीके हैं. तीव्रता में भी विविधता लाना आवश्यक है.

5. आनंद वृद्धि

ओर्गास्म को विलम्बित करना सेक्स के आनंद को दोगुना करने में सक्षम हो सकता है. आखिर ये कैसे किया जाता है? अध्ययन में भाग लेने वाली महिलाओं ने बताया कि उत्तेजक अंगों पर स्पर्श रोक कर कुछ पल बाद फिर से कम तीव्र लय से शुरुआत करने से ऐसा किया जा सकता है.

करीब आधी महिलाओं को बहु ओर्गास्म हो चुके थे. 53 प्रतिशत के अनुसार ओर्गास्म के बाद फिर से शुरुआत से शुरू करना बेहतर है, 33 प्रतिशत ने माना कि ओर्गास्म के बाद उत्तेजन वहीं से जारी बेहतर है और इसी संख्या में महिलाओं ने कहा कि ओर्गास्म के बाद कुछ अलग तरह के उत्तेजन की आवश्यकता होती है.

6. संवाद कुंजी है

ये तो स्पष्ट है कि महिलाओं के सेक्स आनंद में काफी विभिन्नताएं हैं. शोधकर्ता मानते हैं कि धीरे, तेज, ऊपर नीचे, हल्का दबाव, ज़्यादा दबाव, हर महिला की व्यक्तिगत पसंद नापसंद हो सकती है.

इसलिए समझने वाली बात ये है कि अंदाजा लगाने की बजाय महिला की पसंद जानने के लिए दोनों साथियों के बीच बेहतर संवाद हो. बेहतर आनंद के लिए चार बातें पता लगाना जरूरी है – स्थान, दबाव, लय और गति.

मेरी पत्नी सैक्स में डिफरेंट पोश्चर ट्राई करना चाहती है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी हालफिलहाल में शादी हुई है. हम दोनों हैप्पी मैरिड कपल हैं. हम दोनों में सैक्स रिलेशन भी अच्छे हैं, लेकिन नईनई शादी और सैक्स संबंध में मेरी पत्नी की मुझ से सैक्स को ले कर अलगअलग डिमांड रहती है. वह चाहती है कि मैं डिफरैंट पोजीशन ट्राई करूं, जिस के लिए मैं खुद को परफेक्ट नहीं समझता हूं, लेकिन मैं भी करना चाहता हूं. इसे ले कर हम दोनों में तनाव रहता है. इस के लिए मैं क्या करूं?

जवाब

पत्नी का साथ दें

यह सुन कर अच्छा लगा कि आप दोनों न्यू कपल हैं और आप के बीच सब ठीक चल रहा है. आप की वाइफ आप से सैक्स रिलेशन में डिमांड करती है, यह भी अच्छी बात है. इस से आप का रिलेशन मजबूत होगा. इस में आप को अपनी पत्नी का साथ देना होगा, क्योंकि इस से पतिपत्नी का रिश्ता स्ट्रौंग होगा. साथ ही, वह यह भी समझेगी कि आप उस की भावनाओं की कदर कर रहे हैं, जिस से आप के लिए इज्जत भी बढ़ेगी और रिश्ते में मिठास आएगी.

आप भी एंजौय करेंगे

अगर आप की पत्नी सैक्स में डिफरैंट पोजीशन ट्राई करने के लिए कहती है, तो उसे आप एंजौय करें. अगर आप नहीं जानते हैं कि किस तरह से करना है, तो आप किताबों और सोशल मीडिया पर अच्छी जगह से मदद ले सकते है. इस से आप का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और आप के अंदर एक पौजिटिव ऐनर्जी भी आएगी. साथ ही, प्रोसैस को जान कर एंजौय भी करेंगे. यह प्रक्रिया एक दिन की नहीं है, जिसे आप एक दिन करें और छोड़ दें. वाइफ को हैप्पी रखने के लिए आप बारबार डिफरैंट पोजीशन ट्राई कर सकते हैं. हैल्दी और हैप्पी सैक्स रिलेशन के लिए यह जरूरी है और आप की वाइफ डिमांड करती है, तो आप जरूर करते रहें.

सैक्स में डिफरैंट तरीके रिश्ते को मजबूत करते हैं

सैक्स में जितना आप सिंपल रहेंगे उस से आप कभी मजबूती नहीं पा पाएंगे. इस के लिए जरूरी है कि आप सैक्स में डिफरैंट स्टाइल अपनाएं. इसे सैक्स में मनोरजंन भी बना रहेगा और आप खुश भी रहेंगे.

ट्राई करें ये डिफरैंट पोजीशन

(Lotus) लोट्स सैक्स पोजीशन– इस सैक्स पोजीशन में एक साथी क्रौस-लैग्ड बैठा होता है और दूसरा उस का सामना करते हुए सामने बैठता है. यह 2 आमनेसामने के शरीरों को एकसाथ कस कर दबा हुआ होत है, जो अंतरंग मधुर और सैक्सी होता है.

(face to face Position) फेस टू फेस पोजीशन– इस पोजीशन में दोनों आपस में बैठ कर, लेट कर, खड़े हो कर, घुटनों के बल बैठ कर भी सैक्स कर सकते हैं. जरूरी यह है कि इस में दोनों साथी एकदूसरे के आमनेसामने होते हुए सैक्स करते हैं.

(Doggy Style) डौगी स्टाइल सैक्स पोजीशन– डौगी पोजीशन काफी कंफर्टेबल मानी जाती है और इसे करने में महिलाओं को थकान नहीं होती है. इस सैक्स पोजीशन को काफी आराम से और पेशेंस के साथ करना चाहिए, तभी इस का असली मजा ले पाएंगे. इस स्थिति में मेल पार्टनर आसानी से वैजाइना तक पहुंच जाता है.

(Criss Cross) क्रिस क्रौस सैक्स पोजीशन– इस पोजीशन में सैक्स करने से शरीर में ज्यादा भार नहीं पड़ता है. इस सैक्स पोजीशन में महिला साथी नीचे होती है और पुरुष महिला के टांगों के बीच से निकल कर कैंची की तरह की शेप बनाते हैं यानी मेल पार्टनर क्रौस लैग कर के बैठता है.

खास अंगों की साफसफाई, ध्यान रखें ये बातें

अब से तकरीबन 23 साल पहले जब दीपक कुशवाहा ने भोपाल के नजदीक बैरसिया कसबे में अपना जनरल स्टोर खोला था, तब दुकान में कहने भर को ही लेडीज आइटम हुआ करते थे, लेकिन दीपक की आधे से ज्यादा दुकान अब लेडीज आइटमों से भरी पड़ी है, जिन में सैनेटरी नैपकिन, हेयर रिमूवर, अंडरगारमैंट्स, क्रीम, पाउडर और तरहतरह के दूसरे आइटम ज्यादा हैं.

इस बदलाव की वजह बताते हुए दीपक कहते हैं, ‘‘शिक्षा और जागरूकता ज्यादा है, जो कसबाई और देहाती लड़कियों में मीडिया और इश्तिहारों के जरीए आई है.’’

कसबे के हाईस्कूल में दाखिले बढ़े, तो नएनए आइटमों की मांग आने लगी. फिर कालेज खुला तो लड़कियों की झिझक और दूर होने लगी. अब तो हालात ऐसे हैं कि लड़कियां खरीदारी में बिलकुल नहीं शरमाती हैं.

दीपक कुशवाहा की बातों पर गौर करें, तो कसबाई और देहाती लड़कियों में खूबसूरती और सेहत के प्रति जबरदस्त जागरूकता आई है और वे बाहरी के साथसाथ अंदरूनी साफसफाई की भी अहमियत समझने लगी हैं. इस बाबत उन्हें घरों से भी छूट मिली हुई है. इसी वजह के चलते कसबे में हर ब्रांडेड कंपनी का हेयर रिमूवर और सैनेटरी नैपकिन मिलते हैं, जिन्हें खरीदने के लिए आसपास के गांवों की लड़कियां भी इफरात से आती हैं.

लेकिन इन लड़कियों की एक बड़ी दिक्कत आज भी यह है कि इन्हें खास अंगों की साफसफाई के बारे में कोई पुख्ता जानकारी कहीं से नहीं मिलती. आधीअधूरी जानकारी के चलते वे कई बार परेशानियों से भी घिर जाती हैं. घर में मां या भाभी अकसर पुराने यानी अपने जमाने के उपाय बाताती हैं, जबकि अब दौर नए तौरतरीकों का है.

मिसाल प्राइवेट पार्ट के आसपास के बालों की सफाई का लें, तो लड़कियां अब हाईस्कूल में आतेआते हेयर रिमूवर का इस्तेमाल शुरू कर देती हैं. पहले इस के लिए ब्लेड और कैंची का इस्तेमाल ज्यादा होता था, हालांकि अभी भी होता है, पर न के बराबर. और जो लड़कियां इन का इस्तेमाल करती हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी पुराने ब्लेड का इस्तेमाल न करें. इस से इंफैक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

आजकल बाजार में प्राइवेट पार्ट और बगलों के बालों को हटाने के लिए खास तरह के महीन ब्लेड वाले ब्रांडेड रेजर आ रहे हैं, इन का इस्तेमाल ज्यादा सुरक्षित रहता है.

तरीका जो भी अपनाएं, लेकिन बालों की समयसमय पर सफाई जरूरी है, क्योंकि इन्हीं बालों के ऊपर पसीना जमता है, जो बदबू की बड़ी वजह होता है.

हेयर रिमूवर के इस्तेमाल से बाल एक बार में पूरी तरह साफ हो जाते हैं. इस का इस्तेमाल करने से पहले इसे थोड़ी सी तादाद में हाथ पर कुछ देर लगाए रखना चाहिए. अगर जलन न पड़े तो इस का बेहिचक इस्तेमाल किया जा सकता है. इस के अलावा प्राइवेट पार्ट को रोजाना एक बार कुनकुने पानी से जरूर साफ करें. और हर बार पेशाब करने के बाद साफ पानी से इसे धो लेना चाहिए.

कोशिश यह होनी चाहिए कि प्राइवेट पार्ट को ज्यादा से ज्यादा सूखा रखा जाए. इस के लिए साफ कपड़े या टिशू पेपर से उसे पोंछ लेना चाहिए. इस से कई बीमारियों से बचाव होता है और बदबू भी नहीं आती.

बाल साफ करते रहने से पार्टनर को भी सैक्स में मजा आता है और वह अपने मनचाहे तरीके से प्यार करने में नहीं हिचकता. लेकिन प्राइवेट पार्ट पर कभी तेज खुशबू वाले परफ्यूम और साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, इस से इंफैक्शन का खतरा बना रहता है.

माहवारी के 5 दिन भले ही तकलीफ वाले होते हों, लेकिन इन दिनों में खासतौर से एहतियात बरतना चाहिए. नैपकिन हर 4 घंटे बाद बदल लेना चाहिए, नहीं तो बदबू तो बढ़ती ही है साथ ही कई बीमारियों का भी डर बना रहता है. अंडरवियर भी इन दिनों में धो कर और सुखा कर ही पहनना चाहिए. सस्ते और लोकल सैनेटरी नैपकिन और अंडरगारमैंट्स के बजाय ब्रांडेड ही लेने चाहिए. ये भरोसेमंद भी होते हैं और अपना काम भी बेहतर तरीके से करते हैं.

दीपक की मानें, तो गांवों के हाट बाजारों में सस्ते के नाम पर लोकल नैपकिन और अंडरगारमैंट्स धड़ल्ले से बिकते हैं, लेकिन इन की न तो क्वालिटी अच्छी होती है और न ही नतीजे अच्छे मिलते हैं.

इन अंगों पर भी दें ध्यान

नाभि, स्तन, नितंब, जांघें और पीठ भी कम खास नहीं होते, जिन की साफसफाई पर लड़कियां कम ही ध्यान देती हैं. इन अंगों की साफसफाई अच्छे साबुन से हो जाती है. सेहत के अलावा ये अंग सैक्स में भी अहम रोल निभाते हैं, इसलिए इन को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. कई लड़कियों की जांघों और नितंबों पर भी महीन बाल उग आते हैं जो हार्मोंस की गड़बड़ी के चलते मामूली बात है. इन बालों को भी रेजर या रिमूवर से हटा लेना चाहिए.

खास अंगों की साफसफाई को ले कर आ रही जागरूकता एक अच्छी बात है, जो लड़कियों को आत्मविश्वास से भरे रखती है. जरूरत इस बात की है कि यह जागरूकता घरघर पहुंचे.

नए तौरतरीकों और प्रोडक्ट्स की जानकारी के किए लड़कियों के लिए खासतौर से निकाली जाने वाली मैगजीन ‘गृहशोभा’ जरूर पढ़नी चाहिए. इस के उपयोगी लेख, फैशन, सेहत, खूबसूरती और सैक्स के अलावा जिंदगी के दूसरे अहम पहलुओं की पेचीदगियों से रूबरू कराते हुए न केवल सही रास्ता सुझाते हैं, बल्कि लड़कियों को नए जमाने से भी जोड़े रखते हैं.

शरीर पर टैटू बनवाने से पहले जान लें ये 6 बातें

यदि आप ने टैटू बनवाने का फैसला कर लिया है तो इस बारे में आप को बहुत सारी बातें पता होनी चाहिए, क्योंकि यह आप के साथ हमेशा रहने वाली चीज होगी. टैटू आर्टिस्ट सनी और विकी पाटिल के अनुसार, टैटू गुदवाने से पहले कुछ बातों पर ध्यान देना आवश्यक है.

1.  जो टैटू आर्टिस्ट आप की बौडी पर टैटू बना रहा है, उस की सोशल प्रोफाइल अच्छी तरह चैक कर लें. वह प्रशिक्षित होना चाहिए. कई बार टैटू में गड़बड़ी हो जाती है, क्योंकि लोग आर्टिस्ट के बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देते. भले ही उस के पहले के काम का अच्छा पोर्टफोलियो हो, यह सुनिश्चित कर लें कि लोगों की उस के काम के बारे में क्या राय है. उस की सभी स्पैशल प्रोफाइल्स अच्छी तरह देख लें.

2. पार्लर साफसुथरा हो, उस के सारे इंस्ट्रूमैंट और ग्लब्स, जिन का टैटू आर्टिस्ट इस्तेमाल कर रहा है, नए व फ्रैश हों. पहले से इस्तेमाल चीजों से इन्फैक्शन का खतरा रहता है.

ये तो थी टैक्निकल चीजें जो आप को पता होनी चाहिए. ऐसी कई और भी बातें हैं जिन की जानकारी आप को टैटू गुदवाने से पहले होनी ही चाहिए जैसे कि आप दर्द सहने के लिए तैयार रहें. टैटू गुदवाने में कभी ज्यादा दर्द भी हो सकता है. स्किन की ऊपरी सतह पर 10 से 15 विशेषरूप से डिजाइन की गई टैटू की सुईयां चुभोई जाती हैं. सुईयों की संख्या कमज्यादा भी हो सकती है, उसी के हिसाब से दर्र्द भी कमज्यादा होगा.

3. टैटू बिना कुछ कहे अपनेआप को व्यक्त करने का एक तरीका है. अपने टैटू से आप को प्रेरणा भी मिल सकती है. इसलिए बहुत सोचसमझ कर डिजाइन चुनना चाहिए. यदि आप को डिजाइन पसंद नहीं आ रहा है, तो अपनेआप से ही पूछें कि आप तितली क्यों बनाना चाहते हैं. जो भी डिजाइन चुनें उस का कोई मतलब हो. लोग टैटू बनवा तो लेते हैं लेकिन उस का कोई मतलब ही नहीं होता. कई बार तो स्पैलिंग भी गलत होती हैं, वह देखने में अच्छा नहीं लगता.

4. किस जगह टैटू गुदवाना है, अच्छी तरह सोच लें. कुछ लोग ऐसी जगह टैटू बनवाते हैं जहां आसानी से कोई देख ही नहीं पाता. टैटू गुदवाने से पहले बौडी पार्ट का ध्यान रखें, क्योंकि कुछ जगहों पर टैटू नहीं होने चाहिए जैसे आंखों के आसपास, ब्रैस्ट्रस, यौनांग. इस बारे में अपने टैटू आर्टिस्ट से अच्छी तरह सलाहमशवरा कर लें. बांहें, कलाइयां, पैर कौमन जगहें हैं, जहां लोग टैटू गुदवाते हैं.

5. अगर आप को किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या है जैसे हृदय रोग, एलर्जी, डायबिटीज तब आप टैटू गुदवाने से पहले अपने डाक्टर से सलाह जरूर लें. अगर आप को स्किन एलर्जी है तो आप परमानैंट टैटू न बनवाएं.

6. ऐक्सपर्ट्स की मानें तो जो फैशन, स्टाइल के लिए टैटू गुदवाने का शौक रखते हैं, उन्हें अस्थायी टैटू ही बनवाना चाहिए. ये आप की स्किन को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं और इन्हें आप मूड के मुताबिक बदल भी सकते हैं.

इस बात का ध्यान रखें कि परमानैंट टैटू बनवाना जितना आसान है, उसे हटाना उतना ही मुश्किल है.

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