कब और कैसे लग जाता है सेक्सुअल ब्लाॅक

Sex News in Hindi: औरत और आदमी में सेक्स की जरूरत अलग-अलग होने के बावजूद स्वस्थ सेक्स संबंध तब बनता है, जब वे एक-दूसरे को वक्त देते हैं. आपसी भावनाओं को समझते हैं. दरअसल औरत सीधे सेक्स नहीं चाहती. वह चाहती है पहले इसके लिए माहौल बनाया जाए. वह सेक्सुअल बातें करना चाहती है. सेक्स टाॅक से महिलाएं दिमागी तौरपर रिलैक्स हो जाती हैं और सहज रूप से सेक्स के लिए तैयार हो जाती हैं. इससे विपरीत का व्यवहार होने पर उनके दिमाग पर ब्लाॅक लग जाता है. जिस कारण वे सेक्स न करने के बहाने ढूंढ़ने लगती हैं.

कई बार स्त्रियों में अपनी शारीरिक सुंदरता को लेकर हीनभावना होती है. मसलन, कई स्त्रियों में अपने छोटे या बहुत बड़े वक्षों को लेकर हीनग्रंथि बन जाती है. सुंदर फिगर न होने का फितूर उनमंे सेक्स के दौरान भी बना रहता है, जो कि उन्हें इसमेें डूबने नहीं देता. किसी औरत ने अगर अगर शादी से पहले किसी के साथ सेक्सुअल संबंध बनाये होते हैं तो वह सालों तक दिमागी तौरपर इसे लेकर डरी रहती है. कई बार वह सोचती है कि यह सब पति को बता दे, फिर सोचती है कहीं पति नाराज होकर उसे छोड़ न दे, इस कशमकश में सालों गुजार देती है. जबकि ऐसे मामलों में पहली घड़ी से यह स्पष्टता होनी चाहिए कि जो हो गया, उसे भूल जाओ.

कई औरतें बचपन में यौन उत्पीड़न का शिकार होने के कारण जीवन में सेक्स को सहज रूप में नहीं ले पाती हैं. उनके दिमाग में सेक्सुअल ब्लाॅक रहता है. कई बार पहली बार के संसर्ग पर दर्द होने से भी हमेशा हमेशा के लिए सेक्स का नाम लेते ही दर्द का फोबिया अपनी गिरफ्त में ले लेता है. सेक्सोलाॅजिस्टों के पास ऐसे तमाम मामले आते हैं, जब पति बताता है कि उसकी पत्नी उसे पास ही नहीं फटकने देती. वास्तव में यह शादी से पहले घटी किसी घटना की वजह से हुए सेक्सुअल ब्लाॅक का नतीजा होता है. ऐसे मामलों में सेक्सोलाॅजिस्ट काउंसलिंग, सेक्स थेरैपी के चलते इस ब्लाॅक को हटाता है. कई बार स्त्रीरोग विशेषज्ञ भी इसमें सहायक साबित होती है.

ऐसा नहीं है सेक्सुअल ब्लाॅक सिर्फ महिलाओं की ही समस्या होती है. पुरुषों में भी कई बार सेक्स के दौरान परफाॅरमेंस एंग्जाइटी यानी परफाॅरमेंस की चिंता सताने लगती है. नतीजा ये लगता है कि वेे सफल सेक्स नहीं कर पाते. इस तरह की मानसिक परेशानियों का एक कारण सेक्स को लेकर प्रचलित कई किस्म के मिथ भी होते हैं जैसे- हस्तमैथुन को लेकर यह धारणा कि इससे नपुंसकता आ जाती है. कई बार कई युवा इस सेक्सुअल ब्लाॅक के चलते शारीरिक रूप से फिट होने के बावजूद भी सेक्सुअल संबंध नहीं बना पाते. जबकि हकीकत यह है कि हस्तमैथुन से कोई नपुंसक नहीं होता. लेकिन नीम-हकीमों के जो विज्ञापन यहां-वहां दिखते हैं वे अच्छे पढ़े लिखे युवाओं तक में यह धारणा बना देते हैं कि हस्तमैथुन के कारण वे सेक्स के लिए फिट नहीं रह गये.

शीघ्रपतन, स्वप्नदोष ये भी इसी तरह के मिथ हैं. हकीकत तो यह है कि पहले तो यह किसी किस्म की बीमारी नहीं है और अगर बीमारी है तो इनका इलाज उपलब्ध है. लेकिन सड़क किनारे और मूत्रालयों में रहस्य की तरह चिपकाये गये हैंडबिल लोगों को इस तरह से डरा देते हैं कि अच्छे भले लोग भी खुद को बीमार समझने लगते हैं. युवकों में अपने लिंग के आकार को लेकर भी हीनभावना आ जाती है. जबकि सेक्स की सारी वैज्ञानिक किताबों में ये बातें शुरु में लिखी होती है कि औरत की योनि के शुरुआती दो इंच में ही सेंसेशन होता है. इसलिए दो इंच लंबा लिंग भी स्त्री को संतुष्ट करने के लिए काफी होता है. सेक्स में चरम सुख यानी संपूर्ण सुख हासिल करने की, की गई चिंता भी कई बार सेक्सुअल ब्लाॅक बना देती है. जब भी सेक्स के लिए मानसिक रूप से तैयार हों तो निराशा, तनाव, चिंता, चिड़चिड़ेपन आदि से मुक्त होना चाहिए. तभी तन-मन यानी रोम-रोम तक को पुलकित कर देने वाला संपूर्ण सेक्स सुख हासिल होता है.

सेक्स ब्राइब : रिश्वत में सेक्स की मांग करने वालों से ऐसे बचें

Sex News in Hindi: गुरुग्राम (Gurugram), हरियाणा (Haryana) की एक गृहिणी विनीता (बदला हुआ नाम) बताती हैं, ‘‘मैं मकान की रजिस्ट्री के सिलसिले में रजिस्ट्री कार्यालय (Registry Office) गई. वेहां कागजात तैयार करवाने के सिलसिले में कई लोगों से मिली. हर जगह यही जवाब मिला, 30 से 40 हजार रुपए लगेंगे. यह मेरे लिए मुश्किल था, क्योंकि मैं इतना खर्च करने की स्थिति में नहीं थी. ‘‘उन का तर्क था कि यदि आप अंदर से खुद कागजात पास करवा लें तो हम यह काम 5 हजार रुपए में करवा देंगे. कई जगह इस से मिलताजुलता जवाब पा कर मैं ने खुद ही कागजात बनवाने का निर्णय लिया. सब का यही कहना था कि तुम ने बेकार ही यह पचड़ा मोल लिया. ‘‘खैर, पहले कागजात तैयार करा कर, नियम के मुताबिक स्टैंप ड्यूटी (Stamp Duty), ड्राफ्ट (Draft) आदि बनवाए. मेरी उम्र 50 साल से अधिक है. कार्यालय में कैमरे लगे होने के बावजूद मुझ से वहां औफिस इंचार्ज (Office Incharge) ने सेक्स की मांग की. मैं घबरा गई. मैं ने उन्हें समझाया कि आप बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं. काम करना तो आप का काम है, मैं इसे करवा कर रहूंगी. इस की फीस जो सरकार ने तय की है उसे मैं दे ही रही हूं.

‘‘खैर, मैं एफआईआर कराने की सोच रही थी, पर घर वालों ने मेरा जरा भी साथ नहीं दिया. अब मैं सोशल ऐक्टिविस्ट बन गई हूं. कई महिलाओं की मदद कर चुकी हूं.’’

पैसा भी, सेक्स भी

सरकारी, निजी और ऐसी ही तमाम जगहों पर जहां पब्लिक डीलिंग है, वहां यह बात बहुत कौमन है. पैसा भी चाहिए और देहसुख भी. सीधे तरीके से मिल जाए तो ठीक अन्यथा काम रोकने, अटकाने तथा जोरजबरदस्ती में भी कोई कमी नहीं है. गरीब की जोरू वाला हाल है.

प्रेरणा एक एनजीओ में नौकरी के लिए गई. उस का आकर्षक व्यक्तित्व देखते हुए एनजीओ की फाउंडर ने कहा, ‘‘आप का काम हमारे लिए फंड लाना और उसे सैंक्शन कराना रहेगा. आप इस कार्य के लिए ट्रैंड हैं, आप को कोई दिक्कत तो नहीं है न.’’

मैं उन का इशारा नहीं समझी, इसलिए इस काम के लिए तुरंत हां कर दी. लेकिन पहले ही असाइनमैंट पर मुझे असली बात समझ में आ गई जब मुझ से हमबिस्तर होने के लिए कहा गया. मैं उस व्यक्ति पर आक्रामकता दिखा कर फाउंडर के पास गई तो वे बोली, ‘मैं ने तो आप से पहले ही कह दिया था और आप ने ही हामी भरी. तभी आप को भेजा गया.’ मैं ने शिकायत भी दर्ज कराई पर कुछ नहीं हुआ. उलटे, मेरी ही फजीहत करने की पूरी कोशिश की गई.

छात्रा कुमारी नैना का कहना है, ‘‘आज नौकरी पाना मेरे लिए मुश्किल हो गया है. जहां भी मेरे साथ कोई हरकत करता है, मैं उस का जम कर विरोध करती हूं. इस वजह से हर जगह मुझे बदनाम करने की कोशिश की जाती है. अब हर कोई मुझ से डरता है, कोई काम करवा कर राजी नहीं है. इतनी पूंजी भी नहीं है कि मैं अपना ही कोई काम शुरू कर सकूं.’’

तमाम नियमकायदों के बावजूद महिलाओं का जीवन काफी कठिन है. किसी के प्रति आवाज उठाना खतरे से खाली नहीं है. बाहरी दुनिया के खतरों को जानना तथा उन्हें हल करना जितना आसान दिखता है उतना वास्तव में है नहीं.

एक छात्रा रुचिका का कहना है कि जब उस ने अपने क्लास टीचर द्वारा छात्राओं को छूने की बात घर आ कर पेरैंट्स को बताई तो भाई ने 2 झापड़ उसी को जड़ दिए और बोला कि उस की हिम्मत तुम्हारे ही साथ ऐसा करने की कैसे हो गई और लड़कियां भी तो क्लास में हैं. यह मेरे लिए काफी बड़ा आघात था.

रुचिका ने घर वालों को बताया कि टीचर ने अन्य युवतियों के साथ भी ऐसा किया हो, इस का मुझे यह उसे क्या पता. खैर, यह बात प्रिंसिपल तक पहुंची. माफीनामे और टीचर को स्कूल से निकाल देने पर मामला शांत हुआ. कानूनी ऐक्शन न लेने का मलाल रुचिका को आज भी है.

अंकिता कहती है कि एक प्रोजैक्ट की स्वीकृति पर अनुभाग अधिकारी जब मेरे जिस्म को छूने लगा तो मैं ने उसे वहीं रोक दिया. पति को ये बातें बताईं. उन्होंने जब उस से बात की तो वह मेरे कागज दाएंबाएं न कर सका. सरकारी कार्यालय में सैक्सुअल हैरासमैंट के खिलाफ कमेटी भी बनी होती है.

नियति ने डाक्टर की आशिकमिजाजी की बात अपने पति को बताई तो वह उस पर ही आरोप मढ़ने लगा और जबतब इस बात का ताना मारने लगा. ऐसे में नियति ने परिवार में इस मुद्दे को उठाया तो सब ने उस के पति को समझाया कि गलत समझे जाने के फेर में बातों को दबाना ठीक नहीं है. यदि घर का कोई सदस्य अन्याय के खिलाफ आप के साथ खड़ा न हो और आप को ही दोषी ठहराए तो उस के खिलाफ भी आवाज बुलंद करने में देरी न करें.

अपनी ओर से कोई संकेत न दें : सेक्स ब्राइब की मांग करने वाले लोग सौफ्ट टारगेट की तलाश में रहते हैं. सो, ऐसे लोगों से बेकार की बातचीत न करें और ऐसा कोई संकेत भी न दें जिस से उन्हें अनुचित काम करने का मौका मिले.

लक्ष्मीकांता बताती हैं, ‘‘मैं बिजली के दफ्तर गई तो वहां एक कर्मचारी मुझ से व्यक्तिगत बातें पूछता रहा. फिर बोला कि ब्याज तो मैं 10 हजार रुपए भी माफ करा दूंगा पर कभी बाहर मिलें.’’ लक्ष्मीकांता ने आगे बताया, ‘‘कहने लगीं कि शायद मेरी बातों से उस ने मेरे विधवा होने का पता लगा लिया, इसीलिए वह ऐसा प्रस्ताव रख रहा था. लेकिन मैं ने उसी समय तय कर लिया कि इस दफ्तर में मुझे दोबारा नहीं आना है. मैं ने उपभोक्ता फोरम से निवेदन किया. ट्रेन के टिकट पेश कर के अपनी अनुपस्थिति जताई. तब मेरा गलत बिल ठीक हुआ. हां, आधे घंटे के इस काम में 6 महीने जरूर लग गए.

शौर्टकट न तलाशें 

कोई भी काम करने के लिए अवैध शौर्टकट या ऐसा कोई तरीका न अपनाएं जिस से कोई व्यक्ति आप से गलत मांग करे. ईमानदार व तेजतर्रार व्यक्ति के सामने हर कोई अमान्य, अवैध प्रस्ताव रखते हुए डरता है.

बस, साहब को खुश कर दो

रचना कहती है कि साहब के पीए ने मुझ से यह प्रस्ताव रखा कि ‘बस, साहब को खुश कर दो’ तो मैं सन्न रह गई पर हिम्मत कर के मैं ने कहा, ‘‘साहब सरकार द्वारा हमारा काम करने के लिए रखे गए हैं. तुम्हें पता है ऐसा कहने से तुम्हारी नौकरी और जिंदगी पर बात आ सकती है. तुम अपनेआप को समझते क्या हो.’’ पीए बजाय डरने के मुझे ही धमकाते हुए बोला, ‘‘अपना लैक्चर अपने पास रखो. आप जैसी दोचार महिलाएं रोज आती हैं औफिस में और तीसरे दिन साहब की शरण में होती हैं.’’

खैर, मैं ने संबंधित अथौरिटी से शिकायत की. लेकिन जब मैं ने जानना चाहा कि पीए को क्या सजा हुई, यह पूछने पर कहा गया कि हम बाहर के लोगों को जानकारी नहीं दे सकते. आखिर, 6 महीने बाद उस पर कार्यवाही हुई.

प्रमाण नहीं होता

सेक्स की मांग करने वालों के खिलाफ पुख्ता सुबूत जुटाना मुश्किल होता है. मोबाइल में रिकौर्डिंग व फोटोग्राफी की व्यवस्था होने पर भी उस का उपयोग कई विभागों में सुरक्षा के नाम पर प्रतिबंधित होता है. फिर भी महिलाओं को चुप्पी साधने के बजाय अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए. कोर्ट तक में नारी की इस बात पर संज्ञान लिया जाता है कि ऐसी गैरवाजिब बातों के कोईर् प्रमाण नहीं छोड़ता.

घर वालों को विश्वास में लें

यदि किसी भी विभाग में आप से काम करने के एवज में कोई कर्मचारी अनुचित मांग यानी सेक्स या ऐसी ही कोई दूसरी मांग करता है तो तुरंत अपने घर वालों को इस की जानकारी दें.

सूचना का अधिकार तथा ऐसे ही जनफ्रैंडली टूल आ रहे हैं, जिन से सरकारी बाबुओं को काम को रोकना मुश्किल होता है. हर महकमे का विजिलैंस विभाग भी है जहां शिकायत दर्ज होने पर उन्हें ऐक्शन लेना पड़ता है. फिर अब तो सैक्सुअल हैरासमैंट औन वर्कप्लेस जैसे कानून भी महिला फ्रैंडली हो रहे हैं.

कहीं भी कोई भी जोरजबरदस्ती या नम्रता से सेक्स की सीधे या छद्म मांग करे तो उस को मुंहतोड़ जवाब दें तथा कानूनी कार्यवाही करें. सहने और टालने से काम हो जाने पर नजरअंदाज करने से आप सिर्फ अपने को बचा पाती हैं. कानूनी ऐक्शन ले कर आप अपने जैसी कई महिलाओं को बचाती हैं और समाज में नारी गरिमा की मिसाल पेश करती हैं.

सैक्स करते समय चिंता को करें बॉय बॉय

अनचाहे गर्भ की चिंता यदि सैक्स करते समय आपको सताने लगती है तो यह आपके रिश्ते को ग्रहण लगा सकती है क्योंकि सैक्स दाम्पत्य जीवन सुखमय बनाने के लिए एक अहम भूमिका निभाता है. ऐसे  मे यदि आपका पार्टनर कंडोम के प्रयोग से बचना चाहता है तो आप परेशान न हों क्योंकि आप बेझिझक फीमेल कंडोम का इस्तेमाल कर सकती हैं. वैसे भी हमेशा पुरुष ही क्यों सेक्स प्रोडक्ट का इस्तेमाल करें कभी आप भी फीमेल कंडोम का एक्सपीरियंस लें. और अपने पार्टनर के साथ सेक्स का मजा लें. इसे महिलाएं सेक्स के दोरान गर्भ निरोधक की तरह उपयोग कर  खुद को  एसटीडी और अनचाहे गर्भ से सुरक्षित रख सकती हैं. मेल  कंडोम की तुलना में फीमेल कंडोम एसटीडी जैसी बीमारियों से बचाने में ज्‍यादा सुरक्षित साबित हुई है.

 फीमेल कंडोम को जाने

यह एक इंटरनल कंडोम है. महिलाएं इस कंडोम को पुरुषों की तरह बाहर से नहीं बल्कि अंदर पहनती हैं. यह शुक्राणु को गर्भाशय में प्रवेश करने से रोकने के लिए एक दीवार के रूप में काम करता है. इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने पर 95 % तक गर्भ धारण से बचा जा सकता है.

कैसे करें प्रयोग

कंडोम के पैकेट को सावधानी से खोलें देखने में यह एक पतली और मुलायम से ढीली फिट होने वाले पाऊच  की तरह नजर आता है  जिसके दोनों छोरों पर  रिंग होती है. बंद सिरे वाली मोटी रिंग वजाइना के अंदर  प्रयोग की जाती है और कंडोम को जगह पर रखती है. पतला, बाहरी वलय शरीर के बाहर रहता है, जो योनि को ढकता है. यह अलग- अलग साइज़ में भी आता है.इसे प्रयोग करते समय सबसे पहले आप एक आरामदायक पोजिशन लें . जैसे आप बैठ जाएं , लेट जाएं , या एक पैर टेबल या  किसी भी चीज पर टिका लें,फिर अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली का उपयोग करते हुए भीतरी रिंग के किनारों को पकड़ें और  योनि में डालें, भीतरी रिंग को बिना मुड़े सुनिश्चित रूप से गर्भाशय ग्रीवा तक पहुचाएं और बाहरी रिंग 1 इंच बाहर ही रहने दें .जिससे आप आसानी से इसे बाद में  बाहर निकाल  सकें . इसे उपयोग करते समय जल्दबाजी न करें  क्योंकि सही  तरीके से उपयोग करने पर ही आप सेक्स करने का मजा ले सकते हैं वो भी बिना किसी टेंशन के, लेकिन बात जब इसे निकालने की आती है तो सावधानी रखें की स्पर्म कंडोम से बाहर न गिरने पाए. इसके लिए बाहरी रिंग को आराम  से पकड़ें व धीरे से घुमाते  हुए बाहर निकाल लें और कूड़ेदान में फैक दें.

ध्यान रखने योग्य बातें हर बार सैक्स करने से पहले नया कंडोम प्रयोग करना चाहिए. फीमेल कंडोम को मासिक धर्म या गर्भावस्था के समय (या बच्चे के जन्म के बाद) भी उपयोग में लाया जा सकता है. कंडोम को सैक्स करने के आठ घंटे पहले योनि में डाला जा सकता है.

महिलाओं के प्राकृतिक हार्मोन्स पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता. ज्यादा सावधानी के लिए आप गर्भ निरोधक गोलियों के साथ भी कंडोम का उपयोग क्र सकती हैं. मेल  कंडोम के मुकाबले फीमेल कंडोम के फटने का खतरा  कम होता है. क्योंकि यह योनि में जाने के बाद बहुत अधिक टाइट नहीं होता. जबकि पुरुषों के कंडोम अधिक टाइट होने के कारण कई बार फट जाते हैं. यदि किसी चीज का फायदे  हैं तो उसके साइड इफेक्ट भी होते हैं ऐसे में महिलाओं की योनि, गुदा और पुरुषों के लिंग (पेनिस) में जलन हो सकती है. मेल व फीमेल कंडोम एक समय पर प्रयोग न करें.

पुरुषों की इन 4 बातों पर मर मिटती हैं औरतें, क्या आपको हैं मालूम?

महिलाएं या लड़कियां पुरुषों से क्या चाहती हैं? इस सवाल ने कई सालों से दुनिया को परेशान कर रखा है. कई किताबों, पेपर, ब्लॉग्स, कलाकारों के सेमिनार, फिल्मों, कला और संगीत हर एक ने अपने-अपने ढंग से इस विषय पर अपनी बात रखी है.

अगर हम महिलाओं की पत्रिकाओं पर विश्वास करें, तो महिलाओं को पुरुषों में कई बातें अच्छी लगती हैं, जिनकी वें दीवानी होती हैं.

जाहिर है, विज्ञान ने भी इस सवाल के जवाब ढूंढ़ने के लिए कई प्रयास किए होंगे. कई अध्ययनों से और प्रयासों के बाद इस बात का निष्कर्ष निकला है कि आखिर महिलाओं को पुरुषों में सबसे ज्यादा क्या पसंद आता है. इन अध्ययनों से जो नतीजे निकले वे काफी चौकाने वाले रहें हैं.

बढ़ी हुई दाढ़ी या बीर्ड

पिछले साल अप्रैल में विकास और मानव व्यवहार में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि महिलाओं को बढ़ी दाढ़ी वाले पुरुष ज्यादा आकर्षित करते हैं, विशेष रूप से 10 दिन पुरानी दाढ़ी. जबकि इस अध्ययन में पुरुषों ने पूरी तरह से क्लीन सेव को अधिक रेटिंग दी, लेकिन महिलाओं को क्लीन सेव वाले पुरुष कम पसंद आए.

ऑयल, लेदर, प्रिंटर इंक

Daz नाम कि एक साबुन कंपनी बनाने वाली कंपनी ने 2,000 लोगों को शामिल कर एक सर्वेक्षण किया जिसमें यह बात सामने आई कि ब्रिटिश महिलाओं को लेदर, ऑयल, पेंट, और प्रिंटर इंक की गंध से उत्तेजना होती है. जबकि पुरुष लिपस्टिक, बेबी लोशन या की खुशबू से अधिक उत्तेजित होते हैं.

इस प्रकार का सेक्स

योनि की संवेदनशीलता पर साल 1984 में किए गये अध्ययन में कोलंबिया के शोधकर्ताओं की एक टीम ने 16 वेश्याओं और 32 आम महिलाओं पर टेस्ट किया. हैली, जो एक चिकित्सक और सेक्सोलॉजी की प्रोफेसर थी, उन्होंने यौनकर्मियों को सेक्स के साथ एक विशेष प्रकार का फ्रिक्शन दिया और मारी लाडी, जो एक मनोचिकित्सक थीं उन्होंने आम महिलाओं को सेक्स  के दौरान इस विशेष फ्रिक्शन से दूर रखा. परिणाम यह रहा कि आठ आम महिलाओं कि तुलना में तीन-चौथाई से अधिक वेश्याओं को इस फ्रिक्शन कि वजह से ऑरगम हुआ.

पुरुषों की गंध

अध्ययन के मुताबिक, महिलाओं को डियोडोरेंट लगाने वाले पुरुष आकर्षक नजर आते हैं. ऐसे में यह शोध आपके लिए मददगार साबित हो सकता है. यूनिवर्सिटी ऑफ स्टरलिंग के मनोवैज्ञानिकों ने इस अध्ययन के लिए 130 महिलाओं और पुरुषों को फोटोग्राफ्स दिखाई और उनसे इन फोटोज के आधार पर मैस्क्यलिनटी और फेमनिनिटी का अंदाजा लगाने को कहा. उसके बाद 239 पुरुषों और महिलाओं को अपोजिट सेक्स की गंध के आधार पर उन्हें जज करने को कहा गया. विशेषज्ञों ने पाया कि महिलाएं, पुरुषों की गंध के प्रति ज्यादा आकर्षित होती हैं. वहीं पुरुषों को भी सुगंध लगाने वाली महिलाएं ज्यादा भाती हैं.

सिर्फ दम दिखाने के लिए नहीं होती सुहागरात!

Sex Tips in Hindi: इस रात का इंतजार हर युवा को होता है. लेकिन अगर कहा जाए कि हर किशोर को भी होता है तो भी यह कुछ गलत नहीं होगा. क्योंकि मनोविद कहते हैं 15 साल की होने के बाद लड़की और 16 साल के बाद लड़के, इस सबके बारे में कल्पनाशील ढंग से सोचने लगते हैं. सोचे भी क्यों न, आखिर इस रात को ‘गोल्डेन नाइट’ जो कहते हैं.इस रात में दो अजनबी हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाते हैं. दो जिस्म एक जान हो जाते हैं. इस एक रात में न कोई पर्दा होता है, न दीवार. बत्तियां बुझी होती हैं, सांसें उफन रही होती हैं, फिजा में जिस्मानी गंध होती है और दिल की धड़कनों में तूफान आया होता है. गोल्डेन नाइट की यही खासियत है. हर कोई इस रात में अपनी पूरी जिंदगी जी लेना चाहता है. ताकि पूरी जिंदगी यह रात याद आने पर आपके चेहरे पर संतोष और धीमी सी मुस्कान लाती रहे. जब भी इसका जिक्र हो तो उम्र चाहे कोई भी हो चेहरे पर एक गुलाबी आभा खिल जाए.

यह रात सिर्फ भावनाओं के स्तर पर ही नहीं बल्कि बायोलाॅजिकल स्तर पर भी जीवन के लिए एक टर्निंग प्वाइंट होती है. इस रात के बाद लड़की, लड़की नहीं रहती महिला बन जाती है. एक औरत बनते ही उसकी अब तक की दुनिया पूरी तरह से बदल जाती है. रातोंरात जिस्म में कई किस्म की तब्दीलियां आ जाती हैं. इस सबकी नींव इसी रात पड़ती है.

दुनिया में शायद ही कोई ऐसा युवा हो, जो सामान्य हो और जिसके दिल में इस रात को लेकर हसीन ख्वाब न हो. लेकिन सुहागरात या गोल्डेन नाइट के मायने सिर्फ शारीरिक सम्बंध तक ही सीमित नहीं होता. इस रात को जिस्म भी बदल जाता है, मन भी बदल जाता है और मस्तिष्क भी. विशेषज्ञ कहते हैं क्योंकि सेक्स महज दो टांगों के बीच की जोर अजमाइश भर नहीं है. यह दो कानों के बीच की वह गुनगुनाहट है, जिसका असर हमारी पूरी जिंदगी में रहता है. अगर यह रात लय में कटती है, तो जिंदगी तरन्नुम में रहती है.

अगर यह डर, दहशत और एक दूसरे पर हावी होने में गुजरती है तो जिंदगी नर्क बन जाती है. मतलब साफ है कि पहली रात जिस्म के नहीं आत्मा के मिलन की होती है. दो आत्माओं के बीच सेक्स की रात होती है और अगर दो आत्माएं इस रात एक दूसरे से तृप्त हो जाती है तो यह तृप्ति ताउम्र सुकून देती है.

इस रात में हमें एक दूसरे के जिस्म में ही नहीं मन और आत्मा में भी प्रवेश करने और छा जाने की कोशिश होनी चाहिए. क्योंकि दिल से दिल के मिलन की यह सबसे नाजुक रात होती है. निश्चित रूप से हमें इस रात के पहले बहुत कुछ पता होना चाहिए. लेकिन यह जानकारी सिर्फ सेक्स रोगों के संक्रमण से बचाव भर की नहीं होनी चाहिए. यह जानकारी जिंदगी को कितनी स्मूथ बना सकें इसकी भी होनी चाहिए. अगर इस रात हमने एक दूसरे को दिल की गहराईयों में उतरकर आजमा लिया तो फिर जीवन की राहों में कभी रेगिस्तान नहीं आयेगा. जिंदगी का यह सफर हमेशा सुनहरे नखलिस्तान से होकर गुजरेगा.

अगर हमने इस रात सिर्फ बिस्तर में जिस्म भर की जोर अजमाइश की और फिर अजनबियों की तरह सो गये तो इस रात का यह मिलन हमारी पूरी जिंदगी को रुखा और बेजान बना देगा.

सुहागरात हर किसी की ज़िंदगी का सबसे हसीन सपना होता है. इस सपने को देखने की इजाजत हर उस शख्स को है जो प्राकृतिक रूप से स्वस्थ और पूर्ण है. सुहागरात शब्द में इतना आकर्षण है कि युवक-युवतियां इसका नाम सुनते ही या इसकी याद आते ही रोमांटिक हो जाते हैं. उनका मन आनंद की हिलोरें लेने लगता है. इसकी कल्पना से ये अलौकिक सुख के सागर में डूब जाते हैं. हनीमून या गोल्डेन नाइट का हमारी पूरी जिंदगी में असर पड़ता है. इस रात के जरिये ही दो अपरिचित विपरीत लिंगी एक दूसरे के सही मायनों में होते हैं.

संभोग से सिर्फ भावनात्मक रूप से ही नहीं बल्कि जैविक रूप से भी एक दूसरे के प्रति आकर्षण और प्रेम में बढ़ोत्तरी होती है. इस रात के बाद ही पता चलता है कि वाकई दुनिया में स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक होते हैं.

हमें भावनाओं के समंदर में गोते लगाते हुए इस हकीकत से भी रूबरू रहना चाहिए कि यदि पति पत्नी दोनो में शारीरिक रूप से कोई कमी है तो लाख पाखंड के बावजूद वह आत्मीयता, वह लगाव नहीं पैदा होता जो दो स्वस्थ जिस्मों का आपस में होता है. इसलिए शादी में सेहत की भी तैयारी करनी चाहिए. सिर्फ सजने संवरने पर ध्यान देने से काम नहीं चलेगा, शादी के कई महीनों पहले ही लड़के और लड़की दोनो को ही अपने शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर सजग रहना चाहिए ताकि सुहागरात वाले दिन किसी अक्वर्ड की स्थिति न पैदा हो. क्योंकि अगर सुहागरात वाले दिन अगर लड़का, लड़की की जिस्मानी इच्छा पूरी नहीं कर पाता यानी वह उसे संतुष्ट नहीं कर पाता तो लड़की इस स्थिति से आमतौर पर कभी समझौता नहीं करती. मनोविद कहते हैं अगर लड़की कुछ नहीं भी कहती तो भी उसके मन में एक तूफान उठ चुका होता है.

बेहतर है पहले से ही इस सबकी तैयारी रहे. हमें स्वीकारना ही होगा कि शरीर के दूसरे अंगों की तरह सेक्सुअल अंगों की भी समस्याओं का वैसे ही इलाज होता है. अगर ऐसी परेशानियों को शुरु से ही ध्यान न दिया जाए तो जल्द ही ये परेशानियां नासूर बन जाती हैं. एक मशहूर सेक्सोलाॅजिस्ट डाॅ. प्रकाश कोठारी कहते हैं कि युवा दंपति हनीमून के पहले थोड़ी सी सावधानी बरतें तो हनीमून के दौरान उसे किसी तरह की परेशानी से दो चार नहीं होना पड़ेगा, न शारीरिक, न मानसिक.

पहली रात के बारे में क्या आप भी यही सोचती हैं

Sex News in Hindi: हमारे देश शादी (Marriage) के बाद की पहली रात (सुहागरात) (First Night) को बहुत ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है. बौलीवुड (Bollywood) ने भी इस आम प्रक्रिया को बहुत आकर्षक बनाकर पेश किया है. यदि आप भावी दुल्हन (Bride) हैं तो हर दूसरे व्यक्ति द्वारा गाहे-बगाहे दी गई सलाहों ने पहले ही आपकी घबराहट को बढ़ा दिया होगा. इन्हीं सलाहों के माध्यम से कई गलत जानकारियां भी आप तक पहुंचती हैं. हम आपको इसके पीछे की सच्चाई से रूबरू करा रहे हैं.

मिथक : पहली रात सबसे बेहतरीन रात!

सच्चाई : कहने की जरूरत नहीं कि ये संभव नहीं, लेकिन इससे पहले कि आप मुझे रंग में भंग डालनेवाला कहकर दरकिनार कर दें, इन तथ्यों पर भी एक बार जरूर ध्यान दें: बहुत संभव है कि धूमधाम से शादी करने में आप घंटों ढेरों रस्मों-रिवाजों को पूरा करने के लिए बैठे रहे हों, आपने संभवतः पूरे दिन में बहुत कम खाया होगा और आप दोनों ही बेहद थके हुए होंगे. यदि पहली रात को आप दोनों गाल पर के एक छोटे-से किस से ही संतुष्ट हो जाएं तो इसमें आप और आपके पार्टनर दोनों की कोई गलती नहीं है.

डौक्टर शीला डिकुन्हा, सेक्स काउंसलर कहती हैं, ‘‘अपनी पहली रात को सबसे बेहतरीन रात मानने की उम्मीद करना, बेवजह आप पर अतिरिक्त दबाव बना सकती है, जो कि आपके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है. आराम से आगे बढ़ें! अपनी कल्पनाओं की मुद्राओं को आजमाने के लिए आपके पास पूरा जीवन है.’’

मिथक : आपको तेज-तर्रार और्गेज्म मिलना चाहिए, वर्ना आपकी शादीशुदा जिंदगी खराब है

सच्चाईः डा. अंकिता जोशी, काउंसलर, बैंगलोर, कहती हैं, ‘‘आपको बहुत जल्द ही एहसास हो जाएगा कि आपके और्गेज्म की गिनती पर आपकी शादी की सफलता निर्भर नहीं करती है, खासतौर पर पहली रात में.’’ इन सब के अलावा बात करें तो यह अपने रिश्ते में कुछ ज्यादा ही जल्दी उम्मीद करने जैसा होगा. ‘‘यदि आप दोनों अब भी एक-दूसरे को जानने की कोशिश कर रहे हैं तो अपनी पहली कोशिश में ही और्गैज़्म पाने की उम्मीद करना अतिमहत्वाकांक्षी होना होगा. जितना ज्यादा थकान और दबाव होगा, उतना ही कम आमोद आप पा सकेंगी,’’ कहती हैं डा. डिकुन्हा.

मिथक : जितना बड़ा, उतना बेहतर

सच्चाईः इस बात को लेकर उन्हें परखें नहीं या इस बात की चिंता न करें कि जितना छोटा पेनिस होगा, आपकी सेक्सुअल लाइफ उतनी ही असंतुष्टिदायक होगी. यह बहुत पुरानी बातें हैं कि बड़े पेनिस से ही महिलाएं संतुष्ट हो सकती हैं और यह पहले भी मायने नहीं रखता था और अब भी इसका कोई मतलब नहीं.

‘‘महिलाएं क्लिटोरल या जी-स्पौट की उत्तेजना से संतुष्ट होती हैं. इनमें से किसी के लिए भी बड़े पेनिस की जरूरत नहीं होती,’’ कहती हैं डा डिकुन्हा. और यदि तब भी आप उनके गुप्तांग के नाप से उत्साहित नहीं होती हैं तो कई ऐसी मुद्राएं हैं, जो क्लाइमैक्स तक पहुंचने में आपकी मदद कर सकती हैं, नाप मायने नहीं रखता.

मिथक : दुल्हन को संकोची होना चाहिए

सच्चाईः यदि आपकी इच्छा पहल करने और अपनी उत्तेजना अभिव्यक्त करने की है तो बिल्कुल आगे बढ़ें. वे इसके लिए अपने भाग्य का शुक्रिया अदा करेंगे. यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रैंसिस्को के एक अध्ययन ने खुलासा किया कि 72 प्रतिशत पुरुषों को उनके साथी द्वारा सेक्स की शुरुआत करना पसंद होता है. आंकड़े गलत नहीं हो सकते, क्यों?

अब बैडरूम में मूड औफ नहीं, लव औन होगा

Sex Tips in Hindi: रागिनी पिछले 5 सालों से खुशहाल विवाहित जीवन (Married Life) जी रही हैं. रागिनी और गगन के प्यार की निशानी उत्सव 4 साल का है. आजकल वे कुछ बुझीबुझी लगती हैं. इस का कारण है उन की उदासीन बैडरूम लाइफ (Bedroom Life). दिन भर रागिनी घर के हर छोटेबड़े काम को मैनेज करने में बिजी रहती हैं. दोपहर से रात तक उत्सव की देखरेख में अलर्ट रहती हैं. उत्सव को सुलाने के बाद अपने बैड पर जाने से परहेज करती हुई वे उत्सव के कमरे में उस के साथ ही सो जाती हैं. इस का कारण पता चला कि हड़बड़ी वाली रोजाना की सैक्स लाइफ (Sex Life), जो रागिनी और गगन दोनों का मूड औफ कर तनाव का कारण बनती है.

-आमरा अपनी सैक्स लाइफ से खुश हैं, लेकिन चाहतें अनेक हैं. उन के पति भी खुश हैं बैड पर, लेकिन कहीं न कहीं आमरा को दुख है कि उन के पति बैड पर उस का मन क्यों नहीं पढ़ पाते. आमरा उन से स्पर्श की चाहत रखती हैं. मगर बैड पर जाते ही आरव अपना होशहवास खो देते हैं. जल्दबाजी के कारण एकदूसरे में खो नहीं पाते. आलम यह है कि आमरा सैक्स से बचती हैं.

-माही एक कामकाजी महिला है. शाम को औफिस से लौटते ही माही और रंजन अपनी दुलारी 10 साल की बेटी परी के साथ समय बिताते हैं. डिनर तक तो सब ठीक रहता है, लेकिन बैडरूम लाइफ दोनों को अपसैट कर देती है. असल में माही बैडरूम में पति के साथ अकेले में समय बिताना चाहती हैं. रंजन की बांहों में समा कर दिन भर की और भविष्य की बातें करना चाहती हैं. उस के बाद जेहन की थकान को प्यार में डूब कर मिटाना चाहती हैं, लेकिन रंजन उन की भावनाओं की कद्र न कर सीधे सैक्स का मूड बना लेते हैं. नजीजतन, मशीनी प्रक्रिया की तरह सैक्स होता है और बाद में माही का मन बुझाबुझा रहता है.

ऊपर बताए गए तीन केसों में एक बात सामने आई कि सैक्स में गलतियां हमेशा के लिए एकदूजे से दूर कर देती हैं. माना जाता है कि प्यार करना और प्यार को निभाना औरत जानती है. प्यार को सैक्स का अंजाम देने में पति माहिर होते हैं. यह काफी हद तक सच है. मौका कोई भी हो, कैसी भी स्थिति हो, थकावट से शरीर स्थूल हो या मूड हो या न हो पर पति का बैड पर जाते ही सैक्स का मूड बन जाता है या यों कहें कि पति सैक्स के लिए बमुश्किल ही इनकार करेगा. इस पर उस की पत्नी नानुकर करे, तो उसे वह सहन नहीं. यहां हम पतियों पर किसी प्रकार का आक्षेप नहीं लगा रहे. दूसरी ओर पत्नियां भी प्यार को सैक्स का अंजाम देना चाहती हैं, लेकिन प्यार से प्यार तक. ऐसा नहीं होने पर दोनों ओर से खीज होती है.

इस संबंध में सैक्सोलौजिस्ट का मानना है कि प्यार में कैद होते ही अधिकांश पतियों के दिलदिमाग में सैक्स उछालें मारता है. दिन भर काम करने के दौरान भी दिमाग के किसी कोने में बेसब्री बैड लाइफ का ऐंजौयमैंट जीने की होती है. ऐसे में पति आउट औफ कंट्रोल होते जाते हैं. बस, प्यार को तुरतफुरत अंजाम देना और पार्टनर की खीज महसूस किए बिना सो जाना. यही नहीं, कई बार पति भी खीज महसूस करते हैं, जो पार्टनर में तनाव का कारण बनती है. दूसरे शब्दों में कहें तो बैड पर प्यार में जल्दबाजी दिखाना दोनों पार्टनर्स के लिए ठीक नहीं. बैड पर आप का और उन का मूड हमेशा औन रहे और प्यार हमेशा औन रहे इस के लिए गलतियों पर नजर डालते हैं. इन से बचिए और मूड करें औन:

क्लाइमैक्स की बेताबी

इरादे बुलंद हों तो कदम खुदबखुद मंजिल तक पहुंच जाते हैं. फिर चाहे राहें पथरीली अथवा मखमली ही क्यों न हों. बुलंद इरादों के बलबूते मंजिल पर फतह होती है. इस सफर में कई कठिनाइयों, तकलीफों, सहूलतों से गुजरना पड़ता है. यही फलसका आप की सैक्स लाइफ पर भी लागू होता है. अधिकांश पति बैड पर पहुंचते ही सैक्स के लिए तैयार हो जाते हैं. कुछ ही पलों में प्यार को अंजाम देने में मशगूल हो जाते हैं. इस फलसफे से बेखबर कि चरम तक पहुंचने के लिए कई राहों से गुजरना पतिपत्नी दोनों के लिए उपयुक्त रहता है. इस हड़बड़ी में पति फोरप्ले को पूरी तरह नजरअंदाज करता है. रोजाना की क्रिया से पत्नी उकता जाती है. अगली बार यह गलती न करें. क्लाइमैक्स से पहले बांहों में भर कर प्यारदुलार करें.

अहम है फोरप्ले

इस बात को गांठ बांध लें कि जब बिस्तर पर दोनों खुश होते हैं, तब अंजाम दोनों को खुशी देता है. लेकिन बिस्तर पर पति की प्यार में हड़बड़ी का अंजाम पत्नी को खीज देता है. जाहिर है, उस के मूड से पति का मूड भी औफ हो जाएगा. अगली बार बिस्तर पर जल्दबाजी की गलती न दोहराएं. थोड़ा धैर्य रखें. पहले प्यारदुलार यानी फोरप्ले से पत्नी का मूड बनाएं. पत्नी के उत्तेजित होने के बाद दोनों अंजाम के पलपल की हसीन जन्नत को महसूस कर पाएंगे अन्यथा इस दैनिक मशीनी क्रिया के बाद भी आप दोनों खालीपन, तनाव, निराशा व खीज से भरे रहेंगे.

मन को पढ़िए

सिर्फ पति अपने आनंद को तवज्जो न दे. थोड़ा पत्नी का भी ध्यान रखे. पत्नी की बिस्तर पर पसंदनापसंद का भी ध्यान रखे. फोरप्ले से अंजाम और अंजाम के बाद की सहलाहट का ध्यान रखे. बहुत सी बातें पत्नी जबां पर नहीं लाती. वह सब पति पर छोड़ती है. उन का पूरा न होना उस में अजीब सा खालीपन भर देता है. एक खुशहाल बैडलाइफ के लिए पति को पत्नी के मन की बात समझनी होगी.

कुछ पल मस्ती, कुछ पल शरारत

अकसर पति बिस्तर में मस्ती व शरारत में बहकना भूल जाते हैं. सीधे अंजाम की सीढ़ी चढ़ते जाते हैं. भले ही अंजाम में पत्नी का शारीरिक साथ रहता है, पर वह मन से दूर होती है या यों कहें कि पति बिस्तर में पत्नी का खयाल नहीं रखता यानी पत्नी के कोमल बदन का भी नहीं. अगली बार यह गलती न हो, इस का ध्यान रखें. इस बात का भी ध्यान रहे कि पत्नी को रतिक्रिया में जोरजबरदस्ती कतई पसंद नहीं होती है.

सिनेमा नहीं है बैडरूम

आमतौर पर पति फिल्मों में फिल्माए गए बैडरूम दृश्यों को असल जिंदगी में जीना चाहता है. उस की चाहत रहती है कि पत्नी का भी इस में सहयोग मिले. पत्नी के नानुकर करने पर पति का गुस्सा 7वें आसमान पर होता है. कई बार नौबत इमोशनल ब्लैकमेल से बढ़ती हुई अलगाव तक पहुंच जाती है. पति इसे स्वीकार ले कि असल जिंदगी का बैडरूम फिल्मी परदे से बहुत अलग होता है. याद रहे हर बार प्यार का मीठा अंजाम दोनों को संतुष्टि और सहजता देता है.

जिम्मेदारी दोनों की

सैक्सोलौजिस्ट यही कहते हैं कि चरमोत्कर्ष की पूरी जिम्मेदारी पति पर नहीं डाली जानी चाहिए. अंजाम तभी सफल होता है जब पतिपत्नी दोनों का सहयोग हो. अधिकांश पतियों की आदत होती है कि वे अंजाम का सुख लेने के बाद पत्नी को भूल जाते हैं. प्यार भरा स्पर्श हो या न हो पति आसानी से अंजाम तक पहुंच ही जाते हैं. वे इस बात से बेखबर होते हैं कि अपने इजैट्यूलेशन के बाद उन की पत्नी मीठे सुख की जन्नत की सैर नहीं कर पाती. ऐसे में चरमोत्कर्ष तक नहीं पहुंचने का ठीकरा किसी एक के सिर पर फोड़ना गलत है.

शादी से पहले शारीरिक संबंध, सावधानी है जरूरी

आजकल लगभग सभी समाचारपत्रों और पत्रिकाओं में पाठकों की समस्याओं वाले स्तंभ में युवकयुवतियों के पत्र छपते हैं, जिस में वे विवाहपूर्व शारीरिक संबंध बना लेने के बाद उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान पूछते हैं. विवाहपूर्व प्रेम करना या स्वेच्छा से शारीरिक संबंध बनाना कोई अपराध नहीं है, मगर इस से उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर विचार अवश्य करना चाहिए. इन बातों पर युवकों से ज्यादा युवतियों को ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में उन्हें दिक्कतों का सामना न करना पड़े :

विवाहपूर्व शारीरिक संबंध भले ही कानूनन अपराध न हो, मगर आज भी ऐसे संबंधों को सामाजिक मान्यता नहीं है. विशेष कर यदि किसी लड़की के बारे में समाज को यह पता चल जाए कि उस के विवाहपूर्व शारीरिक संबंध हैं तो समाज उस के माथे पर बदचलन का टीका लगा देता है, साथ ही गलीमहल्ले के आवारा लड़के लड़की का न सिर्फ जीना दूभर कर देते हैं, बल्कि खुद भी उस से अवैध संबंध बनाने की कोशिश करते हैं.

युवती के मांबाप और भाइयों को इन संबंधों का पता चलने पर घोर मानसिक आघात लगता है. वृद्ध मातापिता कई बार इस की वजह से बीमार पड़ जाते हैं और उन्हें दिल का दौरा तक पड़ जाता है. लड़की के भाइयों द्वारा प्रेमी के साथ मारपीट और यहां तक कि प्रेमी की जान लेने के समाचार लगभग रोज ही सुर्खियों में रहते हैं. युवकों को तो अकसर मांबाप समझा कर सुधरने की हिदायत देते हैं, मगर लड़की के प्रति घर वालों का व्यवहार कई बार बड़ा क्रूर हो जाता है. प्रेमी के साथ मारपीट के कारण लड़की के परिवार को पुलिस और कानूनी कार्यवाही तक का सामना करना पड़ता है.

अधिकतर युवतियों की समस्या रहती है कि उन्हें शादीशुदा व्यक्ति से प्यार हो गया है व उन्होंने उस से शारीरिक संबंध भी कायम कर लिए हैं. शादीशुदा व्यक्ति आश्वासन देता है कि वह जल्दी ही अपनी पहली पत्नी से तलाक ले कर युवती से शादी कर लेगा, मगर वर्षों बीत जाने पर भी वह व्यक्ति युवती से या तो शादी नहीं करता या धीरेधीरे किनारा कर लेता है. ऐसे किस्से आजकल आम हो गए हैं.

इस तरह के हादसों के बाद युवतियां डिप्रेशन में आ जाती हैं व नौकरी छोड़ देती हैं. इस से उबरने में उन्हें वर्षों लग जाते हैं. कई बार युवक पहली पत्नी के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेते हैं. मगर याद रखें, ऐसी शादी को कानूनी मान्यता नहीं है और बाद में बच्चों के अधिकार के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ सकती है जिस का फैसला युवती के पक्ष में आएगा, इस की संभावना बहुत कम रहती है.

शारीरिक संबंध होने पर गर्भधारण एक सामान्य बात है. विवाहित युवती द्वारा गर्भधारण करने पर दोनों परिवारों में खुशियां मनाई जाती हैं वहीं अविवाहित युवती द्वारा गर्भधारण उस की बदनामी के साथसाथ मौत का कारण भी बनता है.

अभी हाल ही में मेरी बेटी की एक परिचित के किराएदार के घर उन के भाई की लड़की गांव से 11वीं कक्षा में पढ़ने के लिए आई. अचानक एक शाम उस ने ट्रेन से कट कर अपनी जान दे दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि लड़की गर्भवती थी. उसे एक अन्य धर्म के लड़के से प्यार हो गया और दोनों ने शारीरिक संबंध कायम कर लिए, मगर जब लड़के को लड़की के गर्भवती होने का पता चला तो वह युवती को छोड़ कर भाग गया. अब युवती ने आत्महत्या का रास्ता चुन लिया. ऐसे मामलों में अधिकतर युवतियां गर्भपात का रास्ता अपनाती हैं, लेकिन कोई भी योग्य चिकित्सक पहली बार गर्भधारण को गर्भपात कराने की सलाह नहीं देगा.

अधिकतर अविवाहित युवतियां गर्भपात चोरीछिपे किसी घटिया अस्पताल या क्लिनिक में नौसिखिया चिकित्सकों से करवाती हैं, जिस में गर्भपात के बाद संक्रमण और कई अन्य समस्याओं की आशंका बनी रहती है. दोबारा गर्भधारण में भी कठिनाई हो सकती है. अनाड़ी चिकित्सक द्वारा गर्भपात करने से जान तक जाने का खतरा रहता है.

युवती का विवाह यदि प्रेमी से हो जाता है तब तो विवाहोपरांत जीवन ठीकठाक चलता है, मगर किसी और से शादी होने पर यदि भविष्य में पति को किसी तरह से पत्नी के विवाहपूर्व संबंधों की जानकारी हो गई तो वैवाहिक जीवन न सिर्फ तबाह हो सकता है, बल्कि तलाक तक की नौबत आ सकती है.

विवाहपूर्व शारीरिक संबंधों में मुख्य खतरा यौन रोगों का रहता है. कई बार एड्स जैसा जानलेवा रोग भी हो जाता है. खास बात यह है कि इस रोग के लक्षण काफी समय तक दिखाई नहीं देते हैं, लेकिन बाद में यह रोग उन के पति और होने वाले बच्चे को हो जाता है. प्रेमी और उस के दोस्तों द्वारा ब्लैकमेल की घटनाएं भी अकसर होती रहती हैं. उन के द्वारा शारीरिक यौन शोषण व अन्य तरह के शोषण की आशंकाएं हमेशा बनी रहती हैं.

युवती का विवाह यदि अन्यत्र हो जाता है और वैवाहिक जीवन ठीकठाक चलता रहता है, घर में बच्चे भी आ जाते हैं, लेकिन यदि भविष्य में बच्चों को अपनी मां के किसी दूसरे पुरुष से संबंधों के बारे में पता चले तो उन्हें गंभीर मानसिक आघात पहुंचेगा, खासकर तब जब बच्चे टीनएज में हों. मां के प्रति उन के मन में घृणा व उन के बौद्धिक विकास पर भी इस का असर पड़ता है.

इन संबंधों के कारण कई बार पारिवारिक, सामाजिक व धार्मिक विवाद व लड़ाईझगड़े भी हो जाते हैं, जिन में युवकयुवती के अलावा कई और लोगों की जानें जाती हैं. इस के बावजूद यदि युवकयुवती शारीरिक संबंध बना लेने का निर्णय कर ही लेते हैं, तो गर्भनिरोधक विशेषकर कंडोम का प्रयोग अवश्य करें, क्योंकि इस से गर्भधारण व यौन संक्रमण का खतरा काफी हद तक खत्म हो जाता है.

अगर सेक्स के दौरान होता है दर्द तो हो सकता है ये कारण

यदि आपने कभी संभोग के दौरान दर्द महसूस किया है तो घबराइए मत क्यूंकि आप अकेली नहीं हैं. डौक्टरों ने इस समस्या को ‘डिस्पेर्यूनिया’ का नाम दिया है और उनके अनुसार यह दो श्रेणियों में विभाजित है: एक में योनि में असहाय दर्द महसूस होता है, और दूसरी में योनि की ऊपरी सतह में पीड़ा का एहसास होता है. डौक्टरों का यह भी कहना है कि ऐसा होना बेहद आम है.

लेकिन कितना आम? और यह होता क्यों है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने देश भर में से 6500 से अधिक महिलाओं से बात की. शोधकर्ताओं ने महिलाओं से पूछा कि क्या पिछले साल सेक्स की वजह से उन्हें तीन या अधिक महीनों के लिए दर्द महसूस हुआ था और अगर हुआ था तो वो कितना बुरा था. महिलाओं को सेक्स सम्बंधित और मुद्दों के बारे में भी प्रश्न पूछे गए जैसे कि, क्या उन्हें उत्तेजित होने में कठिनाई होती है या सेक्स को लेकर किसी भी प्रकार की बेचैनी महसूस होती है.

शोधकर्ताओं ने जाना कि साढ़े सात प्रतिशत ब्रिटिश महिलाओं को सेक्स के दौरान दर्द का अनुभव हुआ था. सिर्फ दो प्रतिशत महिलायें ऐसी थी जिनके लिए दर्दनाक सेक्स एक गंभीर समस्या था: उन्हें कई महीनों तक दर्द रहता था, हर बार सेक्स के समय दर्द होता था और उसकी वजह से वे बेहद तनावग्रस्त भी रहती थी.

शोध से पता चला कि सेक्स के दौरान दर्द महसूस करना 16 से 24 वर्ष और 55 से 64 वर्ष की उम्र के बीच की महिलाओं में ज्यादा आम है. शोधकर्ताओं ने यह भी जाना कि डिस्पेर्यूनिया से पीड़ित महिलाएं चाहती थी कि काश उन्हें इस समस्या के बारे में तब और पता होता जब उन्होंने अपना कौमार्य खोया था. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह महत्त्वपूर्ण है कि यौन शिक्षक और स्वास्थ्य सलाहकार सेक्स के दौरान दर्द होने की संभावना के बारे में खुले तौर पर बात करें.

सेक्स के दौरान तालमेल

अध्ययन में बताया गया है कि सेक्स के दौरान पीड़ा भी उन बाकी समस्याओं की तरह ही है जो एक महिला को अपने साथी के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाने से हो सकती है. इसमें शायद कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि वही महिलाएं ज्यादा दर्द महसूस करती हैं जो सेक्स को लेकर ज्यादा घबराई हुई रहती हैं और जिन्हें यही चिंता सताती रहती है कहीं उत्तेजना जरुरत से ज्यादा ना बढ़ जाए. वो ना तो यौन क्रिया का पूरी तरह आनंद उठा पाती हैं (क्यूंकि तनाव की वजह से उनकी योनि में नमी उत्पन्न नहीं हो पाती और वो सूखी रहती है) और ना ही अपने साथी की जरूरतों (सेक्स के दौरान) के प्रति जागरूक रह पाती हैं.

अगर सेक्स के मामले में आप अपने और अपने साथी के बीच तालमेल में कमी महसूस कर रही हैं जैसे कितना सेक्स करना है, या सेक्स के दौरान आप दोनों को क्या पसंद है और क्या नहीं या इस बारे में बात करने में झिझक महसूस करती हैं – इन सभी की वजह सेक्स के दौरान आपका दर्द महसूस करना हो सकता है.

अध्ययन ने यह भी दर्शाया कि कुछ स्वास्थ्य समस्याएं किसी महिला के यौन जीवन से संबंधित नहीं होती हैं, कम से कम एक स्पष्ट तरीके से तो नहीं. यह भी सेक्स के दौरान दर्द के अनुभव की वजह से हो सकती हैं. उदाहरण के लिए, कोई एक से अधिक पुरानी बीमारी होना या कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या जैसे निराशा (डिप्रेशन), के तार भी डिस्पेर्यूनिया से जुड़े हो सकते हैं.

फोरप्ले

यहां महत्वपूर्ण बात यह है कि शोधकर्ता यह सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं कि इसका असली कारण क्या है. हालांकि उन्हें पता है कि यह अक्सर स्वास्थ्य संबंधी या एक रिश्ते में सेक्स सम्बंधित समस्याओं की वजह से ही होता है लेकिन किसकी वजह से क्या होता है, इस निष्कर्ष पर वो अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं.

क्योंकि यह अभी भी एक रहस्य ही है और दर्दपूर्ण सेक्स के कई संभावित कारण हो सकते हैं, इसीलिए इस समस्या का कोई एक समाधान नहीं है. लेकिन फोरप्ले इसमें जरूर मदद कर सकता है. और सिर्फ फोरप्ले नहीं, खूब सारा फोरप्ले! जब एक महिला उत्तेजित होती है तो उसकी श्रोणी की मांसपेशियों को आराम पहुंचता है और योनि भी अच्छी तरह से चिकनाई युक्त हो जाती है. महिलाओं के लिए दर्द-मुक्त, और सुखद सेक्स की ओर यह पहला कदम है. तो धीमा और लंबा फोरप्ले इस दर्द से मुक्ति पाने का पहला उपचार है.

सैक्स से जुड़ी बात करते ही शर्मिंदगी से मुंह न बिचकाएं

Sex News in Hindi: कुदरत ने हम इनसानों के भीतर सैक्स (Sex) को ले कर जबरदस्त इमोशन दिए हैं. ये इमोशन इतने मजबूत हैं कि इनसान इन के बारे में सोचे बगैर नहीं रह सकता. यही वजह है कि हम अपनी सैक्स इच्छाओं को जितना दबाते चले जाते हैं या बगैर चर्चा के सही दिशा में आगे नहीं बढ़ने देते तो यह इच्छा उतने ही गलत व ओछे तरीकों से हमारे सामने आ खड़ी होती है. सावधान, यह मुद्दा हमारी सोच से थोड़ा अटपटा है, तो पाठकों को सुझाव है कि मैगजीन (Magazine) के पन्ने को हलका सा अंदर की तरफ मोड़ लें, ताकि अगलबगल का कोई इनसान इसे पढ़ते हुए आप को न देख ले. वह क्या है न कि सैक्स से जुड़ी बातें कहीं आप को शर्मिंदा न कर दें.

माफ कीजिएगा, ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है कि भारत में सैक्स के बारे में हर कोई अपने भीतर इच्छा तो पालता है, लेकिन सैक्स से जुड़ी बात करते ही शर्मिंदगी से मुंह बिचकाते हुए गरदन  झुका लेता है.

खैर, दिल्ली के अशोक नगर में रहने वाले जोड़े 32 साला विक्रम और  29 साला मालती की शादी को तकरीबन 8 साल बीत चुके हैं. दोनों की साल 2012 में अरेंज मैरिज हुई थी. अच्छी बात यह है कि दोनों ने एकदूसरे को पसंद किया था.

शादी के पहले साल में मालती ने एक बेटे ने जन्म दिया और एक साल होल्ड कर के अगले साल एक बेटी को. फिलहाल उन का एक भरापूरा परिवार है और वे अब आगे और बच्चे पैदा करने के बारे में नहीं सोच रहे हैं. लेकिन इस में जरूरी यह है कि उन्होंने अपने जिस्मानी रिश्ते को बच्चा पैदा करने तक खत्म नहीं किया. वे उस के बाद भी नियमित रूप से सैक्स करते रहे.

इस जोड़े ने इन 8 सालों में न जाने कितनी बार एकदूसरे की गरमाहट भरी उस छुअन को महसूस किया होगा, जो पतिपत्नी की डोर को बनाए रखने में जरूरी होती है. कितनी ही बार उन्होंने एकदूसरे के जिस्मानी सुख में गोते लगाते हुए चरमसुख का मजा लिया होगा.

जाहिर है कि जितनी बार भी उन्होंने आपसी संबंध बनाए होंगे, उन में से 99.9 फीसदी वजह शरीर का चरमसुख हासिल करना रहा होगा यानी कहा जा सकता है कि किसी मर्दऔरत के लिए सैक्स सिर्फ उन के बच्चे पैदा होने पर निर्भर नहीं करता.

लेकिन मसला यह है कि भारत में सैक्स बहुत ज्यादा निजी और गुप्त रखा गया है. यह इतना निजी होता है कि  8 साल से हर रोज एकदूसरे के साथ हमबिस्तर होने वाले विक्रम और मालती सरीखे जोड़े तक भी खुले में एकदूसरे का हाथ पकड़ने, एकदूसरे के साथ बैठने तक में हिचक जाते हैं.

वे एकदूसरे का हाथ पकड़ने को सैक्स के दायरे में रख देते हैं, क्योंकि समाज और खुद उन की नजर में सैक्स गुप्त है, तो एकदूसरे को खुले में किसी भी तरह छूना गलत है. उन को एकदूसरे को निहारना, गाल पर चुंबन लेना, तारीफ करना, सहलाना और यहां तक कि करीब आना बेहूदा लगने लगता है.

यह मसला सिर्फ कुछ लोगों का नहीं, हर घर में इस पर यही भाव आम है. खुद मेरे परिवार में ऐसा कोई पल आज तक मेरे जेहन में नहीं, जहां मेरे पिता ने मेरी माताजी का हाथ हमारे सामने थामा हो या गाल तो दूर की बात माथा भी चूमा हो. हालत तो यह है कि आज भी जब वे कहीं बाहर एकदूसरे के साथ कहीं निकलते भी हैं, तो उन में भारी असहजता होती है. यही वजह है कि मेरे पिताजी मेरी माताजी से 10 कदम आगे चलते हैं. वे पिछले 30 सालों से ऐसी ही शादीशुदा जिंदगी जीते आ रहे हैं?

सैक्स पर चर्चा है मना

भारत में ‘सैक्स’ व ‘सैक्स पर चर्चा’ को निजी रखा जाता है. यहां तक कि इस के गुप्त होने पर गर्व भी महसूस किया जाता है. इसे कथित महान संस्कृति से जोड़ दिया जाता है.

हम भारतीयों के मुताबिक सैक्स पर चर्चा करने से हमारी संस्कृति, समाज और नई पौध के नौजवानों पर इस का गलत असर पड़ता है.

भारत में सैक्स का मतलब गंदा और शर्मिंदा होने से है. ज्यादातर भारतीय अपनी चर्चा इस विषय में बहुत ही गुप्त रखते हैं. उन्हें डर होता है कि कहीं इस वजह से उन को चरित्रहीन के कैटिगरी में न डाल दिया जाए, खासकर औरतों के लिए यह शब्द ही बेशर्म है.

औरतों को इस बारे में ऐक्स्ट्रा केयरफुल रहना सिखाया जाता है. इस की ट्रेनिंग बचपन से ही घर में मां द्वारा देनी शुरू हो जाती है. उन्हें सम झाया जाता है कि उन के निजी अंग पूरे परिवार की इज्जत हैं, उन्हें हर हाल में शुद्ध व पवित्र रखने की खास जरूरत है, चाहे जान ही क्यों न चली जाए.

एक अच्छी औरत या लड़की वही मानी जाती है, जो सैक्स और इस से संबंधी चर्चा से खुद को दूर रखे. यहां तक कि वे इन विषयों के बारे में सोचें तक नहीं. अगर वे कभी अपने दोस्तों में भी सैक्स संबंधी विषयों पर चर्चा करती हैं, तो उन के चरित्र पर लांछन लगने में देर नहीं लगती.

हालांकि, भारत में सैक्स को थोड़ीबहुत जगह कहीं मिलती भी है, तो वह शादी के बाद है, लेकिन उस के बावजूद भी यह इतना निजी है कि पतिपत्नी इस पर की गई चर्चा को बंद कमरों के बाहर ही नहीं आने देते. बहुत बार वे एकदूसरे से बेहतर सैक्स की इच्छा जाहिर करने से भी कतराते हैं और नए प्रयोग करने से  िझ झकते हैं. इस से खुद उन के जीवन में नीरसता आ जाती है, नयापन खत्म हो जाता है.

मर्द तो जैसेतैसे अपनी जरूरत पूरी कर लेते हैं, लेकिन इस का बड़ा खमियाजा औरतों को भुगतना पड़ता है. वे मर्द के सामने सिर्फ उस की इच्छा पूरी करने में रह जाती हैं और खुद की इच्छाएं अपने सीने में ही दबा लेती हैं.

इस का असर सिर्फ पतिपत्नी पर ही नहीं, बल्कि उन के बच्चों पर भी पड़ता है. मातापिता, जो अपने बच्चों को किशोर उम्र से ही सैक्स ऐजूकेशन के जरीए बेहतर शिक्षा दे सकते हैं, वे ऐसी चर्चा घर में बच्चों के साथ करने में  िझ झकते हैं. यहां तक कि यह सब उन के लिए अनैतिकता और फूहड़ता के दायरे में आ जाता है. इस वजह से बच्चे इस के बारे में जहांतहां से गलत जानकारी हासिल कर लेते हैं. ये अधकचरी जानकारी उन की सैक्स लाइफ को तो खराब करता ही है, साथ ही बेहतर इनसान बनने के भी आड़े आ सकता है.

सवाल उठता है कि आखिर शादी में ढोलनगाड़े, बैंडबाजा, गुलाब के फूलों से सजे सुहागरात के बिस्तर पर चरमसुख लेने के बावजूद भारतीय लोग सैक्स से जुड़ी चर्चाओं से इतना क्यों बचते हैं?

धर्म यही सिखाता

दुनिया की अलगअलग धर्म व संस्कृतियों में अगर किसी विषय के बारे में सब से ज्यादा लिखा और सम झाया गया है, तो वह यौनिकता को नियंत्रित किए जाने को ले कर है.

लंबे अंतराल के बाद आधुनिक समय में यूरोप के देशों में भले ही इस विषय में सकारात्मक बदलाव आए हों, लेकिन दक्षिण एशिया और मध्यपूर्व देशों में रूढि़वाद अभी भी काफी हावी है.

यही वजह है कि इस विषय पर कोई भी तर्क दिए जाने को ले कर तमाम रूढि़वादियों को यह विषय हमेशा वैस्टर्न संस्कृति का हिस्सा लगे, जबकि वे यह कह कर खजुराहो और कामसूत्र के अपने ही इतिहास का गला घोंटने का काम करते रहे हैं.

हिंदू समाज में तमाम धर्मग्रंथों और धर्म के ठेकेदारों ने मर्दऔरत के संबंधों पर नियमकानून और अनेक रोकटोक की हैं. उन्हें ‘किस से सैक्स करना है’, ‘कब करना है’ और ‘कैसे करना है’ कई तरीकों से कंट्रोल किया गया.

जाहिर है, सैक्स दो लोगों के बीच आपसी सम झदारी और मजा लेने का विषय है. इस में दोनों का खुल कर एकदूसरे से मिलन जरूरी है, लेकिन धर्म ने इस मामले में सिर्फ मर्द को छूट दी है कि वह औरत से जिस्मानी हसरत पूरी कर ले. औरत की तमाम इच्छाएं दबा दी गईं. उन के उठनेबैठने, बोलनेहंसने, कपड़ेलत्ते और घर में कैद रखने से यौन इच्छा को नियंत्रित किया गया.

ऐसा तकरीबन सभी धर्मों के पोंगापंथियों द्वारा स्थापित करने की कोशिश की गई. यहां तक कि आज भी जहांजहां धार्मिक कट्टरपन हावी है, वहां सैक्स संबंधी चर्चाओं को हद से ज्यादा दबाने की बात की जाती रही है.

ऐसे में औरतें खुल कर अपनी बात रखने से हिचकिचाती हैं. अपनी यौन जरूरतों को कह नहीं पातीं. पति चाहे कैसा भी हो, उसी के मुताबिक खुश रहना पड़ता है. क्या आज यह सामने नहीं है कि मर्द सैक्स के लिए कहीं भी हामी भरने की आजादी रख लेता है, लेकिन औरत को इस तरह के फैसले लेने के लिए खुद को कई तरह से सम झाना और तैयार करना होता है?

ऐसे में दोनों की आपसी सम झदारी, जो खुल कर इस विषय को सही आधार दे सकती है, वहां धर्म की मोटी दीवार क्या इस पर आड़े आने का काम नहीं करती है?

रहनुमा ही बुझेबुझे

भारत में सैक्स ऐसा विषय है, जिस पर चर्चा हमारे द्वारा चुने गए नेता प्रतिनिधि तक नहीं करना चाहते. यहां तक कि भारतीय समाज में उन नेताओं की ही ज्यादा तूती बोलती है या लोगों द्वारा उन नेताओं पर ज्यादा भरोसा किया जाता है, जिन्होंने खुद को ब्रह्मचारी के तौर पर प्रचारित किया हो.

लोगों का मानना रहता है कि उक्त नेता की अगर पत्नी या परिवार नहीं तो वह तमाम तरह की ‘मोहमाया’ से दूर है और वह जनता की सच्ची सेवा कर सकता है.

एक वजह यह भी है कि आज इस तरह के नेताओं, जो खुद को मोहमाया से दूर और साधुसंत बता रहे हैं, पर लोग जल्दी से विश्वास कर लेते हैं. ऐसे में भारत में किसी नेता का खुद को सैक्स लाइफ से अलग दिखाना उस की मजबूरी भी बन जाती है और उस के नेता बनने की योग्यता भी, फिर चाहे वह भीतरखाने में कुछ भी कर रहा हो.

अमेरिका में जहां राष्ट्रपति की वाइफ को ससम्मान ‘फर्स्ट लेडी’ के तौर पर पुकारा जाता है, उन के निजी जीवन को स्वीकृति दी जाती है, वहीं हमारे देश में प्रधानमंत्री से ले कर तमाम नेता अपनी फैमिली को चर्चाओं से दूर रखने की पूरी कोशिश में जुटे रहते हैं.

यह सिर्फ संयोग नहीं हो सकता कि महात्मा गांधी से ले कर नरेंद्र मोदी तक कई नामी बड़े नेता अपने निजी जीवन के त्याग के चलते ज्यादा चर्चित रहे. वहीं अगर कोई नेता दूसरी शादी कर ले तो वह इस कारण ही आलोचना, लांछन का शिकार हो जाता है यानी कुलमिला कर समाज को अपने नीतिनियमों और विचारों से चलाने वाले नेता भी इस विषय में या तो रूढि़वादी होते हैं या असहज हो जाते हैं या फिर वे विचारों से खुले भी हैं, जो तमाम दबाव के चलते सैक्स संबंधी विषयों को हाथ लगाने से कतराते हैं.

यह इस बात से सम झा जा सकता है कि लौकडाउन के दौरान जहां यूरोप के कुछ देश कपल्स व लवर्स के मिलने के लिए स्पैशल परमिट दे रहे थे, वहीं इन विषयों पर हमारे देश के नेताओं द्वारा सोचना तो दूर, कोई सोच ले तो उसे अधर्मी बता कर विरोध जरूर हो जाता.

बात करना है जरूरी

भारत में बच्चा पैदा होते ही भगवान या अल्लाह की देन वाले वाक्यों ने तो मांबाप का सारा क्रेडिट ही खा लिया है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि देश में 130 करोड़ की आबादी तो सिर्फ भगवान का नाम जपतेजपते ही पैदा हुई है.

आज भी सैक्स पर बात करते हुए हमारी ज्यादातर आबादी को ऐसी शर्म महसूस हो जाती है मानो यह सैक्स दूसरे ग्रह का विषय है, जिस का उन की जिंदगी से कोई लेनादेना नहीं. सैक्स से संबंधित तमाम सामग्रियां तक भी हमारे लिए किसी अनबु झी पहेलियों सरीखी लगती हैं.

किसी शख्स की जेब में अगर कंडोम पाया जाता है, तो वह उस के लिए शर्मिंदगी का विषय बन जाता है मानो कंडोम पास में होना अपराध हो, जबकि सोचा जाए तो यह सब से जरूरी सामग्री में से एक है. फिर वे सारी चीजें जैसे अंडरवियर, ब्रा, पैंटी, इमर्जैंसी पिल्स, सैनेटरी पैड सबकुछ हमारे लिए अजूबा चीजें बन जाती हैं.

किंतु हकीकत यह है कि भारत इस समय पूरी दुनिया में सब से ज्यादा पोर्न देखने वाला देश है. भारत में आमतौर पर 70 फीसदी इंटरनैट ब्राउजिंग पोर्न कंटैंट के लिए होती है खासकर एंड्रौयड फोन के आने के बाद भारत में तमाम रोकटोक और पाबंदियों के बावजूद पोर्न की खपत काफी बढ़ गई है. ऐसे में यह तो कहीं से नहीं लगता है कि हम लोग सैक्स नहीं चाहते, बल्कि सैक्स को ले कर सामने आए आंकड़े हैरान करने वाले हैं. लौकडाउन के दौरान भारत में सैक्स टौयज में 65 फीसदी की बढ़ोतरी हुई.

सच तो यही है कि हम भारतीय बाद में हैं, पहले इनसान हैं. कुदरत ने हम इनसानों के भीतर सैक्स को ले कर जबरदस्त इमोशन दिए हैं. ये इमोशन इतने मजबूत हैं कि सैक्स के बारे में सोचे बगैर हम नहीं रह सकते.

यही वजह है कि हम यौन इच्छाओं को जितना दबाते चले जाते हैं या बगैर चर्चा के सही दिशा में आगे नहीं बढ़ने देते, तो ये विचार उतने ही गलत व भौंड़े तरीकों से हमारे सामने आ खड़े होते हैं. फिर इस का अंजाम ‘बाल यौन शौषण’, ‘महिला छेड़छाड़’, ‘क्रूर बलात्कार’, ‘महिला असुरक्षा’ जैसे अपराधों के तौर पर बांहें फैला कर सामने दिखने लगते हैं, जो भारत में काफी आम हो चले हैं.

सैक्स संबंधी विषयों को चर्चा में न ला कर हम खुद के लिए दोहरापन भरे हैं. एक तरफ हमारे दिमाग में अधिकाधिक यौन इच्छाएं पलती रहती हैं, वहीं दूसरी तरफ हम इसे अधिकाधिक दबाते चले जाते हैं. यही दोहरापन इनसान की भावनाओं को कुंठित करता है.

सैक्स को ले कर गलत व आधीअधूरी जानकारी से खुद को अक्षम सम झने वाले मानसिक बीमारी से घिरने लगते हैं. ऐसे में गुप्त समस्याओं का इलाज करने वालों की फौज तो बढ़ती रही है, लेकिन इलाज के चक्कर में उन्हें दरदर भटकना ही पड़ता है. यह भी हमारे देश की हकीकत है कि सैक्स की जानकारी की कमी में भारत लगातार वर्ल्ड फोरम पर एचआईवी एड्स के मामलों में ऊपर की ओर अग्रसर है. भारत में एड्स से होने वाली मौतों का भी आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.

जरूरी है कि हमें सैक्स को ले कर अपने उसूलों को फिर से ताजा करने की जरूरत है. रूढि़वाद बनाम आधुनिकता के इस संतुलन में थोड़ा और अधिक आधुनिक होने की तरफ बढ़ना चाहिए और सैक्स की चर्चा को वर्तमान के समय के मुताबिक अधिक अनुकूल बनाने की जरूरत है, वरना इस से जुड़ी गलत धारणाओं, अपराधों और पाखंडों को खत्म नहीं किया जा सकेगा.

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