आपके लिए फायदेमंद होगी स्पर्म से जुड़ी ये जानकारी

वीर्य या स्पर्म आदमी के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टै्रट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल ग्रंथियों से निकले रसों से बनता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म होते हैं, जो वीर्य में तैरते रहते हैं. शुक्राणु की मदद से ही बच्चे पैदा होते हैं.

अंडकोष यानी शुक्राशय आदमी के शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की जरूरत होती है. अगर किसी वजह से अंडकोष अंदर ही रह जाते हैं, तो ये खराब हो जाते हैं. शुक्राशय के 2 काम हैं, शुक्राणु बनाना और पुरुषत्व हार्मोन टैस्ट्रोस्ट्रान बनाना.

टैस्ट्रोस्ट्रान कैमिकल ही आदमी में क्रोमोसोम के साथ लिंग तय करता है. इसी के चलते बड़े होने पर लड़कों में बदलाव होते हैं, जैसे अंग के आकार में बढ़ोतरी, दाढ़ीमूंछें निकलना, आवाज में बदलाव, मांसपेशियों का ताकतवर होना वगैरह.

किशोर उम्र तक शुक्राशय शुक्राणु नहीं बनाते. ये 11 से 13 साल के बीच शुरू होते हैं और तकरीबन 17-18 साल तक पूरी तेजी से बनते हैं.

अंडकोष से निकल कर शुक्राणु इस के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो कर पकते हैं. यहां पर ये तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हैं. शुक्राणु बनने की पूरी प्रक्रिया में 72 दिन का समय लगता है.

किशोर उम्र में बनना शुरू हो कर शुक्राणु जिंदगीभर बनते रहते हैं. हां, अधेड़ उम्र में इस के बनने की रफ्तार धीमी हो जाती है. शुक्राणु के बनने में दिमाग में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन का हाथ होता है. इन हार्मोनों की कमी होने पर शुक्राणु बनना बंद हो जाते हैं.

वीर्य में मौजूद शुक्राणु 2 तरह के होते हैं, 3 3 या 3 4. अगर औरत के अंडे का मिलन 3 3 से होता है, तो लड़की और अगर 3 4 से होता है, तो लड़का पैदा होता है.

मां के पेट में बच्चे का लिंग आदमी के शुक्राणुओं द्वारा तय होता है. इस में औरत का कोई बस नहीं होता है. वीर्य में सब से ज्यादा रस सैमाइनल वैसिकल ग्रंथि से निकले पानी से होता है. इस में फ्रक्टोज शुक्राणुओं का पोषक तत्त्व होता है. इस के अलावा रस में साइट्रिक एसिड, प्रोस्ट्राग्लैंडिन और फाइब्रोजन तत्त्व भी पाए जाते हैं.

प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रस दूधिया रंग का होता है. इस में साइट्रेट, कैल्शियम, फास्फेट, वीर्य में थक्का बनाने वाले एंजाइम और घोलने वाले तत्त्व होते हैं. इन में अलावा मूत्र में स्थित यूरेथल ग्रंथियों का रिसाव भी वीर्य में मिल जाता है.

स्खलन के समय शुक्राशय से निकले शुक्राणु सैमाइनल वैसिकल व प्रोस्टै्रट के स्राव के साथ मिल कर शुक्र नली द्वारा होते हुए मूत्र नलिका से बाहर हो जाते हैं.

यह भी जानें

* एक बार में निकले वीर्य की मात्रा 2 से 5 मिलीलिटर होती है.

* वीर्य चिकनापन लिए दूधिया रंग का होता है और इस में एक खास तरह की गंध होती है.

* वीर्य का चिकनापन सैमाइनल वैसिकल व पीए प्रोस्टै्रट के स्राव के चलते होता है. अगर पीए अम्लीय है, वीर्य पीला या लाल रंग लिए है, तो यह बीमारी की निशानी है.

* वीर्य से बदबू आना भी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

* 2-3 दिन के बाद निकला वीर्य गाढ़ा होता है, क्योंकि इस में शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा होती है.

* वीर्य निकलने के बाद जम जाता है. पर इस में मौजूद रसायन फाइब्रोलाइसिन एंजाइम इसे 15-20 मिनट में दोबारा पतला कर देते हैं. अगर वीर्य दोबारा पतला न हो, तो यह बीमारी की निशानी है.

* 4-5 दिन बाद एक घन मिलीलिटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 8 से 12 करोड़ होती है. यानी एक बार में तकरीबन 40 करोड़ शुक्राणु निकलते हैं, पर एक ही शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए काफी होता है.

* अगर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 6 करोड़ प्रति मिलीलिटर से कम हो, तो आदमी में बच्चे पैदा करने की ताकत कम होती है. अगर 2 करोड़ से कम हो, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* सामान्य शुक्राणु छोटे से सांप की शक्ल का होता है. इस का सिरा गोल सा होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिस को एक्रोसोम कहते हैं. साथ में गरदन, धड़ और पूंछ होती है.

* अगर शुक्राणुओं के आकार में फर्क हो, तब भी बच्चे पैदा करने की ताकत कम हो जाती है. यह फर्क सिर, धड़ या पूंछ में हो सकता है. अगर असामान्य शुक्राणुओं की संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा होती है, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* शुक्राणु वीर्य में हमेशा तैरते रहते हैं. अगर शुक्राणु सुस्त हैं या 40 फीसदी से ज्यादा गतिहीन हैं, तो भी आदमी नामर्द हो सकता है.

* अगर वीर्य में मवाद, खून या श्वेत खून की कणिकाएं मौजूद हों, तो यह भी बीमारी की निशानी है.

* वीर्य या शुक्राणु बनने में खराबी कई बीमारियों के चलते हो सकती है. हार्मोन के बदलाव से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है.

* शुक्राशय में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे मम्स, लेप्रोसी, सिफलिस वगैरह.

* ट्यूमर, इंफैक्शन, फाइलेरिया से शुक्राशय खराब हो सकता है.

* शुक्राणु के बनने में प्रोटीन, विटामिन, खासतौर से विटामिन ई की जरूरत होती है.

वीर्य संबंधी गलतफहमियां

 *  अगर पेशाब के साथ वीर्य या वीर्य जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तो लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. वे समझते हैं कि उन की ताकत कम हो रही है. नतीजतन, वे कई बीमारियों को न्योता दे बैठते हैं, जबकि वीर्य के निकलने या धातु निकलने से जिस्मानी ताकत में कमी होने का कोई संबंध नहीं है.

* हस्तमैथुन करने या रात को वीर्य गिरने से नौजवान समझते हैं कि इस के द्वारा उन की ताकत निकल रही है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं, जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है.

* वीर्य जमा नहीं होता. अगर वीर्य के साथ शुक्राणु बाहर न निकलें, तो शरीर में इन की कमी हो जाती है. इसी तरह शौच जाते समय जोर लगाने से भी कुछ बूंद वीर्य निकल सकता है, इसलिए घबराएं नहीं.

* कुछ लोगों में यह गलतफहमी है कि वीर्य की एक बूंद 40 बूंद खून के बराबर है. यह गलत सोच है. वीर्य जननांगों का स्राव है, जो लार, पसीना या आंसू की तरह ही शरीर में बनता है.

* कुछ लोगों का मानना है कि वे वीर्य गिरने के समय जीवनदायक रस को बरबाद करते रहे हैं.

* अगर वीर्य के निकल जाने से कीमती ताकत का नाश होता है, तो सभी शादीशुदा आदमी कमजोर हो जाते, इसलिए वीर्य और सैक्स संबंध के बारे में गलत सोच न बनाएं, तनाव से दूर रहें और कामयाब जिंदगी का लुत्फ उठाएं.

जानें क्या हैं यौन रोग के शुरुआती लक्षण

शादी के कुछ समय के बाद रेखा के अंदरूनी अंग से कभीकभी कुछ तरल पदार्थ निकलने लगा, पर उस ने इस तरफ खास ध्यान नहीं दिया. मगर कुछ दिनों बाद जब उसे उस तरल पदार्थ से बदबू आने का एहसास होने लगा और अंग में खुजली भी होने लगी तो वह तुरंत डाक्टर के पास गई.

डाक्टर ने जांच कर के रेखा को बताया कि उसे यौन रोग हो गया है, पर घबराने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि समय पर दिखा लिया. इलाज पर कम पैसा खर्च कर बीमारी ठीक हो जाएगी.

सीमा जब अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती तो उसे दर्द होता. उस ने इस परेशानी के बारे में डाक्टर को बताया. डाक्टर ने सीमा के अंगों की जांच कर के बताया कि उसे यौन रोग हो गया है. समय से इलाज कराने पर सीमा की बीमारी दूर हो गई.

यौन रोग पतिपत्नी के संबंधों में बाधक बन जाते हैं. यौन रोग के डर से लोग संबंध बनाने से डरने लगते हैं. कई बार यौन रोगों से अंदरूनी अंग से बदबू आने लगती है, जिस की वजह से सैक्स संबंधों से रुचि खत्म हो जाती है. ऐसे में पतिपत्नी एकदूसरे से दूर जा कर कहीं और संबंध बनाने लगते हैं.

क्या है यौन रोग

यौन रोग शरीर के अदरूनी अंगों में होने वाली बीमारियों को कहा जाता है. यह एक पुरुष और औरत के साथ संपर्क करने से भी हो सकता है और बहुतों के साथ संबंध रखने से भी हो सकता है. यौन रोग से ग्रस्त मां से पैदा होने वाले बच्चे को भी यह रोग हो सकता है. ऐसे में अगर मां को कोई यौन रोग है, तो बच्चे का जन्म डाक्टर की सलाह से औपरेशन के जरीए कराना चाहिए. इस से बच्चा योनि के संपर्क में नहीं आता और यौन रोग से बच जाता है.

कभीकभी यौन रोग इतना मामूली होता है कि उस के लक्षण नजर ही नहीं आते हैं. इस के बाद भी इस के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं, इसलिए यौन रोग के मामूली लक्षण को भी नजरअंदाज न करें. मामूली यौन रोग कभीकभी अपनेआप ठीक हो जाते हैं, पर इन के बैक्टीरिया शरीर में रह जाते हैं, जो कुछ समय बाद शरीर में तेजी से हमला करते हैं. यौन रोग शरीर की खुली और छिली जगह वाली त्वचा से ही फैलते हैं.

यौन रोग का घाव इतना छोटा होता है कि उस का पता ही नहीं चलता है. पति या पत्नी को भी इस का पता नहीं चलता है. यौन रोगों का प्रभाव 2 से 20 सप्ताह के बीच कभी भी सामने आ सकता है. इस के चलते औरतों को माहवारी बीच में ही आ जाती है. यौन रोग योनि, गुदा और मुंह के द्वारा शरीर में फैलते हैं. यौन रोग कई तरह के होते हैं. इन के बारे में जानकारी होने पर इन का इलाज आसानी से हो सकता है.

हार्पीज: हार्पीज बहुत ही आम यौन रोग है. इस रोग में पेशाब करते समय जलन होती है. पेशाब के साथ कई बार मवाद भी आता है. बारबार पेशाब जाने को मन करता है. बुखार भी हो जाता है. टौयलेट जाने में भी परेशानी होने लगती है. जिसे हार्पीज होता है उस के मुंह और योनि में छोटेछोटे दाने हो जाते हैं. शुरुआत में ये अपनेआप ठीक भी हो जाते हैं. अगर ये दोबारा हों तो इलाज जरूर कराएं.

व्हाट्स: व्हाट्स में शरीर के तमाम हिस्सों में छोटीछोटी फूलनुमा गांठें पड़ जाती हैं. व्हाट्स एचपीवी वायरस यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के चलते फैलता है. यह 70 प्रकार का होता है. अगर ये गांठें अगर शरीर के बाहर हों और 10 मिलीमीटर के अंदर हों तो इन्हें जलाया जा सकता है. 10 मिलीमीटर से बड़ा होने पर औपरेशन के जरीए हटाया जाता है.

योनि में फैलने वाले वायरस को जैनरेटल व्हाट्स कहते हैं. यह योनि में बच्चेदानी के मुख पर हो जाता है. अगर समय पर इलाज न हो तो यह घाव कैंसर का रूप ले लेता है. अगर यह हो तो 35 साल की उम्र के बाद एचपीवी का कल्चर जरूर करा लें. इस से घाव का पूरा पता चल जाता है.

गनेरिया: इस रोग में पेशाब की नली में घाव हो जाता है, जिस से पेशाब की नली में जलन होने लगती है. कई बार खून और मवाद भी आने लगता है. इस का इलाज ऐंटीबायोटिक दवाओं के जरीए किया जाता है. अगर यह बारबार होता है तो इस का घाव पेशाब की नली को बंद कर देता है, जिसे बाद में औपरेशन के द्वारा ठीक किया जाता है.

गनेरिया को साधारण बोली में सुजाक भी कहा जाता है. इस के होने पर तेज बुखार भी आता है. इस के बैक्टीरिया की जांच के लिए मवाद की फिल्म बनाई जाती है. अगर यह बीमारी शुरू में ही पकड़ में आ जाए तो इलाज आसानी से हो जाता है. बाद में इलाज कराने में मुश्किल आती है.

सिफलिस: यह यौन रोग भी बैक्टीरिया के कारण फैलता है. यह यौन संबंध के कारण ही होता है. इस रोग के चलते पुरुषों के अंग के ऊपर गांठ सी बन जाती है. कुछ समय के बाद यह ठीक भी हो जाती है. इस गांठ को शैंकर भी कहा जाता है. शैंकर से पानी ले कर माइक्रोस्कोप द्वारा ही बैक्टीरिया को देखा जाता है. इस बीमारी की दूसरी स्टेज पर शरीर में लाल दाने से पड़ जाते हैं. यह कुछ समय के बाद शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगता है.

इस बीमारी का इलाज तीसरी स्टेज के बाद मुमकिन नहीं होता है. खराब हालत में यह शरीर की धमनियों को प्रभावित करता है. धमनियां फट भी जाती हैं. यह रोग आदमी और औरत दोनों को हो सकता है. इस का इलाज दवा और इंजैक्शन से होता है.

बिस्तर पर पति की मनमानी पर चुप न रहें

रात के 9 बजे थे. कमला बिस्तर पर लेटी हुई थी, तभी उस का पति आया. उस ने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर में घुस कर सोने की तैयारी करने लगा. कमला कुछ नहीं बोली, जबकि आज उस का मन यह काम करने को नहीं था. सीमा की हालत दूसरी है. वह पति की जल्दबाजी को उस की लालसा समझती रही, मगर जब उस ने बिस्तर पर आते ही सीमा पर झपटना नहीं छोड़ा, तो उस ने पति से कहा, ‘‘तुम मुझे समझते क्या हो?’’

‘‘क्यों, क्या हुआ तुम्हें?’’ पति ने जानना चाहा.

‘‘यही कि तुम बिस्तर पर आते ही बाज की तरह झपट पड़ते हो.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’

पति के इतना कहते ही सीमा भड़क गई, ‘‘क्या मुझ में जान नहीं है? क्या तुम ने मुझे जानवर समझ रखा है?’’

सीमा के आंसू निकल पड़े, ‘‘मैं भी हाड़मांस की जीतीजागती इनसान हूं. मेरी भी कुछ इच्छाएं, पसंदनापसंद और भावनाएं हैं. कभी आप ने यह जानने की कोशिश की है? आप को तो अपने काम से मतलब है. बिस्तर पर आए और झपट पड़े, जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूं.’’

सीमा बोलती रही और उस का पति चुपचाप सुनता रहा. मगर ऐसा सभी के साथ नहीं होता है. कुछ औरतें सीमा की तरह कह नहीं पाती हैं. बस, वे हालात को जैसेतैसे कबूल कर लेती हैं.

नीला का पति रोज ही उस के साथ सोने की जिद करता था, इसलिए उस ने पति की इच्छा से समझौता कर लिया. जब भी उस का पति आता, वह उस के सामने बिछ जाती. उस का पति अपनी मनमानी करता रहता.

आखिर एक दिन पति खीज उठा, ‘‘यह क्या है? तुम तो जिंदा लाश जैसी पड़ी रहती हो. मैं ही सबकुछ करता रहता हूं.’’

‘‘हुं…,’’ नीला ने टालने की गरज से कहा, तो उस के पति ने पूछा, ‘‘आखिर तुम साथ क्यों नहीं देती हो?’’

तब नीला ने बताया, ‘‘आप ने कभी यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि मैं ऐसा क्यों करती हूं? शुरूशुरू में मेरी भी कुछ इच्छाएं और उमंगें थीं, जिन्हें मैं पूरा करना चाहती थी. मगर मैं कह नहीं पाती थी. सोचती थी कि आप प्यार से पूछेंगे.

‘‘मगर आप ने कभी यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि मैं क्या चाहती हूं? मेरी इच्छा क्या है? बस, आप तो आते ही शुरू हो जाते थे.

‘‘कई दिनों तक मैं यह देखती रही. आखिर मैं ने ही अपनी इच्छा का दम घोंट लिया. जैसा आप चाहते थे, वैसा ही होने लगा. मैं ने कभी इस बात का विरोध नहीं किया.’’

आखिर औरतें बिस्तर पर अपनी इच्छा अनिच्छा क्यों नहीं कह पाती हैं, जबकि पति की इच्छा का सम्मान करते हुए वे बिस्तर पर पड़ी रहती हैं?

शुरूशुरू में तो पति को पत्नी की इस आदत पर हैरानी नहीं होती है, मगर जब उस की यौन जिंदगी सामान्य और सही ढर्रे पर आती है, तो पत्नी का साथ उसे अखरने लगता है.

इस के मूल में पत्नी को मिले संस्कार होते हैं. इसी वजह से वह इच्छा न होते हुए भी पति के लिए बिस्तर पर तैयार रहती है. यह इस की एक वजह है, मगर सचाई कुछ और ही है.

औरत के दिमाग में आदमी की सोच का डर बैठा रहता है, जो बिस्तर पर उसे चुप रखता है. इसी सोच के चलते वह बिस्तर पर चुप ही रहती है.

वह आदमी की दोहरी दिमागी सोच से वाकिफ होती है. वह जानती है कि अगर उस ने बिस्तर पर अपनी इच्छा या भावना जाहिर की, तो उसे दूसरे मतलब में लिया जाएगा. उसे कुलटा और बदचलन समझ कर शक की निगाह से देखा जाएगा. अगर वह चुप रही, तो उसे शर्मीली समझ लिया जाएगा. ज्यादा हुआ, तो गंवार कह दिया जाएगा.

यही वजह है कि कई पत्नियां पति की इच्छा को ही देख कर अपना वैसा बरताव बना लेती हैं. अगर यौन जिंदगी में पति अपनी पत्नी का दखल नहीं चाहता है, तो पत्नी अपनी इच्छा को दबा कर के पति की मरजी के मुताबिक चलने लगती है. पति जैसा चाहता है, वैसा ही करने देती है. वह खुद कुछ नहीं करती और कहती है.

ऐसे में एक समय ऐसा आता है, जब पति अपनी पत्नी से ऊब जाता है. ऐसी दशा में पत्नी से उस का झगड़ा हो जाता है. अकसर वह पत्नी को ठंडी मान कर दूसरी जगह संबंध बना लेता है.

अगर पति समझदार होता है, तो पत्नी से बातचीत करता है. उसे अपने भरोसे में ले कर प्यार व मनुहार से उस के दिल की बात जान लेता है. तब पत्नी के मुताबिक काम कर के अपनी यौन जिंदगी सुख से भरी बना लेता है.

औरतमर्द की जरूरत समझने वाले मर्द कभी औरत के ठंडेपन की शिकायत नहीं करते हैं. वे जानते हैं कि औरत व मर्द की जिस्मानी बनावट में बहुत फर्क होता है.

औरत एक नदी की तरह होती है, जो धीरेधीरे उफान पर आती है और धीरेधीरे ही शांत होती है, जबकि मर्द तूफान की तरह होता है, जो जल्दी आ कर जल्दी ही चला जाता है.

मैं अपने मंगेतर से बहुत प्यार करती हूं, पर समझ नहीं आ रहा है कि उसके शक को कैसे दूर करूं?

सवाल

मेरी सगाई हो चुकी है. पहले मेरा एक प्रेमी था, जिस ने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, पर बाद में उस ने मुझे धोखा दे दिया. जिस से मेरी सगाई हुई, उस के साथ भी शादी से पहले मेरा जिस्मानी संबंध हुआ, पर जब खून नहीं आया तो उसे शक हुआ. पूछने पर मैं ने मना कर दिया कि मैं ने पहले ऐसा नहीं किया था, मगर ज्यादा जोर देने पर मैं ने कह दिया कि मेरे साथ रेप हुआ था और वह लड़का कई साल तक मुझ से जबरदस्ती करता रहा, अब नहीं करता. बाद में मैं ने कहा कि मैं तो मजाक कर रही थी. अब मंगेतर मेरा यकीन नहीं करता और पूछता है कि उस का नाम तो बता दो और यह भी कि कितने सालों तक किया. मैं अपने मंगेतर से बहुत प्यार करती हूं, पर समझ नहीं पा रही हूं कि उसे कैसे समझाऊं?

जवाब

आप ने गलत काम भी किया और खुद अपनी इमेज बिगाड़ ली. बारबार झूठ बोल कर आप ने अपने मंगेतर का भरोसा भी खो दिया. न तो आप को उस धोखेबाज प्रेमी से संबंध बनाना चाहिए था, न ही मंगेतर से. शायद आप की जिस्मानी भूख ही ज्यादा थी, फिर भी मंगेतर से रेप की बात कर के आप ने खुद ही बात बिगाड़ ली. अगर मंगेतर शक्की है, तो अपनी मंगनी तोड़ दें.

लड़की के शादी और सैक्स से जुड़े सवाल और उन के हल

शादी तय होते ही हर लड़की के मन में जहां एक तरफ अनकही खुशी होती है वहीं दूसरी ओर मन में डर भी रहता है कि न जाने नया घर, वहां के रीतिरिवाज, घर के लोग कैसे होंगे? क्या मैं उस माहौल में सहज महसूस कर पाऊंगी? ऐसे तमाम सवालों के साथसाथ एक अहम पहलू यानी सैक्स जीवन को ले कर भी मन में अनगिनत जिज्ञासाएं होती हैं, जिन के बारे में वह हर बात को शेयर करने वाली मां से भी नहीं पूछ पाती है और न ही भाभी या बहन से.

सेक्स संबंधी जिज्ञासाएं एक विवाहयोग्य लड़की के मन में होना आम बात है. इसी विषय पर बात करते हुए 2 महीने पूर्व विवाह के बंधन में बंधी रीमा कहती है कि विवाह तय होते ही मैं ने मां से पूछा कि मां पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट हो रही है, क्या होगा जरा बताइए?

तब मां ने झुंझलाते हुए जवाब दिया कि घबराओ नहीं, सब ठीक होगा. जब विवाहित सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि संबंध बनाते समय बड़ा दर्द होता है. पर अब अपने अनुभव से कह सकती हूं कि यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से सहज हैं, साथ ही पति का स्नेहपूर्ण स्पर्श है, तो कोई समस्या नहीं आती.

भले आज कितनी ही प्रीमैरिटल काउंसलिंग संस्थाएं खुल गई हों पर जरूरी नहीं कि हर लड़की का परिवार एक बड़ी फीस दे कर अपनी बेटी को वहां भेज सके. मगर सवाल उठता है कि भावी दुलहन अगर मन की जिज्ञासाओं को अपनी मां से नहीं पूछ सकती, भाभी, बहन और सहेली भी उसे ठीक से नहीं बताएंगी और बताएंगी भी तो वे उन के निजी अनुभव होंगे और जरूरी नहीं कि भावी दुलहन के साथ भी वैसा ही हो, ऐसे में वह क्या करे?

हम ने विवाहयोग्य लड़कियों व जिन के विवाह होने वाले हैं, ऐसी कई लड़कियों से उन के मन की जिज्ञासाओं को जाना कि वे मोटेतौर पर मन में किस प्रकार की जिज्ञासाएं रखती हैं. प्रस्तुत हैं, उन की जिज्ञासाएं…

जिज्ञासाएं कैसी-कैसी

हर लड़की के मन में जिज्ञासा उपजती है कि क्या प्रथम मिलन के दौरान रक्तस्राव होना जरूरी है? क्या यही कौमार्य की पहचान है? क्या प्रथम मिलन पर बहुत दर्द होता है? इन के अलावा यदि विवाहपूर्व किसी और से शारीरिक संबंध रहा है तो क्या पति को उस का पता चल जाएगा? क्या माहवारी के दौरान सैक्स किया जा सकता है? क्या रात में 1 से अधिक बार शारीरिक संबंध स्थापित करने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है? कौन सा गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं ताकि तुरंत गर्भवती न हो? आदि.

इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए मदर ऐंड चाइल्ड हैल्थ स्पैशलिस्ट व फैमिली प्लानिंग काउंसलर डा. अनीता सब्बरवाल ने बताया कि प्रथम समागम के समय खून आने का कौमार्य से कोई संबंध नहीं होता. दरअसल, बढ़ती उम्र में खेलकूद या व्यायाम आदि के दौरान भी हाइमन नाम की पतली झिल्ली फट जाती है और लड़कियों को इस का पता भी नहीं चलता. इस के अलावा जो लड़कियां हस्तमैथुन करती हैं उन की झिल्ली भी फट सकती है. अत: विवाहयोग्य लड़कियों को मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि खून न आने से कौमार्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

इसी तरह प्रथम मिलन पर दर्द होना भी जरूरी नहीं है. अकसर शर्म और झिझक के कारण लड़कियां सैक्स के दौरान सहज नहीं हो पातीं, जिस के कारण योनि में गीलापन नहीं आ पाता और शुष्कता के कारण दर्द होता है. इसलिए संबंध बनाते समय पति का साथ दें. विवाहपूर्व बने शारीरिक संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चल सकता जब तक पत्नी स्वयं न बताए.

ऐसे ही माहवारी के दौरान सैक्स करने से कोई हानि नहीं होती. फिर भी सैक्स न किया जाए तो अच्छा है, क्योंकि एक तो पत्नी वैसे ही रक्तस्राव, पीएमएस जैसी तकलीफों से गुजर रही होती है, उस पर कई पति ओरल सैक्स पर जोर डालते हैं, जो सही नहीं है.

अधिकांश लड़कियों के मन में यह जिज्ञासा भी बहुत रहती है कि सैक्स अधिक बार करने से कमजोरी आती है. दरअसल, ऐसा नहीं है, पत्नियां पतियों की सैक्स आवश्यकता से अनजान होती हैं. इस कारण उन्हें लगता है कि अधिक बार सैक्स करना हानिकारक होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हां, फैमिली प्लानिंग उपाय के लिए अच्छा होगा कि पत्नी किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिले ताकि वह शादी के बाद तुरंत गर्भवती न हो कर वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद उठा सके.

ध्यान देने योग्य बातें

–सेक्स संबंधी जानकारी इंटरनैट पर आधीअधूरी मिलती है. अत: उस पर ध्यान न दें.

–फैंटेसी में न जिएं और ध्यान रखें कि हर चीज हर किसी को नहीं मिलती.

–यदि कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, अस्थमा आदि तो उस की जानकारी विवाहपूर्व ही भावी पति को होनी चाहिए. इसी तरह पति को भी कोई बीमारी हो तो उस का पता पत्नी को होना चाहिए.

–मन की यह जिज्ञासा कि ससुराल वाले कैसे होंगे तो ध्यान रखें, हर घर के तौरतरीके अलग होते हैं. जरूरी यह है कि बड़ेबुजुर्गों को सम्मान दें, घर के तौरतरीकों को अपनाने की कोशिश करें तथा अपनी मुसकराहट व काम से सब का दिल जीतें. मन में जितनी भी सेक्स संबंधी जिज्ञासाएं हैं उन्हें किसी अच्छी पत्रिका के सैक्स कौलम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ कर शांत करें.

–यदि किसी समस्या का समाधान लेखों में न मिले तो उसे किसी पत्रिका के ‘सैक्स कौलम’ में लिख कर भेजें. ऐसे कौलमों की समस्याओं के समाधान योग्य डाक्टरों से पूछ कर ही प्रकाशित किए जाते हैं.

4 साल पहले मैने बौयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, क्या मेरे पति को इस बात का पता चल सकता है?

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. इसी वर्ष के अंत तक घर वाले मेरी शादी कर देना चाहते हैं. मैं बहुत परेशान हूं, क्योंकि कालेज के दिनों में मेरे बौयफ्रैंड ने मुझे बरगला कर एक बार शारीरिक संबंध बना लिया था. उस के बाद मैं ने उस से सारे संबंध तोड़ लिए. इस बात को 4 साल हो चुके हैं. मैंने सुना है कि सुहागरात को ही पति को ज्ञात हो जाता है कि लड़की का कौमार्य भंग हो चुका है. यदि ऐसा हुआ और पति ने मुझे अपमानित कर के छोड़ दिया तो क्या होगा? इस से तो अच्छा यही होगा कि मैं शादी ही न करूं? पर घर वालों से क्या कहूं कि मैं शादी क्यों नहीं करना चाहती? बड़ी उलझन में हूं. बताएं क्या करूं?

जवाब

अतीत में आप के साथ जो हुआ उसे भूल जाएं. कौमार्य या शील भंग जैसे शब्द आज बेमानी हो गए हैं. आप जब तक अपने मुंह से नहीं कहेंगी आप के भावी पति नहीं जान पाएंगे कि आप का किसी से संबंध बन चुका है. सुनीसुनाई बातों पर ध्यान न दें और भविष्य की सुखद कल्पना करें. सब अच्छा होगा. जरूरी है विवाह के बाद पतिपत्नी का एकदूसरे पर विश्वास हो. रिश्तों को ईमानदारी से निभाएंगे तो कोई समस्या नहीं होगी.

मेरा बेटा जो भी याद करता है उसे कुछ ही देर में भूल जाता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा बेटा 10 साल का है और 5वीं क्लास में पढ़ताहै. दिक्कत यह है कि वह जो भी याद करता है, उसे कुछ ही देर में भूल जाता है. इस समस्या का क्या हल हो सकता है?

जवाब

बच्चे कई बार होमवर्क करना भूल जाते हैं और यह पूरी तरह सामान्य है. इसी तरह वे क्लासरूप में दिन में बैठेबैठे सपनों की दुनिया में खो सकते हैं या खाने की मेज पर बेचैन हो सकते हैं. लेकिन साथ ही, एकाग्रता में कमी, आवेश से भरा होना और हाइपरएक्टिविटी जैसे लक्षण बच्चों में अटैंशन डैफिसिट डिसऔर्डर की निशानी भी हो सकते हैं. एकाग्रता में कमी और आनाकानी करना इस बात का लक्षण हो सकता है कि बच्चे को एकाग्र होने में परेशानी है. उस का ध्यान जरा-जरा सी बात पर बंट जाता है या वह काम पूरा होने से पहले ही उस से बोर हो जाता है.

बच्चे को पढ़ने के लिए सही माहौल व जगह दें. आप को अपने भुलक्कड़ बच्चे को शोरशराबा या टैलीविजन से दूर रखना होगा. वह जगह आरामदायक होनी चाहिए ताकि बच्चा बेचैन न हो. किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह ले सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

कौलेज लाइफ में रोमांस का तड़का

कालेज की मौजमस्ती जिंदगीभर याद रहती है. वहां बनाए दोस्त, टीचर, घूमनाफिरना सब यादगार लमहों में शामिल होते हैं पर कालेज का रोमांस जिंदगी का ऐसा हिस्सा होता है, जिसे याद कर हर समय रूमानियत महसूस होती है और लगता है कालेज में रोमांस नहीं किया तो क्या किया… कालेज लाइफ के लमहे जीवन के अनमोल लमहे होते हैं. उस दौरान हम कई अलगअलग अनुभवों से गुजरते हैं. एक तरफ दिल धड़कता है तो दूसरी तरफ कैरियर को ले कर टैंशन होती है. वहीं दोस्तों के साथ मस्ती वाले पल गुजरते हैं. इन पलों को अच्छे से जी लेना चाहिए क्योंकि यही वह समय होता है जब हमें पहलीपहली बार प्यार का एहसास होता है. कई बार हम बताने में डरते हैं तो कई बार जल्दबाजी में गड़बड़ भी कर देते हैं. सो, जरूरी है कि अपने क्रश को अपने दिल की बात बताने में देरी न करें, न ही हिचकिचाएं.

उसे अपने दिल का हाल इस तरह बताएं कि वह मान ही जाए. तो आइए जानते हैं कि कालेज में कैसे करें मस्ती. शरीफों वाली इमेज छोड़ें यार अगर मैं ने लड़की से फ्रैंडशिप कर ली और पापा को पता चल गया तो क्या होगा, इस बात पर मम्मी बहुत गुस्सा होंगी, अगर बहन को पता चला तो वह मु झ से बात करना छोड़ देगी. यह सब सोचसोच कर यानी आप की शरीफों वाली इमेज के कारण अगर आप ने कालेज लाइफ नहीं जी तो आप बाद में बहुत पछताएंगे. ये दिन वापस लौट कर नहीं आने वाले. इसलिए अपनी सीधेपन वाली इमेज को छोड़ कर अपने बाकी फ्रैंड्स की तरह मस्ती करने में पीछे न रहें.

लड़की से दोस्ती करने में हिचकिचाएं नहीं. दोस्ती करते समय आप की पर्सनैलिटी काफी बोल्ड व अच्छी होनी चाहिए ताकि लड़की को आप में कोई बात नजर आए. वह यह न सोचे कि यार, यह तो अभी ही इतना डरपोक है, आगे दोस्ती कैसे निभाएगा, सो, इस से दूर रहने में ही भलाई है. प्रपोज करने में देरी न करें यार, वह क्या सोचेगी, कहीं बुरा न मान जाए या फिर मन के डर के कारण अगर आप ने अपने क्रश को प्रपोज करने में काफी समय लगा दिया तो हो सकता है कि आप की वाली किसी और की हो जाए क्योंकि आप का जिस पर क्रश है, हो सकता है उसे भी किसी पर क्रश हो जाए. ऐसे में बहुत ही ‘जैंटल वे’ में लड़की को प्रपोज करें. उस से बोलें, ‘मु झे तुम्हारी मासूमियत बहुत पसंद है, तुम्हारी स्माइल पर मैं फिदा हो गया हूं. क्या तुम मु झ से दोस्ती करोगी.’ अगर लड़की की भी हां हुई तो आप के मजे आ जाएंगे. फिर तो कालेज लाइफ को जीने का जो मजा आएगा उस की बात ही अलग होगी. लेकिन अगर वह इस दोस्ती के लिए न करे तो जबरदस्ती न करें और उसे सोचने के लिए थोड़ा समय दें.

हो सकता है कि धीरेधीरे उसे भी आप पसंद आने लगें. एकदूसरे के साथ खूबसूरत समय बिताएं अगर आप स्कूल की तरह कालेज में भी किताबी कीड़ा बन कर रहेंगे तो लाइफ को खुल कर एंजौय नहीं कर पाएंगे. इसलिए खुल कर जिएं इन दिनों को. अगर आप ने कालेज में गर्लफ्रैंड नहीं बनाई तो जिंदगी फीकीफीकी सी लगेगी. इसलिए गर्लफ्रैंड बनाएं क्योंकि इस में कोई बुराई नहीं है और जब साथ में खूबसूरत लड़की का साथ होता है तो उस की बात ही अलग होती है. अगर पहलीपहली बार गर्लफ्रैंड बनाई है तो उस के साथ खूबसूरत समय बिताएं. उसे कहीं आउटिंग पर ले कर जाएं, उस की पसंद का फूड और्डर करें. कहीं शांत जगह पर एकदूसरे को जानने की कोशिश करें, जिस से दोस्ती और गहरी हो सके. जब एकदूसरे को जानते हैं तो रिश्ता और गहरा बनता है. बस, दिल से किसी बात को न लगाएं

और खुल कर इस टाइम को एंजौय करें. बोरिंग बन कर न रहें फ्रैंड्स के कहने पर कालेज में गर्लफ्रैंड तो पटा ली लेकिन उस के साथ इतने बोरिंग बने रहे कि उसे ही आप से दोस्ती करने में पछतावा होने लगे और वह मौका पा कर आप से छुटकारा पाने के लिए सोचने लगे. इसलिए आप जब गर्लफ्रैंड बनाएं तो आप को अपना बोरिंग व्यवहार छोड़ना पड़ेगा. उस के साथ रोमांटिक बातें करें. अगर दोस्ती थोड़ी गहरी हो गई है तो पार्टनर की मरजी से ‘किस’ करने का मौका भी न छोड़ें. उसे जब घुमाने ले जाएं तो हाथ में हाथ डाल कर उस के साथ रोमांटिक बातें करें. अपनी भी सुनाएं और उस के मन की भी सुनें. इस से रिश्ते में बोरियत नहीं रहेगी और यह दोस्ती दिल को एक सुकूनभरा एहसास देने का काम करेगी. सरप्राइज से स्पैशल फील करवाएं हर लड़की को सरप्राइज अच्छे लगते हैं लेकिन अगर गर्लफ्रैंड होने के नाते वह ही आप को हमेशा सरप्राइज देती रहेगी तो उसे भी आप के साथ अच्छा फील नहीं होगा. इसलिए अपनी इस दोस्ती को स्पैशल बनाने के लिए कभी उसे लंच डेट पर ले जा कर सरप्राइज दें तो कभी उसे छोटी ही सही लेकिन शौपिंग करवा कर उस को आप से प्यार करने पर मजबूर कर दें. लड़कियां शौपिंग की दीवानी होती हैं, कोई भी उन की इस इच्छा को पूरा कर देता है तो वे उस की हो कर रह जाती हैं. फिर तो आप उस के लिए काफी खास हैं. यकीन मानिए जब आप उसे उस के फेवरेट रैस्तरां में लंच करवाने के साथसाथ शौपिंग करवा देंगे तो वह आप को हग किए बिना नहीं रह पाएगी.

इसलिए इस दोस्ती को फीकाफीका रखने के बजाय पार्टनर को सरप्राइज दे कर स्पैशल बनाएं. दोस्त की मदद लें अगर आप को पहलीपहली बार प्यार हुआ है, पहलीपहली बार आप इस तरह के रिलेशन में बंधे हैं, पहलीपहली बार कुछ खास एहसास हुआ है और आप को कुछ सम झ नहीं आ रहा कि कैसे अपनी पार्टनर को खुश रखें, उस के लिए क्या कुछ स्पैशल प्लान करूं, उसे कहां घुमाने ले जाऊं तो इस के लिए अपने दूसरे दोस्त की मदद लें. वह आप को अच्छे से गाइड करने के साथसाथ आप को कुछ हैल्पफुल टिप्स देगा. जिस से आप को अपने इस रिलेशन को आगे बढ़ाने में आसानी होगी. न करें यह गलती कालेज का क्रश हो या फिर कालेज का प्यार, अकसर कालेज की तरह ही शौर्ट टर्म होता है. इसलिए इस में एक बार दोस्ती होने पर जोश में आ कर होश न खोएं. पार्टनर के साथ रोमांस, मीठेमीठे पल जरूर बिताएं. लेकिन जितना हो सके, संबंध बनाने से बचें और अगर दोस्ती काफी गहरी हो गई है और रिलेशन बनाना भी चाहते हैं तो अनसेफ सैक्स करने से बचें. वरना बाद में पछताने के सिवा कुछ नहीं बचेगा.

उम्र के साथ ऐसे बदलता है सेक्स बिहेवियर

शादीशुदा जिंदगी में दूरियां बढ़ाने में सेक्स का भी अहम रोल होता है. अगर परिवार कोर्ट में आए विवादों की जड़ में जाएं तो पता चलता है कि ज्यादातर झगड़ों की शुरुआत इसी को ले कर होती है. बच्चों के बड़े होने पर पतिपत्नी को एकांत नहीं मिल पाता. ऐसे में धीरेधीरे पतिपत्नी में मनमुटाव रहने लगता है, जो कई बार बड़े झगड़े का रूप भी ले लेता है. इस से तलाक की नौबत भी आ जाती है. विवाहेतर संबंध भी कई बार इसी वजह से बनते हैं.

मनोचिकित्सक डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘उम्र के हिसाब से पति और पत्नी के सेक्स का गणित अलगअलग होता है. यही अंतर कई बार उन में दूरियां बढ़ाने का काम करता है. पतिपत्नी के सेक्स संबंधों में तालमेल को समझने के लिए इस गणित को समझना जरूरी होता है. इसी वजह से पतिपत्नी में सेक्स की इच्छा कम अथवा ज्यादा होती है. पत्नियां इसे न समझ कर यह मान लेती हैं कि उन के पति का कहीं चक्कर चल रहा है. यही सोच उन के वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती है. अगर उम्र को 10-10 साल के गु्रपटाइम में बांध कर देखा जाए तो यह बात आसानी से समझ आ सकती है.’’

शादी के पहले

आजकल शादी की औसत उम्र लड़कियों के लिए 25 से 35 के बीच हो गई है. दूसरी ओर खानपान और बदलते परिवेश में लड़केलड़कियों को 15 साल की उम्र में ही सेक्स का ज्ञान होने लगता है. 15 से 30 साल की आयुवर्ग की लड़कियों में नियमित पीरियड्स होने लगते हैं, जिस से उन में हारमोनल बदलाव होने लगते हैं. ऐसे में उन के अंदर सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. वे इस इच्छा को पूरी तरह से दबाने का प्रयास करती हैं. उन पर सामाजिक और घरेलू दबाव तो होता ही है, कैरियर और शादी के लिए सही लड़के की तलाश भी मन पर हावी रहती है. ऐसे में सेक्स कहीं दब सा जाता है.

इसी आयुवर्ग के लड़कों में सेक्स के लिए जोश भरा होता है. कुछ नया करने की इच्छा मन पर हावी रहती है. उन की सेहत अच्छी होती है. वे हर तरह से फिट होते हैं. ऐसे में शादी, रिलेशनशिप का खयाल उन में नई ऊर्जा भर देता है. वे सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, जबकि लड़कियां इस उम्र में अपनी इच्छाओं को दबाने में लगी रहती हैं.

30 के पार बदल जाते हैं हालात

महिलाओं की स्थिति: 30 के बाद शादी हो जाने के बाद महिलाओं में शादीशुदा रिलेशनशिप बन जाने से सेक्स को ले कर कोई परेशानी नहीं होती है. वे और्गेज्म हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार होती हैं. महिलाएं कैरियर बनाने के दबाव में नहीं होती. घरपरिवार में भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में सेक्स की उन की इच्छा पूरी तरह से बलवती रहती है. बच्चों के होने से शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जिन के चलते महिलाओं को अपने अंदर के सेक्सभाव को समझने में आसानी होती है. वे बेफिक्र अंदाज में संबंधों का स्वागत करने को तैयार रहती हैं.

पुरुषों की स्थिति: उम्र के इसी दौर में पति तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा होता है. शादी के बाद बच्चों और परिवार पर होने वाला खर्च, कैरियर में ग्रोथ आदि मन पर हावी होने लगता है, जिस के चलते वह खुद को थका सा महसूस करने लगते हैं. यही वह दौर होता है जिस में ज्यादातर पति नशा करने लगते हैं. ऐसे में सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

महिला रोग विशेषज्ञा, डाक्टर सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘हमारे पास बांझपन को दूर करने के लिए जितनी भी महिलाएं आती हैं उन में से आधी महिलाओं में बांझपन का कारण उन के पतियों में शुक्राणुओं की सही क्वालिटी का न होना होता है. इस का बड़ा कारण पति का मानसिक तनाव और काम का बोझ होता है. इस के कारण वे पत्नी के साथ सही तरह से सेक्स संबंध स्थापित नहीं कर पाते.’’

नौटी 40 एट

40 के बाद की आयुसीमा एक बार फिर शारीरिक बदलाव की चौखट पर खड़ी होती है. महिलाओं में इस उम्र में हारमोन लैवल कम होना शुरू हो जाता है. उन में सेक्स की इच्छा दोबारा जाग्रत होने लगती है. कई महिलाएं अपने को बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त पाती हैं, जिस की वजह से सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. मगर यह बदलाव उन्हीं औरतों में दिखता है जो पूरी तरह से स्वस्थ रहती हैं. जो महिलाएं किसी बीमारी का शिकार या बेडौल होती हैं, वे सेक्स संबंधों से बचने का प्रयास करती हैं.

40 प्लस का यह समय पुरुषों के लिए भी नए बदलाव लाता है. उन का कैरियर सैटल हो चुका होता है. वे इस समय को अपने अनुरूप महसूस करने लगते हैं. जो पुरुष सेहतमंद होते हैं, बीमारियों से दूर होते हैं वे पहले से ज्यादा टाइम और ऐनर्जी फील करने लगते हैं. उन के लिए सेक्स में नयापन लाने के विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं.

50 के बाद महिलाओं में पीरियड्स का बोझ खत्म हो जाता है. वे सेक्स के प्रति अच्छा फील करने लगती हैं. इस के बाद भी उन के मन में तमाम तरह के सवाल आ जाते हैं. बच्चों के बड़े होने का सवाल मन पर हावी रहता है. हारमोनल चेंज के कारण बौडी फिट नहीं रहती. घुटने की बीमारियां होने लगती हैं. इन परेशानियों के बीच सेक्स की इच्छा दब जाती है.

इस उम्र के पुरुषों में भी ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां और इन को दूर करने में प्रयोग होने वाली दवाएं सेक्स की इच्छा को दबा देती हैं. बौडी का यह सेक्स गणित ही पतिपत्नी के बीच सेक्स संबंधों में दूरी का सब से बड़ा कारण होता है.

डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि सेक्स के इस गणित को मन पर हावी न होने दें ताकि सेक्स जीवन को सही तरह से चलाया जा सके.’’

रिलेशनशिप में सेक्स का अपना अलग महत्त्व होता है. हमारे समाज में सेक्स पर बात करने को बुरा माना जाता है, जिस के चलते वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. इन का दवाओं में इलाज तलाश करने के बजाय अगर बातचीत कर के हल निकाला जाए तो समस्या आसानी से दूर हो सकती है. लड़कालड़की सही मानो में विवाह के बाद ही सेक्स लाइफ का आनंद ले पाते हैं. जरूरत इस बात की होती है कि दोनों एक मानसिक लैवल पर चीजों को देखें और एकदूसरे को सहयोग करें. इस से आपसी दूरियां कम करने और वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलती है.

मुझे भाभी के साथ सेक्स करते हुए मेरे भतीजे ने देख लिया, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी उम्र 35 साल है और अभी तक मेरी शादी नहीं हुई है. पिछले 15 साल से मेरा अपनी भाभी के साथ जिस्मानी रिश्ता रहा है. लेकिन हाल ही में मेरे भतीजे ने हम दोनों को बिस्तर पर एकसाथ देख लिया था. तब से मेरी भाभी मुझ से बात नहीं कर रही हैं. मैं उस के बिना रह नहीं सकता. क्या करूं?

जवाब

इस तरह के संबंध बनाए तब जाने चाहिए जब छिपा कर रख सकें, वरना खतरा तो रहेगा ही. भतीजे की जगह अगर भाई या कोई और बड़ा देखता तो क्या हालत होती, इस का अंदाजा आप भी लगा सकते?हैं. आप की?भाभी वही कर रही?हैं जो इस हालत में किसी भी औरत को करना चाहिए. अब आप को चाहिए कि मुफ्त की मलाई का लालच छोड़ कर शादी कर लें और भाभी से जिस्मानी संबंधों की बात को भूल जाएं.

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